आम आदमी पार्टी; दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र चुनाव नहीं लड़ने का फैसला
आम आदमी पार्टी के छात्र संग़ठन CYSS (छात्र युवा संघर्ष समिति) ने इस साल दिल्ली विश्वविद्यालय का छात्र चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है. सूत्रों की मानें तो कमजोर तैयारी की वजह से आम आदमी पार्टी के नेताओं ने छात्र संघ चुनाव लड़ने के लिए हरी झंडी नहीं दी है. इस बीच CYSS अपने विरोधी संगठन ABVP और NSUI का तोड़ निकालने में असफल नजर आई है. हालांकि CYSS का कहना है कि चुनाव लड़ने की बजाय उनका संगठन इस साल DU छात्र संघ चुनाव में ताकत और पैसे के गलत इस्तेमाल के खिलाफ कैंपेन करेगा.
बीते साल दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रसंघ चुनावों में CYSS को चारों लीट पर बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा था. खुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल चुनावी चेहरा बने थे. लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ. इसके अलावा हाल ही में नगर निगम के उपचुनाव में भी आम आदमी पार्टी से लोगों का मोहभंग होते देखा गया. माना जा रहा है कि पार्टी की लोकप्रियता कम होने की वजह से CYSS कोई रिस्क नहीं लेना चाह रहा है. जिस वजह से उसने स्टूडेंट यूनियन इलेक्शन न लड़ने का फैसला किया है.
आम आदमी पार्टी का छात्र संगठन CYSS इस साल दिल्ली विश्विद्यालय छात्र संघ चुनाव (DUSU चुनाव) नहीं लड़ेगा. सूत्रों के मुताबिक कमजोर तैयारी की वजह से पार्टी नेताओं ने चुनाव में उतरने से मना किया है. कयास लगाए जा रहे हैं कि इस फैसले के पीछे ‘हार’ का डर है. गौरतलब है कि DUSU चुनाव सितंबर के दूसरे सप्ताह में होते हैं.
हालांकि DUSU चुनाव ना लड़ने का आधिकारिक एलान अभी नहीं हुआ है. सूत्रों के मुताबिक पार्टी CYSS की ताकत का इस्तेमाल आने वाले पंजाब, गोवा के विधानसभा चुनाव और दिल्ली नगर निगम के चुनाव में करना चाहती है. कहीं ना कहीं पार्टी नेताओं को लगता है कि यदि DUSU में हार हुई तो पंजाब गोवा या दिल्ली में ठीक मैसेज नहीं जाएगा. पिछले साल केजरीवाल की तस्वीर के साथ पूरी ताकत झोकने के बाद भी CYSS तीसरे स्थान पर आई थी. DU में बीजेपी के छात्र संगठन ABVP और कांग्रेस के छात्र संगठन NSUI के बीच मुकाबला रहता है. हालाँकि CYSS के छात्र नेताओं का कहना है कि चुनाव ना लड़ने के बावजूद वो मनी-मसल पॉवर के खिलाफ प्रचार करेंगे. लेकिन, जिस मनी पॉवर का विरोध करने की बात कही जा रही है. पिछले साल CYSS पर खुद ऐसे आरोप लगे थे. सवाल है कि क्या नए कॉलेज और wifi का वादा पूरा करने में हो रही देरी से अरविन्द केजरीवाल को लगता है कि DU के युवा उनके छात्र संगठन का समर्थन नहीं करेंगे?