‘3 साल, 30 तिकड़म’ जुमले ;कांग्रेस ने निशाना साधा
मोदी सरकार के तीन साल पूरे होने पर कांग्रेस ने ‘3 साल, 30 तिकड़म’ जुमले के साथ सरकार पर निशाना साधा. 2014 में आज ही के दिन नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले एनडीए को ऐतिहासिक जीत मिली. सरकार और बीजेपी देश भर में कई कार्यक्रम करने की तैयारी कर रही है लेकिन कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने सरकार के कार्यक्रमों पर सवाल उठाते हुए इसे वादाखिलाफी, नाकामी और जनता से धोखे के तीन साल बताया है. लघु एवं मध्यम समाचार पत्रों के दमन के लिए भी भाजपा सरकार के 3 साल याद किये जायेगे ;
सोलहवीं लोकसभा के लिए साल 2014 में हुए चुनावों के नतीजे 16 मई को आए थे. तीन साल पहले भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाली एनडीए ने जो वादे किए उस पर जनता ने समर्थन की मुहर लगाई और प्रचंड बहुमत दिया. चुनाव जीतने के तीन साल बाद भारतीय जनता पार्टी और केंद्र सरकार का दावा है कि उसने अभूतपूर्व काम किया है. लेकिन विपक्ष की राय में सरकार हर मोर्चे पर नाकाम रही है. सरकार की सबसे बड़ी नाकामी रोजगार के मोर्चे पर ही है. चुनाव के पहले मोदी ने ‘बेरोजगारों को रोजगार’ का बड़ा सा नारा दिया था. निर्माण के क्षेत्र में भी कोई बदलाव नहीं आया है. आईटी सेक्टर में भी भारी छंटनी हो रही है. नौकरियां नहीं देना इस सरकार की बड़ी नाकामी है. वहीं राजनीतिक विश्लेषक सरकार के कामकाज को मिलाजुला बता रहे हैं. विपक्ष, सरकार और राजनीतिक विश्लेषकों की राय.
नरेंद्र मोदी यानी राजनीति में सपनों का सौदागर- रणदीप सिंह सुरजेवाला, नेता, कांग्रेस
तीन साल बीत जाने के बाद नरेंद्र मोदी सरकार और भारतीय जनता पार्टी से हिसाब मांगना जायज़ है.
मन की बात तो बहुत हो गई. मतलब की बात कब होगी. अच्छे दिन के सपने सच कब होंगे. भारतीय जनता पार्टी ने हर साल दो करोड़ नौकरी देने का वादा किया था. सालाना एक लाख 35 हज़ार नौकरी नहीं पैदा कर पा रही है.
भारतीय मजदूर संघ के मुताबिक नोटबंदी की वजह से 20 लाख नौकरियां चली गईं. आज भी 35 किसान हर रोज़ आत्महत्या करते हैं. हर नौ मिनट में एक महिला के साथ बलात्कार हो रहा है. उद्योग-धंधे चौपट हो चुके हैं. व्यापार की सहूलियत के लिहाज़ से आज भी भारत 130वें नंबर पर है. ऐसे में बेहतर क्या हुआ है? ज़ुबान दबाने का दमन चक्र बेहतर हुआ है. तरक्की और विकास लोगों की ज़िंदगी से ग़ायब हो गए हैं. कांग्रेस पार्टी पूरे देश में एक-एक विषय पर देश के हर कोने में जाएगी. जनमानस को बताएगी और इसको उजागर करेगी.
सरकार के हर वादे पर सवाल ; केसी त्यागी, सांसद, जनता दल यूनाइटेड
राष्ट्रीय सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के मोर्चे पर ये सरकार खुद को कामयाब नहीं कह सकती है. सीमा पर अतिक्रमण और सैनिकों के हताहत होने की संख्या बढ़ी है. कश्मीर का मसला पहले से भी गंभीर हो गया है. आंतरिक सुरक्षा की बात करें तो सुकमा से लेकर नक्सलवादियों की वारदातों की संख्या बढ़ी है. सरकार सिर्फ़ अधिकारियों की बैठक से संतुष्टि हासिल कर लेती है.
किसानों से वादा किया गया था कि पहली सरकारों के मुक़ाबले हम किसानों का ज़्यादा ख़्याल रखेंगे.
सरकार की तरफ़ से तय न्यूनतम समर्थन मूल्य में 50 फ़ीसद के इज़ाफ़े का वादा किया गया था, लेकिन साढ़े तीन फ़ीसद से ज़्यादा दाम नहीं बढ़े हैं. भारतीय जनता पार्टी ने ‘सबका साथ सबका विकास’ का वादा किया था, लेकिन इस पर प्रश्नचिन्ह लगा हुआ है. दादरी से लेकर पहलू खां तक जो सवाल दफ़न हो गए थे उन्हें उभारने का काम किया गया. दलितों पर भी अत्याचार बढ़े हैं. जैसा अकाली आंदोलन के समय हुआ था कि नेताओं के हाथ से नेतृत्व निकल गया था, उसी तरह के अतिवादी क़ानून अपने हाथ में लेकर जज की मुद्रा में पहुंच गए हैं. पूरे देश में असुरक्षा का माहौल है. भारत को 70 साल में पहली बार संयुक्त राष्ट्र में कहना पड़ा कि हमारे देश में अल्पसंख्यक सुरक्षित नहीं हैं. अगर लोकतंत्र को मज़बूत रखना है तो विपक्षी दलों को राष्ट्रपति चुनाव में एक होना चाहिए फिर चुनावी तालमेल करना चाहिए.
रोज़गार देने में सरकार नाकाम – राधिका रामाशेषन
केंद्र सरकार का अभी तक का कार्यकाल मिलाजुला है. भारतीय जनता पार्टी सभी महत्वपूर्ण चुनाव जीतती जा रही है. इसका मतलब है कि नरेंद्र मोदी से लोगों का विश्वास एक प्रतिशत भी नहीं हटा है. शुरुआत में बीजेपी दिल्ली का चुनाव हारी और बाद में बिहार के चुनाव में उन्हें हार मिली. लेकिन उसके बाद उन्हें जीत मिली. चुनाव को पैमाना मानें तो लोगों का विश्वास मोदी पर कायम है. लेकिन चुनाव नतीजे और सरकार ने ज़मीनी स्तर पर क्या किया, इसमें अंतर तो है ही. सरकार के बारे में पूरा विश्लेषण करना है तो हमें ये देखना होगा कि ज़मीनी स्तर पर क्या हुआ? अपने वादे पर सरकार खरी उतरी या नहीं. इस मोर्चे पर परिणाम मिलाजुला सा है. विपक्ष कुछ आरोप जिम्मेदारी के साथ लगाता है तो कुछ आरोपों में गैरजिम्मेदारी दिखती है.
कांग्रेस की तरफ से जारी इस वीडियो में पाकिस्तान और चीन को लेकर सरकार की नीति, आतंकी हमलों, महिला सुरक्षा, बेरोजगारी, और आधार कार्ड जैसे मुद्दों पर पीएम मोदी के पुराने बयानों को दिखाया और सवाल उठाए. कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने कहा, ”जो बेरोजगारी के सवाल हैं, किसान के सवाल हैं, महंगाई के सवाल हैं वो सब धीरे धीरे दबते जा रहे हैं क्योंकि चर्चा जो आज हो रही है वो घर वापसी की है, गोरक्षक कहां किसको मार रहे हैं पीट रहे हैं.”
सचिन पायलट के आरोपों का जवाब बीजेपी की ओर से केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल दिया. पीयूष गोल ने कहा, “कांग्रेस हमारी लोकप्रियता और नरेंद्र मोदी जी की लोकप्रियता से पूरी तरह से बौखला गई है. उनको आज दिख नहीं रहा है किस प्रकार से तेज गति से देश में विकास हो रहा है.”
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ”नौजवान नौकरी के लिए संघर्ष कर रहे हैं, किसान आत्महत्या कर रहे हैं और बॉर्डर पर जवान मर रहे हैं. सरकार किस बात का जश्न मना रही है? सरकार के 3 साल को राहुल ने वादाखिलाफी, नाकामी और जनता से धोखे के तीन साल बताया है.
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