बेनामी सम्पत्ति तथा काला धन पर सर्जिकल स्ट्राइक जल्द
उत्तराखण्ड में सफेदपोशों के पास
Execlusive : www.himalayauk.org (Leading Digital Newsportal)
पीएम मोदी ने काले धन से बनी काली संपत्ति पर सर्जिकल स्ट्राइक की पूरी तैयारी कर ली है. नए साल में बेनामी संपत्ति वालों पर सर्जिकल स्ट्राइक की स्क्रिप्ट लिखी जा चुकी है. केन्द्र सरकार के पास यह भी जानकारी आयी है कि उत्तराखण्ड में सफेदपोशों ने किस तरह बेनामी सम्पत्ति तथा काला धन इकटठा किया है-
सरकार को धोखा देने और इनकम टैक्स से बचने के लिए प्रॉपर्टी खरीदी किसी ऐसे के नाम पर जो सगा नहीं था लेकिन प्रॉपर्टी रखी अपने कब्जे में. कुल मिलाकर ऐसे पैसे से खरीदी गई प्रॉपर्टी जो सरकार की नजर में काला धन है.
माना जाता है कि नेताओं, कारोबारियों और एनआरआई लोगों ने रिश्तेदारों या करीबियों के नाम से प्रॉपर्टीज में इन्वेस्ट किया है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, देश के करीब-करीब हर शहर में पांच से दस फीसदी बेनामी संपत्तियां हैं। नवंबर में सरकार ने बेनामी प्रॉपर्टी ट्रांजेक्शन एक्ट लागू किया था। इस कानून के मुताबिक, अगर किसी शख्स ने किसी दूसरे के नाम से प्राॅपर्टी खरीदी तो उसको सात साल की सजा हो सकती है। इसके अलावा वो प्रॉपर्टी भी जब्त की जा सकती है।
सरकार का मानना है कि देश के टैक्स कानून में कुछ ऐसी बड़ी खामियां हैं, जिनकी वजह से बेनामी संपत्ति और रियल एस्टेट में गलत तरीकों से इन्वेस्टमेंट किया जाता है। इस साल जुलाई तक हुए इनकम टैक्स रिटर्न की फाइलिंग को चेक किया जा रहा है। संदिग्ध लोगों या कंपनियों को सबसे पहले चेक किया जा रहा है। नोटबंदी के बाद इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने बाकी एजेंसियों के साथ कोऑर्डिनेट कर देश के कई हिस्सों में छापे मारे। इनमें कई कैश और गोल्ड के अलावा अहम दस्तावेज भी मिले। अब इन्हीं दस्तावेजों को बारीकी से चेक किया जा रहा है। आईटी डिपार्टमेंट और बाकी एजेंसियां देशभर में कुछ खास अकाउंट्स पर नजर रख रही हैं। इन अकाउंट्स को ऑपरेट करने वालों पर शक है कि उन्होंने बेनामी संपत्तियां खरीदीं या रियल एस्टेट सेक्टर में गैरकानूनी तरीकों से इन्वेस्टमेंट किया। भारत में लैंड रिकॉर्ड्स बहुत साफ-सुथरे और सिस्टमैटिक नहीं हैं। लिहाजा, इनकी बारीकी से जांच में परेशानियां आएंगी।
1988 में राजीव गांधी के पीएम रहते हुए भी बेनामी प्रॉपर्टी का कानून बना था जो मोदी के जमाने में बने कानून से कमजोर तो था ही उसे भी कभी लागू नहीं किया गया. 28 साल से बंद अलमारी में धूल खा रहा था. काले धन पर सर्जिकल स्ट्राइक के लिए पीएम मोदी ने धूल भरी अलमारी से कानून से वही फाइल निकाली. उसे दुरुस्त किया. सख्त किया और एक नवंबर से लागू कर दिया. अब बेनामी संपत्ति वाले बच के कहीं जा नहीं सकते.
बेनामी संपत्ति कानून के तीर से पीएम मोदी कई शिकार करने वाले हैं. पहला शिकार होंगे वो बिल्डर जो चोरी के पैसे से चोरी चुपके चोरों को प्रॉपर्टी बेचते हैं. बेनामी संपत्ति कानून के तीर के दूसरे शिकार होंगे काले धन वाले सांप जिन्होंने काला धन कहीं तहखाने में छुपाया तो कहीं बाथरूम में. काला धन छुपाने के लिए जगह नहीं बची तो उसे खपाया प्रॉपर्टी खरीदने में.
आपने प्रॉपर्टी अपने बेटे, बेटी, पत्नी या के नाम पर खरीदी है और उसे अपनी डिक्लेयर इनकम से खरीदी है और अपने इनकम टैक्स रिटर्न में दिखाया है तो उस प्रॉपर्टी को बेनामी नहीं माना जाएगा.
बेनामी लेनदेन का दोषी पाए जाने पर कम से कम एक साल और अधिकतम 7 साल की सज़ा और प्रॉपर्टी के मार्केट वैल्यू का 25 फ़ीसदी तक जुर्माना होगा. जानबूझकर ग़लत जानकारी देने पर कम से कम 6 महीने और अधिकतम 5 साल की सजा और संपत्ति के बाज़ार मूल्य का 10 फ़ीसदी तक का जुर्माना होगा. जुर्माना और सजा दोनों साथ-साथ दी जा सकती है. बेनामी संपत्ति का मतलब ऐसी प्रॉपर्टी, जिसका ओनर कागजों में कोई और है, जबकि उसके लिए पेमेंट किसी और ने किया है। उत्तराखण्ड में बेहिसाब बेमानी सम्पत्ति होने की खबर है- बेनामी संपत्ति का मतलब ऐसी प्रॉपर्टी, जिसका ओनर कागजों में कोई और है, जबकि उसके लिए पेमेंट किसी और ने किया है। काली कमाई करने वाले लोग बेटा-बेटी, पति-पत्नी के लिए ऐसी प्रॉपर्टी खरीदते हैं, लेकिन इनकम टैक्स से जुड़े डिक्लेरेशन में उसका जिक्र नहीं करते। कई लोग नौकर-चाकर, पड़ोसी, दोस्तों और रिश्तेदारों के नाम पर प्लाॅट्स, खेती की जमीन, फ्लैट्स खरीद लेते हैं। दरअसल, दूसरे के नाम पर रजिस्ट्री करवाकर उस प्राॅपर्टी की वसीयत बनवा ली जाती है। इसमें वही शख्स वारिस बन जाता है, जिसने काली कमाई से वह प्रॉपर्टी खरीदी होती है। वसीयत के साथ बेनामी मालिक से एक पावर ऑफ़ अटाॅर्नी करवाई जाती थी। इस तरह वह उस प्राॅपर्टी को बेचने के हक दूसरे को दे देता है। बेनामी मालिक से उस प्राॅपर्टी की सेलडीड भी बनवाई जाती थी। इसमें वह उस प्राॅपर्टी का पूरा पेमेंट लेकर असली मालिक या उसके भरोसेमंद शख्स को बेचने का करार कर लेता है। इस तरह ब्लैकमनी रखने वाला शख्स बिना अपना नाम उजागर किए अपना पैसे इन्वेस्ट कर देता है और प्रॉपर्टी पर कब्जा कर उसके पूरे अधिकार अपने पास रख लेता है।