मोदी ने ड्रोन के जरिए चारधाम प्रगति को देखा
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने चारधाम महामार्ग विकास परियोजना के प्रगति की सराहना की #ड्रोन के जरिए हेलंग, भद्रकाली और श्रीनगर निर्माण स्थल को देखा # मुख्य सचिव ने बताया कि 03 लाख से ज्यादा यात्री आ चुके हैं # दूर से ही मंदिर के खुले दृश्य को देखकर यात्री श्रद्धावनत # मंदिर के सामने बनाये गए प्लेटफार्म और चौडे मार्ग से उन्हें सुविधा # ’केदारगाथा’ एप का लोग लाभ ले रहे हैं, #केदारनाथ के तीर्थपुरोहितो की नाराजगी पीएम तक नही पहुंची?
जबकि मुख्य सचिव श्री उत्पल कुमार सिंह प्रधानमंत्री के संज्ञान में शायद यह तथ्य नही लाये होगे कि
#केदारनाथ के तीर्थपुरोहित सरकार से नाराज #सरकार को चेताने के लिए तीर्थपुरोहित हर सोमवार को केदारनाथ में सामूहिक उपवास कर रहेे है # जो भी कार्य किए जा रहे हैं उनमें यहां की पौराणिक मान्यताओं का कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है # तीर्थ पुरेाहितों के साथ कांग्रेस भी खुलकर आगे आ गई # हिमालयायूके न्यूज पोर्टल
देहरादून 23 मई, 2018(सू.ब्यूरो)
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने प्रगति (प्रो एक्टिव गवर्नेंस एंड टाइमली इम्पलीमेंटेशन) की समीक्षा के अंतर्गत चारधाम महामार्ग विकास परियोजना के प्रगति की सराहना की। साथ ही ड्रोन के जरिए हेलंग, भद्रकाली और श्रीनगर निर्माण स्थल को देखा। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के गोदाम से लेकर राशन शॉप तक कंप्यूटरीकृत करने और अमृत की समीक्षा की।
प्रधानमंत्री ने श्री केदारनाथ यात्रा की भी जानकारी ली। मुख्य सचिव ने बताया कि इस बार रिकॉर्ड यात्री आ रहे हैं। अभी तक 03 लाख से ज्यादा यात्री आ चुके हैं। दूर से ही मंदिर के खुले दृश्य को देखकर यात्री श्रद्धावनत हो रहे है। मंदिर के सामने बनाये गए प्लेटफार्म और चौडे मार्ग से उन्हें सुविधा हो रही है। बिजली, पानी, सफाई, चिकित्सा आदि व्यवस्थाओं पर लगातार निगरानी रखी जा रही है। ’केदारगाथा’ एप का लोग लाभ ले रहे हैं।
मुख्य सचिव श्री उत्पल कुमार सिंह ने चारधाम महामार्ग विकास परियोजना के बारे में बताया कि 37 स्वीकृत कार्यों में से 26 कार्यों पर कार्य शुरू हो गया है। जून के अंत तक 08 अन्य कार्यों को भी शुरू कर दिया जाएगा। 773.4 हेक्टेयर भूमि में से 487.6 हेक्टेयर सरकारी भूमि कार्यदायी संस्था को सौंप दी गई है। 285.8 हेक्टेयर निजी भूमि में से 129.28 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण हो गया है। उन्होंने बताया कि भूमि मुआवजा के लिए 802 करोड़ रुपये में से 534 करोड़ रुपये मार्थ (मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाइवेज) ने दे दिया है। काला(कम्पीटेंट अथॉरिटी फॉर लैंड एक्विजिशन) द्वारा 416 करोड़ रुपये का वितरण कर दिया गया है। 841.46 किलोमीटर वन भूमि में से 683.22 किलोमीटर की स्वीकृति मिल गई है। यूटीलिटी शिफ्टिंग के लिए 74.07 करोड़ रुपये मार्थ से स्वीकृत हुए हैं। इसमें से 71 करोड़ रुपये पावर कारपोरेशन और जल संस्थान को दे दिए गए हैं। 170 किलोमीटर लाइन और 1947 बिजली के पोल शिफ्ट कर दिए गए हैं। 12 किलोमीटर पाइप लाइन और 68 हैंड पंप शिफ्ट कर दिए गए हैं।
पौराणिक एवं धार्मिक मान्यताओं को दरकिनार कर पुनर्निर्माण कार्य करने से केदारनाथ के तीर्थपुरोहित सरकार से नाराज हैं। सभी तीर्थपुरोहित ने कहा कि सरकार को चेताने के लिए तीर्थपुरोहित हर सोमवार को केदारनाथ में सामूहिक उपवास करेंगे। तीर्थपुरोहितों का कहना है कि वह लगातार केदारधाम के धार्मिक महत्व और यहां होने वाले कार्यों को लेकर सरकार को अवगत कराते आ रहे हैं, किंतु कोई सुनने वाला नहीं है। जो भी कार्य किए जा रहे हैं उनमें यहां की पौराणिक मान्यताओं का कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। सरकार जबरन यहां प्रशासन और पुलिस के बल पर काम करवा रही है। तीर्थपुरोहितों ने कहा कि पूरी केदारपुरी को समतल करने, सुरक्षा दीवार तीर्थपुरोहितों के भवन, दुकान आदि को लेकर सरकार कतई गंभीर नहीं है, जबकि बड़ी संख्या में तीर्थपुरोहित बेरोजगार हो गए हैं। यदि सरकार ने केदारपुरी में धार्मिक और पौराणिक मान्याताओं के विपरीत कार्य करना बंद नहीं किया तो तीर्थपुरोहित कड़ा कदम उठाने को बाध्य होंगे। केदारसभा अध्यक्ष विनोद शुक्ला, उपाध्यक्ष आनंद सेमवाल, महामंत्री कुबेरनाथ पोस्ती, पूर्व अध्यक्ष बृजेश शर्मा, महेश, पूर्व महामंत्री पुरुषोत्तम तिवारी,अरविंद शुक्ला, लक्ष्मीनारायण जुगरान, पूर्व प्रधान पशुपति नाथ कुर्माचली, राजकुमार तिवारी, धर्मेश सेमवाल आदि मौजूद थे।
मुख्य सचिव ने अमृत (अटल मिशन फॉर रेजुवेनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन) की प्रगति के बारे में बताया कि 65 करोड़ रुपये की 27 डीपीआर तैयार की जा रही है, 2.16 करोड़ रुपये की 2 डीपीआर बन गयी है, 217.69 करोड़ रुपये की 29 डीपीआर की स्वीकृति जल्द मिल जाएगी। 04 शहरों का एनर्जी ऑडिट सर्वे पूरा हो गया है। 03 अन्य शहरों का सर्वे चल रहा है। ईईएसएल से अनुबंध हो गया है।राज्य द्वारा सरकार लगातार मिशन मोड में परियोजना की मॉनिटरिंग की जा रही है। मुख्य सचिव से टार्गेटेड पब्लिक डिलीवरी सिस्टम(टीपीडिस) के बारे में मुख्य सचिव ने बताया कि 93 प्रतिशत राशन कार्ड की आधार सीडिंग हो गई है, जून तक शत्-प्रतिशत सीडिंग हो जाएगी। सिस्टम इंटीग्रेटेड मॉडल अपनाकर कॉमन सर्विस सेंटर को राशन की दुकानों के ऑटोमेशन के लिए नामित किया गया है। 5500 लैपटॉप, बायोमैट्रिक्स उपकरण, प्रिंटर, डोंगल क्रय कर लिए गए हैं। ऑनलाइन सप्लाई चेन के तहत 196 गोदामों को भी कंप्यूटरीकृत कर दिया गया है।
इस दौरान अपर मुख्य सचिव श्री ओम प्रकाश, प्रमुख सचिव खाद्य श्री आनंद बर्धन, सचिव पेयजल श्री अरविंद सिंह ह्यांकी, सचिव नियोजन श्री रंजीत सिन्हा सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
वही दूसरी ओर केदारनाथ धाम में निर्माण कार्यों को लेकर तीर्थ पुरेाहितों के साथ कांग्रेस भी खुलकर आगे आ गई। केदारनाथ विधायक मनोज रावत ने धार्मिक मान्यताओं और पुरातत्वविद डॉ. वाइएस कटोच के अध्ययन के आधार पर हालिया निर्माण कार्यों पर संगीन सवाल उठाए हैँ। उन्होंने सरकार से मांग की कि केदारधाम में सौंदर्यीकरण के नाम पर हटाए गए सभी मंदिरों को दोबारा स्थापित किया जाए। बकौल मनोज, इस बाबत मुख्य सचिव को ज्ञापन दे दिया गया है। तीर्थपुरोहितों के हर सोमवार को होने वाले उपवास में भी वो महीने में एक बार शिरकत करेंगे।
केदारनाथ विधायक का कहना है कि
1- मंदिर का प्रांगण पहले शास्त्रों के अनुसार था। यानि मंदिर की एक भुजा की लंबाई के बराबर। अब मंदिर के चारों ओर उसकी भुजा से कई गुना बड़ा मैदान बना दिया गया है, जिससे मंदिर का ‘‘प्रासाद पुरुष असंतुलित हो गया है।
- पहले सीढ़ियां चढ़ते ही विशाल नंदी के दर्शन होते थे। अब मंदिर के तल से छेड़छाड़ कर उसे ऐसा कर दिया गया है कि, नंदी महाराज छोटे से लग रहे हैं।
- – मंदिर के प्राकार (चारदिवारी) को तोड़ने से जल प्रवाह तंत्र गड़बड़ा गया है। अन्नपूर्णा तक समतल जमीन मंदिर को स्थायित्व देती थी। अब मंदिर के आगे से लगभग 200 मीटर अन्नपूर्णा तक खोद कर सीढ़ियां बना दी गई हैं।
- केदारनाथ में भगवान शिव के मंदिर के अलावा सब मंदिर हटा दिए गए हैं। जिससे भगवान एकांगी हो गए हैं।
पूर्व सीएम हरीश रावत 18 किमी की पैदल यात्रा कर केदारनाथ धाम पहुंच कर एक जनसभा की, जिसमें केदारनाथ में हुए कार्यों पर सवाल उठाते हुए इसे धार्मिक परम्पराओं के खिलाफ बताया। उन्होंने केदारनाथ में मंदिर परिसर को हद से भी ज्यादा बड़ा करने पर भी आपत्ति जताई। कहा कि इससे केदारनाथ मंदिर भी भब्यता खत्म हो गई है। मंदिर काफी छोटा दिख रहा है। हरीश रावत ने कहा कि तीर्थपुरोहितों से उनका रोजगार छीना जा रहा है। मंदिर मार्ग के दोनों ओर तीर्थपुरोहितों की दुकानें होनी चाहिए थी, किंतु ऐसा नहीं हुआ है। मंदिर मार्ग को 50 फीट के बजाय 70 फीट चौड़ा किया गया है, जबकि 30 फीट चौड़े में ही मंदिर की भब्यता नजर आ सकती थी। उन्होंने कहा कि केदारनाथ में यहां की धार्मिक परम्पराओं से छेड़छाड़ की गई है। यहां होने वाले हर कार्य एएसआई के जानकार विशेषज्ञों से कराए जाने थे, किंतु केंद्र और राज्य सरकार इन कार्यों को लोनिवि से करा रही है, जिसे परम्पराओं का कोई ज्ञान नहीं है। कहा कि रास्ता और परिसर कितना चौड़ा होना चाहिए था इस मामले पर किसी भी विशेषज्ञ से बात नहीं की गई। मंदिर में जलेरी भी विपरीत दिशा में कर दी गई है। उन्होंने कहा कि मुख्य गेट पर बड़ा घंटा हुआ करता था वह भी हटा दिया गया है। जिस तरह केदारनाथ में कार्य हो रहे हैं, उससे यहां के स्थानीय रोजगार को खत्म किया जा रहा है। हरीश रावत ने कहा कि लिंचौली से केदारनाथ तक रोपवे का निर्माण भी सरकार नहीं कर रही है। जबकि अब तक कार्यवाही शुरू की जानी चाहिए थी। रास्ते में रेन सेल्टर नहीं हैं। यात्री बारिश में भीग रहे हैं। शौचालयों की कमी के कारण लोग परेशान हो रहे हैं।
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