दलितों के भारत बंद ने हिंसक रूप धारण कर लिया

दलित संगठनों ने आज भारत बंद बुलाया था। भारत बंद का असर देशभर में देखने को मिला। दलितों के इस बंद ने हिंसक रूप धारण कर लिया। दलित प्रदर्शनकारी बंद के दौरान भी हिंसा पर उतर आए, जिस दौरान 8 लोगों की मौत हो गई । मेरठ में प्रदर्शनकारी हिंसक हो गए थे और कारों में आग लगा दी थी मध्य प्रदेश में 5 राजस्थान में एक और उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद से भी एक शख्स की मौत की खबर है। राजस्थान के बाड़मेर और मध्य प्रदेश के भिंड में दो गुटों में हुई झड़प में करीब 30 लोग जख्मी हुए हैं। बाड़मेर में कई वाहनों में आग लगाई गई है। प्रदर्शनकारियों के बवाल के चलते कई रूट पर ट्रेनें चल नहीं पाईं, साथ ही कई हाईवे घंटों तक जाम रहे। राजस्थान में भी पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प भी हुई। इसमे तीन युवक घायल हुए। दलित संगठनों द्वारा भारत बंद के चलते सभी राज्यों में सुरक्षा के कड़े इंतजाम कर दिए गए थे। SC-ST एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में आज कई दलित संगठनों ने भारत बंद का आह्वान किया है. भारत बंद को कई राजनीतिक पार्टियों और कई संगठनों ने समर्थन भी दिया है. संगठनों की मांग है कि अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 में संशोधन को वापस लेकर एक्ट को पहले की तरह लागू किया जाए. दलित संगठनों के विरोध का सबसे अधिक असर पंजाब में देखने को मिला,

 
उत्तर प्रदेश के एक पुलिस अधिकारी ने हिंसक घटनाओं से आहत होकर राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा भेजा है। प्रशिक्षण मुख्यालय में अपर पुलिस अधीक्षक पद पर तैनात बी पी अशोक ने न्यूज एजेंसी को बताया कि उन्होंने अपना हस्तलिखित राष्ट्रपति को संबोधित इस्तीफा आज दो अप्रैल, 2018 उत्तर प्रदेश के राज्यपाल को भेजा है। राष्ट्रपति को भेजे पत्र में अशोक ने कहा कि देश के मौजूदा हालात से वह काफी आहत हैं। एससी-एसटी कानून को कमजोर किया जा रहा है। संसदीय लोकतंत्र की रक्षा होनी चाहिए। अशोक ने कहा कि उनकी मांगें पूरी की जाएं अन्यथा उनके इस्तीफे का आवेदन स्वीकार किया जाये। पत्र की एक प्रति प्रदेश के पुलिस महानिदेशक डीजीपी कार्यालय को भी भेजी गयी है।
 

कोर्ट के इस फैसले को लेकर देश के कई संगठनों ने विरोध प्रकट किया है. इस फैसले पर बढ़ते विरोध को देखते हुए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक पुनर्विचार याचिका दायर करने की बात कही है. सरकार का कहना है कि एससी- एसटी के कथित उत्पीड़न को लेकर तुरंत होने वाली गिरफ्तारी और मामले दर्ज किए जाने को प्रतिबंधित करने का शीर्ष न्यायालय का आदेश इस कानून को कमजोर करेगा. दरअसल, इस कानून का लक्ष्य हाशिये पर मौजूद तबके की हिफाजत करना है. लोजपा प्रमुख राम विलास पासवान और केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री थावरचंद गहलोत के नेतृत्व में राजग के एसएसी और एसटी सांसदों ने इस कानून के प्रावधानों को कमजोर किए जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर चर्चा के लिए पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की थी. गहलोत ने कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका के लिये हाल ही में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को एक पत्र लिखा था. उन्होंने इस बात का जिक्र किया था कि यह आदेश इस कानून को निष्प्रभावी बना देगा और दलितों एवं आदिवासियों को न्याय मिलने को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करेगा.

ससी-एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में देशव्यापी विरोध के दौरान हिंसा की खबरें हैं। मेरठ के कंकरखेड़ा स्थित आंबेडकर रोड पर प्रदर्शनकारियों ने डीएम और एसपी की गाड़ी पर भी पथराव किया। पूरे बवाल का ठीकरा जिला प्रशासन ने बाहुबली और बसपा के पूर्व विधायक योगेश वर्मा पर ठीकरा फोड़ते हुए उन्हें और उनके समर्थकों को हिरासत में ले लिया। डीएम और एसपी के वाहन पर हमला उस समय हुआ, जब वे बवाल को शांत कराने के लिए पुलिस फोर्स के साथ फ्लैग मार्च करते हुए आगे बढ़ रहे थे। इस दौरान भारी भीड़ ने पत्थरबाजी शुरू कर दी। जिसके बाद पुलिस ने भीड़ पर लाठियां भांजनी शुरू कीं। तब जाकर अफसर सुरक्षित रहे।

जिला प्रशासन ने इस बवाल के पीछे पूर्व बसपा विधायक योगेश वर्मा और उनके समर्थकों का हाथ पाया। जिसके बाद उन्हें हिरासत में ले लिया गया। एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मंजिल सैनी ने पत्रकारों को बताया कि जिले में हुए बवाल, तोड़फोड़ और मारपीट की घटना की जांच में प्रथम दृष्टया पूर्व विधायक योगेश वर्मा का नाम सामने आया है। सभी पर बवाल, आगजनी, पथराव, लूटपाट, तोड़फोड़ आदि की धाराओं व रासुका के तहत कार्रवाई की जा रही है।

मध्य प्रदेश में दलित समुदाय के लोगों द्वारा शहरों में कई जगह तोड़फोड़ की घटनाएं और हंगामा किया गया. ट्रेनें रोकने, सड़कों पर जाम लगाने और आगजनी की प्रदेश भर में घटनाएं होती रहीं. मध्य प्रदेश के कई हिस्सों में दलित और आदिवासी संगठनों द्वारा किए गए प्रदर्शनों ने उग्र रूप अख्तियार कर लिया. कई जगहों पर पथराव और हिंसक झड़पों की खबरें लगातार सुर्खियों में बनी रहीं.
दलित और आदिवासी संगठनों ने सोमवार (2 अप्रैल) को भारत बंद का आह्वान किया. मध्य प्रदेश में कई संगठनों के व्यापक प्रदर्शनों ने हिंसा का रूप ले लिया. हिंसक प्रदर्शनों में ग्वालियर में तीन, भिंड में दो और मुरैना में एक व्यक्ति की मौत हो गई. इसी के साथ अब हिंसक प्रदर्शनों में मरने वालों की संख्या छह हो गई है. बताया जा रहा है कि ग्वालियर में सभी मौतों के पीछे की वजह गोली लगना है. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम (एससी/एसटी एक्ट) पर आरोपित की सीधी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी. इस फैसले के विरोध में ही भारत बंद का ऐलान किया गया था.
ग्वालियर में हिंसक प्रदर्शन के दौरान तीन व्यक्तियों की मौत बाद से ही स्थिति बेकाबू हो गई है. पुलिस द्वारा 6 थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू लगा दिया गया. साथ ही इंटरनेट सेवा भी बंद कर दी गई. ग्वालियर के थाटीपुर और गोले का मंदिर में उपद्रवियों ने जमकर पथराव, आगजनी और फायरिंग भी की. वहीं हिंसक प्रदर्शनों में भिंड के मचंद में महावीर राजावत और मेहगांव में हुए विवाद में घायल एक युवक आकाश गर्ग की मौत गोली लगने से मौत हो गई. आकाश गोली लगने से घायल हुआ था और जिला अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. साथ ही मुरैना में हुई हिंसा में पीजी कॉलेज के छात्र संघ के सचिव राहुल पाठक की भी मौत हो गई. बताया जा रहा है कि राहुल अपने घर की बालकनी पर खड़ा था. इसी बीच प्रदर्शनकारियों की ओर से चली गोली युवक को लग गई. गोली लगने से युवक की मौके पर ही मौत हो गई.

 
सुप्रीम कोर्ट द्वारा SC/ST एक्ट में किए बदलाव के बाद सोमवार को केंद्र सरकार ने पुनर्विचार याचिका दायर की. इस पुनर्विचार याचिका में सरकार ने अपनी तरफ से तर्क दिए हैं कि जिस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है उसमें सरकार कोई पार्टी नहीं थी. केंद्र सरकार की ओर से दायर की गई इस पुनर्विचार याचिका में कहा गया है कि सरकार ने कहा कि SC/ST एक्ट से जुड़ी जिस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है उसमें सरकार पार्टी नहीं थी. केंद्र ने कहा है कि यह कानून संसद ने बनाया था. केंद्र ने अपनी याचिका में कहा है कि कानून बनाना संसद का काम हैं. आपको बता दें कि SC/ST एक्ट पुनर्विचार याचिका पर दो जजों की बेंच सुनवाई करेगी. अपनी पुनर्विचार याचिका में केंद्र ने कहा- सरकार का मानना हैं कि सुप्रीम कोर्ट 3 तथ्यों के आधार पर ही कानून को रद्द कर सकती है. ये तीन तथ्य है, कि अगर मौलिक अधिकार का हनन हों, अगर कानून गलत बनाया गया हो और अगर किसी कानून को बनाने का अधिकार संसद के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता हो तो. इसके साथ ही सरकार की ये भी दलील है कि कोर्ट ये नहीं कह सकता है कि कानून का स्वरूप कैसा हो, क्योंकि कानून बनाने का अधिकार संसद के पास है. इसके साथ ही केंद्र ने यह भी दलील दी कि किसी भी कानून को सख़्त बनाने का अधिकार भी संसद के पास ही हैं. केंद्र सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि समसामयिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कैसा कानून बने ये संसद या विधानसभा तय करती है.
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को बताया कि केंद्र सरकार ने अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति( अत्याचार निवारण) अधिनियम को‘ कमजोर’ करने के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर दी है. साथ ही उन्होंने राजनीतिक पार्टियों से कहा कि वे यह सुनिश्चित करें कि विरोध प्रदर्शन की आड़ में किसी तरह की सांप्रदायिक हिंसा को अंजाम न दिया जाए.

 
भारतबंद प्रदर्शन में रांची से 763 और सिंहभूम से 850 लोगों को हिरासत में लिया गया

भारत बंद के दौरान भड़की हिंसा के बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेशवासियों से शांति बनाए रखने की अपील की. उन्होंने ट्वीट किया कि मध्यप्रदेश शांति, सद्भाव और सामाजिक समरसता का प्रदेश रहा है. कुछ लोगों ने समरसता तोड़ने की कोशिश की है. आज कुछ दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं घटी हैं. अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. मेरी आपसे अपील है कि शांति, सद्भाव बनाए रखें. अफवाहों पर ध्यान न दें. साथ ही उन्होंने एक अन्य ट्वीट कर कहा कि भारत सरकार ने आज सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी है. जनता से अनुरोध है कि कृपया शांति बनाए रखें. हमारी सरकार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है. साथ ही सीएम शिवराज ने डीजीपी, मुख्य सचिव, मंत्री नरोत्तम मिश्रा समेत इंटेलीजेंस के अफसरों की आपात बैठक बुलाकर हालात की समीक्षा की.
मुजफ्फरनगर के नई मंडी थाने पर प्रदर्शनकारियों ने पत्थरबाजी की जिसके बाद पुलिस ने फायरिंग की। गाजियाबाद में रेलवे ट्रैक पर बड़ी तादाद में दलित प्रदर्शनकारी जुट गए। जिसके चलते इस रूट से आने वाली तमाम ट्रेन बाधित रहीं। हापुड़ में भारत बंद के समर्थन में सड़कों पर उतरे लोगों ने पुलिस पर पत्थरबाजी की, जिसके बाद लाठीचार्ज किया गया। मेरठ में दिल्ली-देहरादून हाइवे पूरी तरह से बंद हो गया है। इसके अलावा 2 बसों को भी आग के हवाले कर दिया गया। दलित प्रदर्शनकारियों ने मेरठ में कंकरखेड़ा थाने की शोभापुर पुलिस चौकी को भी आग के हवाले कर दिया।

ग्वालियर में प्रदर्शनकारियों ने फायरिंग की जिसमें दो लोगों की मौत हो गई। इस घटना के बाद हालात बेहद तनावपूर्ण हो गए हैं जिसके बाद पूरे शहर में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं। सागर और ग्वालियर में दलितों के प्रदर्शन के बाद धारा 144 लागू कर दी गई है। भिंड के कुछ इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया गया है। भिंड के अलावा लहार, गोहद और मेहगांव में भी कर्फ्यू लगा दिया गया। मुरैना में भी दो लोगों की मौत हो गई।

राजस्थान के पुष्कर में कई गाड़ियों में तोड़फोड़ की गई। अलवर में प्रदर्शनकारियों ने पटरी उखाड़ दी जिससे 5 ट्रेनें मौके पर फंस गईं। भरतपुर में महिलाएं लाठियां लेकर सड़कों पर उतर आईं और जाम लगा दिया। बाड़मेर में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प भी देखने को मिली जिसमें पुलिस समेत करीब 25 लोग घायल हो गए। पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़ और लाठीचार्ज कर प्रदर्शनकारियों को खदेड़ा। राजस्थान में एक प्रदर्शनकारी की मौत की खबर है। जयपुर में मालगाड़ी को रोक लिया गया। इस दौरान भीड़ ने ट्रेन के डिब्बों की पिन निकाल ली और किसी भी गाड़ी को न निकलने देने की चेतावनी दी। यहां शहर में हिंसक भीड़ ने कपड़े के एक शोरूम में तोड़फोड़ भी की।

हाजीपुर में बंद समर्थकों ने वहां एक कोचिंग संस्थान पर हमला कर दिया। इससे कोचिंग संचालकों और बंद समर्थकों के बीच पथराव और मारपीट भी हुई। बंद समर्थकों ने छात्रों की साइकिल और डेस्क बेंच में आग लगा दी। पुलिस को यहां प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज करना पड़ा।

दलितों के प्रदर्शन को लेकर कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया है. राहुल ने कहा है कि दलितों को भारतीय समाज के सबसे निचले पायदान पर रखना आरएसएस /बीजेपी के डीएनए में है, जो इस सोच को चुनौती देता है उसे वे हिंसा से दबाते हैं. उन्‍होंने कहा कि हजारों दलित भाई-बहन आज सड़कों पर उतरकर मोदी सरकार से अपने अधिकारों की रक्षा की मांग कर रहे हैं. हम उनको सलाम करते हैं.

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज कहा कि दलितों का सरकार पर भरोसा नहीं है जिसके फलस्वरूप आंदोलन की स्थिति पैदा हो गयी। अखिलेश ने कहा कि केंद्र सरकार को समय रहते दलित समाज के प्रतिनिधियों से बात करनी चाहिए थी, लेकिन सरकार ने दलितों से बात करना जरूरी नहीं समझा। दलितों का सरकार पर भरोसा नहीं है। उन्होंने कहा कि फलस्वरूप आंदोलन की स्थिति पैदा हो गयी। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि किसी को भी अपने सम्मान और अधिकारों के लिए आंदोलन का सहारा लेना पडे़। बाबा साहेब भीमराव आम्बेडकर ने दलित समाज को सम्मान का अधिकार दिया है। उन्हें कोई भी कानूनी अधिकारों से वंचित नहीं कर सकता। अखिलेश ने कहा कि सपा दलितों की भावनाओं को समझती है तथा संयम बरतने की अपील करती है। सपा दलित हितों के लिए प्रतिबद्ध है।

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