प्राण प्रतिष्ठित बगलामुखी के सामने इनके स्तोत्र का पाठ, मंत्र जाप, शीघ्र फल प्रदान करते है; बंजारावाला देहरादून में विराजमान; मार्च में विशेष कार्यक्रम हेतु तैयारी जबकि बगलामुखी जयंती 2024 बुधवार, 15 मई
बगलामुखी जयंती 2024 बुधवार, 15 मई 2024 को मनाई जाएगी। बगलामुखी जयंती को देवी बंगलामुख के अवतरण दिवस के रूप में मनाया जाता है और उन्हें माँ पीताम्बरा या ब्रह्मास्त्र विद्या भी कहा जाता है। : देवी बगलामुखी का जन्म इस दिन अपने अनुयायियों और भक्तों की रक्षा और सुरक्षा के साथ-साथ उनके दुश्मनों को नष्ट करने के लिए हुआ था। : वह इतनी शक्तिशाली हैं कि भक्तों की मनोकामना पूरी कर सकती हैं और लक्ष्य को भावहीन कर सकती हैं। : देवी बगलामुखी को महत्वपूर्ण दश (दस) महाविद्या (बुद्धि की देवी) के रूप में माना जाता है। बगलामुखी नाम का अर्थ है, जिसकी जीभ पर दृढ़ पकड़ हो और वह किसी भी व्यक्ति के दिमाग को नियंत्रित कर सके : एक दो नहीं बल्कि हजारों कामनाएं पूरी हो जाती है। बगलामुखी से बढ़ कर कोई साधना नहीं है. यह रामबाण है, धन लाभ, मनचाहे व्यक्ति से मिलन, इच्छित संतान की प्राप्ति, अनिष्ट ग्रहों की शांति, मुकद्दमे में विजय, आकर्षण, वशीकरण के लिए मंदिर में, अथवा प्राण प्रतिष्ठित बगलामुखी के सामने इसके स्तोत्र का पाठ, मंत्र जाप, शीघ्र फल प्रदान करते है. खुले स्थान (आसमान के नीचे) पर यह साधना नहीं करनी चाहिए मां बगलामुखी स्तंभव शक्ति की अधिष्ठात्री हैं मां बगलामुखी का एक नाम पीताम्बरा भी है इन्हें पीला रंग अति प्रिय है : प्राण तोषिणी, तंत्र विद्या पर आधारित एक पुस्तक है जिसमें माता बगलामुखी की उत्पत्ति के बारे में बताया गया है। मां बगलामुखी जयंती : मां देवी बगलामुखी आपके बच्चे पर या आपके कारोबार या आप पर आई बुरी नजर से रक्षा करती है, पर कैसे- उसके लिए मॉ पीताम्बरा श्री बगुलामुखी ने बंजारावाला देहरादून में पधारे : मान्यता है कि जिस भक्त ने भी उन्हें पूजा और उनकी आरती का गान किया उस पर कभी शत्रु की छाया भी नहीं पड़ती। माता शत्रुओं से रक्षा करती हैं। देवी के समक्ष हमेशा गाय के घी का दीपक जलाएं और इस दीपक में बाती रुई की होनी चाहिए। मां की आरती से पहले एक मंत्र का जाप किया जाता है-
23 मार्च 2024 को मॉ पीताम्बरा श्री बगुलामुखी शक्तिपीठ बंजारावाला देहरादून में होली समारोह आयोजन में मथुरा से राधा क़ष्ण की होली का विशेष कार्यक्रम प्रस्तुत करने पधारेगे कलाकार- जिसमें अनेक गणमान्य मेहमान आमंत्रित किये जा रहे हैं- चन्द्रशेखर जोशी-
पौराणिक कथा के अनुसार, देवी बगलामुखी मदन नाम के एक असुर द्वारा प्रताड़ित किए जाने के बाद धर्म (नैतिकता और शिक्षाओं) की रक्षा के लिए पृथ्वी पर आईं। उन्होंने असुर को हराया और अनुयायियों को अनैतिक और पापी प्रथाओं से बचाने के लिए उसकी जीभ काट दी। असुर ने देवी से क्षमा मांगी। इससे पता चलता है कि अवांछित वाणी दुष्ट व्यक्तियों के लिए एक बड़ा ख़तरा है। इस दिन वे दुष्टों की वाणी और पैरों के पक्षाघात के लिए प्रार्थना करते हैं।
देवी शक्ति के तीन प्रसिद्ध शक्तिपीठ माने जाते हैं। पहला हिमाचल के कांगड़ा जिल में स्थित है, जिसे बगलामुखी मंदिर कहा जाता है। दूसरा मध्यप्रदेश के दतिया जिले में है और तीसरा भी मध्यप्रदेश के शाजापुर जिले में स्थित है, जिनको बगलामुखी मंदिर कहा जाता है। इनमें सबसे अधिक मान्यता कांगड़ा मंदिर की है। मॉ पीताम्बरा श्री बगुलामुखी ने बंजारावाला देहरादून में विराजमान होने के लिए चन्द्रशेखर जोशी राज्य स्तरीय मान्यता प्राप्त सम्पादक हिमालयायूके न्यूज को निमित बनाया- प्राण प्रतिष्ठा में अखण्ड ज्योति कांगड़ा मंदिर से लाई गई, और इस तरह मॉ पीताम्बरा श्री बगुलामुखी शक्ति पीठ नाम से 2023 में भव्य समारोह में महामाई का आलीशान दरबार सुसज्जित हुआ, जिसमें अखण्ड ज्योति प्रज्जवलित है, 12 घण्टे का अखण्ड यज्ञ आयोजित हुआ, वर्ष भर लगातार धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किये गये, प्रति सप्ताह मंगल और शनिवार को स्थानीय महिलाओ द्वारा कीर्तन किये जाते हैं, देश भर से अनेक ज्योतिषविदो, अनेक प्रसिद्व मंदिरो के पुजारियो, ब्राहमणो को मंदिर मे आमंत्रित कर सम्मानित किया जा रहा है, धर्मपुर देहरादून विधानसभा तथा हरिद्वार लोकसभा में आने वाला यह क्षेत्र आध्यात्मिक रूप से पूर्णतया जाग्रत हो गया,
मार्च में विशेष कार्यक्रम हेतु तैयारी है- चन्द्रशेखर जोशी संस्थापक अध्यक्ष- बगुलामुखी पीठ मो0 ९४१२९३२०३०
ओम बगलामुखी ऐ च विद्महे स्तम्भिन्यै च धीमहि तन्नो बांग्ला प्रचोदयात्” देवी शत्रुओं को भावनाहीन कर देती है, मैं उनकी पूजा करता हूं। देवी मुझे अपनी स्पष्ट दृष्टि से आशीर्वाद दें।
महादेव के दस रुद्रावतारों में से बग्लेश्वर रुद्रावतार आठवां रूद्र अवतार माना जाता है। इस अवतार को बगलामुख नाम से भी जाना जाता है। इनका स्वरूप पीला है और इस अवतार की शक्ति देवी बगलामुखी हैं। : माता का वार शुक्रवार माना जाता है, कुछ विद्वान गुरुवार को पूजा का विधान बताते हैं। उनकी तिथि अष्टमी है। बगलामुखी देवी को प्रसन्न करने के लिए 36 अक्षरों का बगलामुखी महामंत्र : ऊँ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय, जिह्वा कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ऊँ स्वाहा’ जप हल्दी की माला पर करना चाहिए।
तंत्र-मंत्र और सिद्धियों के क्षेत्र में मां दुर्गा की 10 महाविद्याओं का सबसे ज्यादा प्रभाव है। इन्हीं महाविद्या से पूरे ब्रह्मांड को ऊर्जा मिलती है और देवी-देवताओं को शक्तियां भी इनसे ही निहित हैं। यहां तक कि भगवान शिव इनकी शक्ति के बिना शव के समान माने जाते हैं, शक्ति के बिना शिव शून्य हैं। महादेव और मूल शक्ति के दस प्रमुख स्वरूपों के बारे में शास्त्रों और पुराणों में वर्णन मिलता है। भगवान शिव के अवतार रूद्र भी इन महाविद्या से प्रेरित हैं, जो मनुष्य को सुख-समृद्धि, भोग और मोक्ष प्रदान करने वाले हैं और उनकी शक्ति से व्यक्ति की दसों दिशाओं से रक्षा करते हैं।
दस महाविद्या
1- मां काली
2- मां तारा
3- मां भुवनेश्वरी
4- मां बगलामुखी
5- मां कमला
6- मां छिन्नमस्ता
7- मां त्रिपुर सुंदरी
8- मां भैरवी
9- मां मांतगी
10- मां धूमावती
महाकालेश्वर रुद्रावतार भगवान शिव के दस रुद्रावतार में सबसे पहला अवतार महाकालेश्वर रुद्रावतार माना जाता है। इस अवतार का संबंध शक्ति महाविद्या महाकाली से है। महाकालेश्वर काल के भी काल कहे जाते हैं और इनका स्वरूप श्यामवर्णी है। उज्जैन में स्थिति महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग को महाकाली से ही शक्तियां मिलती हैं और उज्जैन के गढ़कालिका क्षेत्र मां कालिका उपखंड शक्तिपीठ के रूप में स्थित हैं। मूल महाकाली का मंदिर पश्चिम बंगाल के कलकत्ता शहर में स्थिति महाकाली मंदिर है।
बग्लेश्वर रुद्रावतार
महादेव के दस रुद्रावतारों में से बग्लेश्वर रुद्रावतार आठवां रूद्र अवतार माना जाता है। इस अवतार को बगलामुख नाम से भी जाना जाता है। इनका स्वरूप पीला है और इस अवतार की शक्ति देवी बगलामुखी हैं। देवी शक्ति के तीन प्रसिद्ध शक्तिपीठ माने जाते हैं। पहला हिमाचल के कांगड़ा जिल में स्थित है, जिसे बगलामुखी मंदिर कहा जाता है। दूसरा मध्यप्रदेश के दतिया जिले में है और तीसरा भी मध्यप्रदेश के शाजापुर जिले में स्थित है, जिनको बगलामुखी मंदिर कहा जाता है। इनमें सबसे अधिक मान्यता कांगड़ा मंदिर की है।
माता बगलामुखी दस महाविद्याओं में आठवीं महाविद्या हैं। सारे ब्रह्मांड की शक्ति मिल कर भी इनका मुकाबला नहीं कर सकती। शत्रुनाश, वाकसिद्धि, वाद-विवाद में सफलता के लिए इनकी उपासना की जाती है। इनकी उपासना से शत्रुओं का नाश होता है तथा जातक का जीवन निष्कंटक हो जाता है। किसी छोटे कार्य के लिए 10000 तथा असाध्य से लगने वाले कार्य के लिए इनके एक लाख मंत्र का जाप करना चाहिए। बगलामुखी मंत्र के जाप से पूर्व बगलामुखी कवच का पाठ अवश्य करना चाहिए। व्यष्टि रूप में शत्रुओं को नष्ट करने की इच्छा रखने वाली शक्ति ही बगला है। पितांबराविद्या के नाम से विख्यात बगलामुखी की साधना प्राय: शत्रु के भय से मुक्ति और वाकसिद्धि प्राप्त करने के लिए की जाती है। इनकी उपासना में हल्दी की माला, पीले फूल और पीले वस्त्रों का विधान है। इनका द्विभुज चित्रण अधिक आम है और सौम्या के रूप में वर्णित हैं।
ऊँ ह्लीं बगलामुखी देव्यै सर्व दुष्टानाम वाचं मुखं पदम् स्तम्भय जिह्वाम कीलय-कीलय बुद्धिम विनाशाय ह्लीं ऊँ नम:
सभी दुखों को दूर करता है और आत्मविश्वास, निर्भयता और साहस देता है। • भक्तों के मन और हृदय को सफलता के पथ पर आगे बढ़ने के लिए सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है। ऋणों को दूर करता है और घर में समृद्धि बढ़ाता है। शत्रुओं का भय दूर हो जाता है और भक्तों को अनुभव होता है। मन में काफी हद तक आराम। शत्रु अब आपका सामना नहीं कर पाएंगे। आपके विरुद्ध कार्य करने का प्रयास करते समय वे शक्तिहीन हो जाएंगे और उनकी दुष्ट साजिशें निरर्थक और अप्रभावी हो जाएंगी। • छात्रों को अच्छे अंक प्राप्त होते हैं और पढ़ाई पर बेहतर ध्यान केंद्रित करने के लिए एकाग्र मन मिलता है। • भक्त मुकदमों पर विजय प्राप्त करता है और झगड़ों और प्रतियोगिताओं में सफल होता है। • यदि आपके जीवन में उतार-चढ़ाव हैं, तो यह मंत्र सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं को संतुलित करने और घर और जीवन में सद्भाव स्थापित करने में मदद कर सकता है।
नारियल काले वस्त्र में लपेट कर बगलामुखी देवी को अर्पित करें।
मध्य प्रदेश के आगर-मालवा जिले में नलखेड़ा तहसील में स्थित है माता बगलामुखी देश के कई बड़े नेता चुनाव जीतने के लिए यहाँ यज्ञ-अनुष्ठान कराते हैं। मंदिर में स्थापित माता बगलामुखी त्रिशक्ति माता कही जाती हैं क्योंकि संभवतः भारत में यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जहाँ माता की स्वयंभू मूर्ति में तीन देवियाँ समाहित हैं। मध्य में माता बगलामुखी, दाएँ भाग में माँ लक्ष्मी और बाएँ भाग में माँ सरस्वती विराजित हैं। माता बगलामुखी को महारुद्र (मृत्युंजय शिव) की मूल शक्ति के रूप में जाना जाता है।
चुनावों में विजय प्राप्त करने और अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए देश के कोने-कोने से नेता इस मंदिर में गुप्त अनुष्ठान के लिए आते हैं। भारतीय राजनीति के कई बड़े नेता इस मंदिर में माता बगलामुखी का आशीर्वाद प्राप्त करके चुनावों में विजय प्राप्त कर चुके हैं। जब भी देश में लोकसभा चुनाव और विभिन्न राज्यों में विधानसभा चुनावों का दौर शुरू होता है, माता बगलामुखी के मंदिर में बड़े-बड़े नेताओं का आना-जाना शुरू हो जाता है।
बगलामुखी या बगला हिंदू धर्म में बड़ी श्रद्धा से पूजी जाने वाली दस महाविद्याओं में से एक महत्वपूर्ण देवी हैं। बगलामुखी की पूजा का परम लाभ भक्तों के भ्रम और भ्रम को दूर करता है और उन्हें जीवन में आगे बढ़ने का स्पष्ट मार्ग प्रदान करता है। देवी बगलामुखी अपने भक्तों के संकटों को दूर करने के लिए अपने हाथों में एक छड़ी रखती हैं बगलामुखी की पूजा जीवन में आगे बढ़ने का स्पष्ट मार्ग प्रदान करता है।
बगलामुखी शब्द बगला या वल्गा शब्द से बना है जिसका अर्थ घोड़े को नियंत्रित करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली काठी है। इस अत्यंत शक्तिशाली देवी को स्तम्भिनी देवी या ब्रह्मास्त्र रूपिणी भी कहा जाता है। इसका मतलब यह है कि वह इतनी शक्तिशाली है कि लक्ष्य को गतिहीन और स्थिर बना सकती है। शत्रुओं को वश में करने और उन पर विजय पाने के लिए मां बगलामुखी की आराधना अचूक उपाय है मंत्र अचूक परिणाम दे सकते हैं। मां को पान, मिठाई, फल सहित पंच मेवा अर्पित करें। छोटी-छोटी कन्याओं को प्रसाद व दक्षिणा दें।
बगलामुखी गायत्री मंत्र; “ओम बगलामुखये च विद्महे स्तम्भिन्यै च धीमहि तन्नो बगला प्रचोदयात्।”
मैं देवी बगलामुखी का ध्यान करता हूं जो शत्रुओं को गतिहीन कर सकती हैं। शक्तिशाली देवी मुझे स्पष्ट दृष्टि का आशीर्वाद दें।
बगलामुखी मूल मंत्र ; “ओम् ह्रीं बगलामुखी सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भ्यजीवहं कील्य, बुद्धिम विनाश्य ह्रीं ऊं स्वाहा”
मंत्र में बगलामुखी की भीज ध्वनि है। इसमें देवी से प्रार्थना की जाती है कि शत्रुओं की दुष्ट वाणी, पैर और बुद्धि को रोककर उन्हें प्रभावहीन कर दें। एक बार जब उनकी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है, तो वे कभी भी आपके विरुद्ध कार्य नहीं कर सकते।
सभी प्रयासों में सफलता के लिए
“ॐ ह्रीं ऐंग क्लीं श्री बगलानने मम रिपूं नाशाय नाशय ममैश्वर्यानि देहि देहि शीघ्रं मनोवांछितं साधय साधय ह्रींग स्वाहा”
अगर आप किसी भी व्यक्ति, वस्तु, परिस्थिति से डरते हैं और अज्ञात डर सदा आप पर हावी रहता है तो देवी के भय नाशक मंत्र का जाप ;; ऊँ ह्लीं ह्लीं ह्लीं बगले सर्व भयं हन
अगर शत्रुओं ने जीना दूभर कर रखा हो, तंग हो गए हों,; ऊँ बगलामुखी देव्यै ह्लीं ह्लीं क्लीं शत्रु नाशं कुरु
प्रतिदिन निम्र मंत्र का जाप करने से रक्षा होती है त्रिलोकी में कोई आपको हानि नहीं पहुंचा सकता। ऊँ हां हां हां ह्लीं बङ्का कवचाय हुम
संतान प्राप्ति: अशोक एवं करवीर के पत्रों द्वारा हवन से संतान सुख मिलता है
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्।
पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वरि।।
मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि।
यत्पूजितं मया देवि परिपूर्णं तदस्तु मे।।
अंत में माता बगलामुखी से ज्ञात-अज्ञात शत्रुओं से मुक्ति की प्रार्थना करें।
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