बड़ा एक्शन- 7 पीपीएस अधिकारियों को जबरन रिटायर -सुस्त कर्मचारियों और अधिकारियों को उम्र से पहले रिटायर करने का ऐलान
Himalayauk Bureau: लखनऊ से अजय सैनी की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट- भ्रष्टाचार (Corruption) के खिलाफ योगी सरकार (Yogi government) ने कड़ी कार्रवाई की है. राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार और काम मनें लापरवाही बरतने वाले प्रांतीय पुलिस सेवा (पीपीएस) अधिकारियों को कार्रवाई की है. योगी सरकार ने बड़ा एक्शन लेते हुए 7 पीपीएस अधिकारियों को जबरन रिटायर (Forced Retirement) कर दिया है. # हर विभाग में सुस्त तथा भ्रष्टाचार में लिप्त कर्मचारियों पर कड़ी नजर # मुख्यमंत्री के निर्देश पर डीजीपी ओपी सिंह ने बड़ा एक्शन लेते हुए सात पीपीएस अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्त दे दी
लखनऊ से अजय सैनी की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट- उत्तराखण्ड मे भी ऐसी हिम्मत जुटा पायेगी त्रिवेन्द्र रावत सरकार- उत्तराखण्ड में भ्रष्टाचार बना शिष्टाचार- मुख्यमंत्री के विभाग सूचना एवं लोकसम्पर्क विभाग में देशभर की विज्ञापन एजेंसियो के हाथो में गिरवी रखा महानिदेशालय-
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने 7 पीपीएस अधिकारियों को जबरन रिटायर कर दिया है. अधिकारियों को भ्रष्टाचार की वजह से हटाया गया है. सभी अफसर डिप्टी एसपी और सीईओ पद पर तैनात थे. योगी सरकार ने कुछ अधिकारियों को बर्खास्त भी किया है. सरकार ने सात पीपीएस अधिकारी को अनिवार्य सेवानिवृति प्रदान की है। इनको सेवा से ही खारिज कर दिया गया है। इनके खिलाफ जांच में गंभीर मामले सामने आए हैं। इन अफसरों की उम्र 50 व इससे अधिक थी
इन दो वर्षों में योगी आदित्यनाथ सरकार ने 400 से ज्यादा अफसरों, कर्मचारियों को निलंबन और डिमोशन जैसे दंड भी दिए हैं। ऊर्जा विभाग में 169 अधिकारियों, गृह विभाग के 51 अधिकारियों, ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के 37 अधिकारियों, राजस्व विभाग के 36 अधिकारियों, बेसिक शिक्षा के 26 अधिकारियों, पंचायतीराज के 25 अधिकारियों, पीडब्ल्यूडी के 18 अधिकारियों, लेबर डिपार्टमेंट के 16 अधिकारियों, संस्थागत वित्त विभाग के 16 अधिकारियों, कामर्शियल टैक्स के 16 अधिकारियों, इंटरटेनमेंट टैक्स डिपार्टमेंट के 16 अधिकारियों, ग्राम्य विकास के 15 अधिकारियों, वन विभाग के 11 अधिकारियों पर कार्रवाई कर चुकी है।
पीपीएस अधिकारियों में 15वीं वाहिनी पीएसी आगरा के सहायक सेनानायक अरुण कुमार, अयोध्या के पुलिस अधीक्षक विनोद कुमार राना, आगरा के पुलिस अधीक्षक नरेंद्र सिंह राना, 33वीं वाहिनी पीएसी झांसी के सहायक सेनानायक रतन कुमार यादव, 27वीं वाहिनी पीएसी सीतापुर के सहायक सेनानायक तेजवीर सिंह यादव, मुरादाबाद के मण्डलाधिकारी संतोष कुमार सिंह, 30वीं वाहिनी पीएसी गोण्डा के सहायक सेनानायक तनवीर अहमद खां को अनिवार्य सेवानिवृत्ति प्रदान की गई है। इन सभी की आयु 50 वर्ष से अधिक है और इनके ऊपर कार्य में शिथिलता तथा अन्य कई आरोप लगे हैं। सरकार ने स्क्रीनिंग कमेटी की रिपोर्ट पर निर्णय लेते हुए इन अफसरों को सेवानिवृत्ति दे दी।
जानकारी के मुताबिक, सात आधिकारियों के अलावा अन्य अधिरकारियों पर भी योगी सरकार की नजर है. बताया जा रहा है कि करीब दो दर्जन से ज्यादा अधिकारियों की फाइल सीएम योगी आदित्यनाथ के पास पहुंच चुकी है. लापरवाही और काम में कोताही बरतने वाले अधिकारियों को लेकर कोई फैसला लिया जा सकता है.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जुलाई माह में केंद्र की मोदी सरकार का तर्ज पर सुस्त कर्मचारियों और अधिकारियों को उम्र से पहले रिटायर करने का ऐलान किया था. सरकार ने 50 साल की उम्र में ही सुस्त अधिकारियों को रिटायरमेंट देने का फैसला किया था. इसके तहत कई बड़े अफसरों के साथ कर्मचारी भी रडार पर आए हैं.
उत्तर प्रदेश के मंत्री एवं प्रदेश सरकार के प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा ने कहा कि भ्रष्ट और ढीले ढाले अफसरों के खिलाफ हमारी सरकार की नीति ‘कतई बर्दाश्त नहीं’ की है. पिछले दो साल में ऐसे कई अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के तहत उन्हें वीआरएस दिया गया है. कई अधिकारियों को चेतावनी दी गयी है. उनकी पदोन्नति रोक दी गयी है. आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, पिछले दो साल में करीब 600 अधिकारियों पर कार्रवाई की गयी है. इनमें से 169 अधिकारी बिजली विभाग के, 25 अधिकारी पंचायती राज विभाग के, 26 अधिकारी बेसिक शिक्षा के और 18 पीडब्ल्यूडी विभाग के हैं. करीब 200 अधिकारियों को वीआरएस दिया गया है. सचिवालय प्रशासन विभाग के कामकाज की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि सरकार में भ्रष्ट अधिकारियों और स्टाफ की कोई जगह नहीं है. ऐसे अधिकारियों को जबरन वीआरएस देना चाहिए.
भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति पर सख्ती से अमल करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीते दो वर्ष में 600 से अधिक अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की है। इनमें से 200 से अधिक अधिकारियों और कर्मचारियों को योगी आदित्यनाथ सरकार ने जबरन रिटायर किया है। 400 से अधिक अधिकारियों और कर्मचारियों को वृहद दंड दिया गया है। सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि योगी आदित्यनाथ सरकार ने पिछले दो वर्ष के दौरान भ्रष्टाचार के खिलाफ जो कार्रवाई की है, वो देश में अब तक किसी भी प्रदेश सरकार के उठाए गए कदम से बहुत बड़ी है। राज्य सरकार ने 200 से अधिक अधिकारियों और कर्मचारियों को जबरन रिटायरमेंट दिया है। सौ से अधिक अधिकारी अभी भी सरकार के रडार पर हैं। इनके खिलाफ भी शीघ्र ही कार्रवाई होगी।
पहले प्रदेश सरकार ने 16 नवंबर 2017 को 50 साल से अधिक उम्र के दागदार अधिकारियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए 16 अधिकारियों को जबरन रिटायर कर दिया था। इसमें तीन डीएसपी भी शामिल थे। इन सभी के खिलाफ किसी न किसी मामले में जांच चल रही थी, जिसमें भ्रष्टाचार और अक्षमता के आरोप थे। दागदार सेवा और अपेक्षा से कम कार्यक्षमता के आधार पर चिह्नित किए प्रांतीय पुलिस सेवा (पीपीएस) के जिन तीन अफसरों को जबरन रिटायर किया गया था, उनमें डीएसपी केश करन सिंह, कमल यादव व श्यारोज सिंह शामिल थे। इन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का आदेश गृह विभाग की ओर से जारी किया गया था।
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