महबूबा मुफ्ती का बयान अब्दुल्ला के बयान से भी ज्यादा खतरनाक; प्रो.भीमसिंह

कश्मीर केन्द्रीय सरकार की मानसिक और आर्थिक घेराबंदी में, महबूबा मुफ्ती का आरोप
नए चुनाव ही एकमात्र रास्ता–भीमसिंह  #एनजीटी के आदेश के विरुद्ध प्रदर्शन #अमरनाथ यात्रा के दौरान बम बम भोले के होने वाले घोष पर भी बैन #आरती और घंटी बजाने पर भी रोक – मोदी साहब के आने से पहले हर हर मोदी घर घर मोदी के नारे खूब लगाये जाते थे और आने के बाद बम बम भोले के घोष पर पाबंदी

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नेशनल पैंथर्स पार्टी के मुख्य संरक्षक और स्टेट लीगल एड कमेटी के कार्यकारी चेयरमैन प्रो.भीमसिंह ने संसद को जम्मू-कश्मीर में खराब होती हुई स्थिति के संबंध में आगह करते हुए कहा कि राज्य की वर्तमान स्थिति राष्ट्रीय एकता के लिए खतरनाक है, जिसका ताजा उदाहरण जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती का 15 दिसंबर की शाम को पनाजी में दिया गया वह बयान है, जिसमें उन्होंने कहा है कि जम्मू-कश्मीर घेराबंदी में है (मानसिक और आर्थिक घेराबंदी में) और भारत का प्रवेश द्वार है।

वरिष्ठ अधिवक्ता प्रो.भीमसिंह की पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट से लापता नौजवान की तलाश में मदद की गुहार
वरिष्ठ अधिवक्ता एवं स्टेट लीगल एड कमेटी के कार्यकारी चेयरमैन प्रो. भीमसिंह ने पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट में अनुरोध दायर करके उससे नीचे दी गयी अर्जी को पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट इस्लामाबाद में दाखिल करने की अनुमति मांगी है। याचिका में पाकिस्तान उच्चतम न्यायालय से अनुरोध किया गया है कि वह पाकिस्तान की पुलिस/सुरक्षा बलों को निर्देश/आदेश दे की आगज-ए-दोस्ती संस्था के संयोजक श्री रजा खान का, जो पिछले 2 दिसम्बर, 2017 की शाम से लापता है, उसका पता लगाएं। यह 37 वर्षीय नौजवान लाहौर में रहकर शिक्षा हासिल कर रहा था और सामाजिक कार्य से भी जुड़ा हुआ था। इस मामले के सम्बंध में लाहौर पुलिस थाने में पहले ही एफआईआर दर्ज करायी जा चुकी है।
न्याय व अधिकार के लिए संघर्ष करने वाले और याचिकाकर्ता प्रो.भीमसिंह को उनके दोस्तों ने उनसे इस मामले में सहायता का अनुरोध किया है। www.himalayauk.org  

प्रो. भीमसिंह ने कहा कि महबूबा मुफ्ती का बयान 1953 में तत्कालीन जम्मू-कश्मीर के प्रधानमंत्री शेख अब्दुल्ला के उस बयान से भी ज्यादा खतरनाक है, जिसमें उन्होंने कहा था कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को अपने भविष्य का फैसला करने का अधिकार दिया जाना चाहिए। उनके इस बयान के कारण ही तत्कालीन भारत के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को मजबूर होकर सदर-ए-रियासत युवराज कर्णसिंह को निर्देश देना पड़ा कि शेख अब्दुल्ला को बर्खास्त करके हिरासत में ले लिया जाए और 8 अगस्त, 1953 को सदर-ए-रियासत के आदेश पर जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख अब्दुल्ला को हिरासत में ले लिया गया।
पैंथर्स सुप्रीमो प्रो.भीमसिंह ने कहा कि महबूबा मुफ्ती के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सुश्री मुफ्ती से पूछा कि क्या जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा नहीं है जो वह कह रही हैं कि जम्मू-कश्मीर भारत का प्रवेश द्वार है। उन्होंने महबूबा मुफ्ती को जवाब देते हुए आगह किया कि अगर जम्मू-कश्मीर के लोग पिंजरे में हैं या कैद में हैं तो भारत की वजह से नहीं बल्कि भाजपा-पीडीपी सरकार की वजह से। प्रो.भीमसिंह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में रहने वाले भारतीय नागरिक भारतीय संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों से वंचित हैं, जो जम्मू-कश्मीर में रहने वाले भारतीय नागरिकों को छोड़कर बाकी सभी भारतीय नागरिकों को प्राप्त हैं और इसकी वजह है अनुच्छेद 35(ए) जिसे तत्कालीन राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद ने पंडित जवाहरलाल नेहरू की सलाह पर शामिल किया था, जिससे जम्मू-कश्मीर सरकार को वहाँ के लोगों के मौलिक अधिकार वंचित करने का अधिकार मिल सके। उन्होंने राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद से आग्रह किया कि वह जम्मू-कश्मीर सरकार जम्मू-कश्मीर संविधान की धारा-92 के अन्तर्गत वहां के राज्यपाल को बर्खास्त करने का निर्देश दें, जिससे राज्य में नए चुनाव कराने का रास्ता साफ हो सके।

हर हर मोदी घर घर मोदी ने की बम बम भोले की बोलती बंद
आज ंसंसद मार्ग पुलिस स्टेशन के नजदीक पैंथर्स पार्टी चेयरमैन हर्षदेवसिंह और युवा अध्यक्ष यशपाल कुंडल, दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष राजीव जौली खोसला व अन्य पैंथरों ने एनजीटी के आदेश के विरुद्ध प्रदर्शन किया, जिसमें अमरनाथ यात्रा के दौरान बम बम भोले के होने वाले घोष पर भी बैन लगा दिया व आरती और घंटी बजाने पर भी रोक लगा दी। तकरीबन 14 कि.मी. का कठिन फासला बम बम भोले के बोलने से ही श्रद्धालुओं में जोश आ जाता है व पहाड़ी बर्फीला रास्ता कब कट जाता है, किसी को पता भी नहीं चलता। मोदी साहब के आने से पहले हर हर मोदी घर घर मोदी के नारे खूब लगाये जाते थे और आने के बाद बम बम भोले के घोष पर पाबंदी लगा दी गयी। यह विश्व के हिंदुओं के साथ घिनौनी हरकत है। पैंथर्स पार्टी मांग करती है कि भाजपा को सोचना चाहिए कि बम बम भोले की वजह से ही दो सीटों से ग्यारह हुई थी और ग्यारह से बढ़कर पच्चीस हुई थी यह सिर्फ बम बम भोले की कृपा थी। मोदी सरकार ना जाने हिन्दु विरोधी कार्य करने में क्यों आगे है। अयोध्या में राम मंदिर तो बना नहीं सके, अमरनाथ में बम बम भोले पर भी आपति उठायी जा रही है। यह बड़े शर्म की बात है। इस प्रदर्शन में रमेश खजूरिया, गगन प्रताप सिंह, शंकर सिंह, बशीरूद्दीन, पवन सिंह, रीना सिंह, नसीब सिंह पुरूषोतम परिहार, राजेश पडगोत्रा आदि उपस्थित थे। सबने मिलकर एनजीटी के फैसले को और मोदी सरकार को कोसा व शीघ्र वापस लेने की मांग की।

Mehbooba-BJP Govt. in J&K must go,
fresh elections without guns only way out
Prof.Bhim Singh, Chief Patron of National Panthers Party & Executive Chairman of State Legal Aid Committee as well as former Legislator has cautioned the Parliament about the worsening of the situation in J&K endangering the national integrity which is evident from the hostile statement that J&K Chief Minister, Mehbooba Mufti made in Panaji last evening. Mrs. Mehbooba has crossed the limits and gone beyond skirts of rule of law even beyond the acts of Sheikh Mohd. Abdullah in 1953 when he made the statement from R.S. Pura, Jammu (J&K) against the Union of India. It was this statement the then Prime Minister of J&K, Sheikh Mohd. Abdullah which forced Prime Minister, Jawaharlal Nehru to direct Sadar-e-Riyasat Yuvraj Karan Singh to dismiss Prime Minister, Sheikh Abdullah and arrest him immediately. It was after midnight of 8th August, 1953 that Prime Minister Sheikh Abdullah was dismissed and arrested by the orders of the then Sadar-e-Riyasat, Yuvraj Karan Singh. Sheikh Abdullah had made statement a day before which was less intriguing than the one Mehbooba Mufti made on 15th December, 2017 at Panaji. She dared Jammu and Kashmir is under siege. (There is mental siege and economic siege). Justifying the slogan of independence Kashmir, she dared proclaiming, “When we think of Kashmir, we should not think of Pakistan. Because Kashmir is ours.” Giving her signal to the hostile elements in Kashmir she dared announce from Panaji that, “Jammu and Kashmir could be the gateway of India”. Does she mean that Jammu and Kashmir could not be integral part of India or it she behaving like a drowning man who catches at a straw to save himself.
Prof.Bhim Singh said that the people of Valley of Kashmir have been caged because of the PDP-BJP government and not by the security forces which is evident from record. People of J&K have been kept out of the scope of Chapter-III of the Indian Constitution and have remained denied of the fundamental rights which are guaranteed to every Indian citizen (except in Jammu and Kashmir). This was done in 1954 when Pt. Jawaharlal Nehru wrote a directive to the then President of India, Dr. Rajender Prasad, to insert Article 35(A) empowering the Govt. of State of J&K to deprive the citizens of India (called Permanent Residents today) of all their fundamental rights enshrined in Chapter-III of the Indian Constitution (Article 12 to 35). Article 12 makes no discrimination and includes all State governments and legislature including the State of J&K.
Article 14 clearly provides that no person shall be denied equality before the law or the equal protections of the law within the territory of India. Article 35 (concluding Article in Chapter-III) clearly provided that Parliament of India shall have, and the Legislature of a State shall not have, power to make laws. This was not only unjust and illegal but a heinous crime by the President of India who without seeking the support (vote) of the Parliament added Article 35(A) in the Constitution which is rarely shown on the pages of the Indian Constitution.
Prof.Bhim Singh urged the President of India to act with courage and conviction to issue an Ordinance under Article 370 (though temporary lasting for nearly 70 years) to withdraw Article 35(A) from the pages of Chapter-III of the Indian Constitution. Though Article 370 does not vest any power in the President of India to touch any provision in any part of the Constitution of India except provided in Article 370 alone, yet the President is the only authority in the Constitution today which can delete the error without intervention of a court of law.
Prof.Bhim Singh urged the President of India to dismiss the hostile Govt. in J&K comprising of PDP-BJP which has really threatened the Accession of the State with the Union of India which was signed by the Ruler of J&K, Maharaja Hari Singh in 1947. Prof.Bhim Singh urged the President of India to issue an Ordinance directing the Parliament of India to immediately amend Article 370 enabling the Parliament of India to legislate in respect of the matters relating to Defence, External Affairs, Communications with Allied Matters. Prof.Bhim Singh expressed deep surprise on the failure of the successive Indian Parliament since 1950 to amend Article 370 which lost its relevance on 26th January, 1957 when State of Jammu and Kashmir (though integrated under the signs and signatures of Ruler of J&K) passed its so-called Constitution. The relevance of Constituent Assembly of J&K, though against the letter and spirit of the domain of the Constitution of India, got dissolve and proviso inserted in 1950 after Clause-III of Article 370 got dissolved/dismantled in the eyes of law. The President of India, today (after 1957) had power vested in him in Article 370 itself to amend any provision in Article 370 though temporary.
Prof.Bhim Singh said that Parliament of India should pass this resolution urging on the President of India to withdraw proviso inserted in 370(3) so that the President shall issue desired mandate asking the Parliament to legislate in respect of three subjects (mentioned above) that Maharaja of J&K had offered to the Union of India. That shall complete the process of merger of J&K with the rest of the country in the letter and spirit of the Instrument of Accession signed by the Maharaja like other 575 rulers of the States that merged with the Union of India. The only way out is immediate dissolution of the present Govt. of J&K, intervention of the President of India to declare proviso 370(3) as irrelevant/viod. The Parliament of India shall be free to legislate in respect of areas which were signed by the Maharaja in 1940.
Sd/-Sudesh Dogra, Political Secretary

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