चीन के वुहान प्रांत में मांस की धड़ल्ले से शुरू बिक्री; बाजारों में चहल-पहल

चीन के बाज़ारों में फिर से चमगादड़ों को फिर से बेचा जाने लगा है. चमगादड़ के अलावा, कुत्ते, बिल्ली, बिच्‍छू और अन्‍य जानवरों के मांस की बिक्री जोरों पर है. चीन ने देशभर में लॉकडाउन हटा लिया है. चीन की सरकार लोगों को बाजार में आने के लिए प्रोत्साहित कर रही है ताकि अर्थव्‍यवस्‍था को बूस्ट किया जा सके. वुहान में जानवरों का बाजार पिछले तीन माह से बंद था. जनवरी में इसे बंद किया गया था. चीन के हुबेई प्रांत के वुहान शहर को 23 जनवरी को लॉकडाउन किया गया. सभी फ्लाइट, ट्रेन, बस सर्विस बंद कर दी गई थीं. हाईवे पर जाने के रास्ते भी बंद किए गए. सभी स्कूल, यूनिवर्सिटी, व्यापारिक संस्थान को बंद किया गया था. एक व्यक्ति को हर तीन दिन में राशन के लिए बाहर जाने की परमीशन दी. बुज़ुर्गों और बीमार लोगों को घरों में ही रहने के निर्देश दिए गए थे. वुहान में जीवन पटरी पर लौट रहा है. वुहान और हुबेई के लोग पिछले तीन माह से घरों में कैद थे. अब वहां के बाजारों में चहल-पहल नजर आने लगी है. चीन के वुहान प्रांत में फिर से जानवरों के बाजार शुरू हो गए हैं. इन बाजारों में कुत्ते, बिल्ली और चमगादड़ के मांस की धड़ल्ले से बिक्री हो रही है

अगर ये साबित होता है कि कोरोना वायरस चीन का जैविक हथियार था

अगर यह साबित हो गया कि कोरोनावायरस चीन का जैविक हथियार था और जानबूझकर फैलाया गया तो पूरी दुनिया चीन के ऊपर एक्शन लेगी और चीन को जो वर्ल्ड की न्यायपालिका जिसमें चीन को पेश करेगी और चीन पर सभी देश मुकदमा करेंगे क्योंकि यह बहुत ही संगीन मामला है कि चीन अगर जैविक हथियार पूरी दुनिया पर खुलेआम इस्तेमाल करता है तो यह चीन के लिए बहुत ही खतरनाक साबित होगा क्योंकि पूरे देश दुनिया के हालात आज बहुत ही नाजुक है और चीन इस बात को अगर हल्के में लेगा तो चीन को इस बात का खामियाजा भुगतना पड़ेगा । शायद फिलहाल चीन को इसका अंदाजा नहीं है कि उसके साथ क्या हो सकता है अगर सच में उसने यह जैविक हथियार के रूप में पूरी दुनिया में काम में लिया है तो पूरी दुनिया से चीन की अर्थव्यवस्था खत्म हो जाएगी जो कि चीन के लिए बहुत ही मुश्किल वक्त होगा अगर चीन पर यह इल्जाम साबित हो गया। अभी तक ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है कि ऐसा कुछ हो मगर पूरी दुनिया के बहुत से लोग चीन पर यह इल्जाम लगा रहे हैं कि यह चीन की लैब से फैला वायरस है मगर चीन इस बात पर चुप्पी साधे बैठा है आने वाले वक्त में ही पता चलेगा कि असल में कोरोनावायरस किस तरह का कैसे फैलने वाला वायरस है अभी तक इसकी जांच चल रही है पूरे विश्व भर में।

 कोरोना वायरस का क्या इलाज है? चूंकि Covid19 की कोई वैक्सीन या दवा उपलब्ध नहीं है, अत: इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति के पास 3 विकल्प है : प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता  खेल में बने रहने के लिए वेंटिलेटर एवं सहायक दवाइयाँ  ब्लड प्लाज्मा ट्रीटमेंट

प्रतिरोधक क्षमता विकसित होना :अभी तक के आंकड़े बताते है कि कोरोना से संक्रमित होने वालो में से औसतन 80% व्यक्तियों को किसी इलाज की जरूरत नहीं होती और मामूली लक्षण प्रकट होने के साथ ही उनका शरीर कोरोना के प्रति प्रतिरक्षा जुटा लेता है जिससे वे ठीक हो जाते है। आयु, स्वास्थ्य, जींस आदि व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करते है, अत: कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले शेष 15-20% को इलाज की जरूरत होगी।

शरीर में प्रतिरोधक क्षमता कैसे विकसित होती है ?

शरीर पर लगातार कई जीवाणु-विषाणु आदि हमला करते रहते है, और मानव शरीर इन्हें नष्ट करने के लिए निरंतर एन्टीबॉडी (Antibody) बनाता रहता है। जब शरीर किसी पैथोजन (बैक्टीरिया, वायरस आदि) के खिलाफ एन्टीबॉडी बना लेता है, तो कहा जाता है कि शरीर ने अमुक पैथोजन के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर ली है। मान लीजिये कि कोई नया पैथोजन C शरीर पर आक्रमण करता है। अब शरीर की प्रतिरोधक प्रणाली C को परास्त करने के लिए एन्टीबॉडी विकसित करना शुरू कर देगी। जब तक प्रतिरोधक प्रणाली एवं C के बीच में यह लड़ाई चलेगी तब तक शरीर बीमार रहेगा। यदि पैथोजन C हावी हो गया तो शरीर के कई महत्त्वपूर्ण अंगो को डेमेज कर देगा और व्यक्ति मर जायेगा। लेकिन यदि शरीर C की सेना को मारने वाले एंटीबॉडी बना लेता है तो ये सैनिक पैथोजन की सेना को मार देंगे और व्यक्ति ठीक हो जाएगा। अब चूंकि शरीर की प्रतिरोधक प्रणाली C के खिलाफ एन्टीजन बनाने का फार्मूला ईजाद कर चुकी है, अत: आने वाले समय में भी जब कभी C हमला करेगा तो शरीर की प्रतिरोधक प्रणाली C को हराने वाले एन्टीबॉडी का उत्पादन करना तुरन्त शुरू कर देगी, और C चित हो जाएगा।

  ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार वुहान के एक वायरोलॉजिस्ट, यांग झानकियू ने कहा कि कोरोनावायरस के जीवित रहने पर वहां का तापमान, सतह का प्रकार और वातावरण की नमी पर निर्भर करता है। इसी के आधार पर ये कहा जा सकता है कि COVID-19 वायरस विभिन्न वस्तुओं की सतह पर कितने समय तक जीवित रह सकता है। यांग के अनुसार COVID-19 मुख्य रूप से बूंदों, एक दूसरे से संपर्क और वायु मंडल में ट्रांसमिशन के माध्यम से अधिक फैल रहा है। उनका कहना है कि यदि इस वायरस के अनुकूल माहौल रहता है तो ये वायरस कुछ घंटों से लेकर कई दिनों तक सतह पर बना रह सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, स्किन पर ये वायरस महज 10 मिनट ही जिंदा रह पाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर आपका मोबाइल किसी संक्रमित व्यक्ति ने छुआ है तो वो इंफेक्टेड हो सकता है। कोरोना वायरस मोबाइल फोन की स्क्रीन पर 48 घंटे और बैकपैनल के प्लास्टिक का होने पर 9 दिन तक जिंदा रह सकता है। वहीं, अगर बैक पैनल मैटल का है तो उस पर कोरोना वायरस 12 घंटे तक बना रहेगा। इसलिए मोबाइल फोन को साफ जगह पर रखना बेहतर होगा। वहीं, किसी कपड़े पर ये वायरस 9 घंटे तक रहता है। हालांकि, कपड़े को 2 घंटे सूरज की रोशनी में सुखाने पर वायरस खत्म हो सकता है।

कोरोना एक नया वायरस है, अत: मानव शरीर में इस वायरस का मुकाबला करने वाले एन्टीबॉडी नहीं है। जब व्यक्ति में कोरोना प्रवेश करता है तो प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए यह एक नया दुश्मन है। अत: शरीर को इसके खिलाफ एन्टीबॉडी बनाने पड़ेंगे। और लगभग 80% मानव शरीर कोरोना को परास्त करने वाले एन्टीबॉडी बना लेंगे। तो संक्रमित होने वाले 80% लोग प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता विकसित होने के कारण खुद ही ठीक होने वाले है। इन लोगो को कब इन्फेक्शन होगा और कब ये ठीक होंगे उन्हें पता भी नहीं चलेगा !! लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि, यदि किसी व्यक्ति को संक्रमण हो जाता है तो उसे यह पता नहीं है कि वह 80% वालों में शामिल है या 20% में !! इसीलिए यह जरुरी है कि यदि कोई व्यक्ति संक्रमित होता है तो उसे तुरंत डॉक्टर के पास पहुंच जाना चाहिए या खुद को कोरेंटाईन कर लेना चाहिए। मेडिकल साइंस में रातों रात प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का कोई तरीका नहीं है। मतलब ऐसी कोई दवा मौजूद नहीं है जो सटीक रूप से किसी व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता में 1% का भी इजाफा तुरंत कर सके।

टिके रहने के लिए वेंटिलेटर एवं सहायक दवाइयाँ : कोरोना वायरस फेफड़ो पर मौजूद जीवाणुरोधी परत / झिल्ली को खा जाता है, जिससे अन्य बैक्टीरिया फेफड़ो को संक्रमित कर देते है। यदि संक्रमित व्यक्ति को वेंटिलेटर नहीं मिला तो उसके फेफड़े जाम हो जायेंगे और मृत्यु होने की सम्भावना बढ़ जायेगी। वेंटिलेटर उसे सांस देता रहेगा और इस दौरान शरीर प्रतिरोधक क्षमता बनाने का प्रयास करेगा। इसके अलावा डॉक्टर अपने अनुभव एवं अनुमान से अन्य सहायक दवाइयाँ (मलेरिया की दवा, HIV की दवा आदि) भी देते रह सकते है, ताकि रोगी के आवश्यक अंगो को कम नुकसान हो। यदि शरीर वक्त रहते कोरोना के खिलाफ एन्टीबॉडी बना लेता है तो व्यक्ति बच जायेगा वर्ना मृत्यु होना तय है। इस बात पर ध्यान देना जरूरी है कि, वेंटिलेटर एवं अन्य सहायक दवाइयाँ सिर्फ उस डेमेज को कम करने का काम कर सकते है जो डेमेज कोरोना वायरस दे रहा है। अभी तक ऐसी कोई दवा मौजूद नहीं है जो कोरोना के वायरस को मार सके। उसे शरीर द्वारा बनाए गए एन्टीबॉडी ही मारेंगे। लेकिन यदि रोगी को वेंटिलेटर एवं अन्य सहायक दवाइयाँ नही दी गयी तो कोरोना एक के बाद एक शरीर के अन्य अंगो को नुकसान पहुंचाता जाएगा। अन्य अंगो के निष्क्रिय हो जाने से रोगी मर जाएगा, और शरीर को एन्टीबॉडी विकसित करने का पर्याप्त समय नही मिलेगा।

कोरोना से रिकवर हुए व्यक्ति का प्लाज्मा : मौजूदा स्थिति में कोरोना का यह सबसे प्रभावी इलाज है। प्लाज्मा ट्रीटमेंट के साथ कई व्यवहारिक कठिनाइयाँ है। लेकिन यदि कोई VVIP कोरोना वायरस से संक्रमित हो जाता है तो उसे यह इलाज मिल सकता है।

ब्लड प्लाज्मा क्या है ? खून के मुख्य रूप से 2 संघटक है : ब्लड प्लाज्मा – हल्के पीले रंग का एक द्रव है जो खून का मूल तत्व है। खून में लगभग 55% हिस्सा प्लाज्मा नामक द्रव होता है। रक्त कोशिकाएं (Rbc + Wbc + Platelets) – ये कोशिकाएं प्लाज्मा नामक तरल में ही बहती है। शरीर में से प्लाज्मा निकालने के लिए पहले व्यक्ति का रक्त निकाला जाता है, और फिर इसमें से प्लाज्मा अलग कर लिया जाता है। शरीर जब भी कोई एन्टीबॉडी बनाता है तो ये एन्टीजन प्लाज्मा में संग्रहित रहते है। मान लीजिये कोई व्यक्ति X कोरोना से संक्रमित हुआ और कुछ दिनों बाद वह पूरी तरह स्वस्थ हो गया है। चूंकि अब X के प्लाज्मा में कोरोना वायरस को मारने वाले एन्टीबॉडी मौजूद है, अत: X के रक्त में से प्लाज्मा निकाल कर किसी संक्रमित व्यक्ति को दिया जा सकता है। जब संक्रमित व्यक्ति को X का प्लाज्मा दिया जायेगा तो शरीर में कोरोना वायरस को मारने वाले एन्टीबॉडी चले जायेंगे और वे कोरोना वायरस को मार देंगे !! ( Imported Weapons )

प्लाज्मा ट्रीटमेंट के साथ चुनौतियाँ :

यदि संक्रमण काफी फैल चुका है तो सीमित एन्टीबॉडी व्यक्ति को बचा नहीं पायेंगे।

दाता का रक्त निर्दोष होना चाहिए। मतलब उसे अन्य कोई बीमारी न हो।

खर्चीली एवं जटिल प्रक्रिया होने से सिर्फ अमीर / शक्तिशाली व्यक्ति ही इस्तेमाल कर सकेंगे।

प्लाज्मा डोनर बदले में ऊँचे दाम मांग सकता है।

यदि रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली काफी कमजोर है तो शरीर एन्टीबॉडी को एडोप्ट नहीं कर पायेगा, और सीमित संख्या के एन्टीजन कोरोना वायरस की संख्या को कवर नहीं कर सकेंगे।

.पेड न्यूयार्क टाइम्स ने रिपोर्ट किया है कि, अमेरिका में कोरोना वायरस से रिकवर हुए व्यक्तियों के प्लाज्मा से अन्य संक्रमित व्यक्तियों का इलाज करने की दिशा में काम किया जा रहा है।

 पेड द हिन्दू ने रिपोर्ट किया है कि, वुहान इंस्टीट्युट जब नागालेंड से चमगादड़ लेकर गया था तो उन आदिवासियों के रक्त नमूने भी ले गया था जिनमे सार्स परिवार के वाइरस के प्रति प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता मौजूद है। कोरोना सार्स परिवार का ही सदस्य है। पूरी सम्भावना है कि इन आदिवासियों के प्लाज्मा में कोरोना के एन्टीबॉडी मौजूद है। टाटा भी इस अध्ययन में शामिल था। हमें नहीं पता कि टाटा के पास इस बारे में क्या जानकारी है। उसने यह जानकारी भारत सरकार को दी है या नही दी है, और सरकार ने मांगी भी है या नहीं। हालांकि सरकार ने इस प्रकरण की जांच कराई थी। लेकिन नतीजे सार्वजनिक नहीं है।

 वुहान में कोरोना का संक्रमण बड़े पैमाने पर हुआ था। लगभग पूरा प्रान्त इसकी चपेट में था। अभी उन सभी में इसके एन्टीबॉडी बन चुके है, और उनके प्लाज्मा का इस्तेमाल इसके लिए किया जा सकता है। हमें नहीं पता अगर चीन ने प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल किया हो। तो इन्फेक्शन होने पर संक्रमित व्यक्ति के पास बचाव के अतिरिक्त उपरोक्त 3 विकल्प से इतर कोई मार्ग नहीं है।

जहाँ तक वैक्सीन की बात है, कोरोना वायरस को मारने वाली कोई दवा या वैक्सीन वास्तविक दुनिया में उपलब्ध नहीं है। हालांकि सोशल मीडिया एवं पेड मीडिया पर रोज एक न एक दवा या वैक्सीन की खोज-खबर आती रहती है !!

.Covid19 एक नया वायरस है, और आज नहीं तो कल ज्यादातर सम्भावना है कि यह लगभग प्रत्येक व्यक्ति को संक्रमित करेगा।

 कोरोनावायरस दो अन्य हालिया महामारियों का कारण बना है – चीन में 2002-04 में गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम (सर), और मध्य पूर्व श्वसन सिंड्रोम (मेर्स), जो 2012 में सऊदी अरब में शुरू हुआ था। दोनों ही मामलों में, टीकाकरण के बाद काम शुरू हुआ प्रकोप होने पर आश्रय दिया था। मैरीलैंड स्थित नोवाक्स की एक कंपनी ने अब उन टीकों को सरस-कोव -2 के लिए फिर से तैयार कर दिया है परंतु इनका उपयोग हुआ या नही इसके बारे में नही पता। इस बात पर अभी विस्वास न करें।

सभी टीके एक ही मूल सिद्धांत के अनुसार काम करते हैं। वे रोगजनक या मानव प्रतिरक्षा प्रणाली के सभी भाग को पेश करते हैं, आमतौर पर एक इंजेक्शन के रूप में और कम खुराक पर, रोगज़नक़ को एंटीबॉडी का उत्पादन करने के लिए प्रणाली को प्रेरित करने के लिए। एंटीबॉडी एक तरह की इम्यून मेमोरी होती है, जिसे एक बार ग्रहण करने के बाद, व्यक्ति को उसके प्राकृतिक रूप में वायरस के संपर्क में आने पर फिर से जल्दी से जुटाया जा सकता है।

परंपरागत रूप से, एक बार गर्मी या रसायनों द्वारा निष्क्रिय किए जाने के बाद, वायरस के कमजोर, कमजोर रूपों, या भाग या पूरे वायरस का उपयोग करके टीकाकरण प्राप्त किया गया है। इन विधियों में कमियां हैं। मेजबान में जीवित रूप विकसित हो सकता है,

चार वित्त पोषित कोविद -19 वैक्सीन परियोजनाओं का सेफी का मूल पोर्टफोलियो इन अधिक नवीन तकनीकों के प्रति भारी था, और पिछले सप्ताह इसने नोवाक्स के साथ साझेदारी के $ 4.4m (£ 3.4m) की घोषणा की और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के वैक्सीन परियोजना के साथ। हैचेट कहते हैं, “वैक्सीन विकास के साथ हमारा अनुभव यह है कि आप अनुमान नहीं लगा सकते कि आप कहां ठोकर खाने जा रहे हैं।” और वह चरण जहां किसी भी दृष्टिकोण में ठोकर लगने की संभावना नैदानिक ​​या मानव परीक्षण है,

अभी ये सारे दावे असुरक्षित हैं, या वे अप्रभावी हैं, या दोनों। और टीके बनाने के लिए इस्तेमाल की जा रही कई प्रौद्योगिकियां अपेक्षाकृत अप्रयुक्त भी हैं। जेनेटिक मटीरियल – आरएनए या डीएनए से बना कोई वैक्सीन आज तक मंजूर नहीं किया गया है। इसलिए कोविद -19 वैक्सीन उम्मीदवारों को बिल्कुल नए टीके के रूप में माना जाना चाहिए, और जैसा कि गेलिन कहते हैं: “जहां तक ​​संभव हो चीजों को तेजी से करने के लिए एक धक्का है, यह शॉर्टकट लेने के लिए वास्तव में महत्वपूर्ण नहीं है।”

कुछ का कहना है एक वैक्सीन है जो 1960 में श्वसन संक्रांति विषाणु के खिलाफ उत्पन्न हुई थी, एक सामान्य विषाणु जो बच्चों में सर्दी जैसे लक्षण पैदा करता है। नैदानिक ​​परीक्षणों में, यह टीका उन शिशुओं में उन लक्षणों को बढ़ाने के लिए पाया गया जो वायरस को पकड़ने के लिए गए थे। इसी तरह का प्रभाव पशुओं में एक प्रारंभिक प्रयोगात्मक सरस टीका दिया गया था। बाद में उस समस्या को खत्म करने के लिए इसे संशोधित किया गया था, लेकिन अब जब इसे सरस-कोव -2 के लिए फिर से तैयार कर लिया गया है, तो इसे विशेष रूप से कड़े सुरक्षा परीक्षण के माध्यम से बढ़ाने की आवश्यकता होगी ताकि बढ़ी हुई बीमारी के जोखिम को नियंत्रित किया जा सके। आप सभी से निवेदन है सही आंकड़ो के आधार पर इन सभी बातो ध्यान दे। डब्लू एच ओ द्वारा जारी आंकड़ो पर विस्वास करे।

इस बीच, एक और संभावित समस्या है। जैसे ही किसी वैक्सीन को मंजूरी दी जाती है, इसकी बड़ी मात्रा में जरूरत पड़ने लगती है – और कोविद -19 वैक्सीन की दौड़ में कई संगठनों के पास आवश्यक उत्पादन क्षमता नहीं होती है। वैक्सीन विकास पहले से ही एक जोखिम भरा मामला है,

एक बार कोविद -19 वैक्सीन स्वीकृत हो जाने के बाद, चुनौतियों का एक और सेट खुद पेश होगा। “टीका एक वैक्सीन है जो मनुष्यों में सुरक्षित और प्रभावी साबित होती है, एक वैश्विक प्रतिरक्षण कार्यक्रम के लिए जो आवश्यक है, ” उत्तरी कैरोलिना में ड्यूक विश्वविद्यालय के वैश्विक स्वास्थ्य विशेषज्ञ जोनाथन क्विक, द एंड के लेखक कहते हैं। महामारी विज्ञान (2018) की। “वायरस जीव विज्ञान और टीके तकनीक सीमित कारक हो सकते हैं, लेकिन राजनीति और अर्थशास्त्र टीकाकरण के लिए बाधा बनने की अधिक संभावना है।”

समस्या यह सुनिश्चित कर रही है कि वैक्सीन उन सभी को मिल जाए जिन्हें इसकी आवश्यकता है। सभी को जरूरत है यह देशों के भीतर भी एक चुनौती है, और कुछ ने दिशानिर्देशों पर काम किया है। परंतु अभी इसके विकास का है कैसे वैक्सीन बनाई जाए

क्योंकि महामारी उन देशों को सबसे ज्यादा मारती है, जिनके पास सबसे नाजुक और कमतर स्वास्थ्य सेवा प्रणालियां हैं, परंतु इस धारणा को बिल्कुल पलट ही दिया जिसका उदाहरण इटली है।

टीके आने पर जरूरत और क्रय शक्ति के बीच एक अंतर्निहित असंतुलन होगा। उदाहरण के लिए, 2009 H1N1 फ्लू महामारी के दौरान, वैक्सीन की आपूर्ति राष्ट्रों द्वारा की गई थी जो कि उन्हें वहन कर सकती थी, जिससे गरीब लोग कम हो गए। लेकिन आप ऐसे परिदृश्य की भी कल्पना कर सकते हैं,

इस पर बहस हो रही है, लेकिन इससे पहले कि हम यह देखें कि “एक वैक्सीन अभी भी कई लोगों की जान बचा सकती है, सभी शोधकर्ताओं की पूरी उम्मीद है कि इस बीमारी को यथासंभव दूर करना हैं।

सोर्स- गूगल सर्च पर गार्डियन द्वारा दिखाया गया डाटा तथा अन्य रिसर्च द्वारा

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