भाजपा ;मंच पर तो विकास की बात- पर बैठा रहे हैं समीकरण जातीय
भाजपा उत्तर प्रदेश को हाथ से नहीं जाने देना चाहती, लिहाजा उनके नेता मंच पर तो विकास की बात करते हैं पर समीकरण जातीय बैठा रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में 2017 में होने वाले चुनाव के लिए बिसात बिझने लगी है। सबसे बड़ी लड़ाई जीतने के लिए इस बिसात में जाति की गोटियां बैठानी शुरू कर दी गई हैं। इसमें विकास की बात करने वाली भाजपा ने भी दौड़ में आगे निकलने के लिए पूरी ताकत के साथ रेस शुरू कर दी है। अपना दल की स्वाभिमान रैली के बाद अब वह पूर्वांचल में अति पिछड़ों और अति दलितों को अपने पाले में करने की जुगत में है। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने उत्तर प्रदेश में कहा कि ‘‘सपा, बसपा ‘राहु-केतु’ की तरह है। इनके रहते उत्तर प्रदेश का विकास नहीं हो सकता।’’ ‘‘नरेन्द्र मोदी की सरकार में देश में चला विकास का रथ यूपी में अटक गया है। यूपी की सरकार विकास होने ही नहीं देना चाहती।’’ रोजी रोटी की तलाश में पूर्वांचल के युवकों के दिल्ली, मुंबई जैसे शहरों को होने वाले ’पलायन’ की ओर इशारा करते हुए शाह ने कहा, ‘‘आप गुजरात जाइए, महाराष्ट्र जाइए, वहां पूर्वांचल के युवक बड़ी संख्या में काम करते मिलेंगे। वे रोजी की तलाश में घर बार और परिवार को छोड़कर बाहर जाने को मजबूर हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘पूर्वाचल के युवकों के पसीने से देश का विकास होता है। मगर पूर्वांचल का विकास नहीं होता। पूर्वांचल को समृद्ध करना है तो उन्हें यहीं पर रोजगार देना होगा, पूर्वांचल से पलायन रोकना है, यह काम सपा बसपा और कांग्रेस नहीं कर सकते।’’ उन्होंने कहा कि सपा-बसपा ने बीस साल तक प्रदेश में राज किया, मगर गरीबों के लिए कुछ नहीं किया। शाह ने मायावती पर हमला बोला और कहा, ‘‘कांशीराम का मन साफ था, मगर मायावती ने पिछड़ों और दलितों के वोट को नोट छापने की मशीन बना दिया है।’’ भाजपा अध्यक्ष ने मंच पर मौजूद रहे भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर की ओर इशारा करते हुए कहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव में जब राजभर हमारे साथ नहीं थे, तब भाजपा ने प्रदेश की 80 में से 73 सीटें जीती थी, अब जब यह भी साथ आ गये है तो ‘मुलायम सिंह जी’ सोचो आगे (विधानसभा चुनाव में) क्या होने वाला है।
उन्होंने आरोप लगाया कि अखिलेश सरकार नौकरी देती है तो पहले जाति पूछती है। उन्होंने कहा कि भाजपा जाति और धर्म का भेद किये बिना सबको अवसर देने की बात करती है। हमारा मंत्र है ‘सबका साथ, सबका विकास।’ उत्तर प्रदेश में साढ़े तीन मुख्यमंत्री काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ’अखिलेश यादव, सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव, दो चाचा (शिवपाल सिंह यादव और रामगोपाल यादव) आधा-आधा मिलकर एक और आधे मुख्यमंत्री हैं आजम खान।’ उन्होंने पिछले दिनों मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल के सपा में विलय और फिर उसके विलय को निरस्त करने के घटनाक्रम को नाटक बताते हुए कहा, ”सपा में मुख्तार जैसे लोगों की कमी नहीं है। सबको निकाल देंगे तो पार्टी ही नहीं बचेगी।’
राजभरों की पार्टी भारतीय समाज पार्टी के साथ भाजपा ने अति दलित अति पिछड़ों की महापंचायत मऊ जिले में रैली के शक्ल में की। चूंकि मौका 1917 के यूपी चुनाव का है और दस्तूर महाराजा सोहेल देव को मानने वाले लोगों को अपनी तरफ गोलबन्द करने का इस लिहाजा से अमित शाह को सोहेल देव का वह गौरव याद आया जो गुजरात से जोड़ता है। उन्होंने कहा ”मैं सोमनाथ की धरती से आता हूं। सोमनाथ मंदिर को गजनी ने तोड़ा था। यहां बहराइच में भी एक सोमनाथ का मंदिर था जिसको तोड़ने के लिए उसका भतीजा गाजी और साला आया था। पर उसे नहीं पता था कि बहराइच में महाराजा सोहेल देव का राज है। महाराजा सोहेल देव ने उन्हें हराया। सोहेल देव ने देश की रक्षा के साथ धर्म की भी रक्षा की।”
राजभरों को उनकी ताकत का अहसास कराने के बाद अमित शाह मुद्दे पर आए। उन्होंने सपा और बसपा को जमकर आड़े हाथों लिया और कहा कि ”यह राहू और केतु हैं। जब तक इन्हें हटाएंगे नहीं, विकास नहीं हो पाएगा।” इस मौके पर अमित शाह को लोकसभा की 73 सीटों की भारी जीत भी याद आई। उन्होंने कहा कि ”उस समय हम साथ नहीं थे, अब साथ हैं तो क्या होगा, यह मुलायम भी देखेंगे।”
गौरतलब है कि राजभरों का पूर्वांचल में बड़ा वोट है। सन 2012 के चुनाव में इनकी ताकत भी पूर्वांचल में दिखाई पड़ी थी। बलिया, गाजीपुर, मऊ, वाराणसी में अच्छा प्रदर्शन रहा था। भासपा के अध्यक्ष ओम प्रकाश ने गाजीपुर की जहूराबाद सीट से 49600 वोट मिले थे। पार्टी के दूसरे प्रत्याशी बलिया ने फेफना से 42000 , रसड़ा से 26000, सिकंदरपुर से 40000, बेल्थरा रोड से 38000, वोट बटोरे थे। गाजीपुर, आजमगढ़, वाराणसी में भी पार्टी के उम्मीदवारों ने 18 से 30 हजार वोट बटोरे थे, लेकिन कोई सीट जीत नहीं पाए थे। लिहाजा सत्ता में भागीदारी के लिए राजभरों को भी किसी मजबूत कंधे की जरूरत है जो उन्हें बीजेपी के रूप में नजर आ रहा है। इसलिए ओम प्रकाश राजभर ने अपने लोगों को विकास से अब तक दूर रहने की बात याद दिलाते हुए कहा कि “खजाना लेना है कि नहीं। कितने लोग तैयार हैं खजाना लेने के लिए। यह खजाना तभी मिलेगा जब भारतीय जनता पार्टी और भासपा की सरकार बनेगी।”
बिहार की हार के बाद भाजपा उत्तर प्रदेश को हाथ से नहीं जाने देना चाहती, लिहाजा उनके नेता मंच पर तो विकास की बात करते हैं पर समीकरण जातीय बैठा रहे हैं। यही वजह है कि अपना दल की अनुप्रिया पटेल और भासपा के बाद उनके निशाने पर और छोटी पार्टियां हैं। उत्तर प्रदेश में पिछड़ों, अति पिछड़ों, दलितों के तकरीबन 50 % वोट हैं। इनमें से यादव 19 % निकाल दें तो भी यह प्रतिशत बहुत है जिसे बीजेपी ज़्यादा से ज़्यादा अपनी तरफ गोलबंद करने में जुटी है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि बिहार चुनाव में भाजपा इसी जाति की कश्ती में सवार होकर डूब चुकी है। अब एक बार फिर उत्तर प्रदेश के चुनाव में इसी कश्ती में सवार होने की तैयारी कर रही है। ऐसे में देखने वाली बात यह होगी कि उत्तर प्रदेश में यह कश्ती चुनावी वैतरणी पार कर पाती है या नहीं। (www.himalayauk.org)