UK; भाजपा को बहुमत का विश्‍वास; कैसे ?

#उत्तराखंड में कांग्रेस गंभीर संकट में #14 मुख्‍य विधायको की स्‍थिति कमजोर  #पहाड में कमल भरपूर मात्रा में खिलने की संभावना #भाजपा उत्‍तराखण्‍ड में इस बार मोदी-अमित शाह की धमक # हरक-खण्‍डूडी की ब्राहमण तथा ठाकुर का गठजोड समीकरण  www,himalayauk.org (Leading Digital Newsportal & Print Media) 

हरिद्वार की 8, उधम सिंह नगर की 9, पौडी गढवाल की 4, देहरादून की 8, उत्‍तरकाशी की 2, केदारनाथ से 2, पिथौरागढ की 1, बागेश्‍वर जनपद 1, अल्‍मोडा जनपद से 1, रूद्रप्रयाग 2, अल्‍मोडा 1, नैनीताल 2, – कुल मिलाकर 41 विधायकों की स्थिति मजबूत है- और भाजपा सबसे बडी पार्टी बनकर उभर सकती है- पहाड में कमल भरपूर मात्रा में खिलने की संभावना
हिमालयायूके न्‍यूज पोर्टल द्वारा कराये गये सर्वे के अनुसार करीबन 41 सीटों पर भाजपा जीत रही है, जिसमें हरिद्वार जनपद में 6 से 8 सीटों पर भाजपा भारी है, जिसमें हरिद्वार-25 सीट पर मदन कौशिक, बीएचईएल रानीपुर-26 विधानसभा सीट पर आदेश चौहान, 28-भगवानपुर में सुबोध राकेश, 31-रूडकी में प्रदीप बत्रा 32-खानपुर में कुंवर प्रणव सिंह चैम्‍पियन, 33-लक्‍सर में संजय गुप्‍ता, वही पौडी गढवाल जनपद में 4 सीटों पर भाजपा का पलडा भारी है, जिसमें यमकेश्‍वर से बीसी खण्‍डूडी की सुपुत्री रितु खण्‍डूडी, चौबटटाखाल से सतपाल महाराज, लैंसडोन से दिलीप सिंह रावत, कोटद्वार में हरक सिंह रावत के क्षेत्रों में भाजपा की हवा है, वही देहरादून जनपद में की 10 सीटों में से 6 से 8 सीटों पर भाजपा को जीत मिल सकती है जिसमें सहसपुर से सहदेव पुण्‍डीर, रायपुर से उमेश शर्मा मसूरी से गणेश जोशी, ऋषिकेश से प्रेमचन्‍द अग्रवाल, देहरादून कैन्‍ट से हरबंस कपूर, विकासनगर आदि हैं, उत्‍तरकाशी में माल चन्‍द तथा यमनोत्री में केदार सिंह रावत पर भाजपा भारी है, वही उधम सिंह नगर जनपद की 9 सीटों पर भाजपा भारी है, यहां कांग्रेस का सूपडा हो सकता है- जिसमें जसपुर से डा0 शैलेन्‍द्र मोहन सिंघल, काशीपुर से हरभजन सिंह चीमा, बाजपुर से यशपाल आर्य, गदरपुर से अरविन्‍द पाण्‍डे, रूद्रपुर से राजकुमार ठुकराल, किच्‍छा से राजेश शुक्‍ला, नानकमत्‍ता से डा0 प्रेम सिंह, खटीमा से पुष्‍कर सिंह धामी का पलडा भारी है, रूद्रप्रयाग की 2 सीटों में से केदारनाथ में शैलारानी रावत तथा रूद्रप्रयाग में भारत चौधरी भी कांग्रेस से भारी उम्‍मीदवार है, पिथौरागढ जनपद की 4 सीटों में से केवल डीडीहाट सीट पर भाजपा को मजबूत माना जा सकता है, बागेश्‍वर जनपद की 2 सीटों में से केवल बागेश्‍वर सुरक्षित सीट चन्‍दन राम दास की सीट पर भाजपा मजबूत स्‍थिति में हैं, अल्‍मोडा जनपद की 6 सीटों में से सुरक्षित सीट सोमेश्‍वर में रेखा आर्य की स्‍थिति मजबूत मानी जा सकती है, वही नैनीताल जनपद की 6 विधान सभा सीटों में से 2 सीटों पर भाजपा की सथिति मजबूत मानी जा सकती है,
हिमालयायूके के अनुसार  इस तरह भाजपा के 41 विधायकों की स्‍थिति मजबूत मानी जा सकती हैं, वह जनता को प्रभावित तथा विश्‍वास दिलाने की स्‍थिति में है,  इसके अलावा निर्दलीय तथा भाजपा के बागी विधायक भी जीत गये तो लौट कर भाजपा में आने को वरियता देगें, क्‍योंकि यह तो तय है कि भाजपा उत्‍तराखण्‍ड में सबसे बडी पार्टी बनकर उभर रही है, वही हर विधानसभा क्षेत्र में सतपाल महाराज की मांग है,

गढवाल के प्रमुख समाजसेवी हरिकिशन किमोठी ने हिमालयायूके को बताया कि इस बार का विधानसभा चुनाव कुछ हट कर है, भाजपा में इस बार गुटबाजी नही है, तथा मोदी जी- अमित शाह के निर्णयों पर सबको भरोसा है कि वह उत्‍तराखण्‍ड के लिए अच्‍छा ही करेगें, तथा विशाल व्‍यक्‍तित्‍व के धनी सतपाल महाराज चौबटटाखाल समेत पूरे उत्‍तराखण्‍ड को समद्वशाली बनायेगे,

वही उत्तराखंड में कांग्रेस गंभीर संकट में है। प्रदेश में विधानसभा चुनाव की नामांकन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, परन्‍तु कांग्रेस के पास प्रत्‍याशियों की सूची तैयार नही है, जिससे कांग्रेस के छोटे व बडे नेता मजबूर होकर पार्टी छोडकर जाने को मजबूर हो रहे हैं, यह उस पार्टी के हालात है जिसके 5 साल सत्‍ता में रहते हुए पूर्ण हो रहे हैं, उसे आगामी विधानसभा चुनावों के लिए अपनी रणनीति के बारे में फिर से सोचना पड़ रहा है। साथ छोड गये पुराने नेताओं से मुकाबला करने के लिए उम्मीदवार ही नही मिल पा रहे हैं, जिससे पार्टी उम्मीदवारों की घोषणा नही हो पा रही है। मुख्यमंत्री हरीश रावत बीजेपी के विद्रोहियों और निर्दलीय उम्मीदवारों को किसी तरह कांग्रेस का टिकट पकडाने की कोशिश में लगे हुए हैं
भाजपा उत्‍तराखण्‍ड में इस बार मोदी-अमित शाह की धमक के कारण पहले टांग खिंचाई थी, अब टांग खिंचाई नही है, तथा गुटबंदी का असर भी नही दिख रहा है, हरक-खण्‍डूडी की ब्राहमण तथा ठाकुर का गठजोड समीकरण करने में भाजपा हाईकमान को सफलता मिली है, खण्‍डूडी जी को बेटी को विधानसभा चुनाव जिता कर अपनी इमेज को बरकरार रखना है, उनकी अपनी भी इज्‍जत का सवाल है जो पार्टी ने उनकी पुत्री को सिटिंग विधायक का टिकट काट कर विश्‍वास जताया, जिससे उन्‍हें तन-मन धन से लडने को तैयार होना पडा है, वही हिमालयायूके न्‍यूज पोर्टल के सूत्रों का कहना है कि कोश्‍यारी जी के प्रभाव वाले क्षेत्र में भाजपा कुछ कमजोर है तथा रूडकी क्षेत्र भी भाजपा के लिए कमजोर दिख रहा है परन्‍तु पहाड से साफ है कांग्रेस – कांग्रेस के पास उम्‍मीदवारों तथा नेताओं का अभाव साफ दिख रहा है- हरीश रावत अकेले कहां तक विधानसभा क्षेत्रों में भ्रमण कर पायेगें, जिससे प्रत्याशी की स्‍थिति कमजोर हो जाये तो कुछ आश्‍चर्य नही- हालांकि राहुल गॉधी की 6 रैलियां प्रस्‍तावित है परन्‍तु राहुल गॉधी का भाषण उत्‍तराखण्‍ड में प्रभावी नही हो पाया है, वही उनके मुंह से निकले कुछ शब्‍द सोशल मीडिया मे हास्‍यास्‍पद बन जाते हैं, जिससे कांग्रेस को नुकसान होता है, वही उ0प्र0 में समाजवादी पार्टी से समझौता उत्‍तराखण्‍ड कांग्रेस को नुकसान करेगा, पहाड की जनता में आज भी समाजवादी पार्टी से नाराजगी है,और राज्‍य गठन के 16 वर्ष बाद भी पूरे उत्‍तराखण्‍ड में समाजवादी पार्टी का एक पार्षद, एक ग्राम प्रधान तक नही बन पाया है, पहाड में मुलायम के नाम पर आज भी अप्रियता-

कांग्रेस पार्टी को उम्मीदवारों की सूची का ऐलान न कर पाने से यह संदेश जा रहा है कि उत्‍तराखण्‍ड में कांग्रेस के पास प्रत्‍याशी ही नही है, नामांकन प्रक्रिया 20 जनवरी से शुरू हो चुकी है, तथा उत्‍तराखण्‍ड राज्य में आगामी 15 फरवरी को विधानसभा चुनाव होना है। उत्‍तराखण्‍ड में वैकल्पिक राजनीति के अभाव में कांग्रेस-बीजेपी बहुमत की बैसाखी का बाहर से जुगाड़ कर बारी-बारी से सत्ता सिंहासन पर काबिज होती रही हैं. पिछले पांच सालों में कई सीटों पर सियासी समीकरण भी बदल गये हैं .
पिछली बार जहां गलत टिकट बांटने से कई नेता निर्दलीय लड़ गये थे वहीं इस बार कांग्रेस से आये बागियों के चलते आठ-दस सीटों पर बगावत के हालात बनते दिख रहे हैं.
अगर बात दो हजार बारह में एक सीट से बढ़त बनाकर सूबे की सत्ता पर काबिज होने वाली कांग्रेस की करें तो कांग्रेस बीएसपी के चलते भीमताल, सितारगंज और ज्वालापुर सुरक्षित सीट पर तीसरे पायदान पर पहुंची. जबकि निर्दलीयों के चलते पुरोला, सोमेश्वर और लालकुआं में तीसरे नंबर पर खिसक गयी. लालकुंआ में पार्टी छोड़कर बागी लड़े हरीश चन्द्र दुर्गापाल के चलते कांग्रेस पिछड़ी. जबकि देवप्रयाग में पार्टी के बागी मंत्री प्रसाद नैथानी की जीत ने कांग्रेस कैंडिडेट शूरवीर सजवाण को चौथे नंबर पर पहुंचा दिया. गदरपुर, रानीपुर और लक्सर में बसपा और निर्दलीयों के दमखम दिखाने से कांग्रेस चौथे पायदान पर सिमट गयी. लैंसडाउन में टीपीएस रावत के रक्षा मोर्चा ने भी कांग्रेस को तीसरे नंबर पर पछाड़ दिया था.
हालांकि सितारगंज उपचुनाव में विजय बहुगुणा बीजेपी विधायक किरण मंडल से सीट खाली करा चुके थे, लेकिन आज बहुगुणा खुद बीजेपी में हैं और किरण मंडल कांग्रेस में.
सोमेश्वर से अजय टम्टा 2014 में लोकसभा पहुंचे तो कांग्रेस प्रत्याशी रेखा आर्य ने उपचुनाव में सीट जीत ली लेकिन आज रेखा आर्य भी बीजेपी का दामन थाम चुकी हैं. भीमताल के बीजेपी विधायक दान सिंह भंडारी इस्तीफा देकर कांग्रेसी रंग में रंग चुके हैं. जबकि निर्दलीय विधायक हरीशचन्द्र दुर्गापाल और मंत्री प्रसाद नैथानी पीडीएफ के सहारे कांग्रेस के करीबी बन चुके हैं. दोनों के अगला चुनाव कांग्रेस के साथ लड़ने की चर्चा है. वहीं गदरपुर, रानीपुर और लक्सर में हालात बेहतर करने के लिये कांग्रेस को 2017 में भी खूब पसीना बहाना होगा.
लैंसडौन में कांग्रेस को तीसरे नंबर पर धकेलने वाला उत्तराखंड रक्षा मोर्चा अब एक्टिव नहीं है और टीपीएस रावत भी कांग्रेसी खेमे में जाते दिख रहे हैं. क्या सत्ता में दोबारा वापसी के सपने देख रही कांग्रेस 2017 में इन सीटों पर कमजोर प्रदर्शन सुधार पायेगी.
बहरहाल, पिछले चुनाव में तेईस सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी का प्रदर्शन खासा निराशाजनक रहा था. ऐसे में इस बार दोनों राष्ट्रीय दलों के रणनीतिकार इन कमजोर सीटों पर कमाल दिखाने के लिये कैसी रणनीति बनाते हैं, इस पर जीत का दारोमदार रहेगा. साथ ही कांग्रेस-बीजेपी का खेल बिगाड़ने वाली राजनीतिक शक्तियों के सामने भी अपना स्कोर बोर्ड और बेहतर करने की चुनौती है.

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