दिल्ली और नोएडा थम गई-किसानों का गुस्सा थमने का नाम नहीं

भले सरकार ने किसानों को 6000 रुपये देने का ऐलान कर दिया हो, लेकिन किसानों का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा है. अब किसान अपने जमीन अधिग्रहण में उचित मुआवजे की मांग को लेकर दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आवास घेरने की धमकी दे रहे हैं. नाराज टप्पल के किसान शनिवार को भी डीएनडी पर पहुंच गए और उसे घेर लिया. हालांकि, किसान डीएनडी के किनारे प्रदर्शन कर रहे हैं. उनका कहना है कि जब तक मांग पूरी नहीं होती, हम यहां प्रदर्शन करेंगे. किसानों को मनाने के लिए नोएडा के डीएम और एसएसपी मौके पर पहुंचे, लेकिन वार्ता विफल रही. वहीं, मंडोला के किसान फिलहाल किसान दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे हैं. यह प्रदर्शन 7 फरवरी तक चलेगा. इससे पहले उत्तर प्रदेश के मंडोला और टप्पल के किसानों ने शुक्रवार को प्रदर्शन किया. इस कारण दिल्ली और नोएडा थम गई थी और डीएनडी को कई घंटों के लिए बंद करना पड़ा था. यूपी के मंडोला समेत छह गांव के किसान पिछले 25 महीने से आवास विकास परिषद की मंडोला विहार योजना का विरोध कर रहे हैं. किसानों की मांग है कि उन्हें भूमि अधिग्रहण नीति 2013 से मुआवजा दिया जाए. यह आंदोलन कई दिनों से चल रहा था, लेकिन कोई भी किसानों की सुनवाई नहीं करने पहुंचा. इससे नाराज किसानों ने पीएम आवास का घेराव करने का ऐलान किया. बीते शुक्रवार को किसान खेकड़ा बागपत से इस्टर्न पेरिफेरल -वे से दिल्ली रवाना हुए. नानू गांव के पास प्रशासन ने उन्हें रोकने की नाकाम कोशिश की, लेकिन किसानों की जिद के आगे अधिकारियों की एक नहीं चली और वह दिल्ली आ गए. इसी तरह टप्पल के किसान भी दिल्ली में प्रधानमंत्री आवास का घेराव करने पहुंचे हैं. इन किसानों की जमीन, बसपा सरकार ने यमुना एक्सप्रेस-वे निर्माण के दौरान अधिग्रहित की थी. इसके बाद किसानों ने आंदोलन चलाया था. इस आंदोलन के दौरान तीन किसानों और एक पुलिसकर्मी की मौत भी हो गई थी. करीब 50 महीने से चल रहे इस आंदोलन की खबर लेने कोई नहीं पहुंचा तो किसान शुक्रवार को पीएम आवास घेरने पहुंच गए. जैसे ही किसान दिल्ली में प्रवेश कर रहे थे, उन्हें पुलिस ने रोक दिया. इसके बाद काफी हंगामा हुआ और किसान नोएडा को दिल्ली से जोड़ने वाली सड़क डीएनडी पर धरना देने लगे. इस कारण काफी जाम लग गया.

जुलाई, 2011 में टप्पल के किसानों के समर्थन में ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भट्टा परसौल से टप्पल तक पदयात्रा की थी. इस दौरान राहुल ने नए जमीन अधिग्रहण कानून को बनाने की मांग की थी. इसके बाद तत्कालीन यूपीए सरकार ने नया कानून भी बनाया, लेकिन अब तक इन किसानों को मुआवजा नहीं मिल पाया है.

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दो अलग-अलग ट्वीट कर केंद्र सरकार के अंतरिम बजट पर तंज कसा. उन्होंने कहा, “खाद की बोरी से पांच सालों में 5-5 किलो ‘चोरी’ कर जो निकाला है, बीजेपी अब उसी को छह हजार रुपये बनाकर वापस करना चाहती है. अगले चुनाव में किसान बोरी की चोरी करने वाली बीजेपी का बोरिया-बिस्तर बांध देगी.” एक साल के बजट में दस साल आगे की झूठी बात है. बहुसंख्यक भूमिहीन किसानों व श्रमिकों के लिए इसमें कुछ भी राहत नहीं है. पांच सालों की प्रताड़ना और पीड़ा के बाद देश के किसान, व्यापारी-कारोबारी, बेरोज़गार युवा अब भाजपा से मुक्ति चाहते हैं, दिखावटी ऐलान नहीं. भाजपा सरकार ने पिछले 5 सालों में 5-5 किलो करके खाद की बोरियों से जो निकाला है, अब उसी को वो 6 हज़ार रुपया बनाकर साल भर में वापस करना चाहती है. भाजपा ने ‘दाम बढ़ाकर व वज़न घटाकर’ दोहरी मार मारी है. अगले चुनाव में किसान ‘बोरी की चोरी करने वाली भाजपा’ का बोरिया-बिस्तर ही बांध देंगे.’ 5 साल तक कोई काम न करने वाली सरकार अब 2030 का विजन दिखा रही है. उन्होंने कहा कि बीजेपी को जादूगरों से ईमानदारी सीखना चाहिए, जो बीजेपी के मुकाबले ज्यादा ईमानदार हैं. जादूगर लोगों को तमाशा दिखाने से पहले बताते हैं कि वह उन्हें बेवकूफ बनाएंगे और ऐसा करते हैं’.  

अखिलेश यादव ने अपने पहले ट्वीट में कहा, “एक साल के बजट में दस साल आगे की झूठ बात है. बहुसंख्यक भूमिहीन किसानों को इसमें कुछ भी राहत नहीं है. पांच सालों की प्रताड़ना और पीड़ा के बाद किसान, व्यापारी-कारोबारी, बेरोजगार युवा अब बीजेपी से मुक्ति चाहते हैं, दिखावटी ऐलान नहीं.”

अपने दूसरे ट्वीट में उन्होंने कहा, “केंद्र की बीजेपी सरकार ने पिछले पांच सालों में 5-5 किलो करके खाद की बोरियों से जो निकाला है, चोरी की है, अब उसी को वो छह हजार रुपये बनाकर सालभर में वापस करना चाहती है. बीजेपी ने दाम बढ़ाकर व वजन घटाकर दोहरी मार दी है. अगले चुनाव में किसान बोरी की चोरी करने वाली बीजेपी का बोरिया-बिस्तर ही बांध देगी.”

इससे पहले अखिलेश ने ‘ट्वीट’ करके कहा ‘देश को रोजगार के झूठे आंकड़े देने वाली बीजेपी सरकार की सच्चाई आज खुल गयी है. पता चला है कि पिछले 45 सालों में सबसे अधिक बेरोजगारी 2017-18 में रही है. अब ये बेरोजगार युवा ही बीजेपी को अगले चुनाव में बेरोजगार करेंगे.’

अखिलेश ने अपने ट्वीट में नेशनल सैम्पल सर्वे के आवधिक श्रमशक्ति सर्वेक्षण पर आधारित एक मीडिया रिपोर्ट को भी टैग किया है.

 उन्होंने कहा, ‘पांच साल में 10 करोड़ नौकरियों का झूठा सपना दिखाने वालों से 2019 में 10 करोड़ नये मतदाता एक-एक नौकरी ना मिलने का बदला लेंगे. वही युवा जो विकास का सपना देखकर गांव छोड़ते हैं, अब उनकी सत्ता छीनेंगे, जिन्होंने उनके सपने छीने थे.’

आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा संजय सिंह (AAP MP Sanjay Singh) ने अंतरिम बजट (Budget 2019 Highlights in Hindi) के दौरान 2 हेक्टेयर किसानों को सालाना 6 हजार रुपये की घोषणा को लेकर मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला है. आप नेता संजय सिंह ने कहा कि क्या आपने (केंद्र सरकार) ने किसानों का कर्ज माफ किया? आपने बड़े उद्योगपतियों के कर्ज माफ किए. आप किसानों को 17 रुपये प्रतिदिन दे रहे हैं और इसे सर्जिकल स्ट्राइक कहते हैं. क्या यह पाकिस्तान है? याद रखिए, यह भारत है, पाकिस्तान नहीं. कम से कम ऐसे मुहावरों का इस्तेमाल तो मत कीजिए.’ बता दें कि अपने कार्यकाल के आखिरी अंतरिम बजट के दौरान मोदी सरकार ने 2 हेक्टेयर से कम जमीन वाले किसानों को सालान 6 हजार रुपये देने का ऐलान किया है. 
संजय सिंह ने विस्तार से कहा कि ‘किसान का जो लागत मूल्य है अनाज पर, वह भी उसे नहीं मिल रहा. 50 पैसे उसे प्याज बेचने पड़ते हैं, आलू सड़क पर नष्ट करने पड़ते हैं. किसान की बात करने का आपको कोई हक ही नहीं है. आपने किसानों का कर्जमाफ किया क्या, जिससे उनकी कमर टूटी हुई है, जिसके कारण उन्हें आत्महत्या करने पर मजबूर होना पड़ता है. आपने बड़े-बड़े पूंजीपतियों का साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये माफ किया. इंसेटिव और टैक्स के नाम पर आप हजारों और लाखों करोड़ों की छूट देते हैं. 8 लाख 55 हजार करोड़ रुपये का कर्जा चंद उद्योगपतियों के ऊपर इस देश में है, तो चंद लोगों को आप इतनी बड़ी राहत देते हैं. मगर जहां करोड़ों की संख्या में किसान हैं, उनके ऊंट के मुंह में जीरा, उसको 17 रुपये रोज. नीरव मोदी कमाएगा और 21 हजार करोड़ रुपये लूट कर भाग जाएगा. विजय माल्या, ललित मोदी हजारों करोड़ देश से लूटेंगे और भाग जाएंगे.’

नरेंद्र मोदी सरकार के अंतरिम बजट पर कवि कुमार विश्वास(Kumar Vishwas) ने भी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि अब भक्त इसे सदी का सबसे महान  #Budget2019 बताएंगे और विरोधी इस बजट को जानने-पढ़ने व चर्चा के बजाय आम आदमी और देश के ख़िलाफ़ बजट बताएंगे. मीडिया-मुग़ल राजनैतिक पार्टियों और आकाओं से अपने खट्टे-मीठे संबंधों के स्वादानुसार ज्ञान बघारेगें. देश के हिसाब से तटस्थ व्याख्या करिए ना.

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