मोदी के मंत्रियों को मैनेज कर लिया ; किसने कहा ?
अमर सिंह का खुलासा 23 FEB 17 यूपी में चौथे चरण में 12 जिलों की 53 सीटों पर मतदान होना है. – स्क्रिप्टेड ड्रामा था -मुलायम परिवार में जो कुछ हुआ- ये खुलासा अमर सिंह ने किया;पारिवारिक विवाद की जड़ शिवपाल या कोई और नहीं, बल्कि अखिलेश के दो अधिकारी नवनीत सहगल और रमारमण थे। ये दोनों अखिलेश के लिए दुधारू गाय थे। मायावती के समय में भी ये पैसा कमवाकर देते थे। रमारमण ने ही यादव सिंह को नोएडा और आस-पास के तीनों प्राधिकरण का चीफ इंजीनियर बनवाया।”
जबकि अखिलेश ने कहा है कि अगर परिवार में झगड़ न होता तो कांग्रेस से गठबंधन भी नहीं होता. शिवपाल ने कहा कि जो कुछ हुआ है वह सब शराब माफिया और पार्टी के भीतर घातियों के इशारे पर हुआ है
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उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बड़ा बयान दिया है. अखिलेश ने एक अंग्रेजी अखबार से कांग्रेस-सपा गठबंधन होने की वजह बताई है. अखिलेश ने कहा है कि अगर परिवार में झगड़ न होता तो कांग्रेस से गठबंधन भी नहीं होता.
“अगस्त 2016 से जनवरी 2017 तक समाजवादी पार्टी और मुलायम परिवार में जो कुछ हुआ, वो पूरी तरह से स्क्रिप्टेड ड्रामा था। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर स्टीव जार्डिंग के इशारे पर हो रहा था। मुलायम-अखिलेश, दोनों उनके कहे पर चल रहे थे। यह ड्रामा अखिलेश की इमेज सुधारने, पार्टी में उन्हें मजबूत बनाने और यूपी में क्राइम जैसे मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए हुआ। मैं इस ड्रामे में अनजाने में इस्तेमाल हो गया…।” ये खुलासा अमर सिंह ने किया, अमर सिंह का दावा है कि अमेरिकी प्रोफेसर जार्डिंग की स्क्रिप्ट पर अखिलेश हटाए गए, शिवपाल बेइज्जत किए गए और मुलायम अध्यक्ष पद से हटे। उनका कहना है कि अखिलेश-मुलायम की लड़ाई के पीछे दो आईएएस अफसर शामिल थे। ये दोनों अफसर मोदी सरकार के दो मंत्रियों के करीबी हैं। अमर सिंह का कहना है कि जिस दिन अखिलेश को सपा से बाहर किया गया, उस दिन मुझे फंसाने के लिए मुलायम ने मेरे ऑफिस से स्टाफ बुलवाया।
”ये पूरी तरह से प्लान्ड ड्रामा था। पूरे ड्रामे में मेरा इस्तेमाल हुआ। पहली बार मुझे लेकर गए। वकील मैंने तय किया। लड़ाई मैंने लड़ी। योद्धा मैं रहा। फिर एक दिन मुलायम सिंह का फोन आता है कि इलेक्शन कमीशन चले जाइए। मैं जाता हूं। कहते हैं- साइकिल पर अपना दावा छोड़ दीजिए, ताकि चिह्न बचा रहे। इतने में मुलायम सिंह का फोन आता है कि अगर साइकिल चिह्न चला जाएगा तो क्या होगा। मैंने कहा- आप अध्यक्ष नहीं रहेंगे, अखिलेश हो जाएंगे। बोले- अच्छा आप लौट आइए।”
– ”मैं वापस आता हूं तो मुलायम सिंह मुझसे बोलते हैं- आजम खान, अखिलेश, रामगोपाल चाहते हैं कि आप मुझसे नहीं मिलें। इसलिए आप पत्रकारों की नजर से बचकर चोर दरवाजे से आया कीजिए। मेरे साथ इलेक्शन कमीशन भी ना जाएं। दोबारा जब मुलायम चुनाव आयोग गए तो अकेले गए और चिह्न अखिलेश को देने का लेटर दे आए। बाद में मुझसे कहा- मेरे लिए आप बलिदान दीजिए। विदेश चले जाइए कुछ दिनों के लिए। मैं लंदन चला गया।”
अगस्त 2016 से जनवरी 2017 तक जो कुछ भी हुआ, उसे मुलायम सिंह और अखिलेश यादव अमेरिकी प्रोफेसर जार्डिंग के इशारे पर कर रहे थे। दोनों लोगों को सब पता था। जो जार्डिंग की स्क्रिप्ट थी, उसी पर वो काम कर रहे थे। फिर चाहे अखिलेश को यूपी अध्यक्ष पद से हटाया जाना हो, चाहे शिवपाल को पार्टी में बेइज्जत करना हो या मुलायम को सपा अध्यक्ष पद से हटाकर अखिलेश का बनना हो। अब 11 मार्च को पता चलेगा कि जार्डिंग-अखिलेश का ये ड्रामा कितना असरदार रहा। चुनाव हार जाने पर ये ड्रामा अखिलेश के लिए पैर पर कुल्हाड़ी मारने की तरह होगा।”
‘पारिवारिक विवाद की जड़ शिवपाल या कोई और नहीं, बल्कि अखिलेश के दो अधिकारी नवनीत सहगल और रमारमण थे। ये दोनों अखिलेश के लिए दुधारू गाय थे। मायावती के समय में भी ये पैसा कमवाकर देते थे। रमारमण ने ही यादव सिंह को नोएडा और आस-पास के तीनों प्राधिकरण का चीफ इंजीनियर बनवाया।”
– ”मुलायम को नवनीत और रमारमण, दोनों पसंद नहीं थे। मुलायम ने इन्हें हटाने के लिए बेटे से कहा। अब इन दुधारू गायों को कौन हटाना चाहेगा, इसलिए अखिलेश ने बाप की बात मानने से इनकार कर दिया। सारी लड़ाई यहीं से शुरू हुई। इसके बाद मुलायम और अखिलेश का अहम टकराने लगा। विवाद बढ़ता चला गया, जिसने कई लोगों की बलि ले ली।” अखिलेश के लिए काम करने वाले भ्रष्टाचारी अफसर रमारमण का नाम मोदीजी के मंत्रियों से भी जुड़ा है। रमारमण का कहना है कि उसने मोदी के मंत्रियों को मैनेज कर लिया है। एक मंत्री महेश शर्मा उनके एक हाथ हैं, दूसरे मंत्री मनोज सिन्हा दूसरी बाजू हैं। रमारमण का कहना है कि वे मोदी के इन मंत्रियों के खास हैं। वे बाएं बाजू हैं।”
– “मैं अपने मित्र मनोज सिन्हा को सावधान कर रहा हूं। इस दुष्ट आत्मा से बचें। वरना मोदीजी को पता चल गया कि ऐसे भ्रष्ट अफसरों से मिले हैं तो आपकी इज्जत घट जाएगी। कुछ भी हो सकता है।”
उत्तर प्रदेश में चुनावी घमासान मचा हुआ है. इसके साथ ही समाजवादी पार्टी के कुनबे में भी कलह जारी है. चुनावी रैलियों से लेकर निजी बयानों तक के बीच घर का झगड़ा सामने आ रहा है. विरोधियों पर हमले के साथ-साथ समाजवादी पार्टी के धड़े आपस में भी बयानबाजी कर रहे हैं. कलह को लेकर ताजा बयान शिवपाल सिंह यादव का आया है. समाजवादी पार्टी के नेता शिवपाल यादव ने परिवार में झगड़े पर बड़ा बयान दिया है. शिवपाल ने कहा है कि अगर उनके साथ अच्छा व्यवहार होगा और अपमान नहीं होगा तो वो साथ ही रहेंगे. उन्होंने कहा कि परिवार का विवाद सुलझाने की जिम्मेदारी नेता जी और मुख्यमंत्री की है. वहीं जसवंतनगर में हुए पुलिस के लाठी चार्ज को लेकर शिवपाल ने कहा कि जो कुछ हुआ है वह सब शराब माफिया और पार्टी के भीतर घातियों के इशारे पर हुआ है. जांच के बाद सब सामने आ जायेगा. साथ ही यह भी सामने आ गया है कि शिवपाल यादव कांग्रेस के लिए प्रचार नहीं करेंगे.
अखिलेश ने ‘द हिंदू’ अखबार से बातचीत में कहा, ‘’कांग्रेस के साथ गठबंधन हालात की वजह से हुआ है. अगर परिवार में झगड़ा नहीं होता तो कांग्रेस से गठबंधन भी नहीं होता. सीएम अखिलेश का ये बयान ऐसे समय आया है जब यूपी में करीब आधा चुनाव खत्म हो चुका है.
यूपी चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस से गठबंधन किया है. विधानसभा चुनावों के लिए समाजवादी पार्टी 298 सीटों पर जबकि कांग्रेस 105 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. वहीं अमेठी-रायबरेली की पांच सीटों पर दोनों ही पार्टियों ने अपने उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे हैं. शिवपाल यादव ने अंसारी बंधुओं अफजाल अंसारी और मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल का समाजवादी पार्टी में विलय करवाया था. लेकिन अखिलेश इस विलय के सख्त खिलाफ थे. इसके बाद से ही सपा में झगड़ा बढ़ता चला गया था. झगड़ा इतना बढ़ गया था कि सपा मुलायम और अखिलेश के दो खेमों में बंट गई थी. साइकिल चुनाव चिह्न को लेकर ये लड़ाई चुनाव आयोग तक पहुंच गई थी.