विश्व तक की राजनीति में अप्रत्याशित परिवर्तन के योग
17 अगस्त को राहु एवं केतु का 18 वर्ष बाद होने वाला राशि परिवर्तन #सूर्य ग्रहण से सर्वाधिक असर राजनीति क्षेत्र पर पड़ेगा # राशि परिवर्तन पूरे विश्व को प्रभावित #सितारों की बदलती स्थिति पर कुछ समय पहले ही हिमालयायूके न्यूज पोर्टल ने आगाह किया था#
चीन और भारत के बीच युद्ध की उलटी गिनती शुरू हो गई है। वही उत्तर कोरिया के हालात और अमरीका में डोनल्ड ट्रंप का राष्ट्रपति होना भी एक संयोग हैं।डोनल्ड ट्रंप का व्हाइट हाऊस पहुंचना इतिहास की दुर्घटना है। इस संयोग के कारण उत्तर कोरिया के परमाणु संकट को और ख़तरनाक बना दिया है।
राहु एवं केतु का 18 वर्ष बाद होने वाला राशि परिवर्तन पूरे विश्व को प्रभावित कर सकता है। 17 अगस्त को यह दोनों ग्रह राशि बदल रहे हैं। इसके बाद राहु का कर्क और केतु का मकर राशि पर प्रवेश होगा। जिसे ज्योतिष अच्छा नहीं मान रहे हैं। सभी राशियों पर इसका अलग-अलग प्रभाव पड़ेगा। राहु-केतु 18 माह में राशि बदलते हैं। इसके अनुसार एक राशि में वह 18 वर्ष बाद पहुंचते हैं। अब 17 अगस्त को राहु कर्क राशि में प्रवेश करेगा। इससे पूर्व 11 जनवरी वर्ष 1999 में कर्क राशि पर राहु का प्रवेश हुआ था।
21.08.17 को पड़ने वाला सूर्यग्रहण सूर्य की स्वयंराशि सिंह में पड़ेगा। इस सूर्य ग्रहण से सर्वाधिक असर राजनीति क्षेत्र पर पड़ेगा।
वही कर्क राशि का स्वामी चंद्रमा है। जो कि राहु की शत्रु राशि है। शत्रु राशि पर राहु का प्रवेश अच्छा नहीं माना जा रहा है। वहीं केतु का मकर राशि पर प्रवेश होगा। इन दोनों ग्रहों का इन राशियों पर संचार छह मार्च वर्ष 2019 तक रहेगा।
प्रत्येक 18 महीनों में, कार्मिक ग्रह राहु व केतु एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करते हैं| वर्ष 2017 में, 18 अगस्त 2017 को राहु कर्क राशि में तथा केतु मकर राशि में प्रवेश करेगा तथा 8 मार्च 2019 तक यह दोनों ग्रह क्रमशः अपनी-अपनी राशियों में रहेंगे| राहु-केतु को सामान्यतः अशुभ ग्रह समझा जाता है| जिन भावों में ये ग्रह स्थित होते हैं, उन्हें दृढ़ता से प्रभावित कर सकते हैं| यद्यपि इन ग्रहों का अन्य ग्रहों की तरफ भौतिक अस्तित्व नहीं है, तथापि यह शक्तिशाली ग्रह आपके पूर्वजन्म के कर्मों के सूचक हैं तथा वर्तमान जीवन में आप उन पूर्वकृत कर्मों को किस रूप में भोगेंगे, इसकी सूचना भी राहु-केतु देते हैं| 18 अगस्त को, राहु चंद्रमा की कर्क राशि में गोचर करेगा, जबकि केतु शनि की मकर राशि में रहेगा| इस अवधि में राहु अश्लेषा, पुष्य व पुनर्वसु नक्षत्रों में तथा केतु धनिष्ठा, श्रवण और उत्तराषाढ़ा नक्षत्रों में गोचर करेगा| 18 महीने के इस गोचरकाल में यह ग्रह आपको मिश्रित परिणाम दे सकते हैं क्योंकि इस अवधि में केतु अपने शत्रु ग्रहों के श्रवण व उत्तराषाढ़ा जैसे नक्षत्रों पर से गोचर करेगा| इन नक्षत्रों के स्वामी क्रमशः चंद्रमा व सूर्य हैं| वहीँ दूसरी ओर राहु अपने मित्र ग्रहों के अश्लेषा और पुष्य जैसे नक्षत्रों पर से गोचर करेगा| इन नक्षत्रों के स्वामी क्रमशः बुध व शनि हैं|
डा. आचार्य सुशांत राज के अनुसार जिन भावों में यह ग्रह होते हैं, उन भावों को प्रभावित करते हैं। राहु का चंद्रमा की राशि और केतु का शनि की राशि पर संचरण होगा। 18 माह के गोचर काल में यह ग्रह मिश्रित परिणाम देंगे। राहु भौतिक लाभ, विदेश भ्रमण, सुख लाभ, अहंकार आदि का प्रतीक है। केतु अलगाव, आध्यात्मिक झुकाव आदि होना दर्शाता है।
ज्योतिषाचार्य गौरव आर्य के अनुसार राहु कर्क राशि के स्वामी चंद्रमा का शत्रु है इसलिए कई बार चंद्रमा और राहु की युति में मानसिक विकारों का सामना करना पड़ता है। विश्व की राजनीति व अन्य गतिविधियों में अप्रत्याशित परिवर्तन हो सकता है। भारत सहित कई देशों में प्राकृतिक आपदा आने का योग है। भारत की कुंडली में राहु तीसरे घर में गोचर करने वाला है। विभिन्न राशियों के लिए अलग-अलग प्रभाव इन ग्रहों पर पड़ेगा।
सिंह राशि में चंद्र सूर्य राहू ब बुध की युति से चतुर्ग्रही योग बनेगा। तथा यही चारों ग्रह केतू की दृष्टि में आएंगे। तथा चंद्र सूर्य राहू यह यह तीनों ग्रह केतू के नक्षत्र मघा में गोचर करेंगे। इसके साथ ही ग्रहण का निर्माण भी केतू के नक्षत्र मघा में होगा। इस सूर्य ग्रहण से सर्वाधिक असर राजनीति क्षेत्र पर पड़ेगा। केतू युद्ध व मोक्ष का कारक है तथा सूर्य राजनीति का कारक है। ग्रहण से बारहवां स्थान कर्क राशि अर्थात चंद्रमा का है। अतः इस ग्रहण से सर्वाधिक प्रभावित चंद्रमा होगा। चंद्रमा से जल व मनोवृति देखी जाती है। अतः यह ग्रहण जल प्रकृति को प्रभावित करेगा। इस ग्रहण से विश्व स्तर पर पश्चिम-पूर्व की राजनीति के हालत बिगड़ सकते हैं। अतः युद्ध या युद्ध जैसे हालत भी पैदा हो सकते हैं। क्योंकि इस ग्रहण में बुध भी युक्त है अतः जल व वायु से होने वाले रोग भी बढ़ेंगे।
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