क्‍यों? कांग्रेसी में खुशी भाजपा के खेमे में दुख का माहौल

कांग्रेसी जैसी पार्टियों के खेमों में खुशी का माहौल है। वहीं भाजपा के खेमे में दुख व निराशा का माहौल है।
टीवी एंकर अरनब गोस्‍वामी के अंग्रेजी न्‍यूज चैनल टाइम्‍स नाऊ से इस्‍तीफा देने की खबर सामने आई है। बताया जाता है कि एडिटो‍रियल मीटिंग में उन्‍होंने इस्‍तीफा सौंप दिया। वे अपना खुद का चैनल लॉन्‍च कर सकते हैं। एक नवंबर को टाइम्‍स नाऊ पर उनका आखिरी शो हो सकता है। वे टाइम्‍स नाऊ और ईटी नाऊ न्‍यूज के एडिटर इन चीफ पोस्‍ट पर थे। अरनब के टाइम्‍स नाऊ छोड़ने के फैसले के बाद सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया की बाढ़ आ गई है। उनके इस फैसले पर मिलीजुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। ज्‍यादातर ट्विटर यूजर्स का यही पूछना है कि अब अरनब गोस्‍वामी कहां जाएंगे। साथ ही पूछ रहे हैं कि अब टाइम्‍स नाऊ का चेहरा कौन होगा। कई यूजर्स ने अरनब के इस्‍तीफे को उनके प्रतिद्वंदियों के लिए राहत की खबर बताई है। एक यूजर ने लिखा कि वह चाहता है कि अरनब एनडीटीवी पर बरखा दत्‍त की जगह ले लें। कई यूजर्स ने लिखा है कि इस फैसले से आप और कांग्रेसी जैसी पार्टियों के खेमों में खुशी का माहौल है। वहीं भाजपा के खेमे में दुख व निराशा का माहौल है।
खबर है कि टीवी एंकर अरनब गोस्‍वामी ने अंग्रेजी न्‍यूज चैनल टाइम्‍स नाऊ से इस्‍तीफा दे दिया है। वे टाइम्‍स नाऊ और ईटी नाऊ न्‍यूज चैनल के एडिटर इन चीफ थे। बताया जाता है कि 1 नवंबर को एडिटो‍रियल मीटिंग में उन्‍होंने इस्‍तीफा देने का एलान किया। बताया जा रहा है कि वेे अपना चैनल लॉन्‍च करने जा रहे हैं। अरनब का शो ‘न्‍यूजआवर’ लगातार (अच्‍छे या बुरे कारणों से) चर्चा में रहा। हालांकि हाल के दिनों में इस शो की ज्‍यादा आलोचना ही हुई। हाल में उन पर सरकार और भाजपा का समर्थन करने का आरोप भी लगा। पिछले दिनों खबर आई थी कि इंटेलिजेंस इनपुट के आधार पर अरनब गोस्‍वामी को वाई कैटेगिरी की सुरक्षा दी गई थी। हालांकि अरनब के दोस्‍त सुभाष के झा ने उनके हवाले से बताया था कि उन्‍हें ऐसी कोई सुरक्षा नहीं मिली है।
अरनब देश के पहले पत्रकार थे, जिन्‍होंने सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इंटरव्यू लिया था। हालांकि उन पर पीएम से काफी नरम सवाल पूछे जाने के आरोप लगे थे। इसके लिए उनकी काफी आलोचना भी हुई थी। जब प्रधानमंत्री पद के उम्‍मीदवार के तौर पर अरनब ने उनका इंटरव्‍यू लिया था, तब गोस्‍वामी की काफी तारीफ हुई थी।
अरनब गोस्वामी ने अपना करियर 1995 में कोलकाता स्थित दैनिक द टेलीग्राफ से शुरू किया था। लेकिन वे टेलीग्राफ में ज्यादा दिन नहीं रहे और उसी साल दिल्ली स्थित एनडीटीवी से जुड़ गए। उस समय वो डीडी मेट्रो पर आने वाले एनडीटीवी के कार्यक्रम न्यूज टुनाइट के लिए रिपोर्टिंग किया करते थे। जब 1998 में एनडीटीवी स्वतंत्र टीवी चैनल के तौर पर लॉन्च हुआ तो वो चैनल में प्रोग्राम प्रोड्यूसर के तौर पर जुड़े। एनडीटीवी पर वो न्यूज आवर कार्यक्रम लेकर आते थे। उन्होंने 2003 तक इस कार्यक्रम के लिए एंकरिंग की। गोस्वामी ने 2006 में टाइम्स नाऊ के एडिटर इन चीफ बनकर चले गए। तभी से वो चैनल की प्राइम टाइम डिबेट द न्यूजआवर को होस्ट कर रहे थे।
असम के प्रमुख परिवार से आने वाले गोस्वामी ने दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से सोशियालॉजी में बीए (आनर्स) और ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से सोशल एंथ्रोपॉलजी में एमए किया है। गोस्वामी के दादा असम के जाने माने वकील थे और उनके नाना गौरी शंकर भट्टाचार्य कम्युनिस्ट नेता और असम में विपक्ष के नेता रहे हैं। अरनब गोस्वामी के पिता मनोरंजन गोस्वामी सेना में कर्नल के पद से रिटायर हुए हैं। उनके पिता 1998 में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर गुवाहाटी से लोक सभा चुनाव लड़ चुके हैं। उनके मामा गुवाहाटी पूर्व से बीजेपी के विधायक हैं और असम के वर्तमान मुख्यमंत्री सरबानंद सोनोवाल से पहले पार्टी की असम इकाई के प्रमुख भी थे।
अरनब ने हाल ही में एक रात न्‍यूजऑवर में ”उदारवादियों और छद्म पत्रकारों” पर हमला बोला था। इसके जवाब में बरखा दत्‍त ने भी उन पर टिप्‍पणी की थी और उनसे पूछा था कि क्‍या उन्‍हें नरेंद्र मोदी से डर लगता है। अरनब की आलोचना शो में चिल्‍लाने और बहुत जल्‍दी आपा खो देने के लिए भी होती रही है। कई लोग कहते हैं कि वे अपने शो का एजेंडा सेट करके बैठते हैं और उसके इर्द-गिर्द ही बातें करते हैं। ऐसा भी कहा जाता रहा है कि वह अपने मेहमानों को बोलने का मौका ही नहीं देते।

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