पीठ दर्द ; प्रारूपिक चेतावनी संकेत
पीठ दर्द (“डोर्सलाजिया ” के नाम से भी जाना जाता है) पीठ में होनेवाला वह दर्द है, जो आम तौर पर मांसपेशियों, तंत्रिका, हड्डियों, जोड़ों या रीढ़ की अन्य संरचनाओं में महसूस किया जाता है।’ इस दर्द को अक्सर गर्दन दर्द, पीठ के उपरी हिस्से के दर्द,पीठ के निचले हिस्से के दर्द या टेलबोन के दर्द(रीढ़ के आखिरी छोर की हड्डी में) में विभाजित कर सकते हैं। यह अचानक होनेवाला दर्द या स्थाई दर्द भी हो सकता है; यह लगातार या कुछ अन्तराल पर भी हो सकता है, यह दर्द किसी एक ही जगह पर हो सकता है या अन्य हिस्सों में फ़ैल भी सकता है यह एक हल्का या तेज दर्द हो सकता है या इसमें छेदने या जलन की अनुभूति हो सकती है। यह दर्द भुजा और हाथ में, पीठ के उपरी या निचले हिस्से में फ़ैल सकता है, (और पंजे या पैर में फ़ैल सकता है) और दर्द के अलावा इसमें कमजोरी, सुन्न हो जाना या झुनझुनी जैसे लक्षण भी शामिल हो सकते हैं।
पीठ का दर्द लोगों को अक्सर होने वाली शिकायतों में से एक है। अमेरिका में पीठ के निचले भाग में तेज दर्द (लूम्बेगो भी कहा जाता है) चिकित्सक के पास जाने के सबसे आम कारणों में पांचवें स्थान पर है। दस में से नौ वयस्कों को अपने जीवन के किसी न किसी बिंदु पर पीठ दर्द का अनुभव होता है और काम करने वाले दस में से पांच वयस्कों को हर साल पीठ दर्द होता है।
रीढ़ नसों, जोड़ों, मांसपेशियों, शिराओं और अस्थिवंधों का एक परस्पर संबंधित जटिल अंतर्जाल है और ये सभी दर्द के उत्पादन में सक्षम हैं। बड़ी तंत्रिकाएं जो रीढ़ की हड्डी से आरंभ होकर पैर और हाथ में जाती हैं, वे दर्द को अधिकतम सीमा तक फैला सकती हैं।
शरीर रचना की दृष्टि से पीठ दर्द को: गर्दन के दर्द, पीठ के ऊपरी हिस्से के दर्द, पीठ के निचले हिस्से के दर्द या टेलबोन के दर्द में विभाजित किया जा सकता है
इसकी अवधि की दृष्टि से: एक्यूट (अल्पकालिक) (4 सप्ताह से कम), (सब-एक्यूट 4-12 सप्ताह), स्थायी (12 से अधिक सप्ताह).
इसके कारण द्वारा: एमएसके, संक्रामक, कैंसर आदि पीठ दर्द किसी गंभीर चिकित्सकीय समस्या का संकेत हो सकता है, हालांकि यह अक्सर अंतर्निहित कारण नहीं होता: आंत्र और/या मूत्राशय असंयम या पैरों में बढती कमजोरी एक संभावित जीवन-घाती समस्या के प्रारूपिक चेतावनी संकेत हैं।
गंभीर बीमारी के अन्य लक्षणों के साथ (जैसे कि बुखार, अनपेक्षित रूप से वजन में कमी) होने वाला तेज पीठ दर्द (ऐसा दर्द जो नींद में विघ्न डालने जितना बुरा हो) से एक गंभीर अंतर्निहित चिकित्सकीय हालत का संकेत मिल सकता है। पीठ दर्द किसी आघात के बाद जैसे कि कार दुर्घटना या गिरने से लगी चोट के बाद होता है और अस्थि विभंजन या किसी अन्य चोट का संकेत हो सकता है।
लोगों को अन्य चिकित्सकीय स्थितियों जैसेऑस्टियोपोरोसिस या अस्थि मज्जा के विविध ट्यूमर के साथ होनेवाला पीठ दर्द, जो उन्हें रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर के भारी जोखिम में डाल सकता है, होने पर तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता होती है।
कैंसर (विशेष रूप से स्तन, फेफड़े और प्रोस्टेट कैंसर जैसे रीढ़ की हड्डी में फैलने वाले कैंसर) जैसी बीमारी वाले व्यक्तियों को पीठ दर्द होने पर उसकी उपयुक्त जाँच करानी चाहिए जिससे रीढ़ के मेटास्टेटिक रोग के खतरे को दूर किया जा सके.
पीठ दर्द में आमतौर पर तत्काल चिकित्सा हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होती है। पीठ दर्द के अधिकांश प्रसंग स्वयं-सीमित अर्थात् खुद कम हो जानेवाले और न बढ़नेवाले होते हैं। अधिकतर पीठ दर्द के लक्षण, विशेषकर एक्यूट अर्थात् तीव्र चरण में सूजन, की वजह से होते हैं, जो साधारण तौर पर दो सप्ताह से तीन महीनों तक रहता है।
##पीठ के दर्द को कभी भी नजर अंदाज न करें
क्या आप पीठ दर्द की वजह से जमीन पर गिरी चीजें नहीं उठा पाते? क्या आपको देर तक बैठने में दिक्कत होती है? अगर हां तो आपको जरूरत है तुरंत अपने पीठ के दर्द की तरफ ध्यान देने की और इस परेशानी का इलाज ढूंढने की क्योंकि इन सर्दियों में आपकी पीठ का दर्द आपका जीना भी मुहाल कर सकता है। लेकिन घबराइए मत क्योंकि हम आपको बताएंगे कि कैसे आप इस बिन बुलाई बीमारी से आसानी से पीछा छुड़ा सकते हैं। तेज रफ्तार से बदलती जिंदगी ने सबकी लाइफस्टाइल बदल दी और इससे मिला पीठ का दर्द। पीठ का दर्द एक आम समस्या के रूप में देखा जाता है लेकिन शायद आप ये नहीं जानते कि अगर सर्दियों में इसे नजरअंदाज किया जाए तो ये बड़ी मुसीबत भी बन सकता है।
मालूम हो कि रोजमर्रा के काम गलत ढंग से करने से कमर और पीठ का दर्द होता है। एक स्टडी के मुताबिक हर चार में से एक महिला और हर दस में से एक पुरुष कमर दर्द से पीड़ित है। जब हम गलत तरीके से लेटते हैं या बैठते हैं, तो संवेदनशील नाड़ियों और अन्य अंगों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है और बार-बार या लगातार इसके गलत प्रभाव के कारण पीठ के दर्द की शिकायत हो जाती है। पीठ का दर्द अपने आप में कोई रोग नहीं हैं, बल्कि कई रोगों या गलत आदतों से पैदा हुआ एक लक्षण मात्र है। इसलिए पीठ के दर्द को कभी भी नजर अंदाज न करें।
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कुछ अवलोकनात्मक अध्ययनॉ का सुझाव है कि अक्सर पीठ दर्द के लिए जिम्मेदार ठहराई जानेवाली दो स्थितियां लम्बर डिस्क हर्नियेशन और अपक्षयी डिस्क रोग, पीठ दर्द वाले लोगों में सामान्य आबादी की अपेक्षा अधिक व्याप्त नहीं हैं और इस दर्द का कारण बनने वाली प्रक्रिया के बारे में भी जानकारी नहीं है। अन्य अध्ययनॉ का सुझाव है कि 85% मामलों के लिए कोई शारीरिक कारण नहीं दिखाया जा सकता है।
कुछ अध्ययनों से संकेत मिलता है कि एक्स-रे एवं अन्य चिकित्सकीय स्कैनों में पता चलनेवाली संरचनात्मक असामान्यताओं की अपेक्षा नौकरी पर तनाव और बिगड़े हुए पारिवारिक रिश्तों को पीठ दर्द से अधिक निकटता के साथ परस्पर सम्बंधित किया जा सकता है।
पीठ दर्द के कई संभावित स्रोत और कारण हैं। हालांकि, दर्द के कारण के रूप में रीढ़ की विशिष्ट ऊतकों का निदान करने में समस्या उत्पन्न होती है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि रीढ़ की हड्डी के ऊतकों से उत्पन्न होने वाले लक्षणों में काफी सामानता प्रतीत होती है और स्थानीय चेतना शून्य करनेवाली औषधि जैसे अंतर नैदानिक हस्तक्षेप प्रक्रियाओं के प्रयोग के बगैर इनमें अंतर करना बहुत मुश्किल है।
पीठ दर्द का एक संभावित स्रोत पीठ का स्केलेटल मसल (ढांचे की मांसपेशी) है। मांसपेशियों के उत्तकों में दर्द के संभावित कारणों में मांसपेशी तनाव(खिंची हुई मांसपेशियां) मांसपेशी अकड़न, और मांसपेशी असंतुलन शामिल हैं। हालांकि, इमेजिंग (प्रतिविम्वित) अध्ययन पीठ दर्द के कई मामलों में मांसपेशी ऊतक के नुकसान की धारणा का समर्थन नहीं करते हैं और मांसपेशियों की ऐंठन और मांसपेशी असंतुलन की न्यूरोफिजियोलॉजी या तंत्रिकातंत्र शरीरविज्ञान को भी ठीक तरह से समझा नहीं जा सका है।
पीठ के निचले हिस्से में दर्द का एक अन्य संभावित स्रोत रीढ़ के स्नोवियल जोड़ (जैसे जिगापोफिजियल जोड़) हैं। इन्हें पीठ के निचले हिस्से में स्थायी दर्द वाले लोगों के लगभग एक तिहाई में और गर्दन की मोच के बाद गर्दन में दर्द वाले अधिकांश लोगों में दर्द के प्राथमिक स्रोत के रूप में चिह्नित किया गया है।[12] हालांकि, जिगापोफिजियल जोड़ों के दर्द के कारण को पूरी तरह समझा नहीं जा सका है। गर्दन में मोच के बाद गर्दन में दर्द होनेवाले लोगों में कैप्सूल ऊतकों के नुकसान को कारण के रूप में प्रस्तावित किया गया है। जिगापोफिजियल जोड़ों से आरंभ होनेवाले रीढ़ के दर्द वाले लोगों के बारे में, एक सिद्धांत यह है कि उनकी श्लेष झिल्लियों के इन्वेजिनेशंस और फाइब्रो-एडिपोज मेसिक्वायड्स (जो कि आमतौर पर हड्डियों को आसानी से एक दूसरे पर ले जाने में मदद के लिए हड्डियों की गद्दी के रूप में कार्य करते हैं) जैसे अंतर जोड़ ऊतक विस्थापित, सूखे या फँसे हुए हो सकते हैं और फलस्वरूप नोसिसेप्शन को बढ़ाते हैं।
पीठ दर्द के कई अन्य आम संभावित स्रोत और कारण हैं: जिनमें स्पाइनल डिस्क हर्नियेशन और अपक्षयी डिस्क रोग या आइस्थेमिक स्पाँडिलोलिस्थीसिस,ऑस्टियोआर्थराइटिस (अपक्षयी जोड़ रोग)या रीढ़ की हड्डी में स्टेनासिस, आघात, कैंसर, संक्रमण, अस्थि भंग तथा सूजन की बीमारियाँ शामिल हैं।
रेडिक्युलर दर्द (साइटिका) ‘नॉन-स्पेसिफिक’ अर्थात् गैर-विशिष्ट पीठ के दर्द के रूप में चिह्नित है और इनवेसिव निदान परीक्षणों के बगैर इसका निदान किया जा सकता है।
नॉन-डिस्कोजेनिक पीठ दर्द पर नए तौर पर ध्यान केन्द्रित किया गया है, जिसमें रोगियों का सामान्य या लगभग सामान्य एमआरआई और सीटी स्कैन किया जाता है। जिन रोगियों में कोई रेडियोग्रफिक असामान्यताएं नहीं होतीं, एक नया परिक्षण उनमें डॉरसल रेमस की भूमिका की जाँच करता है
पीठ दर्द का इलाज करते समय प्रबंधन का लक्ष्य दर्द की तीव्रता में जितनी जल्दी संभव हो अधिक से अधिक कमी प्राप्त करना; रोगी में अपनी रोजमर्रा की गतिविधियों में कार्य करने की क्षमता को बहाल करना, अवशिष्ट दर्द का सामना करने में रोगी की मदद तथा कानूनी और सामाजिक-आर्थिक बाधाओं के मध्य से रोगी के रास्ते को आरोग्य लाभ के लिए सुगम बनाना है। अधिकांश के लिए लक्ष्य पुनर्वास हेतु दर्द को एक संचालनीय स्तर पर रखना है, जो बाद में लंबे समय तक दर्द से राहत की और अग्रसर करे. इसका लक्ष्य गैर शल्य-चिकित्सा उपचार के उपयोग द्वारा दर्द का प्रबंधन और बड़ी शल्य-चिकित्सा से बचाव है, जबकि दूसरों के लिए शल्य-चिकित्सा बेहतर महसूस करने का शीघ्रतम रास्ता हो सकती है।
सभी उपचार सभी स्थितियों में या एक ही स्थिति के सभी व्यक्तियों के लिए काम नहीं करते और अनेक लोग पाते हैं कि अपने लिए सर्वोत्तम उपचार निर्धारित करने में उन्हें कई उपचार विकल्पों को आजमाने की जरूरत है। स्थिति का वर्तमान चरण भी (अल्पकालिक या स्थायी) उपचार के चुनाव का निर्धारणकारक घटक हो सकता है। पीठ दर्द के रोगियों में केवल एक अल्पसंख्यक वर्ग को (अधिकांश का अनुमान 1% – 10% है) सर्जरी की आवश्यकता होती है।
ताप चिकित्सा पीठ की अकड़न या अन्य स्थितियों के लिए उपयोगी है। कोक्रेन सहयोग से किये गए अध्ययनॉ के मेटा-विश्लेषण से निष्कर्ष निकला है कि ताप चिकित्सा पीठ के निचले हिस्से में होनेवाले अल्पकालिक तीव्र और कम तीव्र दर्द को कम कर सकती है। कुछ रोगियों को लगता है कि नम ताप (एक गर्म स्नान या चक्कर) या लगातार कम स्तरीय ताप (जैसे कि ताप का आवरण जो 4 से 6 घंटे के लिए गर्म रहता है) सबसे अच्छा काम करता है। कुछ मामलों में ठंड संपीड़न चिकित्सा (जैसे कि बर्फ या ठंडे पैक का प्रयोग) पीठ के दर्द से राहत देने में प्रभावी हो सकती है।
दवा का उपयोग, जैसे मांसपेशियों को शिथिल करनेवाली,ओपिऑयड्स, नॉन-स्टेरायडल उत्तेजना विरोधी दवाएं (NSAIDs/NSAIAs) या पैरासीटामोल (एक्टामिनोफेन) कोक्रेन सहयोग द्वारा अनियमित नियंत्रित परीक्षणों के मेटा-विश्लेषण से निष्कर्ष निकला कि इंजेक्शन उपचार आमतौर पर कॉर्टीकॉस्टेरॉयड सहित, जो पीठ के निचले हिस्से में होनेवाले दर्द[15] के मामलों में सहायक होता है, को निश्चित करने के नैदानिक परीक्षण अपर्याप्त हैं, अंतर-मांसपेशीय कॉर्टीकॉस्टेरॉयडों के एक अध्ययन में कोई लाभ नहीं पाया गया।
मालिश उपचार विशेष रूप से एक अनुभवी थेरेपिस्ट (उपचारकर्ता) द्वारा किया जाने पर अल्पकालिक राहत प्रदान कर सकता है। एक्यूप्रेशर या प्रेशर प्वायंट मसाज (दबाव बिंदु मालिश) पारम्परिक (स्वीडिश) मालिश से अधिक लाभप्रद हो सकता है।
व्यायाम दर्द को कम करने के लिए एक प्रभावी तरीका हो सकता है, लेकिन एक लाइसेंस प्राप्त पेशेवर स्वास्थ्य कर्मी की देखरेख में ही किया जाना चाहिए. आम तौर पर, पीठ दर्द के अधिकांश उपचारों में लगातार खिंचाव और व्यायाम के कुछ तरीकों को एक आवश्यक घटक माना जाता है। हालांकि, एक अध्ययन में पाया गया है कि व्यायाम तीव्र या अल्पकालिक दर्द के लिए नहीं बल्कि स्थायी पीठ दर्द के लिए प्रभावी है[19]एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि अल्पकालिक दर्द की स्थिति में पीठ को गतिशील करनेवाले व्यायाम बर्दाश्त किये जाने योग्य आम गतिविधियों की निरंतरता से कम प्रभावी हैं।
खींचने और मजबूत बनाने सहित मेनिप्यूलेशन अर्थात् हेरफेर और व्यायाम(रीढ़ को सहारा देनेवाली मांसपेशियों पर विशेष ध्यान केंद्रित कर) युक्त शारीरिक उपचार, ‘बैक स्कूल्स’ ने ऑक्यूपेशनल स्थिति में लाभ दिखाया है। स्कॉर्थ विधि, स्कोलायसिस, किफोसिस, स्पोंडिलोलिस्थीसिस, एवं रीढ़ की हड्डी से संबंधित विकारों के एक विशेष शारीरिक व्यायाम उपचार से स्कोलायसिस वाले वयस्कों में पीठ दर्द की तीव्रता और आवृत्ति को कम होता दर्शाया गया है।
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक अनियमित नियंत्रित परीक्षण में पाया गया कि अलेक्जेंडर तकनीक ने स्थायी पीठ दर्द के रोगियों के लिए दीर्घकालिक लाभ प्रदान किया है[ बाद की एक समीक्षा से निष्कर्ष निकला है कि ‘अलेक्जेंडर तकनीक के छः अभ्यास के साथ संयुक्त एक व्यायाम नुस्खा पीठ दर्द के प्राथमिक देखभाल के लिए सबसे प्रभावी और कम लागत का विकल्प उपचार लगता है।
मेनिप्यूलेशन अर्थात् हेरफेर के अध्ययन से पता चलता है कि इस तरीके में अन्य उपचारों के समान लाभ हैं और यह प्लेस्बो से बेहतर है।
पीठ दर्द में एक्यूपंक्चर के कुछ प्रमाणित लाभ हैं लेकिन हाल ही के एक अनियमित नियंत्रित परीक्षण में वास्तविक और नकली एक्यूपंक्चर के बीच मामूली अंतर पाया गया है मनोवैज्ञानिक या भावनात्मक कारणों[28] पर ध्यान केंद्रित करने के लिए शिक्षा और व्यवहार समायोजन – रेस्पाँडेण्ट-कॉग्निटिव थेरेपी (प्रतिवादी- संज्ञानात्मक उपचार) और प्रगतिशील विश्राम चिकित्सा स्थायी दर्द को कम कर सकते हैं। कभी-कभी शल्यचिकित्सा इन रोगों के मरीजों के लिए उपयुक्त हो सकती है:
लम्बर डिस्क (कमर की हड्डी) का खिसकना या अपक्षयी डिस्क रोग
लम्बर डिस्क के खिसकने, जोड़ों के अपक्षयी रोग या स्पोंडिलोलिस्थीसिस से रीढ़ की हड्डी में संकुचन
स्कोलिओसिस
कम्प्रेशन फ्रैक्चर
अक्सर पीठ दर्द के कई लक्षणों और कारणों के लिए न्यूनतम अतिक्रामी शल्य (इनवेसिव सर्जिकल) प्रक्रियाएं एक समाधान बन रही हैं। इस तरह की प्रक्रियाएं रीढ़ की हड्डी की पारंपरिक शल्यक्रिया की अपेक्षा अधिक सटीक निदान और कम समय में स्वास्थ्य लाभ जैसेअधिक लाभ प्रदान करती हैं।
पीठ की अकड़न या पीठ के स्थायी दर्द के लिए ठंड संपीड़न चिकित्सा की वकालत की जाती है और यह दर्द तथा सूजन को, विशेष रूप से गोल्फ, बागवानी या भार उठाने जैसे तनावपूर्ण व्यायामों के बाद होनेवाले दर्द को कम करती है। हालांकि, कोक्रेन सहयोग द्वारा आकस्मिक रूप से नियंत्रित परीक्षणों के मेटा-विश्लेषण से यह निष्कर्ष निकला कि “पीठ के निचले हिस्से में होनेवाले दर्द में ठंड उपचार के लाभकारी होने के प्रमाण, निम्न गुणवत्ता के केवल तीन अध्ययनों पर आधारित तथा और भी कम हैं। “पीठ के निचले हिस्से के दर्द के लिए ठंड के उपयोग के बारे में कोई निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है।
पूरे आराम या बिस्तर पर रहने की सलाह कम ही दी जाती है क्योंकि यह लक्षणों को और अधिक बिगाड़ सकता है तथा आवश्यक होने पर यह एक या दो दिनों के लिए सीमित होता है। लंबे समय तक बिस्तर पर आराम या निष्क्रियता वास्तव में उल्टा प्रभाव डालते हैं, जिसके परिणामस्वरूप होनेवाली अकड़न से दर्द बढ़ जाता है।
ट्रांसक्यूटेनस इलेक्ट्रिकल नर्व स्टिमुलेसन (TENS) जैसे विद्युत उपचार को प्रस्तावित किया गया है। दो अनियमित नियंत्रित परीक्षणों के परस्पर विरोधी परिणाम मिले हैं।[32][33] जो कोक्रेन सहयोग को इस निष्कर्ष की ओर ले गया कि TENS के उपयोग का समर्थन करने के प्रमाण असंगत है। इसके अलावा, स्पाइनल कॉर्ड स्टिमुलेसन,जिसमें मस्तिष्क को भेजे जानेवाले दर्द के संकेतों को बाधित करने के लिए एक बिजली के उपकरण का उपयोग किया जाता है तथा पीठ दर्द के विभिन्न अंतर्निहित कारणों का अध्ययन किया गया।
संकर्षण की विधि या गुरुत्वाकर्षण के माध्यम से पीठ के कशेरुओं को फ़ैलाने (के मामले में) वाली इनवर्सन थेरेपी(उलटा उपचार) पीठ दर्द के अस्थायी राहत के लिए उपयोगी है। रोगी यह अलगाव होने तक एक निश्चित अवधि के लिए एड़ियों या घुटनों से उलटी स्थिति में लटका रहता है। पूरी तरह लम्बवत लटकने (90 डिग्री) के बगैर भी यह परिणाम प्राप्त किया जा सकता है और 10 से 45 डिग्री जैसे कम कोण पर भी उल्लेखनीय लाभ देखे जा सकते हैं।
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