वाराणसी में महागठबंधन ने बड़ा मास्टरस्ट्रोक चला
वाराणसी में महागठबंधन ने बड़ा मास्टरस्ट्रोक चला #
- BSF से बर्खास्त तेज बहादुर काशी से PM मोदी के खिलाफ लड़ेंगे चुनाव # वाराणसी में अंतिम चरण में 19 मई को चुनाव होने हैं.
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके ही गढ़ वाराणसी में घेरने के लिए महागठबंधन ने बड़ा मास्टरस्ट्रोक चला है. समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने वाराणसी में अपनी उम्मीदवार शालिनी यादव को हटा, बीएसएफ के पूर्व जवान तेज बहादुर यादव को मैदान में उतारा है. तेज बहादुर यादव पहले प्रधानमंत्री के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ रहे थे.
लेकिन सोमवार को तेज बहादुर यादव ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर अपना नामांकन दाखिल किया. वह गठबंधन के उम्मीदवार होंगे. आम आदमी पार्टी ने भी तेज बहादुर यादव का समर्थन कर दिया है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी ट्वीट कर तेज बहादुर यादव को समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि PM को चुनौती देने के लिए तेजबहादुर को सलाम.
अखिलेश जी, आपको बहुत बहुत बधाई
PM को चुनौती देने के लिए तेज़ बहादुर को सलाम
एक तरफ़ माँ भारती के लिए जान दाँव पर लगाने और जवानों के हक़ की लड़ाई में अपनी नौकरी गँवाने वाला शख़्स
दूसरी ओर जवानों की आवाज़ उठाने वाले की नौकरी छीनने और जवानों की लाशों पर वोट माँगने वाला शख़्स https://t.co/xRJvJg1maV
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) April 29, 2019
आपको बता दें कि 2017 में बीएसएफ जवान तेज बहादुर यादव ने एक वीडियो जारी किया था, जिसमें उन्होंने जवानों को मिलने वाले खाने की क्वालिटी को लेकर शिकायत की थी. तभी से वह चर्चा में आए थे, हालांकि उस विवाद के बाद उन्हें बर्खास्त कर दिया गया था. तभी से वह केंद्र सरकार के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं.
बीते दिनों ही तेज बहादुर यादव ने ऐलान किया था वह भ्रष्टाचार के मुद्दे पर चुनाव लड़ रहे हैं. उन्होंने तब कहा था कि मैंने भ्रष्टाचार का मामला उठाया लेकिन मुझे बर्खास्त कर दिया गया. मेरा पहला उद्देश्य सुरक्षा बलों को मजबूत करना और भ्रष्टाचार खत्म करना होगा.
साफ है कि एक तरफ भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रवाद के मुद्दे पर इस लोकसभा चुनाव में आगे बढ़ रही है, तो वहीं महागठबंधन ने अब उनके सामने एक पूर्व सैनिक को ही मैदान में उतार लड़ाई को दिलचस्प कर दिया है. हालांकि, क्या कांग्रेस तेज बहादुर यादव का समर्थन करेगी अभी इसकी पुष्टि नहीं की गई है.
अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी में सपा-बसपा-आप की तरफ से बीएसएफ के पूर्व जवान तेज बहादुर यादव, कांग्रेस की ओर से अजय राय, पूर्व जस्टिस एस. कर्णन, तमिलनाडु के कई किसान चुनाव लड़ रहे हैं.
अभी कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी से अपना नामांकन किया था. पीएम ने वाराणसी में एक मेगा रोड शो किया था और अपनी ताकत का एहसास कराया था. उनके नामांकन के दौरान एनडीए के कई दिग्गज भी साथ रहे थे, जिसमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, अकाली दल के नेता प्रकाश सिंह बादल, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे समेत कई अन्य नेता भी शामिल रहे थे.
2017 में जब तेज बहादुर ने वीडियो अपलोड किया था, तब वह जम्मू-कश्मीर में बॉर्डर के पास तैनात थे. उन्होंने सैनिकों को मिलने वाले खाने की क्वालिटी पर सवाल खड़े किए थे. लेकिन बीएसएफ ने उन्हें अनुशासनहीनता का आरोपी माना था और बाद में उन्हें बर्खास्त कर दिया था.
सोशल मीडिया पर छाए वीडियो से हीरो बने थे तेजबहादुर
बीएसएफ जवान रहे तेज बहादुर यादव दो साल पहले एक वीडियो से सुर्खियों में आए थे. उन्होंने फौजियों को मिलने वाले खाने का एक वीडियो बनाया था जो सोशल मीडिया में वायरल हो गया था. उन्होंने वीडियो में फौजियों को मिलने वाले खाने की गुणवत्ता बेहद खराब बताते हुए तमाम आरोप लगाए थे. उन्होंने कहा था कि खाने की शिकायत करने के बाद भी अफसर कोई सुनवाई नहीं करते हैं. यहां तक कि गृह मंत्रालय ने भी उनकी चिट्ठी पर कोई जवाब नहीं दिया. इस वीडियो के जरिए उन्होंने देशभर से सिंपैथी बटोरी थी. आनन-फानन में सेना ने जांच के आदेश दे दिए थे, जिसमें वे दोषी पाए गए और उन्हें बीएसएफ से निकाल दिया गया.
फौज के नाम पर राजनीति करने वाले PM को सिखाना है सबक
हरियाणा निवासी तेजबहादुर यादव अब जंग के मैदान से निकलकर सीधे चुनावी मैदान में उतर चुके हैं. चुनाव में उन्होंने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती दी है. बनारस की गलियों में चुनाव प्रचार के दौरान तेज बहादुर कह रहे हैं कि वे काशी विश्वनाथ के आशीर्वाद से नकली चौकीदार को हराना चाहते हैं. तेज बहादुर का कहना है कि वे फ़ौज के नाम पर राजनीति करने वालों को हराना चाहते हैं.
मैं असली चौकीदार, पीएम मोदी नकली चौकीदार
जिस राष्ट्रवाद की लहर पर सवार हो बीजेपी 2019 के चुनावी मैदान में उतरी है, उसी लहर का आसरा तेजबहादुर को भी है. खुद को असली चौकीदार बताते हुए तेज बहादुर कह रहे हैं कि सालों से वे देश की सरहद की हिफाजत करते रहे हैं, लिहाजा वे ही असली चौकीदार हैं.
प्रियंका गांधी के लड़ने की थीं अटकलें
बनारस में अभी तक पीएम नरेंद्र मोदी के सामने कांग्रेस की ओर से पिछली बार के प्रत्याशी रहे अजय राय मैदान में हैं तो सपा-बसपा की तरफ से तेज बहादुर यादव. इस हाईप्रोफाइल सीट से कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के भी लड़ने की अटकलें थीं, लेकिन बाद में कांग्रेस ने फैसला बदल दिया.
अतीक अहमद निर्दलीय ठोकेंगे ताल
शिवपाल यादव की पार्टी प्रगतिशील समाजवादी लोहिया पार्टी की तरफ से अतीक अहमद के लड़ने की अटकलें थीं, लेकिन रविवार को अतीक की पत्नी ने ऐलान कर दिया कि उनके शौहर बनारस से निर्दलीय ताल ठोकेंगे. अतीक अहमद ने कोर्ट से चुनाव प्रचार के लिए पैरोल देने की मांग की थी, लेकिन सोमवार को कोर्ट ने आपराधिक रिकॉर्ड का हवाला देते हुए जमानत याचिका खारिज कर दी.
मुस्लिम वोटरों पर अतीक का प्रभाव
2011 की जनगणना के मुताबिक काशी की जनसंख्या 36.8 लाख है जिसमें 19.2 लाख पुरुष और 17.5 लाख महिलाओं की आबादी शामिल है. वाराणसी में 85 फीसदी आबादी हिंदुओं की है जबकि 15 फीसदी मुस्लिम समाज के लोग रहते हैं. अतीक अहमद के आने से यही 15 फीसदी मतदाता नतीजों पर असर डाल सकते हैं.
कौन हैं शालिनी यादव, जिनका कटा टिकट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी लोकसभा सीट पर महागठबंधन की ओर से सपा ने पेशे से फैशन डिजाइनर शालिनी यादव को उम्मीदवार बनाया था. वह सोमवार को ही कांग्रेस छोड़कर सपा में शामिल हुई हैं. मोदी को टक्कर देने के लिए अखिलेश यादव ने उन्हें मैदान में उतारा था, लेकिन ऐन वक्त पर सपा ने अपना उम्मीदवार बदलते हुए बीएसएफ जवान तेज बहादुर को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया. शालिनी के ससुर श्याम लाल यादव कभी गांधी परिवार के सिपहसलारों में से थे. वाराणसी में शालिनी यादव कांग्रेस के टिकट पर मेयर का चुनाव भी लड़ चुकी हैं. हालांकि सफलता उन्हें नहीं मिली.
बीते साल BJP प्रत्याशी के रूप में विजयी रहे नरेंद्र मोदी ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी अरविंद केजरीवाल को वाराणसी सीट से कुल 3,71,784 वोटों के भारी अंतर से हराया था. नरेंद्र मोदी को कुल 5,81,022 वोट मिले थें. वहीं, दूसरे स्थान पर रहे अरविंद केजरीवाल को 2,09,238 मत मिले. जबकि कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय 75,614 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे. वहीं चौथे स्थान पर बहुजन समाज पार्टी और पांचवें स्थान पर समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार थे.
उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में वाराणसी का अलग ही महत्व रहा है. मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पहले भूतपूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर, कांग्रेस के दिग्गज कमलापति त्रिपाठी, दिवंगत प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के पुत्र अनिल शास्त्री और केंद्रीय मंत्री रहे BJP के मार्गदर्शक मंडल के सदस्य व वरिष्ठतम नेताओं में से एक मुरली मनोहर जोशी भी यहां से सांसद रह चुके हैं. वर्ष 1957 और 1962 में कांग्रेस के रघुनाथ सिंह इस सीट से जीते थे, लेकिन 1967 में CPM के सत्यनारायण सिंह ने यहां कब्ज़ा कर लिया. उसके बाद 1971 में कांग्रेस ने राजाराम शास्त्री के ज़रिये इस सीट पर फिर कब्ज़ा जमाया, लेकिन 1977 में एमरजेंसी के चलते कांग्रेस-विरोधी लहर में भारतीय लोकदल की टिकट पर चुनाव लड़े चंद्रशेखर वाराणसी के सांसद बने. 1980 में कांग्रेस की वापसी हुई, और कमलापति त्रिपाठी ने इस सीट पर कब्ज़ा किया, और फिर 1984 में भी कांग्रेस के ही श्यामलाल यादव ने वाराणसी से जीत हासिल की. 1989 में जनता दल की टिकट से अनिल शास्त्री सांसद बने, और फिर 1991 से चार चुनाव तक यहां BJP का दबदबा बना रहा, और 1991 में श्रीश चंद्र दीक्षित के बाद 1996, 1998 और 1999 में शंकर प्रसाद जायसवाल ने जीत दर्ज की.
2004 के आम चुनाव में एक बार फिर यहां कांग्रेस की वापसी हुई, और राजेश मिश्र ने चुनाव जीता, लेकिन अगले ही चुनाव में 2009 में BJP के दिग्गज मुरली मनोहर जोशी ने इस सीट पर कब्ज़ा कर लिया. अगले चुनाव, यानी 2014 के आम चुनाव में सीट पर BJP ने अपने प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी को टिकट दिया, जो भारी अंतर से जीत दर्ज कर लोकसभा पहुंचे.