राज्य में सक्षम लोकायुक्त नियुक्‍त होगा- अन्ना की मांगे पूरी होगी, अनशन समाप्‍त

#अन्ना हजारे का अनशन आज गुरुवार को समाप्त # हिमालयायूके ने संभावना जतायी थी- #अन्ना के अनशन को खत्म कराने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय से एक ड्राफ्ट अन्ना को भेजा गया था। अन्ना ने इस ड्राफ्ट को स्वीकार कर लिया है# हिमालयायूके न्‍यूज पोर्टल की प्रस्‍तुति-

पिछले सात दिनों से दिल्ली के रामलीला मैदान में चल रहा समाजसेवी अन्ना हजारे का अनशन आज गुरुवार को समाप्त हो गया. महराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने आज रामलीला मैदान में जाकर भूख हड़ताल पर बैठे अन्ना हजारे से मुलाकात की और उन्हें अनशन तोड़ने के लिए राजी किया. बाद में मुख्यमंत्री ने जूस पिलाकर उनका अनशन समाप्त करवाया. इस मौके पर केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेन्द्र सिंह द्वारा लिखी गयी चिट्ठी पढी जिसमें अन्ना की सभी 11 मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया गया है। अन्ना के सहयोगी जयकांत मिश्रा ने बताया कि अन्ना ने सरकार के आश्वासनों को स्वीकार करते हुए अनशन तोडऩे का फैसला किया।

Maharashtra Chief Minister Devendra Fadnavis offers water to Anna Hazare in Ramlila Maidan, New Delhi, on Thursday. 

ये थीं अन्ना  की मांगें – किसानों के कृषि उपज की लागत के आधार पर डेढ़ गुना ज्‍यादा दाम मिले. – खेती पर निर्भर 60 साल से ऊपर उम्र वाले किसानों को प्रतिमाह 5 हजार रुपये पेंशन. – कृषि मूल्य आयोग को संवैधानिक दर्जा तथा सम्पूर्ण स्वायत्तता मिले. – लोकपाल विधेयक पारित हो और लोकपाल कानून तुरंत लागू किया जाए. – लोकपाल कानून को कमजोर करने वाली धारा 44 और धारा 63 का संशोधन तुरंत रद्द हो. – हर राज्य में सक्षम लोकायुक्त नियुक्‍त किया जाए. – चुनाव सुधार के लिए सही निर्णय लिया जाए.

अन्ना ने 23 मार्च को किसानों की समस्याओं और लोकपाल कानून को लेकर अनशन शुरू किया था. इस अनशन के बारे में उन्होंने पिछले साल ही घोषणा कर दी थी. बीते वर्ष 29 नवंबर को उन्होंने महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के रालेगण सिद्धि गांव में अपने समर्थकों की एक बैठक को संबोधित करते हुए कहा था कि वह जनलोकपाल और किसानों के मुद्दों को लेकर अगले साल (वर्ष 2018) दिल्ली में 23 मार्च से आंदोलन शुरू करेंगे. लोकपाल आंदोलन का चेहरा रहे हजारे ने कहा कि उन्होंने आंदोलन शुरू करने के लिए 23 मार्च की तारीख चुनी, क्योंकि उस दिन ‘शहीद दिवस’ मनाया जाता है. अनशन की वजह से अन्ना का वजन 5.5 किलोग्राम तक कम हो चुका है. उनका ब्लड प्रेशर भी 186/100 है जो काफी ज्यादा है. शुगर के स्तर में भी काफी गिरावट आई है. ऐसे में डॉक्टरों द्वारा उन्हें ज्यादा से ज्यादा आराम करने और पानी पीने की सलाह दी गई है. इसके अलावा बुधवार को अन्ना के साथ अनशन कर रहे कई अनशनकारियों की हालत खराब होने पर उन्हें बुधवार को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था. अन्ना की लगातार तबीयत बिगड़ती देख सरकार ने उनकी सभी मांगों मान ली हैं. जानकारी के मुताबिक पीएमओ के ड्राफ्ट को अन्‍ना ने मंजूरी दे दी है.
अनशन के दौरान अन्ना हजारे ने आरोप लगाए थे कि केंद्र सरकार उनके अनशन को सफल नहीं होने दे रही है. अनशनकारी दिल्ली ना पहुंचे इसके लिए प्रशासन ने ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है. अन्ना ने कहा कि ट्रेनों को रद्द करके सरकार ने किसानों को हिंसा करने के लिए मजबूर कर दिया है. उन्होंने कहा कि आंदोलन पर बैठने से पहले मैंने कई खत लिखकर कहा कि मुझे किसी तरह के पुलिस प्रोटेक्शन की आवश्यता नहीं है.

अण्णा हजारे ने कहा कि वह सरकार को आश्वासनों को पूरा करने के लिए अगस्त तक छह माह का वक्त दे रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगे पूरी नहीं की गईं तो सितंबर में उनका अनशन पुन: शुरू होगा. अण्णा ने कहा, ‘उन्होंने( सरकार) हमें आश्वासन दिया है कि जितनी जल्दी हो सकेगा वे नियुक्तियां कर देंगे. मैं अगस्त तक देखूंगा और सितंबर में अनशन दोबारा शुरू करूंगा. यह निर्धारित समय में होना चाहिए. हालांकि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि इसमें छह माह भी नहीं लगेगा. हम देखते हैं.’  उन्होंने कहा, ‘सरकार और जनता अलग नहीं होती. सरकार का काम है जनता की भलाई, देश की भलाई. ऐसे आंदोलन की नौबत नहीं आनी चाहिए.’ इस बीच एक व्यक्ति ने शर्मनाक हरकत करते हुए स्टेज की ओर जूता फेंका जहां अण्णा, फडणवीस और केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत बैठे हुए थे. हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि व्यक्ति के निशाने पर कौन था. पुलिस ने व्यक्ति को पकड़ लिया है. अण्णा के सहयोगी दत्ता आवारी ने दावा किया है कि इस अनशन में अण्णा का पांच किलोग्राम वजन कम हो गया है.

A week after he went on an indefinite hunger strike demanding anti-graft regulations, social activist Anna Hazare on Thursday broke his fast following negotiations with Maharashtra Chief Minister Devendra Fadnavis and Union Minister of State for Agriculture Gajendra Singh Shekhawat in Ramlila Maidan in the national capital. “The people and the government are not different. It is the government’s job to look after the citizens and its country. It needs to ensure that citizens do not get any reason to hold protests,” Hazare told reporters. Almost seven years after leading an anti-corruption movement which became one of the main reasons for UPA’s debacle, the 80-year-old activist had once again demanded setting up of the Lokpal at Centre and Lokayuktas in states. This time, however, his main target was the Narendra Modi government for failing to deliver. His 2011 agitation had led to the passing of the Lokpal and Lokayuktas Act 2013, but the Centre is yet to appoint an ombudsman. This time Hazare was also demanding better Minimum Support Prices (MSPs) to farmers to address agrarian distress. Unlike the last time, when Arvind Kejriwal, Kiran Bedi, Prashant Bhushan and Yogendra Yadav came together under Hazare’s leadership and a new party, the Aam Aadmi Party, was born, there were no high-profile visitors this year. While farmers of the Bharatiya Kisan Union made up a large number of the crowd, the young and the urban were largely missing, except perhaps for a group of youngsters from Umang theatre in Burari. Leaders of various unions took to the stage to list their demands.

 

 

 

 

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