विपक्ष ने पहले खूब गला फाडा, फिर मौन व्रत साधा, यह कैसी राजनीति
किसी ने क्या खूब कहां है, परन्तु उत्तराखण्ड में भाजपा को यह समझ में नही अाया- कि राजनीति में कामयाबी धरनाे से नहीं, बल्कि कुछ करने से मिलती है।” दो दिनों तक चले विधानसभा सत्र में विपक्ष ने पहले खूब गला फाडा, फिर मौन व्रत साधा, यह कैसी राजनीति,
दो दिनों तक चले विधानसभा सत्र में विपक्ष ने सरकार की राह और आसान कर दी. जहां पहले दिन विपक्ष सरकार की गुगली में उलझ कर क्लीन बोल्ड़ हो गया तो वहीं दूसरे दिन विपक्ष के मौनव्रत ने सरकार की राह आसान बना दी.
नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट ने कहा कि विरोध के सभी लोकतांत्रितक तरीके भी जब सरकार के आगे काम न आए और सरकार अपने अहंकार में मनमाने निर्णय करती रही तो मजबूरन विपक्ष को ऐसा करना पड़ा. उन्होंने साफ कहा कि जब तक स्पीकर गोविंद कुंजवाल सदन की कुर्सी पर काबिज रहेंगे विपक्ष सदन के भीतर नहीं जाएगा.
उत्तराखण्ड विधानसभा के दूसरे दिन बिना किसी व्यवधान के सराकर ने बड़े ही आराम से अपना कामकाज निपटाया. राज्य के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि जब विपक्ष विधानसभा तो पहुंचा लेकिन सदन के भीतर नहीं नहीं गया और सरकार फुरसत से अपना कामकाज निपटाती रही. सदन शुर होने से पहले विपक्षी विधायकों ने अपने अपने विधानसभा क्षेत्रों की समस्याओं को लेकर ध्यानाकार्षण धरना देकर औपचारिकता तो निभाई लेकिन सदन की भीतर वे जनता की आवाज को मजबूती नहीं दे पाए.
तय रणनीति के मुताबिक विपक्ष विधानसभा के भीतर अपने कक्ष में पहुंचा. सत्र के एक दिन पहले ही देर रात ये तय हो चुका था कि विपक्ष सरकार का विरोध करेगा. विपक्ष के कक्ष से सभी विधायक एक साथ मुंह पर काले कपड़े बांधकर विधानसभा पहुंचे और सदन के बाहर सीढ़ियों पर धरने पर बैठ गए.
नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष तीरथ सिंह रावत, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व भाजपा विधायक बिशन सिंह चुफाल के साथ ही प्रदेश बीजेपी के सभी विधायक इसी प्रकार से मौन धारण किए धरने पर रहे. इस दौरान बीजेपी विधायकों ने मीडिया तक से बात नहीं की. करीब दो घण्टे तक बीजेपी विधायक इसी प्रकार से मौन होकर अपना विरोध जताते रहे और दो घण्टे बाद जब नेता प्रतिपक्ष ने मौन तोड़ा तो सरकार के खिलाफ जमकर हल्ला बोला.
सदन के भीतर दो दिनों तक विपक्ष ने सिवा स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के और कोई मुद्दा नहीं उठाया और ना ही उठाने की कोशिश भी की. शरुआत से ही विपक्ष इस बात को कहता रहा कि सरकार ने अवैदधानिक काम किया है.
विपक्ष के हो हल्ले के बीच एक भी जनहित का मुद्दा नहीं उठ सका. सरकार अपनी जिद पर अड़ी रही तो विपक्ष अपनी. दूसरे दिन विपक्ष रुठा तो सरकार ने विपक्ष को मनाने को भी कोशिश नहीं की, जिसको लेकर नेता विपक्ष अजय भट्ट ने भी सरकार पर हमला किया और केन्द्र का उदाहरण दिया.