नए सीएम की तलाश शुरू
प्रेम कुमार धूमल को ही मुख्यमंत्री बनाने पर विचार # धूमल हार गए # क्या छह महीने के अंदर फिर चुनाव लड़ेंगे धूमल #बीजेपी ने गुजरात और हिमाचल में जीत दर्ज कर ली है…लेकिन दोनों की राज्यों में अभी तक सीएम का चेहरा साफ नहीं हो सका हैं…ऐसे में पार्टी के दिग्गज नेता इस पर माथापच्ची करने में लगे हुए हैं….गुजरात में जहां रूपाणी की दूसरी पारी मुश्किल लग रही है वहीं हिमाचल में सीएम के दावेदार धूमिल की हार से बीजेपी को नया चेहरा खोजने के लिए मजबूर कर दिया. Today Top Execlusive Story; www.himalayauk.org (HIMALAYA GAURAV UTTRAKHAND (Leading Digital Newsportal & PRINT MEDIA)
नरेंद्र मोदी और अमित शाह की बीजेपी में बिलकुल अप्रत्याशित नाम सामने लाने का चलन रहा है गुजरात और हिमाचल में बहुमत के बाद दोनों राज्यों में मुख्यमंत्री कौन बनेगा, ये सबसे बड़ा सवाल है. हिमाचल में सीएम कैंडीडेट प्रेम कुमार धूमल चुनाव हार गए हैं. दूसरी तरफ गुजरात में 117 से 99 सीट की गिरावट के चलते विजय रूपाणी को दूसरे टर्म से महरूम रखा जा सकता है. नरेंद्र मोदी सरकार सारी अटकलों को छोड़ किसी बिलकुल अनजान या असंभावित नाम को बढ़ाने के लिए जानी जाती है. उत्तर प्रदेश और राष्ट्रपति चुनाव इसका सीधा उदाहरण हैं. इसलिए हो सकता है कि दोनों राज्यों में कोई ऐसा नाम सामने आए जिसके बारे में कोई चर्चा न हुई हो. गुजरात की 182 विधानसभा सीटों में बीजेपी को 99, कांग्रेस गठबंधन को 80 और 3 अन्य के खाते में गई हैं. इस बार के चुनाव नतीजों ने बीजेपी की जीत को फीका कर दिया है. बीजेपी की जीत बेहद दमदार होती तो शायद रूपाणी को दोबारा सीएम का टिकट मिल जाता. लेकिन अब उनकी डगर कठिन दिख रही है और सीएम की रेस में कई चेहरे दिखने लगे हैं. इनमें नितिन पटेल, स्मृति ईरानी, पुरुषोत्तम रूपाला, मनसुख भाई मंडविया, आरसी फलदु और वजूभाई वाला शामिल हैं.
हिमाचल में बीजेपी जीत गई लेकिन मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल हार गए. अब सूत्रों के हवाले से खबर मिल रही है कि पार्टी प्रेम कुमार धूमल को ही मुख्यमंत्री बनाने पर विचार कर रही है. बीजेपी चाहती है कि धूमल छह महीने के अंदर फिर से विधानसभा चुनाव लड़कर सदन पहुंच जाएं. गुजरात में बीजेपी 99 तो कांग्रेस को 80 सीटें, वहीं हिमाचल में बीजेपी को 44 कांग्रेस को 21 सीटें मिली है. गुजरात में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर हुई, हालांकि बाद में बीजेपी ने निर्णायक जीत हासिल कर ली. साल 2012 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 115 और कांग्रेस को 61 सीटें मिली थीं. बताया गया कि ना के कुठलेहड़ से जीते वीरेंद्र कंवर उनके लिए सीट छोड़ने को तैयार हैं. जेपी नड्डा का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए ज़रूर चल रहा है, लेकिन उन्हें मुख्यमंत्री बनाने का मतलब उन्हें संसदीय बोर्ड, चुनाव समिति और कई दूसरे अहम पदों से मुक्त करना होगा.
हिमाचल में मुख्यमंत्री किसे बनाया जाए, इसपर कल दोपहर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की बीजेपी नेताओं की साथ बैठक हुई थी. वहीं यह भी कहा जा रहा है कि अमित शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी इसपर चर्चा की है. गुजरात में मौजूदा मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ही अगले मुख्यमंत्री होंगे इस पर सस्पेंस बना हुआ है. इसके अलावा सीएम के दावेदारों के रूप में जिन दो नामों की चर्चा हो रही है. उसमें पुरुषोत्तम रुपाला या मनसुख भाई मांडविया का नाम सामने आ रहा है. अब लगातार चौथी जीत के बावजूद रूपाणी को हटाने की कोशिश पार्टी के लिए एक गैजरूरी संकट पैदा कर सकती है. रूपाणी को अभी नहीं तो देर-सबेर जाना पड़ सकता है. क्योंकि पार्टी का एक खेमा ऐसा है जिसकी राय में रुपाणी शरीफ नेता हैं, मगर लोकप्रिय नहीं हैं. बीजेपी अभी गुजरात को लेकर कोई हड़बड़ी नहीं दिखाना चाहती वरियता पर अभी हिमाचल है क्योंकि वहां पर उनके मुख्यमंत्री उम्मीदवार धूमल हारे हैं हिमाचल में सीएम उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल और प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सत्ती के हारने के बाद मुख्यमंत्री पद पर अब किसे बिठाया जाए इस पर बीजेपी में मंथन चल रहा है. हालांकि सीएम की रेस में सबसे पहला नाम हिमाचल के बीजेपी नेता जयराम ठाकुर का है. इनके अलावा सबसे ज्यादा जो नाम सुर्खियों में है वो स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा का है. बता दें कि प्रेम कुमार धूमल के बेटे अनुराग ठाकुर को मुख्यमंत्री बनाने की मांग पार्टी कार्यकर्ताओं की ओर से हो रही है
क्या छह महीने के अंदर फिर चुनाव लड़ेंगे धूमल
दरअसल बीजेपी का मानना है कि पार्टी ने प्रेम कुमार धूमल की उम्मीदवारी की वजह से ही हिमाचल में शानदार जीत दर्ज की है. वह हारे जरुर हैं लेकिन कम अंतर से. ऐसे में पार्टी विचार कर रही है कि धूमल को छह महीने के अंदर फिर से विधानसभा का चुनाव लड़कर सदन पहुंचाया जाए. बीजेपी के सीएम उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल अपनी पारंपरिक सीट हमीरपुर की जगह सुजानपुर से चुनाव मैदान में थे. धूमल के खिलाफ कांग्रेस के टिकट से उन्हीं के पुराने करीबी राजेंद्र सिंह राणा मैदान में थे. लेकिन राजेंद्र सिंह राणा ने धूमल को चुनावी मैदान में पटखनी दे दी.
गुजरात और हिमाचल में जीत के बाद पहली बार बीजेपी संसदीय दल की आज बैठक हो रही है. इस बैठक में बीजेपी के सभी सांसद के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह भी मौजूद हैं. बैठक में पीएम मोदी को माला पहनाकर और मिठाई खिलाकर अमित शाह ने स्वागत किया. भाषण के दौरान जीत का जिक्र करते हुए पीएम मोदी भावुक हो गए और सांसदों से कहा कि आगे भी ऐसे ही काम करना है और जड़ें मजबूत करनी है. बैठक की शुरुआत में ही संसदयी कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि दोनों राज्यों में जीत का सेहरा पीएम मोदी और अध्यक्ष अमित शाह के नाम है. बैठक में वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, गृहमंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज सहित कई बड़े नेता मौजूद हैं.
ख़तरे की घंटी हैं. गुजरात के नतीजे
राजनीतिक गलियारों में स्मृति ईरानी से लेकर पुरूषोत्तम रूपाला के नाम घूमने लगे हैं, मगर बीजेपी अभी अपने पत्ते नहीं खोलना चाहती है. राष्ट्रीय प्रवक्ता विजय सोनकर शास्त्री ने कहा कि हमारे पर्यवेक्षक अरुण जेटली और सरोज पांडे गुजरात जाएंगे वहां नेताओं से मिलेंगे फिर वो रिपोर्ट देंगे फिर संसदीय बोर्ड तय करेगा कि प्रदेश का सीएम कौन बनेगा. वैसे जानकारों की राय में गुजरात के नतीजे वहां की पूरी टीम के लिए ख़तरे की घंटी हैं. राय ऐसी भी है कि अगर वहां नेतृत्व बदलना है तो इससे सही समय दूसरा नहीं होगा.
राज्य की सियासी रणभूमि में बीजेपी चुनाव में उतरी तो विजय रूपाणी का चेहरा सबसे आगे था, लेकिन चुनावी नतीजों ने उन्हें पीछे कर दिया है. बीजेपी भले ही जीत का परचम फहराकर छठवीं बार सत्ता के सिंहासन पर काबिज होने जा रही है, लेकिन पिछले 22 सालों में वो पहली बार 100 सीट का आंकड़ा पार करने में असफल रही है. इसीलिए बीजेपी रूपाणी के विकल्प के तौर पर मुख्यमंत्री के चेहरे की तलाश कर रही है और रूपाणी कुछ खुलकर नहीं कर पा रहे हैं.
हिमाचल में बीजेपी ने दर्ज की शानदार जीत
राज्य में बीजेपी की बंपर जीत हुई है. हिमाचल प्रदेश विधानसभा की 68 सीटों में से बीजेपी को 44 सीटें मिली हैं. जबकि कांग्रेस 21 पर सिमट गई. तीन सीटें अऩ्य के खाते में गई हैं. हिमाचल में बीजेपी को करीब 48.6 फीसदी वोट मिले हैं, जबकि कांग्रेस को 41.9 फीसदी. हिमाचल में लोगों का बीजेपी पर भरोसा और जनाधार दोनों बढ़ा है.लिहाजा पार्टी के लिए चुनौती एक जननेता की तलाश की है. जिसमें कुशल नेतृत्व और धूमल की कमी की भरपाई करने की क्षमता हो.
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