काले धन को सफेद कर रहे राजनीतिक दल

चुनाव आयोग सिफारिश ; किसी भी राजनीतिक पार्टी को अज्ञात स्त्रोतों द्वारा मिलने वाले दो हजार रुपए से ऊपर के चंदे को लेने पर पाबंदी लगा दी जाए  # www.himalayauk.org (Leading Digital Newsportal) www.himalayauk.org (UK Leading Digital Newsportal)

 चुनाव आयोग ने केंद्र सरकार से राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाले चंदे की लिमिट को कम करने को कहा है। चुनाव आयोग ने सरकार से सिफारिश की है कि किसी भी राजनीतिक पार्टी को अज्ञात स्त्रोतों द्वारा मिलने वाले दो हजार रुपए से ऊपर के चंदे को लेने पर पाबंदी लगा दी जाए। चुनाव आयोग ने बदलाव करने के लिए सरकार को लिख दिया है। फिलहाल Section आयकर कानून की धारा 13ए 1951 के तहत राजनीतिक दलों की उनकी आय को लेकर टैक्‍स से छूट है। साथ ही कानून के मुताबिक पार्टी अज्ञात स्त्रोतों से बीस हजार रुपए तक चंदा ले सकती हैं। उससे ऊपर के चंदे पर उसे स्त्रोत के बारे में बताना पड़ेगा। इस मुद्दे पर काफी राजनीति भी होती आई है। कई बार आरोप लगे हैं कि बीस हजार रुपए से नीचे के चंदे लेकर पार्टी काला धन सफेद करती है।

इससे पहले 16 दिसंबर को वित्त सचिव अशोक लवासा ने बताया था कि 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को बैंक में जमा कराने पर राजनीतिक दलों पर कोई टैक्‍स नहीं लगेगा। उस बात का काफी विरोध हुआ था। हालांकि, बाद में सरकार को सफाई देनी पड़ी कि राजनीतिक दलों के खातों में जमा रकम पर कार्रवाई करने के लिए आयकर कानून में पर्याप्‍त नियम बने हुए हैं, हालांकि उनकी कमाई पर टैक्‍स नहीं लगता है। केंद्रीय प्रत्‍यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की ओर से कहा गया कि रजिस्‍टर्ड राजनीतिक दलों को मिलने वाला चंदा आयकर से अलग है। लेकिन खातों की ऑडिट तो जरूरी है और 20 हजार रुपये से ऊपर के चंदे पर टैक्‍स तय है।

बैंक अधिकारियों की मिली भगत से कुछ ‘ख़ास लोगों’ तक पहुंचाया जा रहा है पैसा

कालेधन पर लगाम कसने की केंद्र सरकार की मुहिम के बाद देशभर में आयकर विभाग, सीबीआई और पुलिस के छापे पड़ रहे हैं. इन छापों से साफ हो रहा है कि जो पैसा आम आदमी के पास जाना चाहिए था, उसे गैरकानूनी तरीकों से बैंक अधिकारियों की मिली भगत से कुछ ‘ख़ास लोगों’ तक पहुंचाया जा रहा है. एनडीटीवी की एक रिपोर्ट में ऐसी ही एक धांधली का पर्दाफाश किया गया है जिसमें बार बार डीमांड ड्राफ्ट जारी और रद्द करते हुए एक प्रायवेट कंपनी के मालिक के पास नगदी पहुंचाई जा रही थी. बेंगलुरू में बसावनगुड़ी की सेंट्रल बैंक शाखा पर सीबीआई की नज़र तब पड़ी जब अगरबत्ती बनाने वाली एक कंपनी ओंकार परिमल मंदिर के डायरेक्टर एस गोपाल ने अपने बेटे अश्विन सुन्कु के साथ 70 लाख रुपये के 149 डिमांड ड्राफ्ट बैंक से जारी करने को कहा. यह डीडी बजाज फायनेंस लिमिटेड के नाम पर 15 और 18 नवंबर को जारी किए गए. डीडी का भुगतान नगदी में पुराने नोटों को देकर किया गया. 
लेकिन कुछ ही दिनों में कंपनी मालिक ने ड्राफ्ट रद्द कर दिया और बैंक ने उन्हें सारे नए नोटों में डीडी की रकम लौटाई. बैंक एसोसिएशन अधिकारियों का कहना है कि यह आरबीआई नियमों के खिलाफ है. डीडी को नकद के एवज़ में जारी नहीं किया जा सकता. अखिल भारतीय बैंक अधिकारी संघ के अध्यक्ष एस एस सिसौदिया कहते हैं ‘डीडी को सिर्फ ग्राहक के खाते को डेबिट करके की जारी किया जा सकता है. ये काम काउंटर पर पैसा देकर नहीं किया जा सकता. नए नियमों के अनुसार अगर कोई ग्राहक काउंटर पर नगदी लेकर आता है और डीडी जारी करने का आग्रह करता है तो यह नहीं किया जा सकता. इसे सिर्फ ग्राहक के खाते से ही जारी किया जा सकता है.’  इस मामले में सीबीआई ने गोपाल सुन्कु और बैंक के वरिष्ठ मैनेजर लक्ष्मी नारायाण को गिरफ्तार कर लिया है. सीबीआई को संदेह है कि नारायण की मिलीभगत के बगैर यह लेनदेन मुमकिन नहीं था. जब एनडीटीवी ने बैंक शाखा से संपर्क साधा तो मैनेजर ने मुद्दे पर बात करने से इंकार कर दिया. बैंक के रीजनल प्रमुख ने टिप्पणी से इंकार कर दिया क्योंकि मामले की फिलहाल जांच हो रही है.

 

 

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