9 सितंबर 2022 भगवान विष्णु के अंनत रूपों के पूजन का दिवस- गणपति बप्पा क्या है ‘विसर्जन’? – घमण्ड न कर, मिट्टी से जन्में शरीर को मिट्टी में ही मिलना है
क्या है ‘विसर्जन’?
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9 सितंबर 2022 भगवान विष्णु के अंनत रूपों के पूजन का दिवस- गणपति बप्पा की; विदाई- बेहद शुभ योग का संयोग — 9 सितंबर 2022 अनंत चतुर्दशी; इस दिन भगवान विष्णु के अंनत रूपों की पूजा की जाती है। ऐसा करने से घर में खुशी बनी रहती है। इस दिन धूमधाम से गणपति बप्पा को विदाई दी जाती है। इस बार अनंत चतुर्दशी पर बेहद शुभ योग बन रहा है, जिससे श्रीहरि की पूजा और गणपति जी के विसर्जन से शुभ फल की प्राप्ति हो सकती है। इस साल अनंत चतुर्दशी पर बेहद शुभ योग का संयोग बन रहा है, जो इस दिन के महत्व में बढ़ोत्तरी करेगा। इस दिन सुकर्मा और रवि योग बन रहे हैं। मान्यता है कि सुकर्मा योग में किए गए शुभ कार्य में सफलता जरूर मिलती है। साथ ही रवि योग में पूजा करने से पाप खत्म हो जाते हैं।
अनंत संसार महासुमद्रे मग्रं समभ्युद्धर वासुदेव।
अनंतरूपे विनियोजयस्व ह्रानंतसूत्राय नमो नमस्ते।।
मान्यता है कि इस व्रत रखने व अनंत सूत्र को बांधने से आर्थिक, शारीरिक व मानसिक परेशानियों से मुक्ति मिलती है। कहा जाता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति सभी सुखों को भोगने के बाद अंत में मोक्ष को जाता है।
भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्दशी, राक्षस संवत्सर विक्रम संवत 2079, शक संवत 1944 (शुभकृत् संवत्सर), भाद्रपद | चतुर्दशी तिथि 06:08 PM तक उपरांत पूर्णिमा | नक्षत्र धनिष्ठा 11:35 AM तक उपरांत शतभिषा | सुकर्मा योग 06:11 PM तक, उसके बाद धृति योग | करण गर 07:34 AM तक, बाद वणिज 06:08 PM तक, बाद विष्टि 04:46 AM तक, बाद बव | सितम्बर 09 शुक्रवार को राहु 10:51 AM से 12:24 PM तक है | चन्द्रमा कुंभ राशि पर संचार करेगा |
9 September 2022: आज भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्दर्शी तिथि और शुक्रवार का दिन है। चतुर्दर्शी तिथि आज शाम 6 बजकर 7 मिनट तक रहेगी। आज शाम 6 बजकर 12 मिनट तक सुकर्मा योग रहेगा। साथ ही आज दोपहर पहले 11 बजकर 35 मिनट तक धनिष्ठा नक्षत्र रहेगा। उसके बाद शतभिषा नक्षत्र लग जायेगा। इसके अलावा आज अनंत चतुर्दशी है। साथ ही आज से पंचक शुरू है। इसके अलावा आज शाम 6 बजकर 7 मिनट से कल भोर 4 बजकर 48 मिनट तक प्रथ्वी लोक की भद्रा रहेगी। सूर्योदय – सूर्योदय- सुबह 6:02 बजे सूर्यास्त- शाम 6:34 बजे
शुभ मुहूर्त चतुर्दर्शी तिथि – आज शाम 6 बजकर 7 मिनट तक
सुकर्मा योग – आज शाम 6 बजकर 12 मिनट तक
धनिष्ठा नक्षत्र – आज दोपहर पहले 11 बजकर 35 मिनट तक
प्रथ्वी लोक की भद्रा – आज शाम 6 बजकर 7 मिनट से कल भोर 4 बजकर 48 मिनट तक
अनंत चतुर्दशी पर गणपति की पूजा करें। गणपति जी को विदा करने से पहले उनसे भूल चूक की माफी मांगें। अगले बरस जल्द आने की कामना करें। इस दिन नदी, तालाब, या घर में जल में गणपति प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है।
गणेश विसर्जन शुभ मुहूर्त 2022; प्रात: मुहूर्त – 6.30 AM -10.44 AM दोपहर मुहूर्त – 12.18 PM – 1.52 PM संध्या मुहूर्त – 5.00 PM – 6.31 PM
वैदिक पंचांग (Vedic Panchang) के नाम से भी हिंदू पंचांग को जाना जाता है। समय एवं काल की पंचांग के माध्यम से सटीक गणना की जाती है। नक्षत्र, वार, अंग तिथि, योग और करण पांच अंग है। हम आपको दैनिक पंचांग में राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, शुभ मुहूर्त, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति सहित हिंदू मास एवं पक्ष आदि की जानकारी देते हैं।
भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित इस व्रत का महत्व भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को बताया था। भगवान सत्यनारायण के स्वरूप में भगवान श्री हरि विष्णु ही अनंत रूप हैं। इस दिन भगवान सत्यनारायण के साथ अनंत देव की पूजा की जाती है। जीवन में खुशहाली और संपन्नता पाने के लिए इस पावन दिन कुछ उपाय अवश्य करने चाहिए। आइए जानते हैं इनके बारे में।
अनंत चतुर्दशी का व्रत और पूजन करने से सभी संकट दूर हो जाते हैं। अनंत चतुर्दशी के दिन 14 लौंग लगा हुआ लड्डू भगवान सत्यनारायण के कलश पर अर्पित करें। पूजा के उपरांत इसे किसी चौराहे पर रख दें। ऐसा करने से आने वाले संकटों से रक्षा होती है। अनंत चतुर्दशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर घर की पूर्व दिशा में लाल कपड़ा बिछाकर पीतल का कलश स्थापित करें। अनंत कलश के पास 14 कुश रखें। कुमकुम, केसर, हल्दी, 14 गांठ वाला अनंत सूत्र तैयार करें। भगवान की विधिवत पूजा-अर्चना करें। घी का दीपक जलाएं। भगवान सत्यनारायण का स्मरण करते हुए अनंत सूत्र को अपने हाथ में धारण करें। भगवान सत्यनारायण के कलश पर चढ़े 14 जायफल बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें, ऐसा करने से विवादों से मुक्ति मिलती है। इस दिन कलाई पर चौदह गांठ युक्त रेशमी धागा बांधा जाता है, जिसे अनंतसूत्र कहा जाता है। इसे धारण करने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। परिवार में कोई सदस्य पुरानी बीमारी से ग्रसित है तो अनंत चतुर्दशी के दिन अनार उसके सिर से वार कर भगवान सत्यनारायण के कलश पर चढ़ाएं और इसे गाय को खिला दें। अनंत कलश पर आलता अर्पित करें। अनंत कलश पर 12 राजमा चढ़ाकर जल में प्रवाहित कर दें, ऐसा करने से हानि से मुक्ति मिलती है। श्री हरि के मंदिर में इस दिन लाल फल अर्पित करने से दांपत्य जीवन में मधुरता बनी रहती है।
घमण्ड न कर, मिट्टी से जन्में शरीर को मिट्टी में ही मिलना है —
जो लिया है उसे लौटाना ही पड़ेगा, खाली हाथ आये थे और खाली हाथ ही जाना पड़ेगा।
क्या है ‘विसर्जन’? ‘विसर्जन’ शब्द संस्कृत भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है कि ‘पानी में विलीन होना’, ये सम्मान सूचक प्रक्रिया है इसलिए घर में पूजा के लिए प्रयोग की गई मूर्तियों को विसर्जित करके उन्हें सम्मान दिया जाता है। गणेश ‘विसर्जन ये सिखाता है कि मिट्टी से जन्में शरीर को मिट्टी में ही मिलना है। गणेश जी की प्रतिमा मिट्टी से बनती है और पूजा के बाद वो मिट्टी में मिल जाती है। गणेश जी को मूर्त रूप में आने के लिए मिट्टी का सहारा लेना पड़ता है, मिट्टी प्रकृति की देन है लेकिन जब गणेश जी पानी में विलीन होते हैं तो मिट्टी फिर प्रकृति में ही मिल जाती है। मतलब ये कि जो लिया है उसे लौटाना ही पड़ेगा, खाली हाथ आये थे और खाली हाथ ही जाना पड़ेगा।
ये धर्म और विश्वास की बात है कि हम गणेश जी को आकार देते हैं लेकिन ऊपर वाला तो निराकार है और सब जगह व्याप्त है लेकिन आकार को समाप्त होना पड़ता है इसलिए ‘विसर्जन’ होता है।
विसर्जन ये सिखाता है कि इंसान को अगला जन्म पाने के लिए इस जन्म का त्याग करना पड़ेगा। गणेश जी की मूर्ति बनती है, उसकी पूजा होती है लेकिन फिर उन्हें अगले साल आने के लिए इस साल विसर्जित होना पड़ता है। जीवन भी यही है, अपनी जिम्मेदारियों को पूरा कीजिये और समय समाप्त होने पर अगले जन्म के लिए इस जन्म को छोड़ दीजिये।
विसर्जन’ ये सिखाता है कि सांसरिक वस्तुओं से इंसान को मोह नहीं होना चाहिए क्योंकि इसे एक दिन छोड़ना पड़ेगा। गणेश जी घर में आते हैं, उनकी पूजा होती है और उसके बाद मोह-माया बिखेरकर वो हमसे विदा हो जाते हैं ठीक उसी तरह जीवन भी है, इसे एक दिन छोड़कर जाना होगा इसलिए इसके मोह-माया नहीं फंसना चाहिए।
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