केन्द्र सरकार ने उत्तराखण्ड समेत सैनिक स्कूलों में लड़कियों के प्रवेश को मंजूरी दी
9 Dec. 2019 # High Light # इन 5 सैनिक स्कूल में लड़कियों मिलेगा एडमिशन #
रक्षा राज्यमंत्री श्रीपद येसो नाईक ने प्रश्नकाल के दौरान कहा कि सरकार ने पांच सैनिक स्कूलों में लड़कियों के प्रवेश को मंजूरी दी है.
सरकार ने पायलट प्रोजेक्ट के बाद पांच सैनिक स्कूलों में लड़कियों के प्रवेश को मंजूरी दी है. सत्र 2020-21 और अब देश के सभी 31 सैनिक स्कूलों में लड़कियों को प्रवेश देने का फैसला किया गया है. जिसके लिए टाइम बाउंड एक्शन प्लान लागू किया जाएगा.
देशभर में 5 सैनिक स्कूल हैं. उनमें से एक उत्तराखंड के घोड़ाखाल में स्थित है. घोड़ाखाल समेत देश के पांचों सैनिक स्कूलों में लड़कियों के एडमिशन की प्रक्रियाशुरू कर दी गई है. अब यहां कक्षा 6 में लड़कियां भी एडमिशन ले सकेंगी. अब तक सैनिक स्कूलों में सिर्फ लड़कों को ही दाखिला दिया जाता था लेकिन अब बालिकाओं के लिए भी यहां एडमिशन लेने का रास्ता साफ हो गया है. हालांकि, इस प्रक्रिया में उस वक्त तेजी आई जब उत्तराखंड के अल्मोड़ा में 9वीं कक्षा में पढ़ने वाली प्रसन्ना छिमवाल ने 5 अगस्त को रक्षा मंत्रालय, मानव संसाधन मंत्रालय और उत्तराखंड मुख्य न्यायाधीश को इस बारे में पत्र लिखा था. इस खत के जरिए प्रसन्ना ने कहा था कि उत्तराखंड जैसे सैनिक बाहुल्य राज्य में सैनिक स्कूलों में लड़कियों का एडमिशन इसी नए सत्र से शुरू कराया जाए. प्रसन्ना के पत्र पर संज्ञान लेते हुए रक्षा मंत्रालय ने बीती 25 नवंबर को घोड़ाखाल समेत देश के सभी पांच सैनिक स्कूलों में लड़कियों के लिए 10 प्रतिशत कोटा निर्धारित कर दाखिला करने के आदेश दिए हैं.
सैनिक स्कूल, छिंगछीप (मिज़ोरम) में बालिकाओं के प्रवेश के लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया था. बीते साल मिजोरम के छिंगछिप में स्थित सैनिक स्कूल में 6 लड़कियां ने इतिहास रचा था. उन्हें इस स्कूल में एडमिशन मिल गया. इसके साथ ही मिजोरम का ये सैनिक स्कूल देश का पहला ऐसा सैनिक स्कूल बन गया, जिसने लड़कियों को पढ़ने के लिए स्कूल के दरवाजे खोले. श्रीपद येसो नाईक ने बताया कि लड़कियों को “सभी 31 सैनिक स्कूलों” में प्रवेश दिया जाएगा. जिसके लिए टाइम बाउंड एक्शन लागू किया जाए. वहीं लड़कियों के सैनिक स्कूल में दाखिले के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया है. इसी के साथ श्रीपद येसो नाईक ने कहा यदि किसी राज्य को सैनिक स्कूलों की आवश्यकता महसूस होती है तो वह केंद्र को प्रस्ताव भेज सकते हैं. आपको बता दें, देश के पहले सैनिक स्कूल की स्थापना साल 1961 में महाराष्ट्र में हुई थी.
अब तक सैनिक स्कूलों में सिर्फ लड़कों को ही दाखिला दिया जाता था लेकिन अब लड़कियों के लिए भी यहां एडमिशन लेने का रास्ता साफ हो गया है. जो बेटियां सैन्य अधिकारी बनकर देश की सेवा करने का सपना देखती थीं अब वो भी यहां एडमिशन ले सकेंगी. सेना में जाकर देश सेवा करने का जज्बा रखने वाली बेटियों के लिए एक अच्छी खबर है. क्योंकि अब वे भी सैनिक स्कूल में पढ़ सकती हैं. इसको लेकर रक्षा मंत्रालय ने आदेश भी पारित कर दिया है.
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