राहुल गांधी ने ‘आयुष्मान भारत’ को लेकर सवाल खड़े किए
राहुल गांधी ने मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘आयुष्मान भारत’ को लेकर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा, ‘आप बीमा दे रहे हो लेकिन आपके पास जो अस्पतालों का, स्वास्थ्य कर्मियों का जो ढांचा है वो उसका समर्थन नहीं कर सकता. आपने बीमा दे भी दिया तो वो कौन से अस्पताल में जाकर इलाज कराएगा. तो मुझे लगता है कि पूरा का पूरा नेटवर्क व्यवस्थित तरीके से हर राज्य में बनाना पड़ेगा. उन्होंने कहा, ‘‘मैं आयुष्मान भारत योजना की मुख्य रूप से इसलिए आलोचना करता हूं कि यह अस्पताल एवं चिकित्सकीय पेशेवरों की उचित समर्थन संरचना के बिना बीमा मुहैया कराती है. स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने की क्षमता के बिना कोई बीमा प्रणाली काम नहीं कर सकती.”
आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना दम तोड़ती नजर आ रही है। सरकारी अस्पताल में उपचार के नाम पर खानापूरी की जा रही है। गंभीर मरीजों के उपचार की कोई व्यवस्था नहीं दिख रही है। ऐसे में आयुष्मान भारत- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का लोगों को कैसे लाभ मिलेगा इसको लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं। इस योजना के तहत पांच लाख तक का नि:शुल्क उपचार कराए जाने का भरोसा दिया गया है। लेकिन अधिकतर लोग तो अभी ये ही नहीं जानते हैं कि वे इस योजना में पात्र हैं कि नहीं।
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आम आदमी की सेहत सुधारने के लिए शुरु की गई आयुष्मान भारत योजना की सेहत उत्तराखंड में खराब है। अधिकतर अस्पतालों में लोगों को इस योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। अभी तक प्रदेश के केवल 13 प्रतिशत अस्पतालों में ही आयुष्मान भारत के तहत आने वाले लाभार्थियों को इलाज मिल पा रहा है। आयुष्मान भारत योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है। यह योजना 23 सितम्बर को लागू हुई थी लेकिन अभी तक प्रदेश में इसी गति काफी धीमी है। विभागीय स्तर पर इसकी समीक्षा में सामने आया कि अधिकतर अस्पतालों में इस योजना के लाभार्थियों का इलाज ही नहीं हो पा रहा है। और तो और सरकारी मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी में इस योजना के तहत उपचार नहीं हो रहा।
मैं आप लोगों से सुनकर, समझकर समाधान निकालना चाहता हूं। चिकित्सा सुविधाओं, प्रणालियों, बीमा के बारे में लोग जो सुझाव देंगे उन सुझावों को लेकर हम काम करेंगे : कांग्रेस अध्यक्ष @RahulGandhi#HealthcareForAll
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उन्होंने कहा कि फिर से गरीब होने का सबसे बड़ा कारण स्वास्थ्य सेवा है. उन्होंने कहा, ‘‘हरकोई यह जानता है. स्वास्थ्यसेवा आधार है. हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि यह आधार मजबूत हो.” राहुल गांधी ने आयुष्मान भारत योजना के बारे में कहा, ‘‘मैं इसे एक सीमित योजना के तौर पर देखता हूं जिसमें सीमित स्वास्थ्यसेवा मामलों को लक्ष्य बनाया गया है. यदि मैं स्पष्ट कहूं तो यह भारत के चुनिंदा 15-20 अमीर कारोबारियों के हाथ में है. हम इस प्रकार की योजना नहीं लाएंगे.”
राहुल गांधी ने कहा, ‘‘स्वास्थ्य सेवा एवं शिक्षा में सार्वजनिक क्षेत्र के व्यय की आवश्यकता है. निस्संदेह निजी संस्थाओं, बड़े कारोबारों और बीमा की भी इसमें भूमिका है, लेकिन इसमें मुख्य भूमिका सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र की ही होनी चाहिए.” उन्होंने कहा कि वह शिक्षा में जीडीपी का पांच से छह प्रतिशत व्यय करने को लेकर प्रतिबद्ध हैं. राहुल गांधी ने कहा कि शिक्षा एवं स्वास्थ्यसेवा में ‘नाटकीय असफलता’ का मुख्य कारण विकास को लेकर भाजपा एवं आरएसएस के सोचने के तरीके में अंतर है.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को कहा कि उनकी पार्टी अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए अपने घोषणा पत्र में स्वास्थ्य सेवा कानून के वादे को शामिल करने पर विचार कर रही है ताकि सभी के लिए न्यूनतम स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित की जा सके.
उन्होंने रायपुर में एक गैर सरकारी संगठन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में चिकित्सकीय पेशेवरों के सवालों का जवाब देते हुए कहा, ‘‘हम अपने घोषणापत्र में तीन चीजों पर विचार कर रहे हैं : हम सभी भारतीयों के लिए निश्चित न्यूनतम स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने के लिए स्वास्थ्य सेवा अधिकार कानून शामिल करने, स्वास्थ्यसेवा क्षेत्र में व्यय को देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के तीन प्रतिशत से बढ़ाने और चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों की संख्या बढ़ाने पर विचार कर रहे है.”
राहुल गांधी के इस बयान पर बीजेपी की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आई है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने सिलसिलेवार ढंग ट्वीट कर राहुल गांधी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा ‘राहुल गांधी का आयुष्मान भारत पर बयान उनके अल्प ज्ञान का प्रतीक है. उनको अश्योरेंस और इंश्योरेंस का फ़र्क़ समझ नहीं आता है. अच्छे काम की प्रशंसा करने की ना तो राहुल गांधी की नीयत है, ना सोच है, ना ताक़त है. ये नकारात्मकता के प्रतीक बन चुके हैं.’ उन्होंने आगे कहा, ‘गरीबी से उठकर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गरीबों की पीड़ा को दूर करने के लिए अनेकों योजनाएं बनायीं. विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना आयुष्मान भारत के तहत अब तक 15 लाख से अधिक गरीब, जो कि गंभीर बीमारियों से पीड़ित थे, उनको 2000 करोड़ से अधिक का मुफ्त उपचार प्राप्त हुआ. आयुष्मान भारत पर ये तथ्यहीन बयान कि यह योजना इंश्योरेंस कंपनियों को फ़ायदा देने के लिए है, उन ग़रीब लोगों का अपमान है, जिनकी जान इस योजना के कारण बची है. उन परिवार के लोगों का मज़ाक़ जो आर्थिक तंगी के कारण अपनों को दर्द में देखकर असहाय महसूस करते थे.
प्रधानमंत्री मोदी ने गत 23 सितंबर को रांची से ‘‘आयुष्मान भारत: प्रधानमंत्री आरोग्य योजना’’ की शुरुआत की। इस योजना के तहत देश के 10 करोड़ परिवारों को पांच लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा मिलेगा। केंद्रीय बजट में इस योजना के पहले साल के लिए दो हजार करोड़ रुपये का शुरुआती आवंटन किया गया था।
पीएम ने उम्मीद जताई थी कि आयुष्मान भारत योजना भारत को भविष्य में मेडिकल हब में बदल देगी। उन्होंने कहा कि देशभर के 450 जिलों में यह योजना लागू होगी। उन्होंने बताया कि इस योजना से दो महापुरुषों का नाता जुड़ा है।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने नरेंद्र मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी स्वास्थ्य बीमा योजना ‘आयुष्मान भारत’ के लिए आवंटित राशि को लेकर शुक्रवार को सवाल खड़ा किया था।
आयुष्मान भारत योजना का लक्ष्य खासकर निम्न और निम्न मध्यम वर्ग के परिवारों को महंगे मेडिकल बिल से निजात दिलाना है. इस योजना के दायरे में गरीब, वंचित ग्रामीण परिवार और शहरी श्रमिकों की पेशेवर श्रेणियों को रखा गया है. नवीनतम सामाजिक आर्थिक जातीय जनगणना (एसईसीसी) के हिसाब से गांवों के ऐसे 8.03 करोड़ और शहरों के 2.33 परिवारों को शामिल किया गया है. सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत प्रत्येक परिवार को सालाना पांच लाख रुपये की कवरेज दी जाएगी और वे सरकारी या निजी अस्पताल में कैशलेस इलाज करा सकेंगे. अनुमान के मुताबकि इस योजना के तहत अब देश के करीब 10 हजार अस्पतालों में ढाई लाख से ज्यादा बेड गरीबों के लिए रिजर्व हो जाएंगे. योजना में आप शामिल हैं या नहीं, यह पता करना बहुत आसान है. सबसे पहले आयुष्मान भारत (Ayushman Bharat) की वेबसाइट https://mera.pmjay.gov.in खोलें. यहां अापको अपना मोबाइल नंबर डालना होगा. उसके बाद एक ओटीपी आएगा. इस अोटीपी को वेबसाइट पर डालकर वेरीफाई करने के बाद एक पेज खुल जाएगा. जहां आप देख सकते हैं कि योजना में शामिल हैं या नहीं. अगर आयुष्मान भारत (Ayushman Bharat) की वेबसाइट पर आपका नाम नहीं दिख रहा है तो परेशान होने की जरूरत नहीं है. इसी वेबसाइट पर SICC (सोशल इकोनॉमिक कास्ट सेंसस) का लिंक है. इस लिंक पर जाकर आपको अपना नाम, पता, पिता का नाम और राज्य आदि जैसे ब्योरे डालने होंगे. इसके बाद डिटेल खुल जाएगी. वेबसाइट पर आपका नाम नहीं है तो नजदीकी सरकारी या योजना में शामिल निजी अस्पताल से संपर्क कर सकते हैं. यहां आपकी मदद के लिए सरकार ने आयुष्मान मित्र/आरोग्य मित्र तैनात किये हैं. उनसे योजना से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी ली जा सकती है.
अस्पताल में ऐसे ले सकते हैं सुविधा का लाभ
अगर आप योजना में शामिल हैं और इसका लाभ लेना चाहते हैं यह बहुत आसान है. आपको योजना में शामिल अस्पताल के आयुष्मान मित्र या आयुष्मान मित्र हेल्प डेस्क से संपर्क करना होगा. वहां आपको पहचान पत्र जैसे दस्तावेज दिखाने होंगे. इसके लिए आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र या राशन कार्ड की जरूरत पड़ेगी. ध्यान रहे आधार कार्ड की कोई अनिवार्यता नहीं है. इलाज के लिए आपको एक पैसे भी नहीं देना होगा. इन बीमारियों का करा सकते हैं इलाज
आयुष्मान योजना में शामिल करीब दस हजार अस्पतालों में 13 सौ से ज्यादा बीमारियों और इससे संबंधित पैकेज को इलाज में शामिल किया गया है. जिसमें कैंसर की सर्जरी, हार्ट की बाइपास सर्जरी, आंख-दांत का ऑपरेशन, सीटी स्कैन, एमआरआई जैसी तमाम चीजें शामिल हैं. सरकार लोगों की सुविधा के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है. आप 14555 पर फोन कर योजना से जुड़ी कोई भी जानकारी, सलाह या सुझाव ले सकते हैं.
केंद्र सरकार द्वारा आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए शुरू की गई आयुष्मान भारत योजना को उत्तराखंड में पलीता लगता नजर आ रहा है. यहां पर लोगों को योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. लोगों को कहना है कि उनको योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. इस पर कांग्रेस ने सरकार की इस योजना पर सवाल खड़े किए हैं. केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना पर कांग्रेस लगातार सवाल खड़े कर रही है. कांग्रेस का कहना है कि लोकसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी ने ये मास्टर कार्ड खेला है, लेकिन ये फेल साबित होता दिख रहा है. लोगों को इस योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. देहरादून के रहने वाले शुभाष शर्मा गोल्डल कार्ड बनवा चुके हैं. सुभाष ने बताया कि उनको सिर्फ तीन हजार रुपये के इलाज की जरूरत थी. लेकिन अस्पताल ने उनका इलाज करने से मना कर दिया. उनका कहना है कि अगर उनको इस कार्ड से तीन हजार रुपये का लाभ नहीं मिल पा रहा है तो इस कार्ड का क्या फायदा? प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना के बताया कि केंद्र द्वारा चलाई गई आयुष्मान भारत योजना पूरी तरह से फेल साबित होती जा रही है. उन्होंने इस योजना को महज जुमला करार दिया है. उन्होंने कहा कि तमाम नामी- गिनामी अस्पतालों को इस योजना के अतंर्गत पंजीकृत किया गया है, लेकिन आज कोई भी अस्पताल आयुष्मान भारत के अंतर्गत बने गोल्डन कार्ड को स्वीकार नहीं कर रहा है. ऐसे में ये योजना केवल ढाक के तीन पात साबित हो रही है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई आयुष्मान भारत योजना में एक कदम और आगे बढ़ाते हुए उत्तराखंड सरकार ने भी अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना की शुरुआत कर करीब 28 लाख परिवारों को गंभीर बीमारी के इलाज के लिए पांच लाख रूपए की सहायता राशि देने की शुरुआत की है. इसी के तहत बड़ी संख्या में लोगों के हेल्थ कार्ड बनाए गए. प्रचार किया गया कि गरीब पैसे के अभाव में इलाज नहीं करा पाते थे और बीमारी से उनकी मौत हो जाया करती थी. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. अब हर बीमार गरीब अपनी बीमारी का इलाज करा पाएगा
उत्तराखण्ड में अब क्या ऐसा हो रहा है- इसका उत्तर स्वयं गरीब जन दे सकते हैं
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