ज्योतिषाचार्यो और ओपिनियन पोल- एक जैसी राय- विधानसभा चुनाव
राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, मिजोरम और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया गया है. ज्योतिष विदो और ओपिनियन पोल की एक जैसी राय निकल कर आ रही है* एक्सक्लूसिव रिपोर्ट- Presented by- हिमालयायूके- हिमालय गौरव उत्तराखण्ड www.himalayauk.org
एबीपी न्यूज-सी वोटर के ताजा ओपीनियन पोल के मुताबिक, तीन राज्यों से बीजेपी की सरकार जा सकती है। इन राज्यों में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान शामिल हैं।
ज्योतिष विद ज्योतिषाचार्य पंडित अरुणेश कुमार शर्मा ने भविष्यवाणी की है कि 5 राज्यों में से तीन में सत्ता परिवर्तन और 2 में यथावत रहने के संकेत हैं.
माँ बम्लेश्वरी देवी के मंदिर के लिये विख्यात डोंगरगढ एक ऎतिहासिक नगरी है। यहां माँ बम्लेश्वरी के दो मंदिर है। पहला एक हजार फीट पर स्थित है जो कि बडी बम्लेश्वरी के नाम से विख्यात है। मां बम्लेश्वरी के मंदिर मे प्रतिवर्ष नवरात्र के समय दो बार विराट मेला आयोजित किया जाता है जिसमे लाखो की संख्या मे दर्शनार्थी भाग लेते है। चारो ओर हरी-भरी पहाडियों, छोटे-बडे तालाबो एवं पश्चिम मे पनियाजोब जलाशय, उत्तर मे ढारा जलाशय तथा दक्षिण मे मडियान जलाशय से घिरा प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण स्थान है डोंगरगढ।
# कामाख्या नगरी मे माँ बम्लेश्वरी का मंदिर # माँ बम्लेश्वरी के दर्शन कर चुनाव प्रचार की शुरुआत करेंगे राहुल गांधी
ज्योतिष विद ज्योतिषाचार्य पंडित अरुणेश कुमार शर्मा ने भविष्यवाणी की है कि मुख्य चुनाव आयुक्त ओम प्रकाश रावत ने 6 अक्टूबर (शनिवार) को 3 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस शुरू कर 3 बजकर 19 मिनट से तारीखों का ऐलान करना आरंभ किया. छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश मिजोरम, राजस्थान और तेलंगाना की चुनाव तारीखों का उन्होंने ही ऐलान किया. ऐलान के समय मकर लग्न 24 अंश 19 कला पर थी. मकर लग्न में बनी प्रश्नकुंडली के आधार पर ही ये भविष्यवाणियां की गई हैं, जो इस प्रकार हैं… चंद्रमा की स्थिति पापकर्तरी योग के साथ सबसे रहस्यमयी आठवें भाव में होने से इन चुनाव में विभिन्न दलों के समर्थकों और आम लोगों में अस्पष्टता की मनोस्थिति रहेगी. ऐसे में पक्ष विपक्ष के चहेतों में घोर तर्क-वितर्क और बौद्धिक घमासान देखने को मिल सकता है. प्रश्नकुंडली में पृथ्वी तत्व राशियां सबसे शुभ और प्रभावी हैं. ऐसे में जीत का दारोमदार दल के समग्र प्रभाव की तुलना में प्रत्याशी चयन और जमीनी कार्यकर्ताओं के सहयोग पर निर्भर करेगा. नेता और उनके भाषणों का प्रभाव जनता पर कम ही होगा. कुंडली में केंद्र की राशियां चर संज्ञक होने से दलों और उनके समर्थकों की सक्रियता इस बार कुछ ज्यादा ही देखने को मिलेगी. ऐसे में चुनाव आयोग को सफल संचालन के लिए अतिरिक्त प्रबंधन और बल लगाना होगा. राहु, केतु और मंगल की स्थिति भितरघात पर नियंत्रण रखेगी. अर्थात अपनों का ही खुलकर विरोध कम देखने को मिलेगा, जो होगा वो पीठ पीछे ही ज्यादा रहेगा. सत्ता का असर और एंटी-इनकंबेंसीदोनों ही जनता में बेअसर रहेंगे. ऐसे में संगठन और प्रबंधन जीत की राह को सुगम बनाएंगे. 5 राज्यों में से तीन में सत्ता परिवर्तन और 2 में यथावत रहने के संकेत हैं. मिज़ोरम, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में बदलाव के लिए मतदान की संभावना ज्यादा है, जबकि राजस्थान और तेलंगाना में सत्ता को एक बार फिर समर्थन मिल सकता है.
माँ बम्लेश्वरी के आशीर्वाद से छत्तीसगढ का किला जीतेगे राहुल- बडा सवाल
कामाख्या नगरी मे माँ बम्लेश्वरी का मंदिर # माँ बम्लेश्वरी के दर्शन कर चुनाव प्रचार की शुरुआत करेंगे राहुल गांधी :छत्तीसगढ़ में चुनाव तारीखों की घोषणा होने के बाद अब सभी राजनीतिक दलों के स्टार प्रचारकों के दौरे की रूपरेखा तैयार होने लग गई है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी अगले सप्ताह राजधानी रायपुर आएँगे। इसके बाद वे यहाँ से सीधे डोंगरगढ़ के लिए रवाना हो जाएंगे। वहाँ वे माँ बम्लेश्वरी के दर्शन कर चुनाव प्रचार की शुरुआत करेंगे। वहाँ से दर्शन के पश्चात वे मुख्यमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र राजनांदगांव में एक रोड शो कर भाजपा को ललकारेंगे।
बीजेपी की टेंशन बढ़ाने वाला सर्वे: MP, राजस्थान, छत्तीसगढ़ से भाजपा की विदाई, कांग्रेस की हो सकती है सत्ता में वापसी
Rajasthan, MP, Chhattisgarh, Mizoram and Telangana Assembly Elections ABP-C Voter Opinion Poll 2018: आगामी विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को करारा झटका लग सकता है। एबीपी न्यूज-सी वोटर के ताजा ओपीनियन पोल के मुताबिक, तीन राज्यों से बीजेपी की सरकार जा सकती है। इन राज्यों में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान शामिल हैं। सर्वे के अनुसार, कांग्रेस इन राज्यों में अपने दम पर वापसी कर सकती है। 200 सदस्यीय राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस को 142 सीटें मिल सकती है, जबकि सत्तारूढ़ बीजेपी के खाते में महज 56 सीटें आ सकती हैं। अन्य की झोली में दो सीटें जा सकती हैं।
सर्वे में आगे बताया गया कि 90 सदस्यों वाली छत्तीसगढ़ विधानसभा में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत यानी कि कुल 47 सीटें मिल सकती हैं, जबकि बीजेपी को 40 और अन्य को तीन सीटें मिलने का अनुमान है। राज्य में बीते 15 सालों से बीजेपी की रमन सिंह सरकार है। सर्वे में उनके खिलाफ एंटी-इनकंबेंसी फैक्टर हावी नजर आया। वहीं, 230 सीटों वाले मध्य प्रदेश विस में कांग्रेस को 122 सीटें और बीजेपी को 108 सीटें मिलने के आसार हैं। सर्वे के अनुसार, यहां अन्य के खाते में एक भी सीट नहीं आएगी। बता दें कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस पिछले 15 सालों से सत्ता से दूर है।
जनता के मन की बात बताने वाला यह सर्वे एक से 30 सितंबर के बीच किया गया। इसमें राजस्थान में लोस की 25 और विस की 200 सीटों पर 7797 लोगों का मूड जाना गया, जबकि छत्तीसगढ़ के लोस की 11 और विस की 90 सीटों पर लगभग 9906 लोगों की राय जानी गई। वहीं, एमपी में लोस की 29 और विस की 230 सीटों पर 8493 लोगों ने अपनी प्रतिक्रियाएं दीं।
शनिवार दोपहर को चुनाव आयोग (ईसी) ने पांच राज्यों का विधानसभा चुनाव कार्यक्रम जारी किया। इन राज्यों में मध्य प्रदेश, राजस्था न, छत्तीअसगढ़, मिजोरम और तेलंगाना शामिल हैं। ईसी के ऐलान संग पांचों राज्यों में चुनावी आचार संहिता लागू हो गई। मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने बताया कि चारों राज्यों में चुनाव 15 दिसंबर के पहले हो जाएंगे। छत्तीसगढ़ में दो चरणों में चुनाव होगा। पहला चरण में 12 नवंबर को मतदान होगा, जबकि दूसरे चरण में 20 नवंबर को वोट डाले जाएंगे।
वह आगे बोले- मध्य प्रदेश और मिजोरम में विस चुनाव के लिए 28 नवंबर को वोट पड़ेंगे और राजस्थान और तेलंगाना में सात दिसंबर को वोटिंग कराई जाएगी। इन सभी राज्यों में 11 दिसंबर को वोटों की गिनती की जाएगी। ईसी के मुताबिक, कर्नाटक के शिमोगा, बेल्लारी और मांड्या में तीन नवंबर को उप चुनाव होंगे।
################ कामाख्या नगरी मे माँ बम्लेश्वरी का मंदिर
कामाख्या नगरी व डुंगराज्य नगर नामक प्राचिन नामो से विख्यात डोंगरगढ मे उपलब्ध खंडहरो एवं स्तंभो की रचना शैली के आधार पर शोधकर्ताओं ने इसे कलचुरी काल का एवं १२वीं-१३वीं सदी के लगभग का पाया है। किन्तु अन्य सामग्री जैसे -मुर्तियों के गहने, अनेक वस्त्रो, आभुषणों, मोटे होंठ एवं मस्तक के लंबे बालो की सूक्ष्म मिमांसा करने पर इअ क्षेत्र की मुर्तिकला पर गोडकला का प्रभाव परिलक्षित हुआ है। इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि १६ वीं शताब्दी तक डुंगराज्य नगर गोड राजाओं के आधिपत्य मे रहा। गोड राजा पर्याप्त सामर्थ्यवान थे। जिससे राज्य मे शांति तथा व्यवस्था स्थापित थी। यहां की प्रजा भी सम्पन्न थी। जिसके कारण मुर्तिशिल्प तथा गृह निर्माण कला का उपयुक्त वातावरण था। लोकमतानुसार अब २२०० वर्ष पूर्व डोंगरगढ प्राचिन नाम कामाख्या नगरी मे राजा वीरसेन का शासन था जो कि निःसंतान थे। पुत्र रत्न की कामना हेतु उसने महिषामती पुरी मे स्थित शिवजी और भगवती दुर्गा की उपासना की। जिसके फलस्वरूप रानी एक वर्ष पश्चात पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। ज्योतिषियों ने नामकरण मे पुत्र का नाम मदनसेन रखा। भगवान शिव एवं माँ दुर्गा की कृपा से राजा वीरसेन को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। इसी भक्ति भाव से प्रेरित होकर कामाख्या नगरी मे माँ बम्लेश्वरी का मंदिर बनवाया गया। माँ बम्लेश्वरी को जगदम्बा जिसमें भगवान शिव अर्थात महेश्वर की शक्ति विद्यमान है, के रूप मे जाना जाने लगा। राजा मदनसेन एक प्रजा सेवक शासक थे। उनके पुत्र हुए राजा कमसेन जिनके नाम पर कामाख्या नगरी का नाम कामावती पुरी रखा गया। कामकन्दला और माधवनल की प्रेमकथा भी डोंगरगढ की प्रसिध्दी का महत्वपूर्ण अंग है। कामकन्दला, राजा कामसेन के राज दरबार मे नर्तकी थी। वही माधवनल निपुण संगीतग्य हुआ करता था।
एक बार राजा के दरबार मे कामकन्दला के नृत्य का आयोजन हुआ परन्तु ताल एवं सुर बिगडने से माधवनल ने कामकन्दला के पैर के एक पायल मे नग न होना व मृदंअग बजाने वाले का अंगुठा नकली अर्थात मोम का होना जैसी त्रुटि निकाली। इससे राजा कामसेन अत्यन्त प्रभावित हुए और उसने अपनी मोतियों माला उन्हे सौपकर माधवनल के सम्मान मे नृत्य करने को कहा। कामकन्दला के नृत्य से प्रभावित होकर माधवनल ने राजा कामसेन की दी हुई मोतियो की माला कामकन्दला को भेट कर दी। इससे राजा क्रोधित हो गया। उन्होने माधवनल को राज्य से निकाल दिया लेकिन माधवनल राज्य से बाहर न जाकर डोंगरगढ की पहाडियो की गुफा मे छिप गया। प्रसंगवश कामकन्दला व माधवनल के बीच प्रेम अंकुरित हो चुका था। कामलन्दला अपनी सहेली माधवी के साथ छिपकर माधवनल से मिलने जाया करती थी। दूसरी तरफ राजा कामसेन कापुत्र मदनादित्य पिता के स्वभाव क्जे विपरीत नास्तिक व अय्याश प्रकृति का था। वह कामकन्दला को मन ही मन चाहता था और उसे पाना चाहता था। मदनादित्य के डर से कामकन्दला उससे प्रेम का नाटक करने लगी। एक दिन माधवनल रात्रि मे कामकन्दला से मिलने उसके घर पर था कि उसी वक्त मदनादित्य अपने सिपाहियो के साथ कामकन्दला से मिलने चला गया। यह देख माधवनल पीछे के रास्ते से गुफा की ओर निकल गया। घर के अंदर आवाजे आने की बात पूछ्ने पर कामकन्दला ने दीवारों से अकेले मे बात करने की बात कही। इससे मदनादित्य संतुष्ट नही हुआ और अपने सिपाहियो से घर पर नजर रखने को कहकर महल की ओर चला गया। एक रात्रि पहाडियो से वीणा की आवाज सुन व कामकन्दला को पहाडी की तरफ जाते देख मदनादित्य रास्ते मे बैठकर उसकी प्रतिक्षा करने लगा परन्तु कामकन्दला दूसरे रास्ते से अपने घर लौट गई। मदनादित्य ने शक होने पर कामकन्दला को उसके घर पर नजरबंद कर दिया। इस पर कामकन्दला और माधवनल माधवी के माध्यम से पत्र व्यवहार करने लगे किन्तु मदनादित्य ने माधवी को एक रोज पत्र ले जाते पकड लिया। डर व धन के प्रलोभन से माधवी ने सारा सच उगल दिया। मदनादित्य ने कामकन्दला को राजद्रोह के आरोप मे बंदी बनाया ऊउर माधवनल को पकडने सिपाहियो को भेजा। सिपाहियो को आते देख माधवनल पहाडी से निकल भागा और उज्जैन जा पहुचां। उस समय उज्जैन मे राजा विक्रमादित्य का शासन था जो बहुत ही प्रतापी और दयावान राजा थे। माधवनल की करूण कथा सुन उन्होने माधवनल की सहायता करने की सोच अपनी सेना कामाख्या नगरी पर आक्रमण कर दिया। कई दिनो के घनघोर युध्द के बाद विक्रमादित्य विजयी हुए एवं मदनादित्य, माधवनल के हाथो मारा गया। घनघोर युध्द से वैभवशाली कामाख्या नगरी पूर्णतः ध्वस्त हो गई। चारो ओर शेष डोंगर ही बचे रहे तथा इस प्रकार डुंगराज्य नगर पृष्टभुमि तैयार हुई। युध्द के पश्चात विक्रमादित्य द्वारा कामकन्दला एवं माधवनल की प्रेम परीक्षा लेने हेतु जब यह मिथ्या सूचना फैलाई गई कि युध्द मे माधवनल वीरगति को प्राप्त हुआ तो कामकन्दला ने ताल मे कूदकर प्राणोत्सर्ग कर दिया। वह तालाब आज भी कामकन्दला के नाम से विख्यात है। उधर कामकन्दला के आत्मोत्सर्ग से माधवनल ने भी अपने प्राण त्याग दिये। अपना प्रयोजन सिध्द होते ना देख राजा विक्रमादित्य ने माँ बम्लेश्वरी देवी (बगुलामुखी) की आराधना की और अतंतः प्राणोत्सर्ग करने को तत्पर हो गये। तब देवी ने प्रकट होकर अपने भक्त को आत्मघात से रोका। तत्पश्चात विक्रमादित्य ने माधवनल कामकन्दला के जीवन के साथ यह वरदान भी मांगा कि माँ बगुलामुखी अपने जागृत रूप मे पहाडी मे प्रतिष्टित हो। तबसे माँ बगुलामुखी अपभ्रंश बमलाई देवी साक्षात महाकाली रूप मे डोंगरगढ मे प्रतिष्ठित है। सन १९६४ मे खैरागढ रियासत के भुतपूर्व नरेश श्री राजा बहादुर, वीरेन्द्र बहादुर सिंह द्वारा मंदिर के संचालन का भार माँ बम्लेश्वरी ट्रस्ट कमेटी को सौंपा गया था। डोंगरगढ के पहाड मे स्थित माँ बम्लेश्वरी के मंदिर को छत्तीसगढ का समस्त जनसमुदाय तीर्थ मानता है। यहां पहाडी पर स्थित मंदिर पर जाने के लिये सीढीयों के अलावा रोपवे की सुविधा भी है। यहां यात्रियो की सुविधा हेतु पहाडो के ऊपर पेयजल की व्यवस्था, विध्दुत प्रकाश, विश्रामालयों के अलावा भोजनालय व धार्मिक सामग्री खरीदने की सुविधा है। डोंगरगढ रायपुर से १०० किमी की दूरी पर स्थित है। तथा मुंबई-हावडा रेल्वे के अन्तर्गत भी आता है। यह छत्तीसगढ का अमुल्य धरोहर है।
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