अधिकारियों में फैले भ्रष्टाचार से भाजपा हार रही है- विधायको का संगीन आरोप
बीजेपी मंझधार में फंसी हुई नजर आ रही है. #बीजेपी में हड़कंप मचा #2014 में पीएम मोदी ने विकास का इंजन बनाने का ऐलान करतेे हुए कहा था कि 2019 से पहले सूबे को देश में विकास के इंजन के तौर पर स्थापित करेंगे# प्रदेश में बीजेपी सरकार बने एक साल से ज्यादा वक्त गुजर चुका है, लेकिन सरकार के पास विकास के नाम पर गिनाने के लिए कुछ खास नहीं हैं# उ0प्र0 तथा उत्तराखण्ड में कमोबेश एक जैसी स्थिति # दोनो राज्यो में नौकरशाह तानाशाह बन चुकेे है, मुखिया पर इनका भारी प्रभाव है- जिससे स्थिति लगातार बिगडती जा रही है-
#कैराना की हार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यानथ की हार के तौर पर #बीजेपी विधायक ने पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया # उपचुनावों में बीजेपी की हार के बाद पीएम मोदी के करीबी समर्थक ज़फर सरेशवाला ने बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव और कैराना की निर्वाचित सांसद तबस्सुम हसन को बधाई दी है और विपक्ष की एकजुटता की तारीफ की है. जफर सरेशवाला इतना तक कह गए कि सांप्रदायिक ध्रुवीकरण और बांटने की राजनीति अब काम नहीं करेगी# देश का अन्नदाता सड़कों पर उतर आया है।
उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी को विपक्ष के हाथों बड़ी हार झेलनी पड़ी है. इस सीट पर विपक्ष से उम्मीदवार तबस्सुम हसन ने बीजेपी उम्मीदवार मृगांका सिंह को हरा दिया. बीजेपी की इस हार के बाद विपक्ष जश्न मना रहा है, लेकिन बीजेपी में हड़कंप मचा हुआ है. कैराना की हार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यानथ की हार के तौर पर देखा जा रहा है. उपचुनाव में हार के बाद बीजेपी विधायक श्यामप्रकाश और सुरेंद्र सिंह ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
विधायक श्यामप्रकाश ने ही नहीं बल्कि बलिया में बीजेपी विधायक सुरेंद्र सिंह ने भी उपचुनाव में बीजेपी की हार पर सवाल उठाए हैं. सुरेंद्र सिंह ने कहा है कि इस हार के पीछे शुद्ध रूप से कर्मचारियों और अधिकारियों में फैले भ्रष्टाचार और समाज को परेशान करने की नीय़त है.
गोपामऊ से विधायक श्यामप्रकाश ने कविता लिखकर कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट तो मिले हैं, लेकिन जनता का काम नहीं किया. विधायक श्यामप्रकाश ने कहा कि पहले गोरखपुर फिर फूलपुर और अब नूरपुर में बीजेपी की हार का उन्हें दुख है.
सिर्फ विधायक श्यामप्रकाश ने ही नहीं बल्कि बलिया में बीजेपी विधायक सुरेंद्र सिंह ने भी उपचुनाव में बीजेपी की हार पर सवाल उठाए हैं. सुरेंद्र सिंह ने कहा है कि इस हार के पीछे शुद्ध रूप से कर्मचारियों और अधिकारियों में फैले भ्रष्टाचार और समाज को परेशान करने की नीय़त है. उपचुनावों में बीजेपी की हार के बाद पीएम मोदी के करीबी समर्थक ज़फर सरेशवाला ने बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव और कैराना की निर्वाचित सांसद तबस्सुम हसन को बधाई दी है और विपक्ष की एकजुटता की तारीफ की है. जफर सरेशवाला इतना तक कह गए कि सांप्रदायिक ध्रुवीकरण और बांटने की राजनीति अब काम नहीं करेगी.
बीजेपी जिस जातीय संतुलन को साधकर सत्ता में आई थी, योगी आदित्यनाथ उसे साथ लेकर चलने में सफल नहीं हो सके हैं. बीजेपी की जीत में सबसे अहम भूमिका ओबीसी और दलित समुदाय की थी. लेकिन शासन और सत्ता में उन्हें उचित भागीदारी नहीं दी गई. इसके अलावा योगी राज में राजपूत और दलितों के बीच सहारनपुर जैसी हिंसक घटनाएं भी सामने आईं. इसके अलावा सीएम पर एक जाति विशेष को ही बढ़ावा देने का भी आरोप लगे. यही वजह है कि योगी सरकार के कई मंत्रियों ने इस पर सवाल भी खड़े किए हैं.जबकि विपक्ष ने इसका फायदा उठाते हुए ओबीसी और दलित समुदाय को साधने का प्रयास किया, जिसमें वे कामयाब होते दिख रहे हैं.
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब देव के बाद उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा सुर्खियों में हैं. भारत के तकनीक का बखान करते-करते उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने विवादित बयान दे दिया. दिनेश शर्मा ने कहा कि सीता जी टेस्ट ट्यूब बेबी हो सकती हैं. टेक्नोलॉजी का उदाहरण देते हुए उप मुख्यमंत्री ने संजय और धृतराष्ट्र का भी उदाहरण दिया. मथुरा में हिंदी पत्रकारिता दिवस के एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा, ‘सीता जी का जन्म घड़े की मदद से हुआ था, जो उस वक्त टेस्ट ट्यूब से बच्चे पैदा करने का एक तरीका था’. मथुरा में हिंदी पत्रकारिता दिवस के एक कार्यक्रम में संबोधित करते हुए उन्होंने नारद को पहला पत्रकार भी बताया. हिंदी पत्रकारिता दिवस पर उन्होंने कहा थी कि पत्रकारिता कोई आधुनिककाल से ही शुरू नहीं हुई थी, ये महाभारत काल से चली आ रही है. इस दौरान उन्होंने दावा किया था कि गुरुत्वाकर्षण बल, प्लास्टिक सर्जरी और परमाणु की खोज भी भारत में हुई थी.
महाभारत के पात्र संजय का जिक्र करते हुए उऩ्होंने कहा कि संजय हस्तिनापुर में बैठे-बैठ कुरुक्षेत्र में हो रहे महाभारत के युद्ध का विहंगम दृश्य धृतराष्ट्र को बताते थे. ये लाइव टेलीकास्ट नहीं तो क्या है. त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब देव ने भी पिछले दिनों संजय और धृतराष्ट्र का उल्लेख करते हुए कहा था कि महाभारत काल में भी इंटरनेट था. इसी के चलते संजय धृतराष्ट्र को महाभारत के युद्ध की जानकारी दे पाए थे.
ज़फर सरेशवाला ने ट्वीट कर लिखा, ‘’विभाजनकारी राजनीति काम नहीं करेगी. कैराना जैसे सांप्रदायिक तनाव वाले क्षेत्र से तबस्सुम हसन का बड़े अंतर से जीतना सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के सिद्धांत को नकारता है. यह समझना चाहिए कि विभाजनकारी राजनीति काम नहीं करेगी.”
कैराना लोकसभा उपचुनाव में अजीत सिंह की पार्टी राष्ट्रीय लोकदल से उम्मीदवार तबस्सुम हसन ने बीजेपी उम्मीदवार मृगांका सिंह को हराकर जबरदस्त जीत हासिल की. इस उपचुनाव में आरएलडी को समाजवादी पार्टी, मायावती की बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस ने समर्थन दिया था. बीजेपी सांसद हुकुम सिंह के फरवरी में निधन के कारण कैराना सीट पर उपचुनाव हुए थे. वहीं, नूरपुर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार नईमुल हसन ने बीजेपी के उम्मीदवार अवनि सिंह को करीब 6 हजार वोटों से हरा दिया है. ये सीट पहले बीजेपी के पास थी. इस सीट पर हार के बाद बीजेपी के लिए ये बड़ा झटका माना जा रहा है. नूरपुर में बीजेपी विधायक लोकेन्द्र सिंह चौहान की सडक दुर्घटना में मौत के कारण उपचुनाव हुए थे.
वही दूसरी ओर
सपा, बीएसपी, कांग्रेस और आरएलडी की संयुक्त ताकत के आगे बीजेपी की सारी रणनीति फेल होती नजर आई और कैराना, नूरपुर में की सीटें बीजेपी के हाथ से निकल गई. इस सीट पर 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की जीत हुई थी. सांसद हुकुम सिंह को यहां पर दो लाख से ज्यादा वोटों से जीत मिली थी. लेकिन उस चुनाव में मोदी लहर के साथ ही मुजफ्फरनगर में जाट-मुस्लिमों के बीच हुये दंगा भी मुद्दा था. जिससे बीजेपी को बहुत फायदा हुआ. इस चुनाव में अखिलेश यादव की एक चाल और बीजेपी की कमियों ने उसे हार के मुंह में धकेल दिया.
इसके अलावा बीजेपी के लिए चिंता की बात यह है कि
देश का अन्नदाता सड़कों पर उतर आया है। राष्ट्रीय किसान महासंघ ने केन्द्र सरकार की कथित किसान विरोधी नीतियों के विरोध में देश के 22 राज्यों में 1 जून से 10 जून तक हड़ताल का ऐलान किया है। वहीं कई राज्यों में किसानों ने सब्जियों सहित दूध सड़कों पर गिरा दिया। किसान सब्जियों के न्यूनतम मूल्य, समर्थन मूल्य और न्यूनतम आय समेत कई मुद्दों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों के आंदोलन को देखते हुए सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए हैं। किसानों ने 1 से 10 जून तक के दिनों को अलग-अलग ढंग से विरोध करेंगे। 1 से 4 जून तक वे विरोध प्रदर्शन करेंगे। 5 जून को ‘धिक्कार दिवस’ मनाएंगे, 6-7 जून को शहीद शहादत दिवस मनाया जाएगा, 8-9 जून को असहयोग दिवस और 10 जून को भारत बंद का ऐलान किया गया है।
आज से पूरे देश में ‘किसान अवकाश’ के नाम से किसानों का आंदोलन शुरु हो गया है। यह आंदोल अगले 10 दिन तक और देश के कई जगहों पर चलेगा। इस दौरान किसान शहरों में सब्जियां, फल, अनाज और दूध सप्लाई नहीं करेंगे। राष्ट्रीय किसान महासंघ इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहा है। किसानों की मांग है कि किसानों का कर्ज माफ हो और स्वामीनाथन आयोग लागू किया जाए। भारतीय किसान यूनियन हरियाणा के अध्यक्ष गुरनाम सिंग चादुनी ने कहा कि हरियाणा के 6800 गांव के किसान इस आंदोलन में हिस्सा लेंगे और बाजार में कुछ भी नहीं बेचेंगे। संयुक्त विपक्ष की उभरती ताकत आगे बीजेपी को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है. अंकगणित उसके पक्ष में जाता नहीं दिखाई दे रहा है. कैराना में कुल 16 लाख वोटर हैं. जिसमें 5 लाख 50 हजार मुस्लिम, 2,80,000 दलित, 1,90,000 जाट हैं. इस चुनाव में बीजेपी के सामने एक ही प्रत्याशी था जिसकी वजह से वोट बंटने नहीं पाया. अगर 2019 के चुनाव में विपक्ष यही रणनीति अपनाता है तो निश्चित तौर पर बीजेपी के सामने बड़ी मुश्किल आ सकती है.
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