दिल के अरमां आंसूओ में बह गये; उत्तराखण्ड में कोहराम
उत्तराखण्ड राज्य में कोहराम वाले हालात ; महासंग्राम तय है, पर तरकश खाली -धनुष खाली* राजकोष खाली- कौन सा बाण चलाकर जनता के बीच जाये- सलाहकार अपनी हंडिया भरने में लगे हैं वही उधेडबुन में है मुखिया – जनता के बीच में चर्चा है कि मुखिया को गढवाल से आशा नही- सिर्फ कुमायूं के भराेसे तथा पीडीएफ के भरोसे फिर से मुख्यमंत्री पद की आस है- गढवाल-कुमायूंवाद, ब्राहमण-ठाकुरवाद, पहाडी-देशीवाद यह सब वायरल है, परन्तु मुखिया अनजान है तो वही मुखिया की नकारा टीम तो सत्ता का आनंद ले रही है, 2 का 20, 20 का 200, 200 का 2000 का गणित फलफूल रहा है वही
इसी उधेडबुन के बीच चर्चा छा गयी कि बरेली निवासी मुस्लिम नेता को उत्तराखण्ड सरकार में लालबत्ती तथा दायित्व सौंपा गया है, इस तरह उत्तराखण्ड राज्य में कोहराम वाले हालात है- हिमालयायूके न्यूज पोर्टल की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट
वही लीडिंग समाचार पत्रों को प्रायोजित समाचारों हेतु रणनीति के तहत आल नैशनल संस्करण के विज्ञापन देने केे निर्देश सूचना विभाग को दिये गये हैं जिससे उत्तराखण्ड के विज्ञापन पुरे देश में छप रहे हैं,
उत्तराखण्ड के लघु एवं मध्यम समाचार पत्रों को ठेगा दिखाया जा रहा हैं, यह सब जनता के बीच खबर छन कर जाये तथा छवि निखारने वाली खबर ही जाये, एक रणनीति जरूर हो सकती है परन्तु खबर छन कर जाये- पायोजित जाये, इसलिए समाचार पत्रों को ऑल नैशनल संस्करण विज्ञापन बांटे नही लुटाये जा रहे हैं,
वही जनता के बीच छन कर आ रही खबरों के अनुसार ही गढवाल में कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक होने के प्रबल चांस है वही कुमायूं के भरोसे फिर से सत्त्ता में आने की रणनीति भी ख्याली पुलाव साबित हो सकती है- कुमायूं समाज भी उपेक्षा का शिकार है-
राहुल गॉधी की रैली में मुखिया को जिस तरह की खबर सोशल मीडिया में छायी रही, उससे यह साफ जाहिर हुआ कि हरीश रावत जी का मीडिया मैनेजमेन्ट एक बार फिर असफल ही नही बुरी तरह से फेल हुआ है, जनता के बीच में जिस तरह की चर्चाएं वयाप्त है, उससे बार बार अहसास हो रहा है कि मुखिया का मीडिया मैनेजमेन्ट बुरी तरह से फेल साबित हुआ है,
कॉकस भूल गया है कि यह डिजिटल मीडिया का जमाना है, कुछ समाचार पत्रों को/ कुछ चैनलों को मैनेज करना मीडिया मैनेजमेन्ट नही माना जाता- आज ऐसी कई खबरें सोशल मीडिया में वायरल हो जा रही है जिसको चैनल तथा प्रिन्ट मीडिया दो दिन के बाद पकड पाते हैं, परन्तु जनता को, आम जन को अपने मुखिया से जो आशा थी वो दिल के अरमां आसूओं में बह गये- कैसे और क्यों,
कांग्रेस की रोजाना गिरती स्थिति पर कांग्रेस हाई कमान भी चिंतित है परन्तु विधानसभा चुनावों की पूर्व संध्या पर हाईकमान कोई कदम भी नही उठा सकता, वही कांग्रेस में संगठन और सरकार का युद्व से कांग्रेस की स्थिति निरंतर खराब होती जा रही है-
उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने मुख्यमंत्री हरीश रावत से राज्य गठन से लेकर अब तक सामने आए भ्रष्टाचार और घोटालों के विभिन्न प्रकरणों की न्यायिक जांच कराने की मांग करते हुए राज्य की जनता के सामने शुचिता का उदाहरण प्रस्तुत करने को कहा. तो अगले दिन मुख्यमंत्री का बयान आता है कि वह राज्य में किसी का भी भ्रष्टाचार खोलने के मूड में नही है- वर्ष 2000 में राज्य गठन से लेकर अब तक के 16 वर्षों के अल्पकाल में घपले, घोटाले और भ्रष्टाचार के मामलों के लगातार प्रकाश में आने से प्रदेश की छवि के धूमिल होने की बात कहते हुए उपाध्याय ने कहा, ‘अब राज्य में कांग्रेस की सरकार है और हमारी सरकार को इस संबंध में समय रहते ठोस निर्णय लेकर उपरोक्त अवधि के भ्रष्टाचार और घोटालों की जांच उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को सौंपकर जनता के सामने शुचिता का उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए.’ इस संबंध में उपाध्याय ने रावत को याद दिलाया कि भ्रष्टाचार एवं अनियमितताओं के प्रकरणों को वह राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्यपाल एवं उससे पहले उनके संज्ञान में भी लाते हुए निष्पक्ष जांच की मांग कर चुके हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने तथा मुख्यमंत्री ने संयुक्त रूप से राष्ट्रपति शासन के दौरान 18 अप्रैल को राज्यपाल से इस संबंध में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के माध्यम से भ्रष्टाचार के सभी प्रकरणों की जांच की मांग की थी.