लो- प्रोफाइल रहने वाले तथा बीजेपी केे संकटमोचक बनेगे अब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष
बीजेपी के नए अध्यक्ष के रूप में जेपी नड्डा
जगत प्रकाश नड्डा भारत के वरिष्ठ सदन राज्यसभा के सदस्य हैं व भारतीय जनता पार्टी के भावी राष्ट्रीय अध्यक्ष । बीजेपी अध्यक्ष कौन बनेगा? अध्यक्ष पद की रेस में जगन प्रकाश नड्डा का नाम सबसे आगे चल रहा है. नड्डा को मोदी सरकार में शामिल नहीं किया गया. ऐसे में माना जा रहा है कि ‘एक व्यक्ति, एक पद’ सिद्धांत वाली बीजेपी को जेपी नड्डा के रूप में नया अध्यक्ष मिल सकता है. जेपी नड्डा के पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह से पुराने संबंध हैं. मोदी जब हिमाचल के प्रभारी थे, तब से दोनों की जान-पहचान है. दोनों अशोक रोड स्थित बीजेपी मुख्यालय में बने आउट हाउस में रहते थे. इसके बाद जब नड्डा बीजेपी युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे, उस समय अमित शाह युवा मोर्चा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष बनाए गए थे. मोदी सरकार बनने के बाद जेपी नड्डा का कद पार्टी और सरकार दोनों में काफी बड़ा हुआ. नड्डा को पार्टी अध्यक्ष अमित शाह का दाहिना हाथ माना जाता है. यही कारण है कि अमित शाह ने इस बार जेपी नड्डा को यूपी फतह की जिम्मेदारी दी. नड्डा ने इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया और अपनी कुशल रणनीति से यूपी की 64 (दो अपना दल की) सीटों पर पार्टी को शानदार जीत दिलाई.
हिमाचल प्रदेश से आने वाले जेपी नड्डा 2014 के लोकसभा चुनाव में मिली बीजेपी की
जीत के बाद भी पार्टी अध्यक्ष पद की दौड़ में थे. तब पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह
को कैबिनेट मंत्री बनाया गया था और अध्यक्ष पद की कुर्सी खाली होने वाली थी. मगर
तब यूपी में शानदार प्रदर्शन करने वाले अमित शाह ने बाजी मार ली. तब उन्हें स्वास्थ्य
मंत्री बनाया गया. तब से वे पार्टी के शीर्ष नेताओं में बने हुए है.
पार्टी में अगला अध्यक्ष कौन होगा. अध्यक्ष पद को लेकर बीजेपी
में मंत्रणा भी शुरू हो गई है.सितंबर 2018 में बीजेपी की राष्ट्रीय
कार्यकारिणी की बैठक में अमित शाह का कार्यकाल 6 महीने के लिए बढ़ाया गया था.
बीजेपी के नए अध्यक्ष के रूप में जेपी नड्डा के नाम पर मुहर लगाने की प्रबल
संभावना है. जेपी नड्डा रेस में इसलिए आगे हैं, क्योंकि उनके चुनाव प्रभारी रहते हुए
बीजेपी ने यूपी में एक बार फिर बड़ी जीत हासिल की है और फिर भी उन्हें मोदी सरकार
में मंत्री नहीं बनाया गया है. भूपेंद्र यादव भी संभावित है, श्री यादव
गुजरात में भी अहम दायित्व संभाल चुके हैं. इन्हें राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा
राजे के नजदीकी के तौर पर देखा जाता है. हिमालयायूके
पटना में 1960 में जन्में जगत प्रकाश नड्डा ने बीए और एलएलबी की परीक्षा पटना से पास की थी और शुरु से ही वे एवीबीपी से जुड़े हुये थे. वे पहली बार 1993 में हिमाचल प्रदेश से विधायक चुने गये थे. उसके बाद वे राज्य और केंद्र में मंत्री भी रहे हैं. वे 1994 से 1998 तक विधानसभा में पार्टी के नेता भी रहे.
इसके बाद वे दुबारा 1998 में फिर विधायक चुने गये. इस बार उन्हें स्वास्थ्य और संसदीय मामलों का मंत्री बनाया गया. 2007 में उन्हें फिर से चुनाव जीतने का अवसर मिला और प्रेम कुमार धूमल की सरकार में उन्हें वन-पर्यावरण, विज्ञान व टेक्नालॉजी विभाग का मंत्री बनाया गया.
2012 में
जेपी नड्डा को राज्यसभा का सांसद चुना गया. उन्हें मोदी सरकार में स्वास्थ्य
मंत्रालय की कमान सौंपी गई. 2019 में 30 मई से भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में
कार्यकाल माना जा सकता हैा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पिछली
सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे जेपी नड्डा समेत कुल 37 मंत्रियों के नाम मोदी की दूसरी कैबिनेट
से इस बार नदारद रहे. इसके साथ ही ये चर्चाएं भी तेज हो गईं हैं कि नड्डा के लिए
पार्टी कुछ बड़ा सोच रही है. खबर है कि एक समय बीजेपी के युवा मोर्चे के अध्यक्ष
रहे नड्डा को अब पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जा सकता है. अभी तक ये
जिम्मेदारी अमित शाह संभाल रहे थे. आमतौर पर लो- प्रोफाइल रहने वाले नड्डा को
बीजेपी का संकटमोचक भी कहा जाता है.
लोकसभा चुनाव 2019 के लिए
यूपी में पार्टी के प्रदर्शन को और ऊंचाई पर ले जाने के लिए अमित शाह ने जेपी
नड्डा को अहम जम्मेदारी सौंपी थी. नड्डा ने इसके लिए गुजरात में बीजेपी के मंत्री
रहे गोर्धन जडाफिया के साथ मिलकर यूपी में एनडीए को 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट और 64 सीटें मिलना सुनिश्चित किया.
जेपी नड्डा हिमाचल प्रदेश के ब्राह्मण समुदाय से आते हैं, उन पर बीजेपी शीर्ष नेतृत्व को काफी विश्वास है और शाह के करीबी भी हैं. उनका जुड़ाव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी रहा है और उनकी छवि साफ-सुथरी मानी जाती है. वह मोदी की अगुवाई वाली पहली NDA सरकार में स्वास्थ्य मंत्री थे. सूत्रों ने बताया कि नड्डा बीजेपी संसदीय बोर्ड के भी सदस्य है जो बीजेपी की शीर्ष निर्णय करने वाली संस्था है. इस लिहाज से भी नड्डा सर्वश्रेष्ठ विकल्प माने जा रहे हैं.
जेपी नड्डा का जन्म बिहार के पटना में 2 दिसंबर 1960 को हुआ. उनकी शुरुआती पढ़ाई पटना के सेंट जेवियर्स स्कूल से हुई. इसके बाद नड्डा ने पटना विश्वविद्यालय से बीए की शिक्षा ली. नड्डा 16 साल की उम्र में छात्र राजनीति में उतर गए थे और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़े. उस वक्त बिहार में स्टूडेंट मूवमेंट चरम पर था. 1977 में पटना विश्वविद्यालय में छात्र संघ चुनाव में सचिव चुने गए. जेपी नड्डा को 1982 में विद्यार्थी परिषद का प्रचारक बनाकर हिमाचल प्रदेश भेजा गया. नड्डा 1983-1984 में हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी में विद्यार्थी परिषद के पहले प्रेसीडेंट बने और साल 1986 से 1989 तक विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय महासचिव रहे. 1989 के लोकसभा चुनाव में नड्डा को बीजेपी युवा मोर्चा का चुनाव प्रभारी बनाया गया. राजनाथ सिंह के बाद 1990 में नड्डा युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए.
इसके बाद 1993 में जेपी नड्डा पहली बार हिमाचल विधानसभा पहुंचे. नड्डा ने 1994 से 1998 तक विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में काम किया. साल 2008 से 2010 तक हिमाचल सरकार में मंत्री रहे. 2012 में नड्डा को हिमाचल प्रदेश से राज्यसभा भेजा गया. नड्डा नितिन गडकरी की टीम में राष्ट्रीय महासचिव और प्रवक्ता रहे. 2014 में नड्डा को मोदी सरकार में मंत्री बनाया गया.
गठन में अपनी कुशलता प्रदर्शित करने वाले अमित शाह के मोदी सरकार में आने के खास मायने हैं। एक तरफ जहां यह माना जा रहा है कि अहम पड़ाव पर वह वित्त जैसे संवेदनशील मंत्रालय की कमान थामेंगे। वहीं यह भी मानकर चला जा रहा है कि सरकार में वह सामंजस्य का भी जिम्मा देखेंगे। वैसे उनके सरकार में शामिल होने के साथ ही भाजपा के नए अध्यक्ष को लेकर भी अटकलें तेज हो गई हैं और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा का नाम सबसे आगे है।
यूं तो गुजरात में वह गृह मंत्री की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं लेकिन गुरुवार को उन्होंने जिस तरह राजनाथ सिंह के बाद तीसरे नंबर पर शपथ लिया उसका यह अर्थ निकाला गया कि यहां वह गृह मंत्रालय की बजाय वित्त मंत्री पद संभालेंगे। वैसे भी वित्त को लेकर उनकी समझ जांची परखी है। फिलहाल देश को वित्त के मोर्चे पर कई साहसिक कदम उठाने हैं और शाह साहसिक फैसलों के लिए जाने जाते हैं।
संगठन में रहते हुए भी उन्होंने कठोर और साहसिक फैसलों की शुरुआत की थी। माना जा रहा है कि मोदी सरकार में वह सामंजस्य की भी जिम्मेदारी संभालेंगे। यानी उन पर जिम्मेदारी होगी कि वह दूसरे मंत्रालयों के कामकाज पर भी नजर रखें और जरूरी सहयोग करें या निर्देश दें। दरअसल वित्त मंत्रालय वैसे भी सभी मंत्रालयों से जुड़ा होता है।
अब जबकि शाह सरकार में शामिल हो चुके हैं तो भाजपा के नए अध्यक्ष को लेकर अटकलें तेज हो गई है। पहले नाम के तौर पर जेपी नड्डा का नाम है जो मोदी और शाह दोनों के विश्वस्त भी माने जाते हैं और संघ के भी नजदीक हैं। मंत्री रहते हुए भी उन्हें संगठन में जिम्मेदारी दी जाती रही है। वह भाजपा संसदीय बोर्ड के सचिव भी हैं। ऐसे में जब मंत्रिपरिषद को शपथ दिलाते हुए उन्हें बाहर रखा गया है तो नए अध्यक्ष के रूप में उनकी दावेदारी सबसे प्रबल मानी जा रही है।
मोदी के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के दो महीने बाद जुलाई 2014 में शाह ने राजनाथ सिंह से पदभार
संभाला और उन्होंने सिंह को गृह मंत्री नियुक्त किया। लेकिन तब और अब के बीच अंतर
है। किसी भी भाजपा अध्यक्ष का कार्यकाल तीन वर्ष का होता है। राजनाथ सिंह ने 2013 में नितिन गडकरी से भाजपा अध्यक्ष का
पद संभाला था, और 2014 में पार्टी पद से इस्तीफा देने के बाद
उनका कार्यकाल खत्म होने में डेढ़ साल का समय बचा था।
भाजपा के एक वरिष्ठ
नेता ने कहा, “ऐसी
स्थिति में किसी भी चुनाव की आवश्यकता नहीं है और शाह को शेष कार्यकाल के लिए
पार्टी का नेतृत्व करने के लिए चुना गया है, भाजपा की राष्ट्रीय परिषद ने उनके चुनाव की पुष्टि की और
उन्होंने कार्यभार संभाला।”
याद हो तो शाह ने राजनाथ
के शेष कार्यकाल को पूरा किया था और जनवरी 2016 में भाजपा अध्यक्ष के रूप में फिर से निर्वाचित हुए थे। उनका
कार्यकाल जनवरी 2019 में
समाप्त हो गया, लेकिन
पार्टी ने उन्हें चुनाव खत्म होने तक विस्तार देने का फैसला किया।
भाजपा के एक दूसरे
नेता ने कहा, “एक बार
राष्ट्रपति का कार्यकाल समाप्त हो जाने के बाद, मंडल से राष्ट्रीय स्तर तक सदस्यता अभियान और संगठनात्मक चुनाव
होता है। राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव तभी होता है, जब कम से कम 50% राज्यों
में चुनाव खत्म हो जाते हैं।”
पार्टी को अपना
सदस्यता अभियान फिर से शुरू करना होगा, और इसमें कम से कम 2-3 महीने लगेंगे। दूसरे नेता ने कहा कि मंडल, जिला और राज्य स्तर पर संगठनात्मक
चुनाव में कुछ और महीने लगेंगे।
भाजपा की तात्कालिक
चुनौती हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड और संभवतः जम्मू और कश्मीर में
चुनाव है, जो केंद्र सरकार के अधीन है।
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