मिले भाई को खुशियां हजार- अटूट रिश्ते को समर्पित- भाई दूज आज
मिले भाई को खुशियां हजार
प्रमुख हिंदू त्योहारों मे से एक भाई दूज का पर्व बहन और भाई के बीच अटूट रिश्ते को समर्पित है। यह पर्व दिवाली के 2 दिन बाद कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। भाई दूज के त्योहार में बहनें अपने भाईयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी आरती करके भगवान से उनकी लंबी आयु और अच्छे भविष्य की कामना करती हैं। Presented by; www.himalayauk.org (Leading Newsporal) CS JOSHI- EDITOR Mob. 9412932030
29 अक्टूबर, मंगलवार टीका-प्रात: 06:26 से सायं 5:34 मिनट तक – पंडित चंडिका प्रसाद के अनुसार, भाई के तिलक का शुभ मुहूर्त दोपहर 1:11 से 3:23 बजे तक रहेगा। मान्यता के मुताबिक भैया दूज पर्व भगवान सूर्यदेव और छाया के पुत्र-पुत्री यमराज-यमुना से संबंधित है। यमुना अक्सर अपने भाई यमराज से स्नेहवश निवेदन करती थी कि वे उनके घर आकर भोजन ग्रहण करें।
बहन चाहे सिर्फ प्यार दुलार,
नही मांगती बड़े उपहार,
रिश्ता बना रहे सदियों तक,
मिले भाई को खुशियां हजार
भाई दूज की ढेर सारी शुभकामनाएं…
हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भैया दूज का त्योहार मनाया जाता है. दीपावली के दो दिन बाद भैया दूज आता है. इस बार भाई दूज या यम द्वितीया 29 अक्टूबर को है. मान्यता है कि भाई दूज के दिन अगर भाई-बहन यमुना किनारे बैठकर साथ में भोजन करें तो यह अत्यंत मंगलकारी और कल्याणकारी होता है. दीवाली (Diwali) के दो दिन बाद आने वाले इस त्योहार को यम द्वितीया (Yam Dwitiya) भी कहा जाता है. इस दिन मृत्यु के देवता यम की पूजा (Yam Puja) का भी विधान है. भाई को तिलक लगाकर उनकी आरती उतारें. भाई को यथाशक्ति अपनी बहन को उपहारा या भेंट देनी चाहिए. पूजा होने तक भाई-बहन दोनों को ही व्रत करना होता है. पूजा संपन्न होने के बाद भाई-बहन साथ में मिलकर भोजन करें. भैया दूज को ‘भ्रातृ द्वितीय’ भी कहा जाता है| अपने भाइयों के स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए बहनें पूजा-अर्चना करें| प्रातःकाल में स्नानादि से निवृत होकर बहनें अपने भाइयों को एक आसन पर बिठाएं| तत्पश्चात दीप-धूप से आरती उतारकर रोली एवं अक्षत से भाइयों का तिलक करें और उन्हें अपने हाथ से भोज कराये| ऐसा करने से भाई की आयु वृद्धि होती है और उनके जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं| इस दिन बहन के घर भोज करने का विशेष महत्व माना जाता है| भाई दूज या भैया दूज का त्योहार मंगलवार (29 अक्टूबर) को मनाया जाएगा. इस पर्व को भाई-बहन के अपार प्रेम और समर्पण का प्रतीक माना जाता है. इस पर्व को दिवाली के दो दिन बाद मनाया जाता है. इस त्योहार को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र के लिए मृत्यु के देवता यम की पूजा करती है और लंबी उम्र की कामना करती है. हिन्दू पंचांग के मुताबिक कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भैया दूज का त्योहार मनाया जाता है.
भैया दूज की तिथि और शुभ मुहूर्त
भैयादूज / यम द्वितीया की तिथि: 29 अक्टूबर 2019
द्वितीया तिथि प्रारंभ: 29 अक्टूबर 2019 को सुबह 06 बजकर 13 मिनट
से
द्वितीया तिथि समाप्त: 30 अक्टूबर 2019 को सुबह 03 बजकर 48 मिनट
तक
भाई दूज अपराह्न समय: दोपहर 01 बजकर 11 मिनट से दोपहर 03 बजकर 23 मिनट तक
कुल अवधि: 02
घंटे 12 मिनट
बहन का प्यार किसी दुआ से कम नही होता,
दूर रहकर भी, भाई-बहन का प्यार कम नही होता।
भाई दूज की शुभकामनाएं
मान्यता यह है कि रूई और बेसन की माला जितनी लंबी होगी, भाई की उम्र उतनी ही लंबी होगी। टोटका काटने के लिए बहनें भाइयों को श्राप देंगी और फिर अपनी जीभ पर भटकटइया के काटें चुभाएंगी। इस दौरान महिलाएं एक दूसरे को लोक कथाएं भी सुनाएंगी। भाई को अपनी बहनों के घर जाना चाहिए। टीका की रस्म के बाद बहनों के हाथ का पका हुआ भोजन ग्रहण करना चाहिए। फिर अपनी सामर्थ्य के अनुसार द्रव्य, वस्त्र, मिष्ठान आदि भेंट कर बहनों *का आदर करना चाहिए।
रक्षाबंधन पर्व के समान भाई दूज पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है| इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है| भाई दूज का पर्व भाई बहन के रिश्ते पर आधारित पर्व है, भाई दूज दीपावली के दो दिन बाद आने वाला एक ऐसा उत्सव है, जो भाई के प्रति बहन के अगाध प्रेम और स्नेह को अभिव्यक्त करता है| इस दिन बहनें अपने भाईयों की खुशहाली के लिए कामना करती हैं|
पौराणिक कथा के अनुसार, सूर्य भगवान की पत्नी का नाम छाया था. उनकी कोख से यमराज और यमुना का जन्म हुआ था. यमुना अपने भाई यमराज से बड़ा स्नेह करती थी. वह उससे बराबर निवेदन करती कि इष्ट मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन करो. अपने कार्य में व्यस्त यमराज बात को टालते रहे. फिर कार्तिक शुक्ला का दिन आया. यमुना ने उस दिन फिर यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर, उसे अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया.
यमराज ने सोचा, ”मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं. मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता. बहन जिस सद्भावना से मुझे बुला रही है, उसका पालन करना मेरा धर्म है.’ बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया. यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उसने स्नान कर पूजन करके व्यंजन परोसकर भोजन कराया. यमुना के आतिथ्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन से वर मांगने के लिए कहा.
यमुना ने कहा, ”भद्र! आप प्रति वर्ष इसी दिन मेरे घर आया करो. मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार करके टीका करे, उसे तुम्हारा भय न रहे.’ यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्राभूषण देकर विद ली. तभी से भैया दूज की परंपरा शुरू हुई. ऐसी मान्यता है कि जो भाई इस दिन आतिथ्य स्वीकार करते हैं, उन्हें यम का भय नहीं रहता. इसी वजह से भैया दूज के दिन यमराज और यमुना का पूजन किया जाता है.
भाई दूज का आया है शुभ त्योहार,
बहनों की दुआएं भाइयों के लिए हजार,
भाई बहन का यह अनमोल रिश्ता है बहुत अटूट,
बना रहे यह बंधन हमेशा खूब
भाई दूज की शुभकामनाएं
भैया दूज की तिथि और शुभ मुहूर्त
भैयादूज / यम द्वितीयाः 29 अक्टूबर 2019
द्वितीया तिथि प्रारंभ: 29 अक्टूबर 2019 को सुबह 06 बजकर 13 मिनट से
द्वितीया तिथि समाप्त: 30 अक्टूबर 2019 को सुबह 03 बजकर 48 मिनट तक
भाई दूज करने का समयः दोपहर 01 बजकर 11 मिनट से दोपहर 03 बजकर 23 मिनट तक
कुल समय: 02 घंटे 12 मिनट
खुशनसीब होती है वो बहन,
जिसके सिर पर भाई का हाथ होता है;
हर परेशानी में उसके साथ होता है,
लड़ना-झगडना फिर प्यार से मनाना,
तभी तो इस रिश्ते में इतना प्यार होता है।
भाई दूज की शुभ कामनाएं