चलो केदारनाथ- 19 मुख्यमंत्रियो के साथ- मोदी; बजायेगे चुनावी शखनांद
केदारनाथ के कपाट खोलते समय 19 सीएम के साथ मोदी बजायेगे चुनावी शखनांद HIGH LIGHTS; 29 अप्रैल को केदारनाथ के कपाट खुल रहे हैं 29 अप्रैल को बाबा केदार के दर्शनों को केदारनाथ आ सकते हैं कपाट खुलने के अवसर को भव्य बनाने की रूपरेखा को भी अंतिम रूप दिया जा चुका है। कपाट खुलते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले श्रद्धालु बनेंगे जो बाबा के दर्शन करेंगे 2017 में जब केदारनाथ के कपाट खुले थे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले श्रद्धालु बने थे जिन्होंने बाबा के दर्शन के साथ पूजा-अर्चना की थी. 2018 में भी जब बाबा केदारनाथ के कपाट खुलेंगे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों के मौजूद रहने की उम्मीद है.
BIG STORY; 29 अप्रैल ;केदारनाथ के कपाट खोलते समय 19 सीएम के साथ मोदी बजायेगे चुनावी शखनांद #चुनाव आयोग ने सरकार से कहा है कि वह सितंबर, 2018 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराने में सक्षम #उत्तराखण्ड के केदारनाथ धाम में कपाट खोलते समय राजनीतिक माहौल व्याप्त हो सकता है # केदारनाथ के कपाट खोले जाने के अवसर पर राजनीतिक लाभ लेने के लिए की कोशिश कितनी सटीक बैठेगी, यह तो समय बतायेगा- हिमालयायूके इस बारे में हिमालय के प्रकाण्ड विद्वानो, साधु संतो की राय को भी प्रकाशित करेगाा
हिमालयायूके न्यूज पोर्टल
चुनाव आयोग ने सरकार से कहा है कि वह सितंबर, 2018 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराने में सक्षम है. चुनाव आयोग से हरी झण्डी मिलते ही बीजेपी ने चुनावी शंखनांद कर दिया है, 29 अप्रैल को उत्तराख्ण्ड में बाबा केदारनाथ के कपाट खुलने के मुहुर्त पर नरेन्द्र मोदी पूर्णतया चुनावी शंख बजा देगे,
हिमालयायूके न्यूज पोर्टल के बडी स्टोरी-
उत्तराखण्ड केदारनाथ धाम में इस बार कपाट खुलने के मौके को यादगार बनाने की जोरदार तैयारियां चल रही हैं. 29 अप्रैल को केदारनाथ धाम के कपाट खोले जाएंगे. इससे एक दिन पहले यानि 28 अप्रैल की शाम को केदारनाथ धाम में लेजर शो कराने की योजना है. सूत्रों के मुताबिक, लेजर शो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी शासित 19 राज्यों के मुख्यमंत्रियों के केदारनाथ पहुंच सकते हैं. इस विशेष पल को इस बार राज्य सरकार यादगार बनाने की तैयारियों में जुटी है.
इस आयोजन के मौके पर मोदी के साथ-साथ बीजेपी शासित 19 राज्यों के मुख्यमंत्रियों के केदारनाथ आने की संभावना है. इसके साथ ही कई और वीवीआईपी भी केदारनाथ पहुंच सकते हैं. जानकारी के मुताबिक, ऐसा पहली बार होगा कि इतनी बड़ी संख्या में कई प्रदेशों के वीवीआईपी केदारनाथ पहुंचेंगे. इस बार केदारनाथ धाम के कपाट 29 अप्रैल को भक्तों के लिए खोले जाएंगे. केदारनाथ मंदिर इस बार श्रद्धालुओं को नए रूप में दिखेगा. मंदिर के प्रांगण और आसपास के इलाके को स्थानीय पत्थरों से सजाया जा रहा है. इन पत्थरों की खासियत है कि ये बर्फबारी समेत सभी मौसमों में मजबूती के साथ टिके रहते हैं. केदारनाथ धाम में लेजर-शो का आयोजन 29 अप्रैल से पांच मई तक होगा. इसमें केदारनाथ धाम की महत्ता, भगवान शिव के अनेक स्वरूप, शिव महोत्सव और केदारनाथ में मोदी के प्रयासों से हुए कार्यों को लेजर शो से दिखाए जाने की योजना है. इस आयोजन के लिए प्रदेश से लेकर जिला स्तर तक शीर्ष अफसर तैयारियों में जुटे हैं.
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सिंगरौली में तेंदुपत्ता संग्राहकों की सभा को संबोधित कर रहे थे, तभी सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें बताते हैं कि मोबाइल पर कॉल आई है. सीएम शिवराज इस बात को नजरअंदाज कर देते हैं. इसके बाद सुरक्षा गार्ड उन्हें बताते हैं कि लंदन से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मोबाइल पर कॉल कर रहे हैं. इसके बाद सीएम शिवराज सतर्कता के भाव में आ जाते हैं और तुरंत बीच में ही भाषण रोकते हुए दो मिनट का ब्रेक लेने को कहते हैं. वे क्षमा मांगते हुए कहते हैं जरूरी फोन कॉल है. सीएम के इतना कहते ही मंच के साथ सभा में मौजूद लोग हंसने लगते हैं.
इन सब बातों को नजरअंदाज करते हुए सीएम शिवराज मोबाइल लेकर मंच से उतरकर के एक कोने में चले जाते हैं और बात करने लगते हैं. सीएम शिवराज बात करने के बाद जैसे ही मंच पर लौटते हैं दोबारा मोबाइल की घंटी बजती है. इस बार गृहमंत्री राजनाथ सिंह फिर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की कॉल आती है.
तीनों राजनेताओं से बातचीत करने के बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान मंच पर पहुंचते हैं और बताते हैं कि लंदन से पीएम मोदी ने कॉल किया था, कुछ जरूरी बात करनी थी. इसके बाद गृहमंत्री की कॉल आई थी, उनसे भी बात हो गई है.
फोन कॉल आने के बाद बदल जाते हैं सीएम शिवराज के सुर
तीनों नेताओं से बातचीत के बाद सीएम शिवराज के भाषण का मुद्दा बदल जाता है. वह फोन आने से पहले राज्य के मुद्दों पर बात कर रहे होते हैं. अचानक वे राहुल गांधी पर हमला बोलने लगते हैं. इसके बाद पूरे भाषण में वे कांग्रेस और राहुल गांधी के प्रति आक्रामक बने रहते हैं. सूत्रों का कहना है कि पीएम मोदी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने बीजेपी शासित सभी मुख्यमंत्रियों से बात की थी, जिसमें कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस लोया की मौत की जांच कराने से मना कर दिया है. बीजेपी ने कांग्रेस पर साजिश रचने का आरोप लगाया था. इसके बाद से बीजेपी ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से इस बात को जोर-शोर से उठाने के निर्देश दिए गए हैं.
राज्य सरकारें ‘एक देश, एक चुनाव’ पर आम सहमति बनाएं. आम सहमति बनाने के लिए सभी नेताओं (पक्ष-विपक्ष) से बात करने की सलाह दी गई
विधानसभा और लोकसभा के चुनाव एकसाथ कराए जाने को लेकर बीजेपी ने अपने मुख्यमंत्रियों को पत्र लिया है. पत्र में कहा गया है कि राज्य सरकारें ‘एक देश, एक चुनाव’ पर आम सहमति बनाएं. आम सहमति बनाने के लिए सभी नेताओं (पक्ष-विपक्ष) से बात करने की सलाह दी गई है. बीजेपी के महासचिव भूपेंद्र यादव ने इस बारे में एक पत्र सभी बीजेपी शासित राज्यों को लिखा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में एकसाथ चुनाव कराए जाने के पक्ष में हैं. वह पिछले कुछ समय से लगातार इस मुद्दे को उठाते रहे हैं. उन्होंने विपक्ष के नेताओं से भी केंद्र और राज्य के चुनाव एकसाथ कराए जाने पर चर्चा की थी. कुछ राज्यों ने केंद्र की इस मंशा का समर्थन भी किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘चैनल’ को दिए साक्षात्कार में कहा कि चुनाव भी त्यौहारों की तरह होने चाहिए, जैसे कि होली में आप रंग फेंकते और कीचड़ भी फेंकते हैं और फिर अगली बार तक के लिए भूल जाते हैं. उन्होंने कहा, ‘लॉजिस्टिक के नजरिए से देखें तो ऐसा लगता है कि देश हमेशा चुनावी मूड में हैं.’ प्रधानमंत्री ने कहा कि चुनावों की तिथियां भी तय होनी चाहिए, ताकि नेता और नौकरशाह पूरे साल चुनाव कराने और चुनाव प्रचार की प्रक्रिया में शामिल नहीं रहे. पीएम मोदी ने लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकायों के चुनावों के मतदाता सूची एक होने की भी पैरवी की. यह पूछे जाने पर कि क्या एक साथ चुनाव का उनका लक्ष्य पूरा हो सकेगा तो नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘यह किसी एक पार्टी या किसी नेता का एजेंडा नहीं है. देश के फायदे के लिए सभी को मिलकर काम करना चाहिए.’
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसद में अपने अभिभाषण में कहा था कि बार-बार चुनाव होने से मानव संसाधन पर बोझ तो बढ़ता ही है, आचार संहिता लागू होने से देश की विकास प्रक्रिया भी बाधित होती है. इसलिए एकसाथ चुनाव कराने के विषय पर चर्चा और संवाद बढ़ना चाहिए तथा सभी राजनीतिक दलों के बीच सहमति बनाई जानी चाहिए. बजट सत्र के प्रथम दिन अपने अभिभाषण में राष्ट्रपति ने सभी दलों का आह्वान किया कि राष्ट्र निर्माण एक अनवरत प्रक्रिया है, जिसमें देश के हर व्यक्ति की अपनी-अपनी भूमिका है.
वही दूसरी ओर
चुनाव आयोग से हरी झण्डी मिल गयी है,, चुनाव आयोग ने सरकार से कहा है कि वह सितंबर, 2018 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराने में सक्षम है. दरअसल बीजेपी इस मांग को आयोग के समक्ष उठाती रही है लेकिन सभी राजनीतिक दलों की इस पर एक राय नहीं है. इस सिलसले में निर्वाचन आयुक्त ओपी रावत ने बुधवार को कहा कि देश में लोकसभा एवं विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए निर्वाचन आयोग अगले साल सितंबर तक जरूरी सामानों से सक्षम हो जाएगा. रावत ने यहां संवाददाता सम्मेलन में बताया, ”केंद्र सरकार ने निर्वाचन आयोग को पूछा था कि लोकसभा एवं विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए सक्षम होने के लिए उसे किस चीज की जरूरत है. इसके जवाब में निर्वाचन आयोग ने नई ईवीएम एवं वीवीपीएटी मशीनें खरीदने के लिए केंद्र से कोष की मांग की थी. यह हमें मिल भी गया है.”
उन्होंने कहा, ”निर्वाचन आयोग लोकसभा एवं विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए आवश्चक संसाधन सितंबर 2018 तक जुटाने में सक्षम हो जाएगा.” रावत ने बताया कि केंद्र से कोष मिलने के बाद हमने मतदाता पावती रसीद यानी वोटर वेरिफायएबल पेपर आडिट ट्रायल (वीवीपीएटी) एवं इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) की खरीदी के लिए आर्डर भी दे दिये हैं और सितंबर 2018 तक इस मकसद के लिए निर्वाचन आयोग को 40 लाख मशीनें मिल जायेगी.
एक अन्य सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, ”वीवीपीएटी खरीदी के लिए हमें 3400 करोड़ रुपये मिले हैं और ईवीएम मशीनों की खरीद के लिए 12,000 करोड़ रुपये मिले हैं.” रावत ने बताया, ”….सितंबर 2018 तक निर्वाचन आयोग लोकसभा एवं विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए आवश्चक संसाधन जुटाने में सक्षम हो जाएगा. लेकिन, एक साथ चुनाव कराने संबंधी अन्य जरूरी प्रावधान करने का दायित्व केंद्र सरकार का है.”
वही दूसरी ओर सोनिया गांधी और राहुल गॉधी को किसी भी हालत मे संसद न पहुचने देने के लिए पूरी टीम अमेठी झोंक दी गयी है, 21 अप्रैल 2018 को सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ रैली कर रहे हैं. इस रैली के जरिए बीजेपी कांग्रेस के सियासी गढ़ में ताकत दिखाना चाहती है और कांग्रेस के नेताओं को अपने खेमे में लाना चाहती है. रैली में उस वक्त अचानक अफरातफरी का माहौल हो गया जब वहां अचानक धुआं भर गया. लोग अपने मोबाइल से इसका वीडियो बनाने लगे. कुछ लोग वहां से उठ कर जाने भी लगे. पता चला है कि पास ही में शॉर्ट सर्किट हो जाने के कारण आग लग गई थी. भाजपा को उस समय सफलता मिली जब एमएलसी दिनेश सिंह ने कांग्रेस का हाथ झटक कर बीजेपी का दामन थाम लिया. इसी रैली में उन्होंने गांधी परिवार पर हमला बोला. उन्होंने कहा,”जो अपने बाबा का नहीं हुआ, अपने बाप का नहीं हुआ, जो अपने बेटे को भूल जाए अपने भाई को भूल जाए, उनके बारे में क्या कहा जाए. अपने लिए अपना विकास किया, रायबरेली को पिकनिक की जगह बना दिया.” उन्होंने सोनिया गांधी पर सीधा हमला किया. दिनेश सिंह ने कहा,” मैं हाउ आर यू डानेश नहीं, अमित शाह जी के मुंह से बेटा दिनेश कैसे हो सुनना चाहते हूं.” कांग्रेस के एमएलसी दिनेश सिंह के एक भाई राकेश सिंह कांग्रेस से विधायक हैं. वे अभी वहीं बने रहेंगे. पार्टी छोड़ने पर उनकी सदस्यता जा सकती है. दिनेश के एक भाई अवधेश ज़िला पंचायत अध्यक्ष हैं. इस परिवार का कांग्रेस छोड़ना पार्टी के लिए एक झटका है. सोनिया गांधी के क़रीबी रहे दिनेश को पार्टी ने दूसरी बार एमएलसी बनाया है.
2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अमित शाह और योगी आदित्यनाथ रायबरेली के दौरे पर आए हैं। जिस दौरान पंडाल में आग लगी उस समय मंच पर सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ और बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह मौजूद थे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राज्य बीजेपी चीफ महेंद्रनाथ पांडे जनसभा को संबोधित कर रहे थे कि तभी पंडाल के अंदर चिंगारी जलती हुई दिखाई पड़ी, जिसके बाद पंडाल में धुआं-धुआं हो गया। इस घटना के दौरान वहां काफी संख्या में लोग मौजूद थे।
इसके बाद सभी को मंच से दूर ले जाया गया। इस दौरान थोड़ी देर के लिए कार्यक्रम को स्थगित कर दिया गया था।
इसको अपशकुन माना जा रहा है, वही कांग्रेस के पक्ष में इसके परिणाम भी तुरंत आ गये, जब बहुजन समाज पार्टी ने बडी घोषणा कर दी- एक तरफ जहां बीजेपी 2019 में रायबरेली और अमेठी लोकसभा सीटों को गांधी परिवार से छीनने की पुरजोर कोशिश कर रही है, वहीं ऐसी पूरी संभावना है कि अगले लोकसभा चुनावमें मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) इन दोनों सीटों पर कोई उम्मीदवार ही ना उतारे। अगर ऐसा हुआ तो इससे कांग्रेस को काफी हद तक राहत मिलेगी।
मायावती के करीबी बीएसपी नेताओं ने इस बात की पुष्टि की और कहा कि इस कदम से वोट बिखरेंगे नहीं और इस तरह इन दोनों सीटों पर बीजेपी, कांग्रेस की सीधी टक्कर में कांग्रेस भारी पड़ेगी। समाजवादी पार्टी अमेठी में 2004 से और रायबरेली में 2009 के लोकसभा चुनावों से ही इन दोनों सीटों पर कोई उम्मीदवार नहीं उताा रही है।
एक वरिष्ठ बीएसपी नेता ने कहा, ‘अगर समाजवादी पार्टी के साथ लोकसभा चुनावों में गठबंधन होता है, तो इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है कि बीएसपी रायबरेली और अमेठी में कोई उम्मीदवार ना उतारे। अगर ऐसा हुआ तो बीएसपी के हिस्से का वोट भी कांग्रेस को ही जाएगा।’ एक वरिष्ठ बीजेपी नेता ने स्वीकार किया कि अमेठी में त्रिकोणीय मुकाबला हुआ तो रिजल्ट पार्टी के पक्ष में ही जाएगा।
बीजेपी ने रायबरेली सीट आखिरी बार साल 1996 और 1998 के लोकसभा चुनावों में जीती थी। इसके बाद इस सीट पर कांग्रेस के खिलाफ बीजेपी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा, जबकि बीएसपी फिर भी वोटों के मामले में आगे थी।
2009 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी का अमेठी में वोट शेयर 14 फीसदी और रायबरेली में 16 फीसदी था, जबकि बीजेपी का इन दोनों सीटों पर वोट शेयर क्रमशः महज 4 और 6 फीसदी था। हालांकि 2014 के चुनाव में स्मृति इरानी के अमेठी से चुनाव मैदान में उतरने के बाद बीजेपी का वोट शेयर 34 फीसदी हो गया और रायबरेली में यह 21 फीसदी रहा।
सूत्रों ने बताया कि विपक्षी पार्टियां पहले से ही सीट शेयरिंग के फॉर्म्युले पर काम कर रही हैं। एक कांग्रेस नेता ने कहा, ‘बीएसपी और एसपी आपस में तय करेंगे कि उन्हें कहां और कितनी सीटों पर लड़ना है। सीट शेयरिंग में कांग्रेस को 10-12 सीटें मिल सकती हैं, जिनमें रायबरेली और अमेठी तो रहेंगी ही।’
परन्तु अंत में इस फोटो को देखकर यही कहा जा सकता है कि विजेता से कभी नही पूछा जायेगा कि क्या उसने सही कहा था- यह शब्द हिटलर के है-
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