सरकार की अल्पायु का योग बनाता है;  ज्‍योतिषो के अनुसार

सरकार की अल्पायु का योग बनाता है;  ज्‍योतिषो के अनुसार # येद्दियुरप्पा लंबे समय तक मुख्यमंत्री पद पर बने नहीं रहेंगे # अत्यंत तनाव पैदा करने वाला समय  # विधानसभा जाने से पहले ही त्यागपत्र दे दें  # चारों तरफ से येद्दियुरप्पा घिरते हुए दिखाई देंगे  # ऐसेे योग मेें शपथ लेने वाली  सरकार पर सिर मुंडवाते ही ओले पड़ते हैं# उत्पात योग तथा शनि की कोप दृष्टि # सुप्रीम कोर्ट द्वारा ताज पर गाज गिरने के प्रबल योग # विपक्ष के नेता मिल कर येदियुरप्पा सरकार को नाको चने चबवा देंगे # येदियुरप्पा तीसरी बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की कमान संभाल रहे हैं;   समय पूर्ण कभी नही कर पाये # येदुरप्‍पा के लिए सरकार बचा पाना बेहद मुश्किल साबित हो सकता है# हिमालयायूके न्‍यूज पोर्टल  

कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री येद्दियुरप्पा ने सुबह शपथ लेने के बाद 9.04 बजे रजिस्टर पर हस्ताक्षर किए।इस हिसाब से उन पर मंगल महादशा में राहु की अन्तर्दशा तथा शनि की प्रत्यंतरदशा व शुक्र की सूक्ष्म दशा चल रही है जिस कारण इन सभी ग्रहों का संबंध बाधक व मृत्यु स्थान से बना हुआ है। मंगल, राहु, शनि के प्रभाव में येद्दियुरप्पा द्वारा शपथ लेना सरकार की अल्पायु का योग बनाता है; यह कहना है पंजाब के प्रमुख ज्योतिषी इंद्रजीत साहनी ने कहा है  

मौजूदा ग्रह दशा को देखते हुए यह संभावना बन रही है कि येद्दियुरप्पा लंबे समय तक मुख्यमंत्री पद पर बने नहीं रहेंगे। बहुमत साबित करने के लिए भी उन्हें एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ेगा। मौजूदा ग्रह दशा अत्यंत तनाव पैदा करने तथा विपक्षी दलों को मजबूती देने वाली है। ऐसा भी हो सकता है कि येद्दियुरप्पा के पास अगर विधानसभा में बहुमत की स्थिति नहीं बनती है तो वह विधानसभा जाने से पहले ही त्यागपत्र दे दें। चारों तरफ से येद्दियुरप्पा घिरते हुए दिखाई देंगे।  

भारतीय ज्योतिष के अनुसार मानव जीवन पर शनि का गहरा प्रभाव पड़ता है। शनि की गिरफ्त में जो जातक आते हैं, उन्हें भयंकर रोगों, स्त्री कष्ट, आर्थिक परेशानी, राज दरबार से परेशानी तथा कार्य में विघ्न के योग बनते हैं। लड़ाई-झगड़े तथा अशांति सब शनि की देन हैं।

नारनौल के ज्योतिषी पं. अशोक प्रेमी बंसरीवाला ने कहा कि कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने सुबह 9 बजे मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। आनन-फानन में उत्पात योग मृगशिरा नक्षत्र के प्रथम चरण में येदियुरप्पा ने मिथुन लग्न में शपथ ली। दूसरे भाव में राहु होने के कारण ऐसी सरकार पर सिर मुंडवाते ही ओले पड़ते हैं। उत्पात योग तथा शनि की कोप दृष्टि से राज्य में खून-खराबा, लड़ाई-झगड़ा, अशांति तथा माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा ताज पर गाज गिरने के प्रबल योग पाए जाते हैं।  शपथ ग्रहण कुंडली में अष्टम भाव में मंगल-केतु की युति होने तथा मार्केश की मंगल की महादशा में राहु की अन्तर्दशा में 17 मई 2018 से 19 फरवरी 2019 में विपक्ष के नेता मिल कर येदियुरप्पा सरकार को नाको चने चबवा देंगे तथा येदियुरप्पा व भाजपा सरकार पर आने वाले समय बहुत कष्टमय सिद्ध होगा।  उन्होंने कहा कि वह इससे पहले प्रणव मुखर्जी के राष्ट्रपति बनने, ओबामा के अमरीका में राष्ट्रपति बनने तथा मोदी के पी.एम. बनने की भविष्यवाणियां भी कर चुके हैं। 

 

 

 रवि-पुष्य नक्षत्र  को  सभी नक्षत्रों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है। ज्योतिष शास्त्र में पुष्य नक्षत्र आठवां नक्षत्र होता है जो सभी नक्षत्रों में श्रेष्ठ स्थान रखता है। रविवार के दिन पड़ने वाले इस संयोग को रवि-पुष्य योग के नाम से जाना जाता है। इस महीने रवि-पुष्य का शुभ महासंयोग 20 मई 2018 (रविवार) को बन रहा है। पुष्य नक्षत्र को धन के लाभ के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि रवि-पुष्य नक्षत्र के शुभ संयोग में खरीददारी करना शुभ है।  शुभ संयोग में किए गए मंत्र जाप का फल कई गुना अधिक मिलता है। इतना ही नहीं धन लाभ और कर्ज के मुक्ति के लिए भी यह शुभ संयोग बेहद खास है।

बीएस येदियुरप्पा कर्नाटक के मुख्यमंत्री बन चुके हैं. उन्होंने 17 मई की सुबह 9 बजे राजभवन में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. आपको बता दें येदियुरप्पा ने तीसरी बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली है.   उनके राजनीतिक सफर के बारे में.. कर्नाटक : बीएस येद्दियुरप्पा ने 23वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली

भारतीय जनता पार्टी के नेता बीएस येद्दियुरप्पा कर्नाटक के अगले मुख्यमंत्री बन गए हैं. राज्यपाल वजूभाई वाला ने उन्हें राजभवन में हुए सादा समारोह में मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई. येद्दियुरप्पा राज्य के 23वें मुख्यमंत्री हैं. वे तीसरी बार यह पद संभाल रहे हैं.  येद्दियुरप्पा ने अभी अकेले ही शपथ ली है. विधानसभा में बहुमत साबित करने के बाद उनकी सरकार के अन्य मंत्रियों को शपथ दिलाई जाएगी. शपथ समारोह के दौरान केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, जेपी नड्‌डा और धर्मेंद्र प्रधान ख़ास तौर पर मौज़ूद थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह इस कार्यक्रम में उपस्थित नहीं हो सके. राज्यपाल वजूभाई वाला ने बुधवार की रात येद्दियुरप्पा को सरकार बनाने का न्यौता दिया था. इस आधार पर कि चुनाव में 104 सीटें जीतकर भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में उभरी है. उन्होंने इसके साथ भाजपा विधायक दल के नेता येद्दियुरप्पा को विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का समय भी दिया है

 

 

येद्दियुरप्पा कुछ ज्यादा ही धार्मिक विश्वास वाले नेता माने जाते हैं.

 बूकानाकेरे सिद्धलिंगप्पा येद्दियुरप्पा, कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री बीएस येद्दियुरप्पा का यह पूरा नाम है. आज सुबह नौ बजे कर्नाटक राजभवन में राज्यपाल वजूभाई वाला द्वारा शपथ दिलाए जाने के बाद वे तीसरी बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बन गए हैं. हालांकि उनकी परीक्षा अभी ख़त्म नहीं हुई है. भाजपा की सरकार बनाने और मुख्यमंत्री पद के लिए उनकी तरफ़ से किए गए दावे को स्वीकार किया जाना कई जानकारों की नज़र में विवादास्पद है. इनका कहना है कि भले ही येद्दियुरप्पा सबसे बड़े राजनीतिक दल के नेता हैं, लेकिन यह स्पष्ट है कि फ़िलहाल उनके पास बहुमत नहीं है.

येद्दियुरप्पा कुछ ज्यादा ही धार्मिक विश्वास वाले नेता माने जाते हैं. साल 2007 में उन्होंने ज्योतिषियों के कहने पर अपने नाम की स्पेलिंग (Yediyurappa से Yeddyurappa) बदल ली थी. उसी साल वे पहली बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री भी बने और उनके सहयोगी नेताओं को तब यह कहते हुए सुना जा रहा था कि नाम की स्पेलिंग बदलना येद्दियुरप्पा के लिए शुभ साबित हुआ है. हालांकि वे जेडीएस से मतभेदों के चलते उसके साथ बनी इस गठबंधन सरकार को ज़्यादा दिन नहीं चला पाए थे. लेकिन बाद में 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा को फिर जीत दिलाई. हालांकि तब भी पार्टी बहुमत से दो सीटें दूर रह गई थी और उस समय भाजपा ने निर्दलीयों की मदद से सरकार बनाई थी. यह किसी भी दक्षिण भारतीय राज्य में भाजपा की अपने दम पर बनी पहली सरकार थी और इसका नेतृत्व येद्दियुरप्पा कर रहे थे.

येद्दियुरप्पा के राजनीतिक जीवन में एक अहम पड़ाव 2004 में ही आया जब उन्होंने जेडीएस के साथ मिलकर तब के मुख्यमंत्री धरम सिंह के नेतृत्व वाली सरकार गिरा दी और एक समझौते के तहत जेडीएस संग वैकल्पिक सरकार बना ली. समझौते के मुताबिक़ यह तय हुआ था कि नई सरकार के पहले 20 महीने तक जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी मुख्यमंत्री रहेंगे, और बाद के 20 महीने येद्दियुरप्पा सरकार की कमान संभालेंगे. लेकिन अक्टूबर 2007 में जब येद्दियुरप्पा के मुख्यमंत्री बनने का समय आया तो कुमारस्वामी समझौते से मुकर गए और पद छोड़ने से इनकार कर दिया. इसके बाद येद्दियुरप्पा ने अपने सहयोगियों के साथ कैबिनेट से इस्तीफ़ा दे दिया और जेडीएस से समर्थन वापस ले लिया. परिणामस्वरूप, गठबंधन सरकार गिर गई और राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया. बाद में दोनों दलों ने अपने मतभेद ख़त्म किए और येद्दियुरप्पा पहली बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने. हालांकि वे ज़्यादा दिन इस पद पर नहीं रह पाए, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम ने उन्हें कर्नाटक में भाजपा का सबसे बड़ा नेता बना दिया था. उस समय येद्दियुरप्पा के राजनीतिक कद का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब 2008 में विधानसभा चुनाव हुए तो उन्हें हराने के लिए समाजवादी पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री एस बंगारप्पा को मैदान में उतारा था. उन्हें कांग्रेस और जेडीएस का भी समर्थन प्राप्त था. इसके बावजूद येद्दियुरप्पा अपनी सीट 45,000 वोटों के बड़े अंतर से जीते. तब भाजपा को भी ऐतिहासिक सफलता मिली थी और 30 मई, 2008 को येद्दियुरप्पा दूसरी बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने.

भ्रष्टाचार के आरोप और भाजपा से नाता तोड़कर अलग पार्टी बनाना

दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद येद्दियुरप्पा भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर लगातार विवादों में रहे. राज्य में अवैध खनन की जांच कर रहे कर्नाटक लोकायुक्त ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि येद्दियुरप्पा ने बेंगलुरु और शिमोगा में हो रहे खनन में मुनाफ़ाख़ोरी की थी. लोकायुक्त ने यह आरोप भी लगाया कि बेल्लारी, तुमकुर और चित्रदुर्ग ज़िले में कच्चे लोहे के निर्यात में हुए घोटाले से भी येद्दियुरप्पा का संबंध था. इस विवाद के चलते येद्दियुरप्पा पर भाजपा आलाकमान की तरफ़ से दबाव बढ़ने लगा. आख़िरकार 31 जुलाई, 2011 को उन्होंने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया. उसके अगले साल उन्होंने अपने विधायक पद और भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफ़ा दे दिया और कर्नाटक जनता पक्ष के नाम से एक नई पार्टी बना ली. 2013 के विधानसभा चुनाव में वे इसी पार्टी से चुनाव लड़े और जीते. लेकिन भाजपा से उनकी दूरी ज़्यादा दिन क़ायम नहीं रह पाई और नवंबर में उन्होंने वापसी कर ली. 2014 के चुनाव को देखते हुए उन्होंने नई पार्टी का भाजपा में विलय कर लिया था. इस बार उन्होंने शिमोगा से लोकसभा चुनाव लड़ा और तीन लाख 60 से ज़्यादा वोटों से जीते. बाद में 2016 में उन्हें एक बार फिर भाजपा की प्रदेश इकाई का अध्यक्ष चुना गया और हालिया विधानसभा चुनाव में उन्हें एक बार फिर मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया गया. उनके नेतृत्व में पार्टी ने सबसे ज़्यादा सीटें हासिल की हैं. हालांकि इस बार उनका मुख्यमंत्री बनना विवाद का मुद्दा बन गया है.

 

 भाजपा नेताओं ने विश्वास जताया है कि येद्दियुरप्पा बहुमत साबित कर देंगे. शपथग्रहण समारोह में पहुंचे भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार ने कहा, ‘हमें राज्यपाल ने बहुमत साबित करने के लिए वक्त दिया है और सदन में हम इसे साबित कर देंगे.’ सुप्रीम कोर्ट ने देर रात चली बहस के बाद येद्दियुरप्पा के शपथग्रहण पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था. कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला द्वारा भाजपा को सरकार बनाने का न्योता दिए जाने के बाद कांग्रेस और जनता दल-सेकुलर ने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के समक्ष याचिका दायर की थी. लंबी बहस के बाद कोर्ट ने शपथग्रहण रोके जाने की मांग खारिज कर दी. सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा से समर्थक विधायकों की सूची के साथ राज्यपाल को दिया गया समर्थन पत्र भी देने को कहा है. कोर्ट अब इस मामले में शुक्रवार सुबह सुनवाई करेगा. इस बीच खबर यह भी है कि कांग्रेस और जद-एस आज कर्नाटक विधानसभा के बाहर विरोध प्रदर्शन करेंगे.

 बीएस येदियुरप्पा का पूरा नाम बुकंकरे सिद्दालिंगप्पा येदियुरप्पा है. उनका जन्म 27 फरवरी 1943 को कर्नाटक के मांड्या जिले में हुआ था. येदियुरप्पा महज चार साल के थे जब उनकी मां का निधन हो गया था. जिसके बाद पिता ने उनका पालन-पोषण किया. हाल ही में जारी हलफनामे में उन्होंने खुद को 12वीं पास बताया है. ये जानकारी खुद उन्होंने अपने 2014 और 2018 के चुनावी हलफनामे में दी है. साल 1972 में वह शिकारीपुरा तालुका जनसंघ का अध्यक्ष चुने जाने के साथ उनका राजनीति में प्रवेश हुआ. साल 1977 में जनता पार्टी के सचिव पद पर काबिज होने के साथ राजनीति में उनका कद बढ़ता ही गया. उनके दो पुत्र और तीन बेटियां हैं. साल 2004 में उनकी पत्नी का निधन हो गया था. साल 2007 में बीएस येदियुरप्पा कर्नाटक में भाजपा के पहले मुख्यमंत्री चुने गए थे. उनकी बदौलत बीजेपी पार्टी ने साल 2008 के विधानसभा चुनाव में जबर्दस्त जीत दर्ज की थी कर्नाटक विधानसभा के हालिया चुनाव में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. इसका श्रेय बीएस येदियुरप्पा को भी जाता है. आपको बता दें, उन्होंने एक चावल मिल में क्लर्क की नौकरी भी की है. वैसे उनके वास्तविक राजनीतिक करियर की शुरुआत साल 1983 में हुई जब वह पहली बार कर्नाटक विधानसभा के लिए चुने गए थे.

येदियुरप्पा तीसरी बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की कमान संभाल रहे हैं. उन्होंने पहली बार 12 नवंबर 2007 में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. लेकिन जेडीएस ने मंत्रालयों के प्रभार को लेकर उनकी सरकार को समर्थन देने से इनकार कर दिया, जिसके बाद 19 नवंबर, 2007 को उन्होंने अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा. इसके बाद येदियुरप्पा ने साल 2008 के विधानसभा चुनाव में जबर्दस्त जीत दर्ज की और फिर मुख्यमंत्री बने. कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से रोकने के लिए कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में देर रात याचिका डाली हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से इनकार कर दिया.

 

साभार-

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