बनारस फतह 2019;नतीजा कुछ भी हो लेकिन इतिहास में हमेशा याद किया जाएगा- ऐसा क्या?
कांग्रेस के महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ सकती हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक प्रियंका ने खुद चुनाव लड़ने के लिए हामी भर दी है लेकिन इस बार में अंतिम फैसला कांग्रेस अध्यक्ष और उनके भाई राहुल गांधी व प्रियंका की मां सोनिया गांधी को लेना है.
लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही हर सियासी पार्टी और हर उम्मीदवार अपनी जीत का दावा करता नजर आ रहा है. 26 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बनारस से चुनाव नामांकन भरने को लेकर तैयारियां पूरे जोरों पर हैं. इस सीट पर पीएम मोदी को टक्कर देने तमिलनाडु के 111 किसान, पूर्व बीएसएफ कॉन्स्टेबल, हाई कोर्ट के पूर्व जज, समेत कई और प्रत्याशी भी चुनावी मैदान में हैं. साथ ही इस सीट पर मोदी की तरह ही दिखने वाले अभिनंदन पाठक भी नामांकन भरने जा रहे हैं.
आखिर क्यों बनारस की गलियों में दुकानदारों ने लगाई तख्तियां- ‘एक ही भूल कमल का फूल’
बॉलीवुड एक्टर कमाल आर खान (KRK) ने अब ट्वीट कर कहा है कि उद्योगपति मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) को देश का प्रधानमंत्री बना देना चाहिए. इस तरह कमाल आर खान ने नेताओं पर तंज कसा है.
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वही दूसरी ओर राहुल गॉधी ने कहा है कि लोकसभा चुनाव अनिल अंबानी और साधारण लोगों के बीच, चोरों और ईमानदारों के बीच तथा झूठ और सच के बीच की लड़ाई है
चुनाव से पहले एक चुनाव प्रचार टीवी चैनल की शुरुआत करके भारत के चुनाव और प्रसारण नियमों की कमजोरियों का फायदा उठाने की कोशिश भारतीय जनता पार्टी को भारी पड़ सकती है. चुनाव आयोग द्वारा नमो टीवी को ‘राजनीतिक विज्ञापन’ करार देने से इसके शीर्ष नेताओं पर मुकदमा चलाने दरवाजा खुल गया है. 31 मार्च को भारतीय जनता पार्टी ने पूरी तरह से पार्टी और नरेंद्र मोदी का चुनाव प्रचार करने के लिए समर्पित ‘नमो टीवी’ नाम का एक 24 घंटे का चैनल लॉन्च किया. जिस दिन यह चैनल लॉन्च किया गया, उस दिन मोदी ने अपने 4.6 करोड़ ट्विटर फॉलोवर्स से इस टीवी चैनल को देखने की अपील की.
आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक पिछले दस सालों में सात लाख करोड़ से ज़्यादा का बैड लोन राइट ऑफ हुआ यानी न चुकाए गए क़र्ज़ को बट्टे खाते में डाला गया, जिसका 80 फीसदी जो लगभग 5,55,603 करोड़ रुपये है, बीते पांच सालों में बट्टे खाते में डाला गया.
हाल ही के दिनों
में प्रियंका गांधी ने एक समर्थक के सवाल पर पीएम मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव
लड़ने की बात भी कही थी। प्रियंका गांधी वाड्रा ने प्रयाग से बनारस तक बोट यात्रा
के जरिए की और लोगों से मिलकर उनकी समस्याएं सुनी थी। प्रियंका गांधी ने बनारस
(वाराणसी) में बाबा काशी विश्वनाथ के मंदिर दर्शन किए और शहीदों के परिजनों से
मुलाकात की और रोड शो भी किया। इसके बाद से राजनीतिक गलियारों में चर्चा शुरू हो
गई क्या प्रियंका गांधी लोकसभा चुनाव लड़ेंगी। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक
प्रियंका गांधी पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ सकती है।
पार्टी में महासचिव
बनने के बाद प्रियंका काफी सक्रीय हैं और लगातार पार्टी के लिए यूपी के विभिन्न
इलाकों में प्रचार कर रही हैं. पिछले दिनों उन्होंने एक समर्थक के सवाल पर वाराणसी
से मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने की बात भी कही थी.
सपा, बसपा और रालोद ने महागठबंधन करके कांग्रेस के लिए यूपी में सिर्फ दो सीटें छोड़ीं तो आखिर कांग्रेस ने अपना वो पत्ता चल दिया जिसको वो अपना तुरुप का इक्का बताती रही. यानी प्रियंका गांधी वाड्रा की सियासत में औपचारिक एंट्री हो गई. पूर्वी यूपी की प्रभारी महासचिव प्रियंका गांधी ने अपने पहले दौरे की शुरुआत प्रयाग से बनारस तक बोट यात्रा के जरिए की.
बनारस में बाबा काशी विश्वनाथ के मंदिर दर्शन भी किए, शहीदों के परिजनों से भी मिलीं और रोड शो किया. इसके बाद कयास लगे कि क्या प्रियंका लोकसभा चुनाव लड़ेंगीं? सूत्रों की मानें तो प्रियंका खुद सीधे प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ बनारस से चुनाव लड़ने पर गंभीरता से विचार कर रही हैं.
प्रियंका के करीबी सूत्रों ने कहा कि, पिछले चुनाव में मोदी के सामने आप,सपा, बसपा, कांग्रेस चुनाव लड़ी थी. 2014 में मोदी के पक्ष में हवा थी, नरेंद्र मोदीअपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल से 3,71,784 वोटों के अंतर से जीते. नरेंद्र मोदी को कुल 5,81,022 वोट मिले. वहीं, दूसरे स्थान पर अरविंद केजरीवाल को 2,09,238 मत मिले.
कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय 75,614 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे. वाराणसी लोकसभा में बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी विजय प्रकाश जायसवाल चौथे स्थान पर रहे. उन्हें 60,579 मत मिले. उत्तर प्रदेश की सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी कैलाश चौरसिया 45,291 मतों के साथ पांचवें स्थान पर रहे.
प्रियंका के करीबियों का कहना है कि मोदी विरोध का वोट एकजुट करें तो 2014 में ही मोदी की जीत का अंतर खासा घट जाता और अब तो मोदी लहर नहीं है. इसलिए अगर प्रियंका जैसा मज़बूत चेहरा बनाम मोदी चुनाव होता है तो बनारस फतह हो सकता है. लेकिन इसके लिए सपा और बसपा को भी प्रियंका के पक्ष में आना होगा जो काफी हद तक सम्भव है.
खुद प्रियंका भी इसको लेकर गंभीर हैं, इसीलिए जब बन्द कमरे में रायबरेली के कार्यकर्ताओं ने किसी भी सीट से चुनाव लड़ने की मांग की तो प्रियंका ने मुस्कुराते हुए कहा कि, बनारस से लड़ जाऊं क्या?
मोदी के खिलाफ लड़ने को तैयार
प्रियंका गांधी से बनारस से लड़ने पर सवाल किया तो वो तपाक से बोलीं कि, मैं तैयार हूं, पार्टी फैसला करेगी, जो पार्टी कहेगी वो करूंगी. कुल मिलाकर आज भी प्रियंका के करीबी ने प्रियंका के बनारस से लड़ने की बात पर कहा कि, इस मामले पर प्रियंका और पार्टी गंभीरता से विचार कर रहे हैं.
वैसे तो शुरुआत से ही प्रियंका चुनाव लड़ने के बजाय यूपी में पार्टी को मजबूत करने के मूड में रहीं, लेकिन बड़ी चुनौती के मद्देनजर वो बनारस से लड़ने को तैयार हैं. हालांकि, आखिरी फैसले से पहले वो बाकी विपक्षी दलों का रुख और राहुल सोनिया समेत बड़े नेताओं से अंतिम चर्चा भी कर रही हैं. यानी अगर आखिर में प्रियंका ने बनारस से उम्मीदवारी जता दी तो 2019 में पूरा देश बनारस में एक ऐसा चुनाव देखेगा, जिसका नतीजा कुछ भी हो लेकिन इतिहास में हमेशा याद किया जाएगा.
अभिनंदन पाठक ने कहा कि मैं वाराणसी से 26 तारीख को नामांकन दाखिल करूंगा. साथ ही लखनऊ से भी नामांकन दाखिल किया है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को आड़े हाथों लेते हुए अभिनंदन पाठक ने कहा कि बीजेपी जुमलों के लिए जानी जाने वाली एक पार्टी है, जिसने लोगों को अच्छे दिन का वादा किया था. बीजेपी ने हर नागरिक को 15 लाख रुपये देने का वादा किया गया था और अब वे हमें पकौड़ा बेचने के लिए कह रहे हैं. वे अली बनाम बजरंगबली का मुद्दा उठा रहे हैं.
पाठक ने कहा कि मैं जीतने के लिए चुनाव लड़ रहा हूं और लोग पार्टी के खिलाफ वोट देकर जुमलों के लिए बीजेपी को अपना जवाब देंगे. बीजेपी के ‘मैं भी चौकीदार’ अभियान पर निशाना साधते हुए अभिनंदन पाठक ने कहा कि जो लोग खुद को चौकीदार कहते हैं, वे नहीं जानते कि गरीबी क्या है?
अली और बजरंगबली के मुद्दे पर अभिनंदन का कहना है कि ईश्वर और अल्लाह एक ही हैं. मुझे अली और बजरंगबली, दोनों का समर्थन मिला है. मैं कांग्रेस पार्टी के लिए प्रचार करना चाहता हूं और जुमला सरकार को बेनकाब करूंगा.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की तारीफ करते हुए अभिनंदन पाठक ने कहा कि मैं लखनऊ से जीतने जा रहा हूं और केवल राहुल गांधी का समर्थन करूंगा. मैं उन्हें अगले पीएम के रूप में देखना चाहता हूं. वे एक ईमानदार आदमी हैं.
बता दें कि अभिनंदन पाठक ने लखनऊ से गृहमंत्री राजनाथ सिंह के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर भी अपना नामांकन दाखिल किया है. अभिनंदन पाठक ने 2014 के लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी और बीजेपी के लिए चुनाव प्रचार किया था, मगर इस बार उन्होंने कांग्रेस के लिए प्रचार करने की बात कही थी.
लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर बनारस में विश्वनाथ मंदिर की एक गली इन दिनों चर्चा में है. क्योंकि इस गली के दुकानदारों ने एक तख्ती लगा रखी है. तख़्ती बता रही है कि 2014 को ये लोग अपनी भूल मान रहे हैं. ये दुकानदार विश्वनाथ मंदिर के ढुंढिराज प्रवेश द्वार से छत्ता द्वार तक के बीच की गली के हैं जिनकी दुकाने चौड़ीकरण की वजह से तोड़ी जा रही हैं. बनारस में जब एनडीटीवी के संवाददाता ग्राउंड रिपोर्ट के लिए पहुंचे तो उन्होंने पाया कि 80 साल के परमेश्वर जी ने अपनी दुकान पर ये तख़्ती लगा रखी है. उन्होंने 45 साल के बेटे को खोया है. उन्हें अपने परिवार और चार बच्चों को पालना है. अकेला सहारा पूजा सामग्री की यही दुकान है. ढुंढिराज प्रवेश द्वार से छत्ता द्वार तक के बीच की गली की ये दुकान भी टूट रही है.
दुकानदार परमेश्वर नाथ कहते हैं कि ‘हमारा लड़का मर गया. अब परिवार का रोज़ी रोटी चलाना मुश्किल हो गया है. हमारा हांथ टूट गया और परेशानी बढ़ गई. यहां के लोगों से मदद लेकर दूकान खोल लेता हूं. दस बीस मिल जाता है. बस बाबा विश्वनाथ हैं जो चाहेंगे वही होगा. दरअसल, इस गली में तकरीबन साठ से ज़्यादा दुकाने हैं जिन पर ये कहर टूटा है. ख़ास बात ये है कि ये दुकानें विश्वनाथ कॉरिडोर प्रोजेक्ट में नहीं बल्कि विश्वनाथ मन्दिर विस्तारीकरण में टूट रही हैं. लिहाजा इनका मुवावज़ा भी अलग है. पर इन दुकानदारों को अपने मुवावजे से ज़्यादा अपने बेरोज़गार होने का दर्द है.
वहीं, दुकानदार धीरज गुप्ता कहते हैं कि “जो रोज़गार देने वाली सरकार है, रोज़गार का दवा करने वाली सरकार है, आज इस भवन को खरीद कर हम लोगों को बेदखल कर रही है. आगे जीविका का खतरा है. इसलिए हम लोग ये तख्ती लगाये हैं- ‘एक ही भूल कमल का फूल’. हमारी मांग ये है कि हमारी दूकान सत्तर-अस्सी साल पुरानी है. इसके एवज़ में सरकार हमें रोज़गार के लिए दूकान उपलब्ध कराये जिससे हम रोज़गार कर सके.
हालांकि बीजेपी नेता कह रहे हैं कि लोगों ने ये मकान अपनी इच्छा से दिए हैं और उन्हें उचित मुवावज़ा भी मिला फिर भी अगर कोई शिकायत है तो बात करेंगे.
राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुंचे. इस मौके पर उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन-पूजन किया.
उन्होंने कहा कि वाराणसी का विकास नहीं हुआ है. पत्रकारों से वार्ता में उन्होंने कहा कि पांच साल के दौरान वाराणसी में विकास नहीं हुआ है. प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के सवाल पर तेजप्रताप यादव ने कहा, “क्या काम हो रहा है, ये मोदी जी ही जानेंगे और जनता सब देख रही है.”
कमाल आर खान (KRK) ने अब ट्वीट कर कहा है कि उद्योगपति मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) को देश का प्रधानमंत्री बना देना चाहिए. इस तरह कमाल आर खान ने नेताओं पर तंज कसा है
नई दिल्ली: जहां एक तरफ सरकार करदाताओं के पैसों से बैंकों को पूंजी उपलब्ध करा रही है, वहीं दूसरी तरफ बैंक भारी मात्रा में लोन न लौटाने वालों के कर्ज को ठंडे बस्ते में डाल रहे हैं. आलम ये है कि बैंकों ने वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान दिसंबर 2018 तक में ही 1,56,702 करोड़ रुपये के बैड लोन को राइट ऑफ (बट्टा खाते में डालना) किया है. इस हिसाब से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के आंकड़ों के मुताबिक पिछले 10 सालों में सात लाख करोड़ से ज्यादा के बैड लोन को राइट ऑफ किया गया है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक राइट ऑफ किए गए कुल लोन का करीब 80 फीसदी हिस्सा पिछले पांच सालों में (अप्रैल 2014 से) राइट ऑफ किया गया. अप्रैल 2014 से लेकर अब तक में कुल 5,55,603 करोड़ रुपये का लोन राइट ऑफ किया गया है.
रिपोर्ट के मुताबिक, बैड लोन या ग़ैर निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) की संख्या कम दिखाने की जल्दबाजी में बैंकों ने 2016-17 में 1,08,374 करोड़ और 2017-18 में 1,61,328 करोड़ का लोन राइट ऑफ किया.
इसके बाद वित्त वर्ष 2018-19 को पहले छह महीने में 82,799 करोड़ और अक्टूबर-दिसंबर 2018 के बीच में 64,000 करोड़ का लोन राइट ऑफ किया गया.
गौरतलब है कि बैंक सामान्यतया उन कर्जों को राइट ऑफ या बट्टा खाते में डालते हैं जिनकी वसूली करना उनके लिए मुश्किल होता है. बैंको का दावा है कि लोन को राइट ऑफ किए जाने के बाद भी कर्ज वापस करने पर दबाव डाला जाता है, हालांकि सूत्रों ने बताया कि 15-20 फीसदी से ज्यादा के लोन की वसूली नहीं हो पाती है. साल दर साल राइट ऑफ किए गए लोन का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है और वसूली की दर कम हो रही है. आरबीआई ने बैंकों को जारी एक सर्कुलर में कहा था कि वसूली की सभी संभावित कोशिश करने के बाद ही लोन को राइट ऑफ किया जाना चाहिए.
हैरानी की बात ये है कि इतने भारी मात्रा में लोन राइट ऑफ करने के बाद भी न तो बैंक और न ही आरबीआई ये जानकारी दे रही है कि आखिर ये कौन लोग हैं जिनके इतने लोन राइट ऑफ किए गए हैं.
बैंक यूनियन लंबे समय से सरकार से डिफॉल्टरों के नाम सार्वजनिक करने की मांग कर रहे हैं.