‘कुप्रथा को कुरान में पाप कहा गया है’ विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद
Full News/ Story; लोकसभा में मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक, 2017 पेश किया गया, जो पास हो गया है. एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इसमें तीन संसोधन की मांग रखी थी, जो वोटिंग के दौरान औंधे मुंह गिर गया. लोकसभा की स्पीकर सुमित्रा महाजन ने तीन तलाक बिल के पास होने की घोषणा की. उन्होंने कहा कि लोकसभा में तीन तलाक बिल पर अभी तक के सभी संशोधन प्रस्ताव खारिज हो चुके हैं. ओवैसी के तीसरे संशोधन प्रस्ताव के पक्ष में सिर्फ एक वोट पड़ा. इसके बाद लोकसभा स्पीकर ने भारत में तीन तलाक पर बैन लगाने वाले विधेयक मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक, 2017 के पास होने की घोषणा कर दी. इस विधेयक की खास बात यह है कि इसे दंडनीय अपराध की श्रेणी में रखते हुए तीन साल तक कारावास और जुर्माने का प्रावधान किया गया है. लोकसभा ने आज मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2017 को मंजूरी दे दी। दिनभर चली चर्चा के बाद बिल के पक्ष और विपक्ष में सदस्यों ने अपने -अपने विचार रखे। सरकार की तरफ से जहां केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बिल पेश करने के बाद मोर्चा संभाला वहीं विपक्ष की ओर से एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी बिल के कई प्रावधानों का विरोध करते दिखाई दिए। सरकार ‘द मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स इन मैरिज एक्ट’ नाम से इस विधेयक लाया। यह कानून सिर्फ तीन तलाक (INSTANT TALAQ, यानि तलाक-ए-बिद्दत) पर ही लागू होगा।
मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2017 पर सदन में चर्चा के लिये आगे बढ़ाते हुए विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने गत 22 अगस्त को तलाक-ए-बिद्दत को पूरी तरह असंवैधानिक बताते हुए संसद से इस संबंध में कानून बनाने पर विचार करने की बात कही थी. उन्होंने कहा कि एक न्यायाधीश ने कहा कि अगर इस कुप्रथा को कुरान में पाप कहा गया है तो इस आधार पर यह अवैध है. प्रसाद ने कहा कि हम किसी शरीया में हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं. यह पूरा विधेयक तलाक-ए-बिद्दत पर आधारित है. यह विधेयक किसी धर्म, मजहब या पूजा से नहीं जुड़ा बल्कि लैंगिक समानता के लिए है.
लोकसभा में गुरुवार को पेश तीन तलाक संबंधी मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक को सरकार एवं बीजेपी ने मुस्लिम महिलाओं को न्याय और लैंगिक समानता दिलाने वाला ऐतिहासिक कदम करार दिया. जबकि कांग्रेस ने इसमें खामियां बताते हुए इसका दुरुपयोग होने की आशंका जतायी और सवाल किया कि महिलाओं के गुजारे भत्ते का क्या होगा और महिला आरक्षण विधेयक कब पेश किया जायेगा.
बीजेपी ने तलाक-ए-बिद्दत को कुप्रथा बताते हुए कहा कि इस्लामिक कानून कहां संहिताबद्ध है, इसे कोडिफाइड किया जाना चाहिए.
तीन तलाक विधेयक पर लोकसभा में बहस के दौरान ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से दिए गए बयान का हवाला देकर विपक्षी दलों ने ‘इस्लाम खतरे में है’ शब्द का प्रयोग किया तो केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर भड़क गए. एमजे अकबर ने तीन तलाक पर सदन में अपनी बात रखने के दौरान ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पर ही सवालिया निशान खड़ा कर दिया. उन्होंने कहा, ‘ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की क्या विश्वसनीयता है? इन्हें किसने मुस्लिम समाज का प्रतिनिधि बनाया है?’ केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर यहीं नहीं रुके, कहा- ‘इस्लाम खतरे में है, स्लोगन का प्रयोग भारत की आजादी के पहले समाज को बांटने के लिए प्रयोग किया जाता था. इस स्लोगन से समाज में जहर फैल रहा है.’
तीन तलाक को आपराधिक करार देने वाले विधेयक को गुरुवार को लोकसभा ने पारित कर दिया. कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने विधेयक को लेकर भरोसा दिया कि ‘यह धर्म के बारे में नहीं है, बल्कि महिलाओं के आदर व न्याय के लिए है.’ इस दौरान विपक्षी पार्टियों ने विधेयक का विरोध किया और इस पेश किए जाने पर आपत्ति जताई. विधेयक तीन तलाक या मौखिक तलाक को आपराधिक घोषित करता है और इसमें तलाक की इस प्रथा का इस्तेमाल करने वाले के खिलाफ अधिकतम तीन साल की जेल व जुर्माने का प्रावधान है. यह मुस्लिम महिलाओं को भरण-पोषण व बच्चे की निगरानी का अधिकार देता है.
-इस कानून के बाद कोई भी मुस्लिम पति अगर पत्नी को तीन तलाक देगा तो वो गैर-कानूनी होगा।
-तीन तलाक वह चाहें मौखिक हो, लिखित और या मैसेज में, वह अवैध होगा।
-अगर कोई तीन तलाक देता है तो उसको तीन साल की सजा के साथ जुर्माना होगा। इसमें मजिस्ट्रेट तय करेगा कि कितना जुर्माना होगा।
-इस बिल के मुताबिक पीड़ित महिला मजिस्ट्रेट से नाबालिग बच्चों के संरक्षण का भी अनुरोध कर सकती है। मजिस्ट्रेट इस मुद्दे पर अंतिम फैसला करेंगे। प्रस्तावित कानून जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में लागू होगा है। तीन तलाक पर कानून बनाने के लिए पीएम मोदी ने एक मंत्री समूह बनाया था, जिसमें राजनाथ सिंह, अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, रविशंकर प्रसाद, पीपी चौधरी और जितेंद्र सिंह शामिल थे। ओवैसी ने इसमें तीन संसोधन की मांग रखी थी जिसे सदस्यों ने पूरी तरह से खारिज कर दिया। एक संशोधन पर हुई वोटिंग में तो ओवैसी के पक्ष में सिर्फ 2 वोट पड़े, जबकि इसके खिलाफ 241 वोट पड़े। दूसरे प्रस्ताव में भी उनके पक्ष में सिर्फ 2 वोट पड़े। वहीं, 242 लोगों ने उनके प्रस्ताव के खिलाफ वोट दिया। हालांकि, इससे पहले उनके संशोधन के प्रस्ताव को लोकसभा के सदस्यों ने ध्वनि मत से खारिज कर दिया था। इससे पहले, सदन में इस बिल पर विस्तृत चर्चा हुई। तीन तलाक संबंधी विधेयक पर लोकसभा में चर्चा के दौरान केंद्रीय मंत्री एम जे अकबर और एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी के बीच नोकझोंक देखने को मिली। चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए अकबर ने शाह बानो प्रकरण का हवाला दिया तो ओवैसी ने उनको टोका और कहा कि उस वक्त आपने उस कानून (राजीव गांधी के समय) को पारित कराया था। इस पर अकबर ने कहा कि मेरे दोस्त को शायद यह पता नहीं है कि वह 1989 में कांग्रेस में शामिल हुए थे। उनके इस कथन पर सत्तापक्ष के सदस्यों ने मेज थपथपाया। तीन तलाक पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विपक्ष से आपसी सहमती की अपील भी रंग ले ही आई। भाजपा संसदीय दल की बैठक के बाद अनंत कुमार ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री ने मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक, 2017 को पारित कराने में आम सहमति की अपील की। तीन तलाक विधेयक पर भाजपा को कांग्रेस को साथ मिला। कांग्रेस ने तीन तलाक विधेयक का समर्थन करते हुए आज कहा कि यह विधेयक विवाहित मुस्लिम महिलाओं के हक में है और मुस्लिम महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए इस विधेयक को लेकर राजनीति नहीं होनी चाहिए। कांग्रेस के संचार विभाग के प्रमुख रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इस विधेयक को लोकसभा में पेश किए जाने से पहले संसद भवन परिसर में संवाददाताओं से कहा कि विधेयक को और मजबूत एवं तर्कसंगत बनाने की आवश्यकता है जिससे मुस्लिम महिलाओं का सशक्तीकरण हो और उन्हें हर तरह के शोषण से बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि इस विधेयक को लेकर कांग्रेस ने तीन अहम सुझाव सरकार को दिये हैं जिससे मुस्लिम महिलाओं की दुश्वारियां कम की जा सकेंगी
तीन तलाक पर विधेयक की मुख्य बातें
1. तीन तलाक पर लाए गए विधेयक में कहा गया है कि यह विधान विवाहित मुस्लिम महिलाओं को लैंगिक न्याय और लैंगिक समानता के वृहतर सांविधिक ध्येयों को सुनिश्चित करेगा और उनके भेदभाव के प्रति सशक्तिकरण के मूलभूत अधिकारों के हित साधन में सहायक होगा.
2. इसमें कहा गया है कि किसी व्यक्ति की ओर से उसकी पत्नी के लिये, शब्दों द्वारा, चाहे बोले गए हों या लिखित हों या इलेक्ट्रानिक रूप में हो या किसी अन्य रीति में हो. चाहे कोई भी हो, तलाक की उद्घोषणा अवैध एवं अमान्य होगी.
3. इसमें कहा गया है कि जो कोई व्यक्ति अपनी पत्नी को इस प्रकार से तलाक की उद्घोषणा करता है, उसे तीन वर्ष तक कारावास और जुर्माने से दंडित किया जायेगा.
4. विधेयक के कारणों एवं उद्देश्यों में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने शायरा बानो बनाम भारत संघ एवं अन्य मामले तथा अन्य संबद्ध मामलों में 22 अगस्त 2017 को 3:2 के बहुमत से तलाक ए बिद्दत की प्रथा को निरस्त कर दिया था. यह निर्णय कुछ मुस्लिम पुरुषों की ओर से विवाह विच्छेद की पीढ़ियों से चली आ रही स्वेच्छाचारी और बेतुकी पद्धति से मुस्लिम महिलाओं को स्वतंत्र करने में बढ़ावा देता है.
5. इसमें कहा गया है कि तलाक ए बिद्दत को निरस्त करने के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय और एआईएमपीएलबी के आश्वासनों के बावजूद देश के विभिन्न भागों से तलाक ए बिद्दत के माध्यम से विवाह तोड़ने की रिपोर्ट प्राप्त हुई हैं. इसलिये यह अनुभव किया गया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को प्रभावी करने के लिये और अवैध विवाह विच्छेद की पीड़ित महिलाओ की शिकायतों को दूर करने के लिये कार्रवाई आवश्यक है.
तीन तलाक संबंधी विधेयक पर आज लोकसभा में चर्चा के दौरान केंद्रीय मंत्री एम जे अकबर और एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी के बीच नोकझोंक देखने को मिली. मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2017 पर चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए अकबर ने शाह बानो प्रकरण का हवाला दिया तो ओवैसी ने उनको टोका और कहा कि उस वक्त आपने उस कानून (राजीव गांधी के समय) को पारित कराया था.
इस पर अकबर ने कहा कि मेरे दोस्त को शायद यह पता नहीं है कि वह 1989 में कांग्रेस में शामिल हुए थे. उनके इस कथन पर सत्तापक्ष के सदस्यों ने मेज थपथपाया.
गौरतलब है कि शाह बानो प्रकरण 1985 का है. शाह बानो को उसके पति ने तलाक दे दिया था और उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में पीड़िता के लिए मासिक गुजारा भत्ते का आदेश दिया. इस आदेश के विरोध में
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और कुछ मुस्लिम संगठनों ने आंदोलन किया जिसके बाद राजीव गांधी की सरकार इसके खिलाफ कानून लेकर आई
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