उदित राज हुए नाराज; बाबा साहेब के नाम में बदलाव क्यों
बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर ने नाम के बीच में रामजी जोड़े जाने के बीजेपी की उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले के खिलाफ उन्हीं की पार्टी के दलित नेता और सांसद उदित राज ने नाराजगी जाहिर की है। उदित राज ने कहा कि बाबा साहेब के नाम में बदलाव करने से क्या फायदा होना वाला है, ये समझ में नहीं आता। बीजेपी सांसद ने उत्तर प्रदेश सरकार के अंबेडकर के नाम में बदलाव करने के फैसले से खासा नाराज हो गए है। उदित राज ने बाबा साहेब के नाम में रामजी जोड़ने के फैंसले को राजनीति से प्रेरित फैंसला बताया है जिसे लेकर उन्होंने अपनी ही पार्टी की सरकार के फैंसले के खिलाफ नाराजगी जताई है।
उत्तर प्रदेश में अब डॉ. भीमराव आंबेडकर के नाम में ‘राम जी’ भी जुड़ेगा। यह नया शब्द उनके पिता के नाम से लिया गया है। 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव में जन्मे डॉ. आंबेडकर के पिता का नाम राम जी मालोजी सकपाल था। नए आदेश के तहत उत्तर प्रदेश के राजकीय अभिलेखों में संविधान निर्माता का अब पूरा नाम लिखा जाएगा। योगी आदित्यनाथ सरकार ने बुधवार(28 मार्च) को सभी विभागों को आदेश जारी किया है।बताया जा रहा है कि यह फैसला राज्यपाल राम नाईक की पहल पर हुआ है। सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव जितेंद्र कुमार ने बताया कि राज्यपाल राम नाईक ने शासन को संविधान की आठवीं अनुसूची की मूल प्रति भेजी थी। जिसमें डॉ. आंबेडकर ने हस्ताक्षर करते समय अपना पूरा नाम डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर लिखा था।
हिमालयायूके न्यूज पोर्टल की प्रस्तुति-
महावीर जयंती के दिन राज्पाल राम नाईक के सिफारिश पर उत्तर प्रदेश सरकार ने आदेश जारी कर कहा है कि राज्य में मौजूद सभी सरकारी दस्तावेजों में अब आधिकारिक रूप से बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर के नाम के बीच ‘रामजी’ लगाने की इजाजत दे दी गई है। उत्तर प्रदेश सरकार ने आदेश में कहा है कि राज्य के सभी सरकारी दफ्तरों में जितने भी सरकारी दस्तावेज में बाबा साहेब का नाम लिखा है, उन सभी में बदलाव कर उनमें ‘रामजी’ लगाया जाएगा। राज्यपाल राम नाईक काफी समय से राज्य सरकार को बाबा साहेब के नाम में बदलाव करने की सिफारिश कर चुके थे। राज्यपाल ने इसके पीछे दलील दी थी कि बाबा साहेब के नाम ‘रामजी’ नहीं जोड़ने से देश के सभी लोग उनका अधूरा नाम ही लेते थे। बाबा साहेब के नाम में बदलाव करने के बाद राज्य मेें एक बार फिर से सियासी माहौल के गरमाने की कयास लगाए जा रहे है। दरअसल राज्य की योगी सरकार पर बसपा और सपा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ पर एक विशेष जाति के लिए काम करने का आरोप लगाया था। यही नहीं इसे लेकर योगी सरकार को अपनी ही पार्टी के नेताओं के आरोपों का भी सामना करना पड़ा था। और अब इस फैसले के बाद ये कयास लगाए जा रहे है कि योगी सराकर बाबा साहेब के नाम में बदलाव कर लोगो को संदेश देने की कोशिश में है कि राज्य में सभी जातियों के लिए समान भाव है।
महावीर जयंती के दिन राज्पाल राम नाईक के सिफारिश पर उत्तर प्रदेश सरकार ने आदेश जारी कर कहा है कि राज्य में मौजूद सभी सरकारी दस्तावेजों में अब आधिकारिक रूप से बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर के नाम के बीच ‘रामजी’ लगाने की इजाजत दे दी गई है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने आदेश में कहा है कि राज्य के सभी सरकारी दफ्तरों में जितने भी सरकारी दस्तावेज में बाबा साहेब का नाम लिखा है, उन सभी में बदलाव कर उनमें ‘रामजी’ लगाया जाएगा।
इससे पहले भी बीजेपी सांसद उदित राज ने एससी-एसटी एक्ट में सु्प्रीम कोर्ट के फैंसले पर भी अपनी नाराजगी जाहिर की थी। गौरतलब है कि अभी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने दलितों से जुड़े कानून में बदलाव करने का आदेश दिया था। जिसके तहत सु्प्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस एक्ट के तहत कानून का दुरुपयोग हो रहा है। जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस एक्ट के तहत दर्ज मामलें में तुरंत गिरफ्तारी ना की जाए। इसके इलावा इस एक्ट के तहत होने वाली गिरफ्तारी पर अग्रिम जमानत की भी मंजूरी दी है। जिसका बीजेपी सांसद उदित राज ने आपत्ति जाहिर की थी। उदित राज ने इस एक्ट को लेकर सु्प्रीम कोर्ट के फैंसले को दुर्भाग्यपूर्ण फैंसला बताया था।
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