उत्तराखण्ड में बड़े-बड़े सूरमा चुनाव हारेगे- योग गुरू की बडी भविष्यवाणी
68%UK Polling#बाबा रामदेव की बडी भविष्ंयवाणी # उत्तर प्रदेश के चुनावी माहौल पर वे कुछ भी बोलने को तैयार नहीं थे #इन चुनावों के नतीजों हरीश रावत के राजनीतिक भविष्य भी तय करेगे # कांग्रेस हार गई तो ये भी सच है कि हार का ठीकरा हरीश रावत के सिर फूटेगा#बीजेपी ने एक रणनीति के तहत मुख्यमंत्री का नाम प्रोजेक्ट नहीं किया है, उत्तराखंड में जंग मोदी बनाम रावत की ही है. बीजेपी और कांग्रेस में सीधा मुकाबला # 68 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया # पहाड़ पर भारी मैदान, हरिद्वार टॉप पर तो अल्मोड़ा में सबसे कम मतदान. #पिथौरागढ़: गंगोलीहाट विधानसभा सीट पर जोनल मजिस्ट्रेट का इलेक्शन ड्यूटी के दौरान हार्ट अटैक से निधन #निर्दलीय और बसपा का सहारा लेना पडेगा सरकार बनाने के लिए#
हिमालयायूके की खबर फिर सटीक साबित हो सकती है- “समीकरण ध्वस्त करने में सक्षम ये निर्दलीय”
आलेख- कुछ दिनों पूर्व ही प्रकाशित किया गया था-
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हरिद्वार में बाबा रामदेव ने कहा कि इस चुनाव में बड़ी राजनीतिक उथल-पुथल होने वाली है. हालांकि, पीए मोदी के करीबी माने जाने वाले योगगुरु ने इस बार बीजेपी का नाम नहीं लिया. उन्होंने कहा कि मतदान के दौरान वो किसी राजनीतिक दल का नाम नहीं लेना चाहते . उत्तर प्रदेश के चुनावी माहौल पर वे कुछ भी बोलने को तैयार नहीं थे. हालांकि, उत्तराखंड चुनाव पर उन्होंने बिना किसी का नाम लिए ‘उथल-पुथल’ का बयान दिया. जब उनसे पूछा गया कि यूपी पर कोई टिप्पणी करें तो वे साफ मुकर गए. बाबा रामदेव के इस बयान के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं.
उत्तराखण्ड में कांग्रेस जीती तो हरीश रावत का कद और बढ़ेगा, लेकिन अगर कांग्रेस हार गई तो ये भी सच है कि हार का ठीकरा हरीश रावत के सिर फूटेगा. हरीश रावत के सामने कांग्रेस के अंदर बगावत के बाद भी पार्टी को जीत दिलाने की जिम्मेदारी है. अगर कांग्रेस हार गई तो पार्टी में कलह और बढ़ेगी और हरीश रावत के खिलाफ आवाज उठेगी. कांग्रेस ने मुख्यमंत्री हरीश रावत के नाम और प्रशांत किशोर की रणनीति पर ही दांव खेला है. वैसे यहां हार-जीत का अंतर कभी ज्यादा नहीं रहा.
उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव 13 जिलों की विधानसभा की कुल 70 सीटों की जगह 69 सीटों पर चुनाव हो रहा है. साल 2012 में उत्तराखंड में कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर थी. कांगेस ने 32 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी. वहीं साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने यहां 5 सीट जीत ली थीं.
कर्णप्रयाग में बीएसपी उम्मीदवार कुलदीप कनवासी की सड़क दुर्घटना में मृत्यु की वजह से इस सीट पर मतदान रोक दिया गया है जो कि 9 मार्च को होगा. चुनाव में कुल 637 उम्मीदवार उतरे हैं. बीजेपी और कांग्रेस ने सभी 70 सीटों के लिये अपने उम्मीदवार उतारे हैं जबकि बीएसपी ने 69 और यूकेडी ने 55 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं जबकि समाजवादी पार्टी ने 21 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं.
बाबा रामदेव ने भी वोट डाला. हरिद्वार के एक पोलिंग बूथ पर वो मतदान करने पहुंचे थे उन्होंने कहा- सब काम छोड़कर वोट देने आता हूं. आप सब भी वोट देने के लिए जरूर निकलें. ड्राइंग रूम में बैठकर बड़ी बड़ी बाते मत कीजिए, अपने पंसद का नेता चुनिए. मेरे लिए सबसे बड़ा मुद्दा देश है. देश के हित के लिए जिनकी नीयत और नीतियां अच्छी हैं उन्हें वोट दीजिए. इस बार के चुनावी परिणाम राजनीतिक उथल-पुथल करने वाले होंगे. इस आंधी में बड़े बड़े सूरमा ढहेंगे.
रामदेव ने कहा कि चुनाव के नतीजे देश में सियासी भूचाल लाने वाले होंगे. बाबा रामदेव से जब पूछा कि क्या उथल-पुथल होगी, तो उन्होंने इसका कोई सीधा सा जवाब देने की बजाए यही कहा कि इस बार के चुनाव खासे महत्व के हैं. किसी एक पार्टी विशेष के उम्मीदवार को जिताने की बजाय बाबा रामदेव का कहना था जिस किसी पार्टी का भी उम्मीदवार ईमानदार है, उसे ही वोट डालें. अगर कोई भी उम्मीदवार ईमानदार नहीं हो, तो उसने में सबसे कम बेईमान उम्मीदवार को वोट डालें, लेकिन अपने मतदान का उपयोग जरूर करें.
उत्तराखंड में ज्यादातर सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है, लेकिन करीब एक दर्जन सीटों पर बतौर निर्दलीय खड़े हो गये बागी अपनी पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों का चुनावी गणित बिगाड़ सकते हैं।
उत्तराखंड में जंग मोदी बनाम रावत की ही है. बीजेपी और कांग्रेस में सीधा मुकाबला है जो प्रदेश के गठन के बाद से बारी बारी सत्ता पर काबिज होते रहे हैं. लेकिन इस बार करीब एक दर्जन सीटों पर बतौर निर्दलीय खड़े हुए कांग्रेस और बीजेपी के बागी पार्टी के उम्मीदवारों का गणित बिगाड़ सकते हैं. ये बगावत भी विरोधी पार्टी के बागियों को टिकट देने से पैदा हुई है. सबसे ज्यादा सिरदर्दी बीजेपी की है, जिसने कांग्रेस से आए 13 बागियों को टिकट दिए हैं.
देवभूमि में चुनाव में नोटबंदी और विकास का मुद्दा माना जा रहा है. साथ ही बेरोजगारी, अवैध खनन के अलावा प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में प्रशासन की लापरवाही का मुद्दा भी छाया रहा. उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में इस बार मुख्यमंत्री हरीश रावत दो जगह से चुनाव लड़ रहे हैं. हरिद्वार जिले की हरिद्वार ग्रामीण और ऊधम सिंह नगर की किच्छा सीट से खड़े हुए हैं. दोनों सीटों पर सबकी नजर रहेगी. जबकि बीजेपी के हरक सिंह रावत कोटद्वार से खड़े हुए हैं और सतपाल महाराज चौबट्टाखाल से ताल ठोंक रहे हैं. ऐसे में ये सीटें बीजेपी के लिये प्रतिष्ठा का सवाल हैं. बीजेपी के लिये साल 2014 का लोकसभा चुनाव इतिहास रचने से कम नहीं था. देशभर में फैली ‘मोदी लहर’ का फायदा बीजेपी को उत्तराखंड में भी मिला. यही वजह रही कि इस बार भी बीजेपी ने किसी सीएम चेहरे को आगे नहीं किया. उत्तराखंड में चुनाव प्रचार की कमान पीएम मोदी ने संभाली और पांच रैलियां कीं.
रामदेव ने यह भी कहा कि चुनाव में कई सूरमाओं की मात होगी. उत्तराखंड के चुनाव में बीजेपी सत्ता में वपासी की कोशिश कर रही है. वहीं कांग्रेस के सामने सरकार बचाने की बड़ी चुनौती है. मौजूदा मुख्यमंत्री हरीश रावत के कंधे पर कांग्रेस को सत्ता में वापस लाने की जिम्मेदारी है.
15 फरवरी 2017 मतदान प्रक्रिया को सुचारू ढ़ंग से संपन्न कराने के लिये पुलिस सहित करीब 30,000 सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गयी है। सुरक्षाकर्मियों के अलावा करीब 60,000 मतदान कर्मियों को भी ड्यूटी में लगाया गया है।
राज्य के तीन विधानसभा क्षेत्रों- हरिद्वार जिले के भेल रानीपुर, ऊधम सिंह नगर के रूद्रपुर तथा देहरादून जिले के धर्मपुर में पहली बार वीवीपैट मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके जरिए वोटर खुद पता कर सकेगा कि उसका वोट किस कैंडिडेट को गया है।
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2017 के तहत बुधवार को वोटिंग होगयी है। वहां तीन बजे तक 53 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। राज्य में एक बजे तक 39 प्रतिशत वोटिंग हुई। सीएम हरीश रावत ने धर्मापुर सीट पर अपना वोट डाला था। उत्तराखंड में स्कूल के बच्चे भी वोटिंग के लिए मदद करते देखे गए। 13 जिलों की 70 विधानसभा सीटों में 69 पर 628 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला कुल 74,20,710 मतदाता कर रहे हैं, इसमें 35,78,995 महिला वोटर्स भी शामिल हैं। राज्य की कर्णप्रयाग सीट पर 12 फरवरी को बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी कुलदीप कान्वासी की सड़क दुर्घटना में मृत्यु होने के कारण वहां चुनाव स्थगित किया गया है। वहां अब नौ मार्च को मतदान होगा।
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में मदकोट बूथ पर बीजेपी और कांग्रेस कार्यकर्ता आपस में भिड़ गए. साथ कुमाऊं मंडल विकास निगम के पूर्व अध्यक्ष के साथ मारपीट भी की गई.
बीजेपी के सतपाल महाराज 80 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ सबसे धनी उम्मीदवार हैं जबकि मोहन प्रसाद काला 75 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ दूसरे नंबर पर हैं. एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड चुनाव में 136 उम्मीदवार करोड़पति हैं. सबसे ज्यादा 52 करोड़पति उम्मीदवार कांग्रेस के हैं. जबकि बीजेपी के 48, बसपा के 19, सपा के चार, यूकेडी के 13 के अलावा 53 निर्दलीय उम्मीदवार भी करोड़पतियों की फेहरिस्त में शामिल हैं.
34 प्रत्याशियों की संपत्ति पांच करोड़ से भी ज्यादा है जबकि 73 प्रत्याशियों के पास दो करोड से पांच करोड़ रुपये तक की संपत्ति का खुलासा हुआ है. 189 प्रत्याशियों ने अपनी संपत्ति को 50 लाख से दो करोड़ रुपये के बीच घोषित की है. बीजेपी के सतपाल महाराज 80 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ सबसे धनी उम्मीदवार हैं जबकि मोहन प्रसाद काला 75 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ दूसरे नंबर पर हैं. चुनाव मैदान में उतरे कुल 687 प्रत्याशियों में से 91 उम्मीदवार आपराधिक छवि वाले उम्मीदवार है, जिसमें सभी बड़े और छोटे दलों के अलावा निर्दलीय भी शामिल हैं.
उत्तराखंड में 69 विधानसभा सीटों पर आज दोपहर तीन बजे तक 53 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। प्रदेश निर्वाचन कार्यालय से मिली सूचना के अनुसार, प्रदेश में अब तक सबसे ज्यादा मतदान हरिद्वार जिले में दर्ज किया गया है जहां तीन बजे तक 62 प्रतिशत मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर चुके हैं। इसके अलावा, दोपहर तीन बजे तक उत्तरकाशी और उधमसिंह नगर में 60 फीसदी, नैनीताल में 54, चंपावत में 51, बागेश्वर और रूद्रप्रयाग में 50, देहरादून में 49, पिथौरागढ में 48, चमोली में 47, टिहरी में 46, पौडी में 45 और अल्मोड़ा में 43 फीसदी मतदान दर्ज हुआ है। 69 विधानसभा सीटों पर आज सुबह मतदान शुरू हो गया जहां 74 लाख से ज्यादा मतदाता मताधिकार का प्रयोग करके चुनाव में किस्मत आजमा रहे 628 प्रत्याशियों के भविष्य का फैसला ईवीएम में बंद करेंगे। उत्तराखंड निर्वाचन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, पूरे प्रदेश में सभी जगह सुबह आठ बजे मतदान शुरू हो गया और शाम पांच बजे तक मतदाता मतदान केंद्र पहुंचकर अपना वोट डाल सकेंगे।
कर्णप्रयाग सीट पर 12 फरवरी को बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी कुलदीप कान्वासी की सड़क दुर्घटना में मृत्यु होने के कारण वहां स्थगित हो गये चुनाव के मद्देनजर आज प्रदेश की 70 में से 69 सीटों पर ही मतदान हो रहा है। कर्णप्रयाग सीट पर मतदान के लिये चुनाव आयोग ने अब नौ मार्च की नयी तारीख घोषित की है। आज हो रहे मतदान के लिये सभी तैयारियां चाक चौबंद कर ली गयी हैं और मतदान सुचारू ढंग से संपन्न कराने के लिये राज्य पुलिस सहित करीब 30,000 सुरक्षा कर्मियों की नियुक्ति की गयी है। सुरक्षाकर्मियों के अलावा करीब 60,000 मतदानकर्मियों को भी तैनात किया गया है।
प्रदेश में इन विधानसभा चुनावों में पहली बार तीन विधानसभा क्षेत्रों हरिद्वार जिले के भेल रानीपुर, देहरादून जिले के धर्मपुर और उधमसिंह नगर जिले के रूद्रपुर में वीवी पैट मशीन का भी प्रयोग किया जा रहा है जिसके जरिये मतदाता खुद यह देख सकेंगे कि उनका वोट उसी प्रत्याशी को गया है जिसके लिये उन्होंने ईवीएम पर बटन दबाया था। उत्तराखंड में ज्यादातर सीटों पर कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला है लेकिन करीब एक दर्जन सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों के रूप में खड़े दोनों राजनीतिक दलों के बागी नेता अपनी पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों के चुनावी गणित को खराब करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। प्रदेश में 12 कांग्रेस विधायकों के दल-बदल कर भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने और दो भाजपा विधायकों के कांग्रेसी नाव पर सवार होने से विधानसभा चुनाव काफी रोचक हो गये हैं।
वर्तमान विधानसभा में पिथौरागढ़ जिले की धारचूला सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले मुख्यमंत्री इस बार दो जगह से किस्मत आजमा रहे हैं जिनमें हरिद्वार (ग्रामीण) के अलावा उधमसिंह नगर जिले की किच्छा सीट शामिल है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय सहसपुर सीट से चुनावी मैदान में हैं जहां उनके मुकाबले में भाजपा के सहदेव पुंडीर के साथ ही उनकी पार्टी के बागी नेता आयेंद्र शर्मा से भी है । प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रानीखेत से चुनाव लड. रहे हैं जबकि पार्टी के एक अन्य दिग्गज नेता सतपाल महाराज चौबट्टाखाल से किस्मत आजमा रहे हैं।
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