सितारो की चाल- क्या कहते हैं ज्योतिषविद & दिशाओं के स्वामी कौन?
18 May 2021: www.himalayauk.org (Newsportal & Print Media ) जो बीमारी हमारी फैल रही थी, उसको रोक लगेगी। कोरोना बहुत सारा कंट्रोल में आ जाएगा# कहीं राज्यों में राजनीतिक भूचाल आएगा # मरने वालों की संख्या में कमी आएगी
हिंदू कैलेंडर के अनुसार शनि 23 मई 2021 रविवार को दोपहर 02 बजकर 50 मिनट पर शनि मार्गी से वक्री अवस्था में आएंगे. यानि की शनि देव इस दिन से उल्टी चाल चलेंगे. मान्यता है कि जब शनि वक्री होते हैं तो वे पीड़ित हो जाते हैं. इस कारण वक्री अवस्था में शनि कमजोर हो जाते हैं और पूर्ण फल प्रदान नहीं कर पाते हैं.
– ऊँ शं शनैश्चराय नम:
वही दूसरी ओर एक जून 2021 को सुबह 8:31 को सूर्य वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे। वहां पर पहले से ही वृषभ राशि में राहु विराजमान है। यह ग्रह गोचर जो बना है, वह ग्रहण योग का निर्माण करता है। सूर्य और राहु जब एक आ जाते हैं, उसको ज्योतिष शास्त्र में ग्रहण योग कहां गया है। यह ग्रहण योग सभी राशियों के ऊपर अलग-अलग तरह से परिणाम देगा।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार शनि 23 मई 2021 रविवार को दोपहर 02 बजकर 50 मिनट पर शनि मार्गी से वक्री अवस्था में आएंगे. यानि की शनि देव इस दिन से उल्टी चाल चलेंगे. मान्यता है कि जब शनि वक्री होते हैं तो वे पीड़ित हो जाते हैं. इस कारण वक्री अवस्था में शनि कमजोर हो जाते हैं और पूर्ण फल प्रदान नहीं कर पाते हैं.
इस वर्ष पंचांग के अनुसार शनि ग्रह 141 दिनों तक वक्री रहने वाले हैं. इसलिए उन राशियों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है, जिन पर शनि की महादशी, शनि की साढ़ेसाती और शनि की ढैय्या बनी हुई है. धनु राशि, मकर राशि और कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है. वहीं मिथुन और तुला राशि पर शनि की ढैय्या बनी हुई है.
पंचांग के अनुसार शनि देव 11 अक्टूबर 2021 सोमवार को प्रात: 07 बजकर 48 मिनट पर वक्री से मार्गी होंगे. शनि अभी मकर राशि में गोचर कर रहे हैं. इसके साथ ही शनि श्रवण नक्षत्र में है. इस वर्ष शनि का कोई राशि परिवर्तन नहीं है. वर्ष 2023 तक शनि मकर राशि में ही रहेंगे. पंचांग के अनुसार इस समय वैशाख का महीना चल रहा है. वैशाख के मास में कुछ ऐसे कार्य है जिन्हें करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं. वैशाख मास में तिल, सरसों का तेल, छाता, काले वस्त्र, अन्न, दवा, मेडिकल उपकरण आदि का दान करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं.
१ जून 2021 को सुबह 8:31 को सूर्य वृषभ राशि में प्रवेश
Rashi Parivartan 2021: एक जून 2021 को सुबह 8:31 को सूर्य वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे। वहां पर पहले से ही वृषभ राशि में राहु विराजमान है। यह ग्रह गोचर जो बना है, वह ग्रहण योग का निर्माण करता है। सूर्य और राहु जब एक आ जाते हैं, उसको ज्योतिष शास्त्र में ग्रहण योग कहां गया है। यह ग्रहण योग सभी राशियों के ऊपर अलग-अलग तरह से परिणाम देगा। 2 जून को मंगल भी कर्क राशि में प्रवेश करेंगे तो यह जो ग्रह गोचर के परिणाम है। हमारे जीवन के ऊपर परिणाम निश्चित रूप से देंगे, कुछ परिस्थितियों में हमारे जीवन में बहुत सारा सुधार आएगा। करुणा का जो विस्तृत स्वरूप हो गया है, उसमें कमी नजर आएगी। फिर मंगल जो है नीच राशि में कर्क राशि में जा रहे हैं तो उस समय जो हमारे समाज में पुलिस विभाग आता है। कई लोगों की नौकरी पर भी आंच आ सकती है क्योंकि राहु सूर्य के साथ मिलकर ग्रहण दोष बना रहा है।
यह सूर्य और राहु एक दूसरे के परस्पर शत्रु ग्रह होने के कारण राहु को सूर्य मार देगा। हालांकि हमारे इतिहास में यह कहा गया है कि राहु का सुरक्षित विष्णु भगवान ने किया था और उसको सूर्य देव ने दर्शित किया था। तो राहु का यहां पर सूर्य के साथ आने से राहु कमजोर आ जाएगा। राहु के अंतर्गत विवाह आते हैं उसमें कमी नजर आएगी खास करके मेष और वृश्चिक राशि को थोड़ा सतर्क रहना पड़ेगा।
जो बीमारी हमारी फैल रही थी, उसको रोक लगेगी। कोरोना बहुत सारा कंट्रोल में आ जाएगा।
एक जून के बाद देश की राजनीति में बहुत सारा सुधार आएगा। यहां से भारत की राजनीति बहुत सफल होगी। केंद्र सरकार को जो विपत्ति का सामना करना पड़ रहा था। अब वह इससे के बाद पूरी तरह से नष्ट होता दिखाई देगा। जो जातक राहु से प्रभावित है उनको सूर्य की वजह से तकलीफ हो सकती है। वहीं फायदा यह रहेगा कि जो बीमारी हमारी फैल रही थी, उसको रोक लगेगी। कोरोना बहुत सारा कंट्रोल में आ जाएगा।
गोचर वृषभ राशि में बन रहा है उसकी दृष्टिगोचर की मंगल की राशि वृश्चिक पर जा रही है। इसका परिणाम होगा कि मरने वालों की संख्या में कमी आएगी। संक्रमित बीमारी है वह सूर्य की तेज से काफी हद तक सीमित रहेगी। अब इसमें सूर्य का साथ आना कहीं राज्यों में राजनीतिक भूचाल आएगा। कई प्रदेशों में राजनीतिक अस्थिरता नजर आएगी। जो लोग दुष्ट प्रवृत्ति के चल रहे थे उनको भी सजा मिलेगी।
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विशेष-
आध्यात्मिक जानकारी- भगवान गणेश- सभी दिशाओं में जिसका नियंत्रण है वह गजानन। गणपति दिशाओं के स्वामी हैं। इनकी इजाजत के बगैर अन्य देवता किसी भी दिशा से नहीं आ सकते। उन्हें दूर्वा भी अतिप्रिय है। दूर्वा की 21 गांठ चढ़ानी चाहिए, श्री गणेश के दाहिनी तरफ सिद्धि है तो बाईं तरफ रिद्धि। और इस तरह सिद्धि की तरफ सूंड वाले गणेश सिद्धि विनायक कहलाते हैं। आमतौर पर बाईं सूंड के श्रीगणेश पूजे जाते हैं क्योंकि दाहिनी सूंड के श्रीगणेश की पूजा कडे नियमों वाली है और उसमें जरा-सी चूक भी देवता को प्रकोप दिलाती है। दुनियादारी में जीने वाले भक्तों को बाईं सूंड के गणेश का पूजन करना चाहिए और जिन्हें मोक्ष प्राप्त करना है उन्हें दाहिनी सूंड वाले गणेश का पूजन करना चाहिए।