ये फैसला किन तथ्यों के आधार पर लिया- हाईकोर्ट ने जवाब तलब किया
दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी को हाईकोर्ट से बड़ी राहत, 20 विधायकों को अयोग्य ठहराने वाली अधिसूचना रद्द
आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट से राहत मिली। शुक्रवार को हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए चुनाव आयोग की सिफारिश को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने आयोग से कहा है कि इस मामले में दोबारा सुनवाई होनी चाहिए। जनवरी में ऑफिस ऑफ प्रॉफिट यानी लाभ का पद (संसदीय सचिव) रखने पर चुनाव आयोग ने विधायकों की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेजी थी, जिसे मंजूर कर लिया गया। इसके बाद 8 विधायक हाईकोर्ट चले गए।
दिल्ली हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा था कि ये फैसला किन तथ्यों के आधार पर लिया गया। साथ ही इस पर चार दिन के भीतर आयोग से पूरी जानकारी मांगी थी। अयोग्य घोषित होने पर विधायकों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने केंद्र के नोटिफिकेशन (अयोग्य घोषित करने वाले) को रद्द करने की अपील की है।
आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की अपनी सदस्यता रद्द करने के खिलाफ दायर याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है। इस फैसले में आप के 20 विधायकों को राहत मिल गई है। चुनाव आयोग और विधायकों ने इस मामले में 28 फरवरी को अपनी बहस पूरी कर ली थी और जस्टिस चंद्रशेखर व जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
फैसले के बाद आम आदमी पार्टी की अल्का लंबा ने कोर्ट के फैसले पर खुशी जाहिर की और उस पर साजिश करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि अब हम 20 विधायक बने रहेंगे. और अब दिल्ली में कोई उपचुनाव नहीं होगा. अब हम ऑफिस जा सकेंगे और दिल्ली के लोगों का काम कर सकेंगे. आप विधायकों को 19 जनवरी 2018 को चुनाव आयोग ने लाभ के पद के आरोप में अयोग्य घोषित कर दिया था, जिसके बाद राष्ट्रपति ने चुनाव आयोग की सलाह पर मोहर लगाते हुए सभी 20 विधायकों को अयोग्य बताया था. खास बात यह है कि आप के इन 20 विधायकों दिल्ली सरकार ने संसदीय सचिव नियुक्त किया था. गुरुवार को जब दिल्ली विधानसभा में बजट पेश करते समय सीएम अरविंद केजरीवाल से पूछा गया कि क्या दिल्ली का बजट बनाते समय आपके ज़ेहन में 20 सीटों के चुनाव का फायदा लेना भी था? इसपर केजरीवाल ने कहा कि अगर हम अच्छा काम करेंगे तो लोग वोट देंगे, अच्छा काम नहीं करेंगे तो हमें कोई नहीं चुनेगा.
वहीं मामले को लेकर विधायकों ने दलील दी थी कि कथित लाभ के पद को लेकर उन्हें अयोग्य घोषित करने का इलेक्शन कमीशन का फैसला गैरकानूनी है। उनका कहना है कि चुनाव आयोग ने उन्हें उनका पक्ष रखने का मौका नहीं दिया।
जबकि आयोग का कहना है कि उन्होंने विधायकों को अपना पक्ष रखने का पर्याप्त समय दिया था। बता दें कि 24 फरवरी को दिल्ली हाई कोर्ट की एकल पीठ ने 20 विधायकों को अयोग्य घोषित करने संबंधी केंद्र सरकार की अधिसूचना पर रोक लगाने मना कर दिया था।
19 फरवरी को चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति कोविंद को विधायकों को आयोग्य घोषित करने की सिफारिश भेजी थी जिस पर राष्ट्रपति ने अपनी मुहर लगा दी थी।
AAP विधायकों को लेकर आज दिल्ली हाईकोर्ट से आने वाला फैसला बेहद महत्वपूर्ण होगा क्योंकि इस फैसले से ही तय होगा कि दिल्ली में उपचुनाव होंगे या नहीं। साथ ही इस फैसले से यह भी तय होगा कि 20 अयोग्य विधायकों को कोर्ट से कोई राहत मिलेगी या नहीं।
21 जनवरी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने चुनाव आयोग की सिफारिश को मंजूर करते हुए आप के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी। बाद में आप विधायकों ने हाईकोर्ट में दायर की गई अपनी पहली याचिका को वापस लेकर नए सिरे से याचिका डाली और अपनी सदस्यता रद्द किए जाने को चुनौती दी।
2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में 70 में से 67 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत से सरकार बनाने वाले अविंद केजरीवाल ने 21 विधायकों को संसदीय सचिव नियुक्त किया था। उनमें से एक विधायक जरनैल सिंह भी थे जिन्होंने बाद में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
योग्य ठहराए गए दिल्ली के विधायकों में आदर्श शास्त्री (द्वारका), अल्का लांबा (चांदनी चौक), अनिल वाजपेयी (गांधी नगर), अवतार सिंह (कालकाजी), कैलाश गहलोत (नजफगढ़), मदन लाल (कस्तूरबा नगर), मनोज कुमार (कोंडली), नरेश यादव (महरौली), नितिन त्यागी (लक्ष्मी नगर), प्रवीण कुमार (जंगपुरा), राजेश गुप्ता (वजीरपुर), राजेश ऋषि (जनकपुरी), संजीव झा (बुराड़ी), सरिता सिंह (रोहतास नगर), सोम दत्त (सदर बाजार), शरद कुमार (नरेला), शिव चरण गोयल (मोति नगर), सुखवीर सिंह (मुंडका), विजेंदर गर्ग (रजिंदर नगर) और जरनैल सिंह (तिलक नगर) के नाम शामिल हैं।
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