छत्तीसगढ के प्रमुख समाचार- 8 जून 2018
रायपुर। मातृ मृत्यु दर को लगातार कम करने की दिशा में छत्तीसगढ़ को अच्छी सफलता मिली है। केंद्र सरकार की सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम के एक विशेष बुलेटिन के रूप में जारी ताजा रिपोर्ट के अनुसार 2011 से 2013 के बीच यहां मातृ मृत्यु दर प्रति एक लाख प्रसव पर 221 थी, वह वर्ष 2014 से 2016 के बीच 48 पाइंट घटकर 173 रह गई है।
अफसरों के अनुसार इस अवधि में पूरे देश में मातृ मृत्यु दर 167 से घटकर 130 हो गई है। मातृ मृत्यु दर पर केंद्रित यह विशेष बुलेटिन केंद्रीय गृह मंत्रालय से संबद्घ जनगणना महानिदेशालय के रजिस्ट्रार जनरल (सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम) कार्यालय से जारी किया गया है।
छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री अजय चंद्राकर व महिला बाल विकास मंत्री रमशीला साहू ने बताया कि कुपोषण मुक्ति, टीकाकरण अभियान और संस्थागत प्रसव को लगातार बढ़ावा देने के अच्छे नतीजे इस रूप में सामने आ रहे हैं। चंद्राकर ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग प्रदेश के सभी परिवारों को गर्भवती माताओं का प्रसव सरकारी अस्पतालों में करवाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। मंत्री द्वय ने कहा-राज्य में मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर लगातार कम होती जा रही है, वहीं शिशु मृत्यु दर में भी काफी कमी आई है। शिशु मृत्यु दर जो वर्ष 2003 में प्रति एक हजार प्रसव पर 70 हुआ करती थी, वह वर्ष 2016 तक कम होकर 39 रह गई है, वहीं इस अवधि में प्रदेश में कुपोषण की दर 52 प्रतिशत से घटकर 30 प्रतिशत के आसपास रह गई है। इस दौरान महिलाओं के संस्थागत प्रसव अर्थात अस्पतालों में प्रसव की दर 18 प्रतिशत से बढ़कर 74 प्रतिशत तक पहुंच गई है।
आंगनबाड़ी केंद्रों की भूमिका अहम
सरकार की इस उपलब्धि में आंगनबाड़ी केंद्रों की भूमिका अहम है। आंगनबाडी केन्द्रों में जहां वर्ष 2003-04 में लगभग 17 लाख 50 हजार गर्भवती और शिशुवती माताओं तथा नन्हें बच्चों को प्रतिदिन पौष्टिक आहार दिया जा रहा था, वहीं वर्ष 2017 में आंगनबाड़ी सेवाओं से लाभान्वितों की यह संख्या बढ़कर 27 लाख तक पहुंच गई।
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सूखा राहत मिला न मुआवजा, पहले भी की थी कोशिश
बिलासपुर । गौरेला क्षेत्र के ग्राम पिपरिया निवासी किसान ने कर्ज से परेशान होकर गुरुवार की शाम पेंड्रा क्षेत्र के ग्राम कुदरी स्थित अपने ससुराल में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मृतक की पत्नी समेत परिजन का आरोप है कि दो साल से क्षेत्र में अकाल पड़ने के कारण वह बैंक का कर्ज नहीं चुका पा रहा था और मानसिक तनाव में था। इसी के चलते उसने यह कदम उठाया है।
पेंड्रा पुलिस के अनुसार गौरेला क्षेत्र के ग्राम पिपरिया निवासी सुरेश सिंह मरावी पिता निरंजन सिंह मरावी (40) पेशे से किसान था। उसने जिला सहकारी केंद्रीय बैंक की लरकेनी शाखा से खेती-किसानी के लिए डेढ़ लाख रुपये का कर्ज लिया था। कर्ज की राशि जमा नहीं करने पर उसे बैंक से नोटिस मिला था।
सुरेश सिंह को अपने दो भाइयों व चार बेटियों की शादी भी करनी थी। सूखा पड़ने से फसल चौपट हो गई। इसके चलते आर्थिक तंगी के कारण वह मानिसक रूप से परेशान रहता था। गुरुवार को वह अपने ससुराल ग्राम कुदरी आया था। उसकी पत्नी व बच्चे भी यहीं थे। शाम करीब छह बजे वह कमरे का दरवाजा बंद कर फांसी के फंदे पर झूल गया। इस बीच परिजन को इसकी भनक नहीं लगी। जब तक उन्होंने देखा, तब उसकी लाश फंदे पर लटक रही थी। इस घटना की जानकारी आसपास के लोगों के साथ ही थाने में दी गई। पुलिस मामले में मर्ग कायम कर जांच कर रही है। घटना की सूचना मिलते ही पेंड्रा पुलिस मौके पर पहुंच गई। इस दौरान परिजन ने रो-रोकर उसके कर्ज से परेशान होने की जानकारी दी। पुलिस ने शव का पंचनामा कर लिया है। लेकिन, रात होने के कारण पोस्टमार्टम नहीं कराया जा सका।
मृतक के भाई मोहन मरावी ने बताया कि सुरेश ने पूर्व में भी आत्महत्या करने की कोशिश की थी। लेकिन, उस समय घरवालों को इसकी भनक लग गई और उसे बचा लिया गया था। सूखा राहत व मुआवजा तक उसे नहीं मिला था। वहीं बैंक का कर्ज चुकाने की चिंता अलग थी।
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जगदलपुर। बस्तर विश्वविद्यालय अब राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो के राडार पर आ गया है। ब्यूरो ने विश्वविद्यालय के कुलपति को पत्र लिखकर प्राध्यापक भर्ती से जुड़े दस्तावेज तलब किए हैं। बस्तर विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति व कुलसचिव के खिलाफ शैक्षणिक पदों में प्रक्रिया विहीन साक्षात्कार कर भर्ती करने के संबंध में की गई शिकायत के आधार पर ब्यूरो ने यह मांग की है। शिकायत किसके द्वारा दर्ज करवाई गई है, इसका जिक्र पत्र में नहीं है। इधर आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो के इस पत्र से विश्वविद्यालय में हड़कंप मच गया है। विश्वविद्यालय प्रशासन साल 2017 में इस भर्ती प्रक्रिया को निरस्त करने के बाद यह मानकर चल रहा था कि यह मामला खत्म हो गया।
ब्यूरो के पत्र ने इस मामले को फिर से जीवित कर दिया है। ब्यूरो ने 11 जून तक जो दस्तावेज मांगे हैं, उससे आने वाले दिनों में प्राध्यापक भर्ती के विज्ञापन से लेकर उसे निरस्त करने तक जो भी प्रक्रिया प्रबंधन ने अपनाई उसका खुलासा दस्तावेजी आधार पर होगा। अब तक इस भर्ती से संबंधित कई तथ्य विश्वविद्यालय व उच्च शिक्षा विभाग ने सार्वजनिक नहीं किए थे जबकि इस भर्ती मामले को लेकर इतना विवाद पैदा हुआ कि कोर्ट-कचहरी से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक शिकायत दर्ज कराई गई थी। यही नहीं बस्तर विश्वविद्यालय में धारा 52 लगाने की इसे एक वजह बनाया गया था। गौरतलब है कि वर्तमान में बस्तर विश्वविद्यालय में अध्ययन शाला के 11 विभागों के लिए 50 से अधिक पदों पर भर्ती प्रक्रिया चल रही है।
वर्ष 2013-14 में बस्तर विश्वविद्यालय द्वारा शैक्षणिक पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। मार्च 2015 में इन पदों के लिए साक्षात्कार आयोजित किया गया था। करीब एक साल तक चयनितों की सूची को लेकर विवाद चलता रहा।
विश्वविद्यालय के कुछ कर्मचारी-अधिकारियों ने इस मामले को तूल दिलवाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। छात्र संगठनों ने भी मोर्चा खोला। ऐसी परिस्थितियों के बीच अप्रैल 2016 में कलेक्टोरेट में आयोजित कार्य परिषद की बैठक में चयनित प्राध्यापकों के नाम का लिफाफा खोला गया। मीडिया के सामने इस बात को तत्कालीन कुलपति डा एनडीआर चंद्रा व कुलसचिव एसपी तिवारी ने रखा था। इसके बाद कार्रवाई विवरण जारी न करने का नाटकीय घटनाक्रम चला। इस विवाद के बीच विश्वविद्यालय में धारा 52 लगा दी गई। डॉ. चंद्रा की बर्खास्तगी के बाद बस्तर कमिश्नर दिलीप वासनीकर को कुलपति का प्रभार सौंपा गया था। जनवरी 2017 में तत्कालीन कुलसचिव एसपी तिवारी ने इस भर्ती प्रक्रिया को निरस्त करने की विज्ञप्ति जारी की थी। बस्तर विवि में शैक्षणिक पदों की नियुक्ति के लिए क्या प्रक्रिया अपनाई जाती है? भर्ती के लिए यूजीसी के मापदंड क्या हैं? किन-किन अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था ? विश्वविद्यालय कार्य परिषद की दिनांक 07.01.2015 की बैठक में क्या निर्णय लिए गए थे? यह निर्णय किस नियमप्रक्रिया के तहत लिया गया था? भर्ती के संबंध में आरक्षण नियमों का पालन किया गया था या नहीं ?
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बीजापुर। पुलिस और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में एक वर्दीधारी नक्सली मारा गया। भैरमगढ़ के जारमोंगिया में आज सुबह करीब आधे घंटे तक मुठभेड़ चली। जानकारी के अनुसार प्लाटून कमांडर मल्लेश के दल के साथ नक्सलियों की मुठभेड़ हुई। इस दौरान जंगल की आड़ लेकर नक्सली भाग गए। मौके से भारी मात्रा में गोला बारुद बरामद किया गया है।
मारे गए नक्सली का नाम मोती फरसा है। वह मिलिट्री प्लाटून कमांडर और डिप्टी कमांडर आरपीसी था। मौके से 1 पिस्टल, 1 इंसास मैगजीन, विस्फोटक, टिफ़िन बम, स्पाइक, नक्सली साहित्य और अन्य सामग्री बरामद की गई है। एसपी मोहित गर्ग ने इस मुठभेड़ की पुष्टि की है।
राजनांदगांव। खैरागढ़ रोड में पदुमतरा-चवेली के पास आज एक दर्दनाक सड़क हादसे में तीन लोगों की मौत हो गई।
प्रारंभिक जानकारी के अनुसार ओवरटेक के चक्कर में आटो रिक्शा के ऊपर यात्री बस पलट गई। इसमें तीन लोगों की मौत हो गई। बताया जाता है कि इस दुर्घटना में बस में सवार दर्जनभर यात्री घायल हो गए। सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंच गई।
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