भाजपा ने माना पूरे देश में पार्टी के खिलाफ संदेश गया
Execlusive Report: महाराष्ट्र में कर्ज की मार से जूझ रहे किसान आत्महत्या करने को मजूबर है। राज्य के सोलापुर में एक किसान ने बुधवार देर रात पेड़ पर फंदे से लटक कर जान दे दी। मरने से पहले कर्ज से पीड़ित किसान ने एक सुसाइड नोट लिखा। नोट में उसने अपने परिवार को स्पष्ट निर्देश दिए कि जब तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यहां ना आए उसका अंतिम संस्कार नहीं किया जाए।
CAPTION PHOTO : GRAND RECEPTION OF BJP NATIONAL PRESIDENT, SHRI AMIT SHAH ON HIS ARRIVAL AT JAMMU AIRPORT.
इसके अलावा उप्र0 के सहारनपुर में दलितों के साथ हुई मारपीट का खामियाजा भाजपा को राष्ट्रीय स्तर पर उठाना पड़ा है वही मध्य प्रदेश में किसानों के हिंसक आंदोलन के लिए प्रदेश की शिवराज सरकार को भी जिम्मेदार माना जा रहा है. राज्य में किसानों का आंदोलन एक जून को शुरू हुआ था, जो राज्य सरकार के ढीले रवैये के कारण लगातार बढ़ता ही गया. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह भले शांति की अपील कर रहे हों लेकिन अब देर हो चुकी है.मंदसौर हिंसाकांड के 12 घंटे बाद आज मंदसौर में हालात काबू में दिखे थे लेकिन ताजा अपडेट के मुताबिक मध्यप्रदेश के शाजापुर में आगजनी और पथराव की खबर है. में फिर हिंसा भड़की है. कल भड़की हिंसा के बाद प्रदेश की शिवराज सरकार आज एक्शन में दिखी. सरकार ने मंदसौर के डीएम और एसपी को हटा दिया गया. इसके बाद प्रशासन की ओर से दावा किया गया कि हालात अब काबू में हैं, किसानों को भी जल्द मना लिया जाएगा.
उ्0प्र0 सहारनपुर में दलितों के साथ हुई मारपीट का खामियाजा भाजपा को राष्ट्रीय स्तर पर उठाना पड़ा है जिसकी क्षतिपूर्ति में पार्टी लग गई है। सूत्रों की मानें तो पार्टी ने इसके लिए केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार के तीन साल पूरे होने पर आयोजित कार्यक्रम मोदी फेस्ट का सहारा लेगी। जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार के तीन साल पूरे होने पर देश भर में जगह-जगह मोदी फेस्ट मनाया जा रहा है। इसके तहत आयोजित कार्यक्रम में पार्टी के बड़े नेता व केंद्रीय मंत्री हिस्सा ले रहे हैं। इसमें पार्टी ने यह भी जोड़ दिया है कि इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले प्रतिनिधियों को एक शाम किसी दलित के घर भोजन करना होगा।
पार्टी का मानना है कि सहारनपुर हिंसा को लेकर पूरे देश में पार्टी के खिलाफ संदेश गया है। ऐसे में जबकि पिछले लोकसभा और उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में दलित मतदाताओं ने बसपा जैसी पार्टी को छोड़ भाजपा में विश्वास जताया हो। यह संदेश भाजपा दलित विरोधी है और एक क्षत्रिय सीएम के होने के कारण दलितों का उत्पीड़न किया जा रहा है, जिसे पार्टी ने बहुत गंभीरता से लिया है। भाजपा का मानना है कि यदि पार्टी के बड़े नेता और केंद्रीय मंत्री एक दलित के घर भोजना करने जाते हैं तो उन्हें यह भरोसा जरूर होगा कि पार्टी उनका ध्यान रखती है और जैसा कि प्रचारित किया जा रहा है कि भाजपा दलित विरोधी है, हकीकत में वैसा है नहीं।
वही दूसरी ओर मध्य प्रदेश नीमच में गोलीकांड में मरने वाले किसानों के परिजनों से मिलने मंदसौर जा रहे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को नीमच में गिरफ्तार कर लिया गया है. नीमच में भारी भीड़ और धक्का-मुक्की के बीच राहुल ने एबीपी न्यूज़ से कहा कि किसानों के खराब हाल के लिए पीएम मोदी और राज्य सरकार जिम्मेदार है. अपनी गिरफ्तारी से नाराज़ राहुल गांधी ने कहा “मुझे कोई कारण नहीं बताया गया. पहले यूपी में नहीं जाने दिया गया और आज मध्य प्रदेश में मुझे किसानों से मिलने से रोका जा रहा है.”
पिछले कई दिन से किसान आंदोलन के दौरान मध्यप्रदेश में हो रही हिंसा के बीच प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने किसानों से शांति बनाए रखने की अपील करते हुए कहा कि समस्याओं के समाधान और बातचीत के लिए वे हमेशा तैयार हैं। आधिकारिक जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार किसानों की सरकार है, जनता की सरकार है। वे हमेशा जनता और किसानों के लिए काम करते रहेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों के हित में राज्य सरकार द्वारा अनेक महत्वपूर्ण फैसले लिए गए हैं। प्याज 8 रुपए किलो खरीदा जा रहा है। समर्थन मूल्य पर मूंग, उड़द और तुअर की खरीदी 10 जून से प्रारंभ की जा रही है।
उन्होंने कहा कि चर्चा करके ही समस्याओं का समाधान हो सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ अराजक तत्व प्रदेश को ङ्क्षहसा की आग में झोंकना चाहते हैं, उनसे हम सख्ती से निपटेंगे। उन्होंने किसानों से आग्रह किया है कि अराजक तत्वों के मंसूबे कामयाब नहीं होने दें, शांति बहाली में सहयोग दें। उन्होंने किसानों से अपील की कि मिलजुल कर प्रदेश को विकास के पथ पर आगे बढ़ायें।
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कांग्रेस उपाध्यक्ष ने मोदी सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा, “ना किसानों का कर्ज माफ करते हैं, न बोनस देते हैं, बस गोलियां मार देते हैं.” राहुल ने कहा कि नरेंद्र मोदी जी किसानों का एक रुपया माफ नहीं कर सकते.
राहुल ने पीएम मोदी को आड़े हाथों लेते हुए कहा” नरेंद्र मोदी जी ने हिन्दुस्तान के सबसे अमीर लोगों का 1 लाख 50 करोड़ रुपया माफ किया है लेकिन किसानों का कर्ज माफ नहीं कर सकते हैं. पीएम मोदी किसानों को सही रेट नहीं दे सकते, बोनस नहीं दे सकते, मुआवजा नहीं सकते. मोदी सिर्फ किसानों को गोली दे सकते हैं.”
मध्य प्रदेश के मंदसौर में हिंसक प्रदर्शन और पुलिस फायरिंग में किसानों की मृत्यु पर दु:ख व्यक्त करते हुए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने राज्य की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर दमनकारी रवैया अपनाने का आरोप लगाया है। मायावती ने कहा कि केन्द्र और भाजपा शासित राज्यों में गरीबों, मकादूरों, किसानों और अन्य मेहनतकश लोगों के प्रति विरोध एवं दमनकारी रवैया समाप्त नहीं हो रहा है। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र एवं हरियाणा आदि राज्यों के किसान अपनी फसल की उचित कीमत आदि की जायका मांगों को लेकर आन्दोलन कर रहे हैं, उन पर भाजपा की सरकार लाठियां एवं गोलियां बरसा रही है। यह दु:खद एवं शर्मनाक है।
उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ किसानों की हालत सरकारी उदासीनता के कारण बदहाल है। देश के करोड़ों गरीब, मजदूर और किसान वर्ग के लोग विभिन्न प्रकार के कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं। भाजपा सरकार इनके कर्ज माफी की बार-बार घोषणा करती है मगर पूरा नहीं करती। सरकार को अपना वायदा निभाना चाहिये और विदेशों से कालाधन वापस लाकर देश के प्रत्येक गरीब परिवार के हर सदस्य को 15 से 20 लाख रुपये देने के अपने चुनावी वायदे को पूरा करना चाहिए। किसानों की कर्ज माफी के सम्बंध में केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार को भी आगे आना चाहिए और अपने सहयोग को प्रभावित राज्यों में केवल अतिरिक्त सुरक्षा बल भेजने तक ही सीमित नहीं रखना चाहिए।
वही बसपा अध्यक्ष ने कहा कि बसपा की मध्य प्रदेश यूनिट के लोग किसानों की मांगों के समर्थन में उनके साथ खडे हैं और उनसे पूरी सहानुभूति रखते हैं लेकिन वहां भाजपा सरकार होने के कारण पीड़ित परिवारों से नहीं मिल सकते। देश के करोड़ों गरीबों, मजदूरों, किसानों व अन्य मेहनतकश तबकों के प्रति भाजपा सरकार का रवैया विरोधी रहा है। यही कारण है कि मोदी सरकार ने केन्द्र में अपनी सरकार बनते ही धन्नासेठों के पक्ष में सबसे पहले नया भूमि अधिग्रहण कानून बनाकर किसानों को उनकी कामीन से बेदखल करने का प्रयास किया।
राज्य के सोलापुर में एक किसान ने बुधवार देर रात पेड़ पर फंदे से लटक कर जान दे दी। मरने से पहले कर्ज से पीड़ित किसान ने एक सुसाइड नोट लिखा। नोट में उसने अपने परिवार को स्पष्ट निर्देश दिए कि जब तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यहां ना आए उसका अंतिम संस्कार नहीं किया जाए। जिले के डीएम राजेंद्र भोसले ने कहा कि सोलापुर के वीत गांव के रहने वाले धनाजी जाधव ने कथित रुप से कल देर रात फांसी लगा ली और अपने पीछे सुसाइड नोट छोड़कर गए। नोट में उन्होंने लिखा- “जब तक मुख्यंमत्री देवेंद्र फडणवीस यहां नहीं आएं और उनकी मांगों को नहीं मानते है तब तक उसका अंतिम संस्कार नहीं किया जाए।”
अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के नाम से लिखे सुसाइड नोट में जाधव ने कहा, “मैं एक किसान हूं, धनाजी चंद्रकांत जाधव। मैं आज सुसाइड कर रहा हूं। मेरे शरीर को गांव में ले जाया जाए और मेरा अंतिम संस्कार तब तक नहीं किया जाए जब तक सीएम यहां ना आएं।” किसानों संगठनों ने इस क्षेत्र में बंद का आह्वान किया है। कानून-व्यवस्था को बरकरार रखने के लिए क्षेत्र में पुलिस तैनात कर दी गई है। बता दें कि पूरे राज्य में किसान एक हफ्ते से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इसे लेकर मुख्यमंत्री सहयोगी पार्टी शिवसेना के साथ-साथ विपक्षी पार्टियों के निशाने पर है। हाल ही में सीएम ने किसानों से 31 अक्टूबर तक कर्ज माफी का वादा किया था, लेकिन वह किसानों को शांत करने में असफल रहें। इस साल के शुरुआत से अब तक 700 से ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की है, जिसमें ज्यादातर सूखा प्रभावित विदर्भ और मराठवाड़ा क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं। कर्ज माफी के साथ किसानों की सरकार से मांग है कि उन्हें उनकी फसल के लिए ज्यादा दाम दिया जाना सुनिश्चित किया जाए। कर्ज माफी और फसल की सही कीमत देने की मांग को लेकर मध्य प्रदेश में भी किसान आंदोलन कर रहे हैं। मंगलवार को पुलिस फायरिंग में 5 किसानों की मौत के बाद के प्रदर्शऩ उग्र हो गए। किसानों ने सैकड़ों गाड़ियां फूंक दी। पुलिस थाने में आग लगा दिया।
मध्य प्रदेश में किसानों के आंदोलन के पीछे कौन है. अब तक यही बताया गया कि इन किसानों का कोई नेता नहीं है और ये नेतृत्व विहीन आंदोलन है. सरकार को बात करने के लिए कोई चेहरा नहीं मिल रहा, लेकिन अब पता चला है कि आंदोलन के पीछे आरएसएस के किसान संगठन से निकाले गए किसान नेता शिव कुमार शर्मा. शिव कुमार शर्मा को लोग कक्काजी के नाम से जानते हैं. कहा जा रहा है कि मध्य प्रदेश में किसानों के हिंसक आंदोलन के पीछे का इन्ही का चेहरा है. पुलिस फायरिंग का विरोध जताने दाहिने हाथ पर काली पट्टी बांधकर शिव कुमार शर्मा सामने आए थे. इनका कहना है, ‘’कुल मिलाकर हम तीन संगठन इस आंदोलन को चला रहे हैं. बीकेयू, आम किसान यूनियन और राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ. शिव कुमार शर्मा इन तीन संगठनों में से राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ के अध्यक्ष हैं. जबलपुर विश्वविद्यालय से लॉ ग्रेजुएट शिव कुमार शर्मा ने जेडीयू नेता शरद यादव के साथ छात्र राजनीति शुरू की थी. बाद में शिव कुमार शर्मा सरकारी नौकरी करने लगे और मध्य प्रदेश सरकार में विधिक सलाहकार बन गए. कुछ सालों बाद सरकारी नौकरी से इस्तीफा देकर शिवकुमार शर्मा किसान आंदोलन से जुड़ गए. आरएसएस कार्यकर्ता शिव कुमार शर्मा संघ के द्वितीय वर्ष प्रशिक्षण प्राप्त हैं. आरएसएस से जुड़े भारतीय किसान संघ के महामंत्री और फिर अध्यक्ष बने. साल 2010 में भारतीय किसान संघ के हजारों किसानों ने भोपाल में चक्का जाम कर दिया था. सीएम आवास के महज 100 मीटर दूर बिजली-पानी की मांग को लेकर किसान धरने पर बैठे थे. वो तारीख 20 दिसंबर 2010 थी. भोपाल में लोगों की नींद खुली तो शहर को किसानों ने घेर रखा था. आरएसएस के संगठन में रहते हुए बीजेपी की शिवराज सरकार के खिलाफ उस महाधरने के पीछे भी शिवकुमार शर्मा ही थे. तब से शिवकुमार शर्मा संघ और सरकार के निशाने पर आ गए. मध्य प्रदेश में किसानों पर पहली बार गोली 2012 में रायसेन जिले के बरेली में चली थी. इस दौरान एक किसान की मौत हुई थी. उस आंदोलन के पीछे भी शिवकुमार शर्मा ही थे. इस कांड के बाद आरएसएस ने शिवकुमार शर्मा को निष्कासित कर दिया था. शिवकुमार शर्मा को दो महीने की जेल भी हुई. जब बाहर निकले तो अपना नया संगठन राष्ट्रीय मजदूर किसान संघ खड़ा किया. मध्य प्रदेश में आंदोलन के पीछे यही संगठन है जिसने आंदोलन की रणनीति बनाई और अब ये हिंसक रूप ले चुका है और इस आंदोलन से निपटना सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गया है.
मध्य प्रदेश में किसानों के हिंसक आंदोलन के लिए प्रदेश की शिवराज सरकार को भी जिम्मेदार माना जा रहा है. राज्य में किसानों का आंदोलन एक जून को शुरू हुआ था, जो राज्य सरकार के ढीले रवैये के कारण लगातार बढ़ता ही गया. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह भले शांति की अपील कर रहे हों लेकिन अब देर हो चुकी है. मंदसौर से पहले सिहोर में और अब देवास से लेकर नीमच, इंदौर, उज्जैन और रतलाम तक आंदोलन फैल चुका है, लेकिन ये नौबत एक दिन में नहीं आई है. बीते रविवार को शिवराज सिंह चौहान ने सिर्फ बीजेपी-संघ से जुड़े किसान संगठन के साथ बैठक की थी और सिर्फ किसानों के एक धड़े से बात करके किसान आंदोलन खत्म होने का दावा कर दिया गया. शिवराज का ये दांव उल्टा पड़ गया और अब ये हालत है कि पूरा प्रदेश जल रहा है और शिवराज इसे कांग्रेस की साजिश बता रहे हैं. मध्य प्रदेश में 12 साल से शिवराज सिंह चौहान सत्ता में हैं. किसान कर्जमाफी और फसल के उचित दाम की मांग कर रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगर शिवराज ने कर्जमाफ किया तो सरकार पर 74 हजार करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा. इसलिए कर्ज माफ करना उनकी सरकार के बस में नहीं है. शिवराज सरकार उपलब्धि गिनाती है कि भारत सरकार की तरफ से कृषि क्षेत्र में सबसे बड़ा किसान कर्मण्य अवॉर्ड लगातार चार बार पाने वाला इकलौता राज्य मध्य प्रदेश है. जबकि हकीकत ये है कि 2012 से 2016 तक अच्छी पैदावार के लिए चलाई जा रही योजना के तहत खर्च 945 करोड़ में सिर्फ दो फीसदी किसानों को फायदा हुआ है. शिवराज सरकार ने किसानों के हित के लिए कृषि कैबिनेट का गठन किया. वहीं, सीएजी की रिपोर्ट बताती है कि किसानों के लिए खेती का सामान खरीदने में 261 करोड़ रुपये की धांधली हुई. इस आंदोलन से पहले भी सवाल उठते रहे हैं कि अगर खेती 20 फीसदी की रफ्तार से बढ़ रही है तो फिर किसान असंतुष्ट क्यों हैं? हर साल आलू, टमाटर, प्याज से लेकर संतरा तक सड़कों पर किसान क्यों फेंकते हैं. जाहिर है इस असंतोष की वजह शिवराज सरकार की नीतियां हैं.
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