नागरिकता संशोधन क़ानून; पूरे देश में प्रदर्शन, हज़ारों लोग सड़कों पर
High Light# Himalayauk Bureau # विरोध प्रदर्शन में मोटे तौर पर आम जनता # छात्रों का विरोध अभी भी जारी -अगुआई छात्र कर रह रहे # नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर घिरी मोदी सरकार की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं #प्रदर्शन गुरुवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में चरम पर #’ऐसा जाम आजतक कभी नहीं देखा’# विरोध प्रदर्शन के चलते दिल्ली-एनसीआर से सटे बॉर्डर वाले इलाकों में भारी जाम लग गया है. बार्डर पर सबसे ज्यादा जाम नोएडा-डीएनडी मार्ग, महरौली-गुरुग्राम (एमजी रोड) और दिल्ली गुरुग्राम नेशनल हाईवे-8 पर देखने को मिला. दिल्ली सीमा पर स्थित हरियाणा के गुरुग्राम (नेशनल हाईवे-8), दिल्ली के महिपालपुर, कापसहेड़ा आदि इलाकों से सड़कों पर जाम – दिल्ली से गुरुग्राम और गुरुग्राम से दिल्ली आने वाले नेशनल हाईवे-8 पर भारी जाम #नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के खिलाफ दिल्ली, मुबई, उत्तर प्रदेश, कार्नाटक और हैदराबाद समेत देश के विभिन्न राज्यों में उग्र विरोध प्रदर्शन #AJAY SAINI BUREAU CHIEF LUCKNOW#
नागरिकता संशोधन क़ानून का पूरे देश में जोरदार विरोध हो रहा है। इस विरोध प्रदर्शन में मोटे तौर पर आम जनता है और उन लोगों की अगुआई छात्र कर रह रहे हैं। कई जगहों पर कुछ राजनीतिक दल भी सामने आ गए हैं। मशहूर इतिहासकार रामचंद्र गुहा जैसे बुद्धिजीवी भी इसके ख़िलाफ़ हैं, पुलिस ने उन्हें भी हिरासत में ले लिया है। कुल मिला कर पूरा देश उबल रहा है। देखिए, क्या मामला है और कहाँ क्या हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शांति अपील को धता बताते हुए हज़ारों लोग सड़कों पर उतर आए हैं। देश के कोने-कोने में लोग ज़ोरदार प्रदर्शन कर रहे हैं। कुछ जगहों पर विरोध प्रदर्शन हिंसक हुए हैं और पुलिस ने सख़्ती से उसे कुचला भी है।
चंडीगढ़ में मुसलिम संगठनों ने नागरिकता संशोधन क़ानून और नेशनल रजिस्टर फ़ॉर सिटीजन (एनआरसी) के विरोध में प्रदर्शन किया है। उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर में प्रदर्शन हो रहा है। इसके अलावा तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में प्रदर्शनकारी सड़क पर उतर आए हैं। भोपाल में और हैदराबाद में भी इस क़ानून के विरोध में प्रदर्शन हो रहा है। पुणे में भी क़ानून के विरोध में लोग एकजुट हो गए हैं और प्रदर्शन कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लगातार इस क़ानून के विरोध में प्रदर्शन कर रही हैं। बृहस्पतिवार को भी वह क़ानून के विरोध में उतरी हैं। कई अन्य राज्य सरकारें भी इसके विरोध में हैं। विपक्षी दलों की अधिकांश सरकारों ने कहा है कि वह इस क़ानून को अपने राज्य में लागू नहीं होने देंगे। केरल, पंजाब, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान की सरकारों ने इसके विरोध में आवाज़ उठाई है। पटना में ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फ़ेडरेशन के कार्यकर्ताओं ने नागरिकता क़ानून और एनआरसी के विरोध में राजेंद्र नगर रेलवे स्टेशन पर ट्रेन को रोक दिया। इसके अलावा दरभंगा जिले में लाहिरासराय रेलवे स्टेशन पर सीपीआई (एम) के कार्यकर्ताओं ने रेलवे ट्रैक पर उतरकर प्रदर्शन किया है।
विपक्षी राजनीतिक दलों का कहना है कि यह क़ानून संविधान के मूल ढांचे के ख़िलाफ़ है। इन दलों का कहना है कि यह क़ानून संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन करता है और धार्मिक भेदभाव के आधार पर तैयार किया गया है।
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ नॉर्थ ईस्ट से उठी विरोध की चिंगारी देश भर में फैल गई है. आज एक बार फिर देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन जारी होगा, लेफ्ट पार्टियों ने आज भारत बंद का आह्वान किया है. प्रदर्शन को देखते हुए देश के कई हिस्सों में धारा 144 लगाई गई है. इस पूरे मुद्दे पर बात करते हुए कन्हैया कुमार ने कहा कि बिहार पर CAA का बहुत बड़ा असर पड़ेगा क्योंकि बिहार की एक बड़ी आबादी गरीब है. साथ ही कन्हैया कुमार ने ये भी कहा कि दस्तावेजों के आधार पर नागरिकता तय नहीं की जा सकती.
नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर हो रहे विरोध के बीच हालाँकि सरकार बार-बार कह रही है कि इससे भारत के अल्पसंख्यकों को कोई नुक़सान नहीं होगा। लेकिन फिर भी प्रदर्शनों के दौरान हिंसा की ख़बरें आ रही हैं। जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों के प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के बाद दिल्ली के सीलमपुर और ज़ाफराबाद में भी हिंसा हुई है।
उत्तर प्रदेश में भी कई जगहों पर लोग इस क़ानून की जोरदार मुखालफत कर रहे हैं और पुलिस को हालात संभालने में काफ़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। संभल में इस क़ानून का विरोध कर रहे लोगों ने रोडवेज की एक बस को फूंक दिया। जबकि लखनऊ में इस क़ानून के विरोध में प्रदर्शन कर रहे समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया है। लखनऊ के डालीगंज इलाक़े में भी नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में प्रदर्शन किए जाने की ख़बर है। प्रदर्शन के दौरान पुलिस चौकियों को भी निशाना बनाया गया है। इसके अलावा ठाकुरगंज में भी पथराव हुआ है और पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए फायरिंग की है। बुधवार को लखनऊ में शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने भी नागरिकता क़ानून के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया था।
संभल में हिंसा के बाद जिला मजिस्ट्रेट ने अगले आदेश तक इंटरनेट को बैन कर दिया है। प्रदर्शन के दौरान हिंसा करने वालों के ख़िलाफ़ पुलिस कड़ी कार्रवाई कर रही है और पूरी तरह अलर्ट है। पुलिस ने विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए राज्य में धारा 144 भी लागू की है लेकिन फिर भी लोग सड़कों पर उतर रहे हैं।
लखनऊ में इस क़ानून के विरोध में हो रहा प्रदर्शन हिंसक हो गया है। हज़रतगंज में प्रदर्शनकारियों ने पथराव किया जिसके बाद पुलिस ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया है। एक मीडिया ओबी वैन को भी प्रदर्शनकारियों ने आग के हवाले कर दिया है। इसके अलावा प्रदर्शनकारियों ने हसनगंज पुलिस चौकी में तोड़फोड़ की है और वहां खड़ी कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया।
नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में प्रदर्शन कर रहे प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू को उत्तर प्रदेश पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। लल्लू ने कहा कि बीजेपी सरकार यह जान ले कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का विधान देश में नहीं चलेगा। उन्होंने कहा कि सरकार को इस काले क़ानून को वापस लेना पड़ेगा वरना लड़ाई जारी रहेगी।
इससे पहले भी मऊ और आज़मगढ़ में इस क़ानून का विरोध हुआ था। आजमगढ़ में 11 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। प्रशासन ने एहतियात बरतते हुए इन दोनों ही जगहों पर इंटरनेट को बैन कर दिया था। सरकार इस क़ानून के विरोध में जगह-जगह अराजक तत्वों द्वारा इंटरनेट के माध्यम से सोशल मीडिया पर फैलाए जा रही अफवाहों पर पूरी नज़र रखे हुए है।
नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर पिछले कई दिनों से देश भर में विरोध हो रहा है लेकिन बृहस्पतिवार को तो यह प्रदर्शन देश के कई हिस्सों में फैल गया है। बिहार के कई शहरों, बेंगलुरू, चंडीगढ़, हैदराबाद, लखनऊ, चेन्नई, पुणे आदि इलाक़ों में इस क़ानून के विरोध में जोरदार प्रदर्शन हो रहा है। विपक्षी दलों ने इस क़ानून को संविधान के ख़िलाफ़ बताया है और इसे वापस लेने के लिए कहा है।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी वाड्रा ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि वह लोगों की आवाज़ को बंद करने की कोशिश कर रही है। प्रियंका ने ट्वीट कर कहा, ‘मेट्रो स्टेशन बंद हैं। इंटरनेट बंद है। हर जगह धारा 144 लागू है। किसी भी जगह आवाज़ उठाने की इजाजत नहीं है। जिन्होंने आज टैक्सपेयर्स का पैसा खर्च करके करोड़ों का विज्ञापन लोगों को समझाने के लिए निकाला है, वही लोग आज जनता की आवाज से इतना बौखलाए हुए हैं कि सबकी आवाज़ें बंद कर रहे हैं।’ उन्होंने सरकार को चेतावनी दी है कि मगर आप इतना जान लीजिए कि जितना आप आवाज़ को दबाएँगे उतनी ही तेज़ आवाज उठेगी।
बीएसपी सुप्रीमो और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने भी केंद्र सरकार को चेताया है। मायावती ने ट्वीट कर कहा, ‘देश व व्यापक जनहित में केन्द्र को चाहिए कि वह नए नागरिकता क़ानून को वापस लेकर अर्थव्यवस्था की बदहाली, बढ़ती महंगाई व बेरोज़गारी, रुपये की गिरती क़ीमत आदि राष्ट्रीय समस्याओं को दूर करने पर ध्यान केंद्रित करे वरना जनता इनका भी हाल 2014 के कांग्रेस जैसा ही करने में देर नहीं करेगी।’
नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ दिल्ली में जोरदार प्रदर्शन हो रहे हैं। प्रदर्शनों को देखते हुए 15 मेट्रो स्टेशनों को बंद कर दिया गया है। इसके साथ ही सरकार के आदेश पर दिल्ली के कई इलाक़ों में इंटरनेट को बैन कर दिया गया है और कॉल करने और मैसेज करने की सुविधा को भी बंद कर दिया गया है।
नागरिकता क़ानून का उत्तर प्रदेश में कई जगहों पर जोरदार विरोध हो रहा है और पुलिस को हालात संभालने में काफ़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। संभल में इस क़ानून का विरोध कर रहे लोगों ने रोडवेज की एक बस को फूंक दिया। जबकि लखनऊ में क़ानून के विरोध में प्रदर्शन कर रहे समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया है। लखनऊ के डालीगंज इलाक़े में भी नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में प्रदर्शन किए जाने की ख़बर है। प्रदर्शन के दौरान पुलिस चौकियों को भी निशाना बनाया गया है। इसके अलावा ठाकुरगंज में भी पथराव हुआ है और पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए फायरिंग की है। बुधवार को लखनऊ में शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने भी नागरिकता क़ानून के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को नागरिकता संशोधन क़ानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। हालाँकि कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। इस क़ानून के ख़िलाफ़ 59 याचिकाएं दायर की गई हैं। इंडियन यूनियन मुसलिम लीग (आईयूएमएल), जमीअत उलेमा-ए-हिंद ने कोर्ट में याचिक दायर की है। तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा, एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी क़ानून के ख़िलाफ़ कोर्ट में याचिका दाख़िल की है।
क़ानून के अस्तित्व में आने के बाद से ही असम, मेघालय से लेकर पश्चिम बंगाल और दिल्ली में इसके विरोध में प्रदर्शन हुए हैं। कई राज्य सरकारें खुली चुनौती दे चुकी हैं कि वे इस क़ानून को अपने राज्य में लागू नहीं होने देंगी। ऐसे में सरकार को देश भर में हो रहे विरोध प्रदर्शनों में शामिल लोगों की इस क़ानून को लेकर पैदा हो रही आशंकाओं को तो दूर करना ही होगा, राज्य सरकारों से भी इस बारे में भी बातचीत करनी होगी।