बिपिन रावत नए थलसेनाध्यक्ष +राजीव जैन आईबी चीफ
हिमालयायूके की खबर सत्य साबित- # राजीव जैन आईबी चीफ और रॉ के नए प्रमुखों का एलान अनिल धस्माना को रॉ का प्रमुख # हिमालयायूके नेे तीन दिन पूर्व खबर प्रकाशित की थी- कि बिपिन रावत नए थलसेनाध्यक्ष होगे- उत्तराखण्ड में खुशियां
लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत नए थलसेनाध्यक्ष होंगे। वे जनरल दलबीर सिंह की जगह लेंगे। रावत एक जनवरी से पद संभालेंगे। वे 11 गोरखा राइफल्स की 5वीं बटालियन से आते हैं। वर्तमान में वे आर्मी स्टाफ के वाइस चीफ थे। वहीं एयर मार्शल बीएस धनोआ एयर स्टाफ के नए प्रमुख होंगे। थल सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अरुप राहा, दोनों इसी साल 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। सेना के नए प्रमुख पद के लिए पूर्वी कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बख्शी और दक्षिणी कमान के पीएम हरीज भी दौड़ में थे।
सेना और वायुसेना के नए प्रमुखों का एलान पूर्व सेनाध्यक्ष और वायुसेना प्रमुख के रिटायर से ठीक 14 दिन पहले हुआ है। अभी तक प्रथा रही है कि सैन्य प्रमुखों के नाम उनके पूर्ववर्ती से रिटायर होने के दो महीने पहले ही घोषित कर दिए जाते हैं। लेकिन केंद्र की मौजूदा सरकार ने पिछले साल नौसेना प्रमुख के नाम का एलान करने में यह रिवाज तोड़ा और सिर्फ तीन सप्ताह पहले सुनील लांबा का नाम घोषित किया। पिछले साल 31 मई को एडमिरल आरके धवन रिटायर हुए थे।
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केंद्र सरकार ने आईबी और रॉ के नए प्रमुखों का एलान कर दिया है। इसके तहत राजीव जैन को आईबी का नया चीफ बनाया गया है। वे 1980 झारखंड कैडर के अधिकारी हैं। वहीं अनिल धस्माना को रॉ का प्रमुख बनाया गया है। धस्माना 1981 बैच के मध्यप्रदेश कैडर के अधिकारी हैं। दोनों का कार्यकाल दो साल के लिए होगा। जैन दिनेश्वर शर्मा की जगह लेंगे। शर्मा इस पद पर एक जनवरी 2015 से हैं। जैन वर्तमान में आईबी में स्पेशल डायरेक्टर के पद पर हैं। जैन राष्ट्रपति पुलिस पदक जीत चुके हैं और कश्मीर डेस्क पर काम कर चुके हैं। वे वाजपेयी सरकार में कश्मीर मामले में इंटरलोक्युटर केसी पंत के सलाहकार थे।
वही धस्माना रॉ में राजिंदर खन्ना की जगह लेंगे। खन्ना 31 जनवरी 2017 तक इस पद रहेंगे। धस्माना को बलूचिस्तान मामलों का एक्सपर्ट माना जाता है। वे 23 साल से रॉ के साथ हैं। रॉ का मुख्यालय दिल्ली में है और इसका प्रमुख सीधे कैबिनेट सचिव को रिपोर्ट करता है। रॉ की स्थापना 1968 में हुई थी। 1961 में चीन से लड़ाई और 1965 में पाकिस्तान से जंग में इंटेलीजेंस की नाकामी के बाद इसका गठन किया गया। यह संगठन विशेष रूप से दूसरे देशों से जुड़ी इंटेलीजेंस जानकारी देता है। इससे पहले यह काम भी आईबी के पास ही था।