04 जुलाई रथयात्रा ;भगवान जगन्नाथ वर्ष में एक बार जनसामान्य के बीच- मंदिर से जुड़ी बातें जो करती हैं हैरान-
भगवान जग न्नाथ जी की मुख्य लीला भूमि उड़ीसा की पुरी है जिसको पुरुषोत्तम पुरी भी कहा जाता है. राधा और श्रीकृष्ण की युगल मूर्ति के प्रतीक स्वयं श्री जगन्नाथ जी हैं और कृष्ण भी उनका एक अंश हैं. उड़ीसा में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की काष्ठ की अर्धनिर्मित मूर्तियां स्थापित हैं, जिनका निर्माण राजा इन्द्रद्युम्न ने कराया था. ओडिशा की तीर्थ नगरी पुरी में आज से भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा शुरू होने वाली है. यहां जगन्नाथ रथ उत्सव 10 दिन तक मनाया जाता है. इस उत्सव को मनाने के लिए लाखो की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं. इस रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ का ही नहीं बल्कि तीनों भाई-बहन के रथों के रंग अलग होते हैं.
भगवान जगन्नाथ जी की रथयात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को जगन्नाथपुरी में आरंभ होती है. रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ वर्ष में एक बार जनसामान्य के बीच जाते हैं, इसलिए इसका इतना ज्यादा महत्व है. भगवान जगन्नाथ जी की रथयात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को जगन्नाथपुरी में आरंभ होती है और दशमी तिथि को समाप्त होती है. रथयात्रा में सबसे आगे ताल ध्वज पर श्री बलराम, उसके पीछे पद्म ध्वज रथ पर माता सुभद्रा व सुदर्शन चक्र और अंत में गरुण ध्वज पर श्री जगन्नाथ जी सबसे पीछे चलते हैं.
भगवान जगन्नाथ आषाढ़ शुक्ल द्वितीया से दशमी तक जनसामान्य के बीच रहते हैं. इसी समय मे उनकी पूजा करना और प्रार्थना करना विशेष फलदायी होता है. इस बार भगवान की रथयात्रा 04 जुलाई से आरम्भ होगी. इसी समय मे भगवान की रथ यात्रा मे शामिल हों, साथ ही भगवान जगन्नाथ की उपासना करें. अगर आप मुख्य रथयात्रा में भाग नहीं ले सकते तो किसी भी रथ यात्रा में भाग ले सकते हैं. अगर यह भी सम्भव नहीं है तो घर पर ही भगवान जगन्नाथ की उपासना करें, उन्हें भोग लगायें और उनके मन्त्रों का जाप करें.
एक्ट्रेस से सांसद बनीं नुसरत जहां कोलकाता में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में शामिल हुईं. नुसरत जहां को बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया है. यहां नुसरत ने भगवान जगन्नाथ की आरती भी की. रथ यात्रा में दौरान पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी मौजूद रहीं. नुसरत ने ममता के साथ भगवान का रथ भी खींचा. बता दें कि नुसरत जहां पश्चिम बंगाल की बसीरहाट लोकसभा सीट से तृणमूल कांग्रेस की सांसद हैं. इस रथ यात्रा में नुसरत के पति निखिल जैन भी शामिल हुए. नुसरत पैरेट ग्रीन कलर की साड़ी पहने नजर आईं. सिर पर पल्लू, मांग में सिंदूर, गले में मंगलसूत्र और हाथ में लाल चूड़ा पहने नुसरत बेहद खूबसूरत लग रही थीं.
खास बात यह है कि रंग के साथ इनके नाम भी अलग-अलग होते हैं. भगवान जगन्नाथ के रथ को ‘गरुड़ध्वज’ या ‘कपिलध्वज’ कहा जाता है. तीनों रथों में ये सबसे बड़ा रथ होता है. इस रथ में कुल 16 पहिए लगे होते हैं. भगवान जगन्नाथ के रथ की ऊंचाई 13.5 मीटर होती है. इस रथ में लाल और पीले रंग के कपड़े का इस्तेमाल होता है.
माना जाता है कि इस रथ की रक्षा गरुड़ करते हैं. रथ पर लगे ध्वज को ‘त्रैलोक्यमोहिनी” कहते हैं. वैसे तो पुरी का जगन्नाथ मंदिर विश्वभर में प्रसिद्ध है बावजूद इसके इस मंदिर से जुड़ी कई ऐसी बातें हैं जिनके बारे में बहुत कम ही लोग जानते हैं. आइए जानते हैं भगवान जगन्नाथ मंदिर से जुड़ी वो 7 बातें जो आपको हैरान कर सकती है.
भगवान जगन्नाथ मंदिर से जुड़ी 7 बातें जो करती हैं हैरान-
1-जगन्नाथ पुरी में किसी भी स्थान से आप मंदिर के शीर्ष पर लगे सुदर्शन चक्र को देखेंगे तो वह आपको सदैव अपने सामने ही लगा दिखेगा.
2-मंदिर के ऊपर स्थापित ध्वज सदैव हवा के विपरीत दिशा में लहराता है.
3-इस मंदिर का रसोईघर दुनिया का सबसे बड़ा रसोईघर है.
4-प्रतिदिन सायंकाल मंदिर के ऊपर स्थापित ध्वज को मानव द्वारा उल्टा चढ़कर बदला जाता है.
5-मंदिर के सिंहद्वार में पहला कदम रखते ही मंदिर के भीतर किसी भी भक्त को सागर द्वारा निर्मित ध्वनि नहीं सुनाई देती लेकिन जैसे ही आप मंदिर से बाहर एक भी कदम रखते हैं आप इस आवाज को सुन पाएंगे.
6-जगन्नाथ पुरी के रसोईघर में भगवान जगन्नाथ को चढ़ाए जाने वाले महाप्रसाद को बनाने के लिए 500 रसोइए और उनके 300 सहायक-सहयोगी एकसाथ काम करते हैं. यहां सारा प्रसाद मिट्टी के बर्तनों में ही पकाया जाता है.
7-हैरानी की बात यह है कि इस मंदिर के ऊपर से कभी भी आप किसी पक्षी या विमान को उड़ते हुए नहीं देखेंगे.
ग्रह पीड़ा से मुक्ति पाने का प्रयोग-
– पीले वस्त्र धारण करके भगवान जगन्नाथ का पूजन करें – उनको चन्दन लगायें , विभिन्न भोग प्रसाद और तुलसीदल अर्पित करें – इसके बाद गजेंद्र मोक्ष का पाठ करें, या गीता के ग्यारहवें अध्याय का पाठ करें – भोग प्रसाद खुद भी खाएं और दूसरों को भी खिलाएं – जो कोई भी इस प्रसाद को खायेगा , उसकी बाधाओं का नाश होगा
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