राज्य को चाहिये राजनैतिक स्थिरता; मुख्यमंत्री हरीश रावत
देहरादून 15 अगस्त, 2016 (सू.ब्यूरो)
70वें स्वतंत्रता दिवस पर मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा परेड़ ग्राउंड में दिया गया उद्बोधन; www.himalayauk.org (UK Leading Digital Newsportal & Daily Newspaper) publish at Dehradun & Haridwar;
CS JOSHI- EDITOOR
हमारे लिये कोई भी चुनौती बड़ी नहीं है; मुख्यमंत्री हरीश रावत राज्य को चाहिये राजनैतिक स्थिरता, सामाजिक-राजनैतिक सहिष्णुता एवं सहयोग का वातावरण। आईये, हम बीते दिनों की कटुताओं को भूलकर, राज्य के कुछ सामूहिक हित के सवालों पर, एकजुट होकर कार्य करें।
आदरणीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, राज्य आन्दोलन व शहीद सैनिकों के कुटम्बीजन, सम्मानितबुजुर्गों, माताओं, बहनों, व दोस्तो
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकमानायें। उत्तराखण्डवासी स्वतंत्रता संग्राम के अमर शहीदों को सद्धासुमन अर्पित करते हैं और अपने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के दीर्घ जीवन की कामना करते हैं। उत्तराखण्ड अपने राज्य निर्माण के अमर शहीदों व वीर बलिदानी सेनीकों की पुण्य स्मृति को भी, शत्-शत् नमन करता है।
हमें गर्व है, कि उत्तराखण्ड सबसे तेजी से बढ़ते राज्यों में से एक है। हमारी प्रति व्यक्ति, औसत आय तेजी से आगे बढ़ रही है और राष्ट्रीय औसत से लगभग दो गुना है। राज्य की वार्षिक विकास दर 13 प्रतिशत के लगभग है। औद्योगिक विकास दर लगभग 16) प्रतिशत व सेवा क्षेत्र में विकास दर 12) प्रतिशत है। गरीबी, बेरोजगारी व पलायन से मुक्ति पाने के लिए, उत्तराखण्ड को वर्ष 2019 तक अठारह प्रतिशत की विकास दर प्राप्त करनी आवश्यक है। इस लक्ष्य को पाने के लिये, कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्र की विकास दर को, आठ प्रतिशत और सर्विस सैक्टर की विकास दर को, वर्ष 2019 तक बीस प्रतिशत पहुंचाना होगा।
लक्ष्य ऊँचा है, मार्ग दुरूह है, मगर मुझे अपने लोगों की सामूहिक समझ व दृढ़ इच्छा शक्ति पर विश्वास है। यदि उत्तराखण्ड वर्ष 2013 की भयंकर आपदा से उबर कर उत्साहपूर्वक तेजी से आगे बढ़ सकता है, तो हमारे लिये कोई भी चुनौती बड़ी नहीं है। राज्य को चाहिये राजनैतिक स्थिरता, सामाजिक-राजनैतिक सहिष्णुता एवं सहयोग का वातावरण। आईये, हम बीते दिनों की कटुताओं को भूलकर, राज्य के कुछ सामूहिक हित के सवालों पर, एकजुट होकर कार्य करें।
क्या हमारा विकास सन्तुलित एवं समावेशी है? स्वभाविक रूप से यह प्रश्न बार-बार उठता है। सन्तुलित एवं समावेशी विकास, हमारी पहचान बने, इस दिशा में, हमारी सरकार ने कई ठोस पहलें प्रारम्भ की हैं। चुनौती बड़ी है। लक्ष्य भी बडा है। वर्ष 2019-20 तक अभावजन्य पलायन को नियंत्रित करने तथा वर्ष 2022-23 तक सम्भावनाहीन क्षेत्रों में, रोजगार की सम्भावनायें पैदा करनी हैं। देश में सर्वाधिक प्रकार की कल्याणकारी पेन्शनों के साथ, राज्य 7 लाख से अधिक भाई-बहिनों को पेन्शन योजनाओं से लाभान्वित कर रहा हैं। हम निरन्तर पेन्शनों की राशि, सीमा व दायरा बढ़ाते जा रहे हैं। दो वर्ष पूर्व, एक लाख चैरासी हजार पेन्शनरों से बढ़कर, सात लाख पहुंचना एक बड़ी उपलब्धी है। लक्ष्य वर्ष 2018 तक दस लाख लोगों को इस दायरें में लाने का है। दिव्यांगजनों के लिए दिव्यांग आयोग के गठन के साथ-साथ, उनको देय पेन्शन राशि में अनुपातिक तौर पर पाॅच सौ रूपये तक तथा 75 वर्ष से उपर के पेन्शन लाभार्थियों की पेन्शन में पाॅच सौ रूपये की वृद्धि करने जा रहे हैं। जननी-शिशु मृत्युदर में कमी लाने के लिए, राज्य ने कई प्रयास प्रारम्भ किये हैं। ‘अन्नप्राशन’ एवं ‘खिलती कलियां’ प्रोग्राम के माध्यम से राज्य कुपोषित एवं रूग्ण बच्चों के पालन व चिकित्सा में, पूर्ण सहयोग कर रहा है। इस योजना की सफलता हेतु हम सौ और आंगनबाड़ी केन्द्र इस वर्ष खोलेंगें, तथा प्रत्येक आगनबाड़ी केन्द्र में सामाजिक संगठनों के सहयोग से वाटर फिल्टर लगाये जायेंगे। गर्भवति मां एवं दूध पिलाने वाली मां को, सप्ताह में दो बार दूध भी दिया जायेगा। बी0पी0एल0 कार्ड धारक बहन को, गर्भावस्था के दौरान मातृत्व अवकाश के समतुल्य दो हजार रूपये की विशेष सहायता दी जायेगी। सरकारी विभागों व सहकारी उपक्रमों में कार्यरत महिलाओं को, 180 दिन का मातृत्व अवकाश दिया जायेगा। बेटी लक्ष्मी है। इस भावना को आगे बढ़ाने के उद्धेश्य से ‘हमारी कन्या-हमारा अभिमान’, ‘गौरा देवी-कन्या धन योजना’, ‘नन्दादेवी वैवाहिक सहायता योजना’, गर्भवति महिला विशेष पौष्टिक आहार योजनायें दृढ़तापूर्वक आगे बढ़ाई जा रही हैं। गांव-गांव में महिला उद्यमी तैयार करने के लिए, ‘‘मुख्यमंत्रंी महिला सत्त आजीविका योजना’’ प्रारम्भ की गई है। महिला स्वयं सहायता समूहों व महिला मंगल दलों की, विकास में भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए ‘मुख्यमंत्री महिला स्वयं सहायता समूह सशक्तीकरण योजना’ प्रारम्भ करते हुए, इस वर्ष हम, 12 हजार से अधिक महिला स्वयं सहायता समूहों को लाभान्वित करने जा रहे हैं। प्रत्येक महिला स्वयं सहायता समूह का, बैंक में पांच हजार रूपये से खाता खोला जायेगा, तथा व्यवसाय हेतु प्रत्येक समूह को ैममक ब्ंचपजंस के रूप में 25 हजार रूपये तक, सहायता स्वरूप उपलब्ध करवाये जायेंगें।
समूहों को उनके वार्षिक टर्न ओवर पर 5 प्रतिशत का बोनस दिया जाएगा। महिला उद्यमियों व महिला स्वयं सहायता समूह के लिए, उद्यमिता-हाट बनाये जा रहे हैं। सिडकुल में दो सौ एकड़ भूमि में, महिला उद्यमिता पार्क स्थापित किये जायेंगे, ऐसा एक पार्क 10 एकड़ भूमि के साथ सितारगंज में स्थापित किया जा चुका है। ‘‘नई दिशा’’ योजना के नाम से, हैण्डीक्राफ्ट, व हैण्डलूम के, दस महिला कलस्टर विकसित किये जा रहे हैं। इन कलस्टरों में चयनीत महिलाओं को, नन्दा देवी सेन्टर आॅफ एक्सीलेन्स फाॅर हैण्डलूम एवं नैचुरल फाईवर में प्रशिक्षण दिया जायेगा। महिला स्वयं सहायता समूह, यदि खेती के लिये लीज पर भूमि लेते हैं, तो राज्य सरकार, उन्हें खेती के लिये एक लाख रूपये की सहायता उपलब्ध करवायेगी। खेती में कार्यरत महिला को मनरेगा मजदूर मानकर, पारिश्रमिक उपलब्ध करवाया जायेगा। राज्य में दो हजार क्राफ्टस वूमैन प्रशिक्षित की जा रही हैं। विधवा महिलाओं को ‘‘गाय-गंगा’’ योजना से लाभान्वित किया जा रहा है। पुलिस व अन्य सेवाओं में महिलाओं की भर्ती बढ़ाने के सत्त प्रयास जारी है। आगंनबाड़ी, आशायें, भोजन-माताओं को हमारी सरकार ने लगातार कुछ न कुछ योजनायंे देकर लाभान्वित किया है। इस क्रम को आगे बढ़ाते हुए हम अतिशीघ्र आशाओं को एक निश्चित मानदेय देगें तथा शिक्षा प्रेरकों के मानदेय में एक हजार रूपये की वृद्धि करेगें। भोजन माताओं को प्रतिवर्ष एक हजार रूपया वर्दी खरीदने के लिए दिया जायेगा।
प्राथमिक विद्यालयों से लेकर स्नाकोत्तर काॅलेजों एवं वोकेशन संस्थानों में, अध्यापकों व प्रधानाचार्यों की उपलब्धता में संतोषजनक सुधार आया है। इसी दौरान एल.टी. शिक्षकों, प्रवक्ताओं व प्राईमरी शिक्षकों के साढ़े ग्यारह हजार से अधिक पदों पर नियुक्तियां हो चुकी हैं या गतिमान हैं। लगभग छः हजार अतिथि शिक्षक भी शीघ्र विद्यालयों को उपलब्ध होगें। पांच सौ से अधिक माॅडल स्कूल विकसित किये जा रहे हैं। चार राजीव गांधी अभिनव विद्यालय प्रारम्भ कर दिये गये हैं। 750 स्कूलों में, स्पोकन इंग्लिश का शिक्षण, ‘‘उन्नति’’ कार्यक्रम के तहत प्रारम्भ कर दिया गया है। स्कूलों में प्रत्येक स्तर पर, लर्निंग लेवल एसस्मेन्ट एवं मूल्यांकन की व्यवस्था लागू की गई है। मानव शक्ति संर्वधन हेतु तकनीकी शिक्षा के ढँाचे का उपयोग स्थानीय आवश्यकतानुरूप एवं बाजार की मांग के अनुरूप हो, इस हेतु साॅफ्ट स्किल की शिक्षा के कोर्सेज आयोजित किये जा रहे हैं। इस दिशा में हम निसबड़ सहित कुछ संस्थाओं के साथ, सहभागिता पर कार्य कर रहे हैं। हमारा लक्ष्य पांच वर्ष में पांच लाख उत्तराखण्डियों को तकनीकी प्रशिक्षण से जोड़ना है। इस हेतु राज्य की स्किल मैपिंग की गई है। अल्पसंख्यकों में इस योजना के प्रसार के लिए हुनर का कार्यक्रम गतिमान है। स्टार्टअप योजना के साथ सम्बद्ध होते हुये, राज्य द्वारा, दस करोड़ रूपये का काॅरपस गठित कर, युवाओं, महिलाओं, शिल्पियों व घुमंतू वर्गों के लिये मिनी स्टार्टअप प्रोग्राम्स संगठित किये जा रहे हैं। हमारा उद्धेश्य पचास हजार युवाओं को नौकरी मांगने के बजाय, लघु उद्यमी में बदलने का है। सिडकुल के सहयोग से राज्य के पर्वतीय अचंल में 6 लघु उद्यम संस्थान बनाये जा रहे हैं। जिनमें से दो लगभग तैयार हो चुके हैं। प्राकृतिक रेशों के सम्बर्द्धन, व कोमल काष्ठ के उत्पादन व उपयोग की, व्यापक योजना प्रारम्भ की जा चुकी है। उद्योग के क्षेत्र में प्रत्येक श्रेणी के उद्योगों, जिनमें इलैक्ट्रोनिक्स, टैक्सटाइल्स, फिल्म, खाद्य प्रसंस्करण भी सम्मलित हैं, नीतियां, नियम, उप नियम बनाये जा चुके है।
अभी-अभी तीन करोड़ के लगभग कावड़ियों के साथ कावड़ मेला सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ है। हेमकुण्ड सहित पांच धाम यात्रा में 12 लाख से अधिक यात्री, श्री केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री, यमनोत्री व हेमकुण्ड की यात्रा पर आ चुके हैं। हमें सुरक्षित-सुगम उत्तराखण्ड यात्रा का संदेश आगे बढ़ाना है।
पृथक ईको-टूरिज्म कोरपोरेशन के गठन के साथ, हमने अपने जंगलों-बुग्यालों, ट्रेकिंग मार्गों, व साहसिक खेल गन्तव्यों के विकास की, एक और सशक्त पहल प्रारम्भ कर दी है। बर्डस, बटरफ्लाईज और रैपटाईल्स तथा बुरांश लवर्स के लिये नये पार्कस चिन्हित कर, विकसित किये जा रहे हैं। राफ्टिंग सहित सभी प्रकार के वाटर स्पोटर्स पैरागलाईडिंग-एरोस्पोटर्स, स्किईगं माउन्ट बाईकिंग, ट्रेकिंग, फोरेस्ट साईकिलिंग के प्रेमियों के लिए, हमने कई नये डेस्टिनेशन चिन्हित कर विकसित किये हैं। राज्य अपने लघु व मध्यम दर्जे के टूरिस्ट सर्किट भी विकसित कर रहा है। सांस्कृतिक धरोहरों, जैसे वाद्ययंत्रों, उत्तराखण्डी शैली युक्त भवनों, सांस्कृतिक मेलों-त्योहारों को, प्राकृतिक सौन्दर्य व सहासिक पर्यटन के साथ जोड़कर, पर्यटन के इन्टिग्रेटेड रोड़ मैप पर अमल हो रहा है। एक हजार पर्वतीय शैली के घरों को होमस्टे के कनसेप्ट पर पर्यटकों को उपलब्ध करवाया जा रहा है। ऋषिकेश व जागेश्वर के योगा सर्किट में, योग और प्रकृति के सामनजस्य से, योग आधारित पर्यटन को आगे बढ़ाया जा रहा है। मुझे उम्मीद है, हरेला-झुमेलो, घीसंक्रान्त का राज्यव्यापी आयोजन, धीरे-धीरे ओनम, विहू के त्योहारों की तर्ज पर अपनों और अन्यों के लिए एक बड़ा आकर्षण सिद्ध होगा। सिद्धि और समृद्धि का प्रतीक ऐपण, अब दुनियां भर में हजारों घरों की शोभा बढ़ा रहा है। हमारा ध्यान आन्तरिक पर्यटन को बढ़ाने पर भी है। हम युवा ट्रेकिंग अभियानों, और ‘‘हमारे बुजुर्ग-हमारे तीर्थ’’ कार्यक्रम को, इस वर्ष सितम्बर मध्य से नवम्बर तक शिद्त् से चलायेगें।
तेज शहरीकरण आज के भारत का सत्य है। उत्तराखण्ड को वर्ष 2022 तक, 50 प्रतिशत शहरीकरण का लक्ष्य रखना आवश्यक है। पिछले दो वर्षों में, हमने नगर निकायों की संख्या लगभग ड्योढ़ी कर दी है। बड़े नगरों के चारों ओर अर्द्ध शहरी क्षेत्र, अस्त-व्यस्त विकास का शिकार न हो, इस हेतु ‘‘यूहुडा’’ के नाम से नये प्राधिकरण का गठन किया गया है। इसे भराड़ीसैण, गरूड़ाबांज सहित कई छोटे काउन्टर मेग्नेटिक टाउन डैवलैप करने व आवसीय सुविधायें पैदा करने की जिम्मेदारी दी गई है। महर्षी बाल्मिकि एवं रैदास तथा महापुरूष खुशीराम व जयानन्द भारती के नाम से पैंतीस हजार नये घर बनाने के संकल्प के साथ, हम शीघ्र ‘‘उत्तराखण्ड जन आवास’’ योजना प्रारम्भ कर रहे हैं। देहरादून में प्रारम्भ की गई ‘‘रिवर फ्रन्ट डैवलैपमेन्ट’’ योजना, सफलतापूर्वक प्रारम्भ हो गई है। इस सशक्त पहल को आगे बढ़ाने के लिए, देहरादून रिवर फ्रन्ट डेवलपमेन्ट कोरपोरेशन का गठन किया जा रहा है। ‘‘अमरूत’’ योजना के तहत राज्य के छः नगर निकायों व नैनीताल में, पेयजल आपूर्ति एवं सिवरेज ड्रेनेज समबद्धिकरण का कार्य पांच वर्षों में पूरा किया जायेगा, तथा नमामि गंगे योजना, बारह अन्य नगरों में सिवरेज एवं सिवरेज ट्रिटमेन्ट सेस्टम स्थापित करेगी। निर्मल भारत योजना के तहत, रामगढ़ व जसपुर ब्लाॅक, खुले में शौंच की समस्या से मुक्त हो गये हैं। इस योजना को आगे बढ़ाने के लिए, राज्य सरकार एक समानान्तर प्रोत्साहन योजना के तहत, श्रम विभाग में पंजिकृत, डेढ़ लाख निर्माणकर्मी परिवारों को शौचालय या रसोईघर बनाने के लिए, प्रति परिवार बीस हजार रूपया अनुदान स्वरूप प्रदान करेगी। इस योजना का लाभ, मनरेगा श्रमिकों, ओड़ व मिस्त्रयों को भी मिलेगा। शहरी व अर्द्धशहरी क्षेत्रों की स्थिति में व्यापक सुधार लाने के दृष्टिकोण से, मलीन बस्तियों के नियमितिकरण के साथ-साथ डा0 कलाम बुनियादी सुविधा विस्तार योजना को भी लागू किया जा रहा है। इस हेतु, इस वर्ष, 25 करोड़ की पूंजी के साथ, आगे चार वर्षों में चार सौ करोड़ का कोरपस गठित किया जायेगा। मलिन बस्ती नियमितिकरण की नियमावली इस माह के अन्त तक परिचालित कर दी जायेगी।
इस वित्तीय वर्ष के अंत तक, हम एक हजार नई सड़कों पर काम प्रारम्भ कर चुके होगें। वर्ष 2020 तक हमें ‘रोड़ कनैक्टीविटी फार आल’ का लक्ष्य पूरा करना है। पुल और रोपवे तथा मैट्रो के लिए, अलग-अलग, संगठन स्थापित कर दिये गये हैं। राज्य का पहला फ्लाई ओवर बन चुका है। दो और फ्लाई ओवर इस वर्ष पुरे हो जायेंगे। छः और फ्लाईओवर, छः रेलवे ओवरब्रीज, दो अण्डरपास, चार टनल्स पर हम आगे कार्य प्रारम्भ करेगें।
विद्युत उपलब्धता व सबसे सस्ती बिजली, हमारे राज्य में विनिवेश हेतु प्रमुख आकर्षण है। हम इसे बनाये रखेगें, और वर्ष 2017 तक हर घर को बिजली देगें। बिजली की लगातार पूर्ति को विद्युत उपभोक्ता के कानूनी अधिकार, के दायरे में अगले दो वर्षों में लाया जायेगा। इस हेतु चार सौ और दो सौ मेगावाट के आठ सबस्टेशनों के निर्माण का कार्य गतिमान है।
छोटी नहरों-गूलों व नलकूपों के गठन के फलस्वरूप, हमने वर्ष 2015-16 में पहली बार अपनी सिंचन क्षमता में 5 प्रतिशत की वृद्धि की है। इस अभियान को गति देने के लिए, सिंचाई विभाग को, सौ लघु जलाशय निर्माण का दायित्व सौंपा गया है, इनमें से चार बन चुके हैं, दस में निर्माण प्रक्रिया गतिमान है।
जल संचय के बिना हमारा कल्याण नहीं है। पेयजल विभाग, वन विभाग, कृषि-जलागम विभाग को इस कार्य में लगाया गया है। वन विभाग ने जंगलों में एक हजार जलकुण्ड बना दिये हैं, और उन्हें दस हजार का लक्ष्य दिया गया है। जंगलों में दस हजार ट्रेचेज बनाकर, जल सम्भरण की एक सशक्त पहल, राज्य प्रारम्भ कर चुका है। वृक्ष बोनस, दुग्ध बोनस व वाटर बोनस की योजनायें प्रारम्भ करने वाले हम पहले राज्य हैं। ग्रामीण अर्थव्यवस्था के उन्नयन, व जल आवश्यकता की पूर्ति के लिए, उपरोक्त तीनों योजनायें अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। जल सम्भरण का यह अभियान, हमें अत्यधिक खर्चिली लिफ्ट पेयजल योजनाओं के निर्माण में राहत देगा। हम अपने प्रत्येक नागरिक को न्यूनतम 25 लीटर स्वच्छ जल दे सकें, इस हेतु मैनें चार वर्ष की कार्य योजना तैयार की है।
मुझे खुशी है, सत्त कोशिशों से, हम खेल सुविधाओं का अच्छा ढाॅचा तैयार कर पाये हैं। दो अन्तराष्ट्रीय व पौना दर्जन राष्ट्रीय स्तर के आउटडोर-इन्डोर स्टेडियमस, ट्रेक्स, टर्फ व कोर्टस के साथ, हम वर्ष 2018 के राष्ट्रीय खेलों के आयोजन के लिए तैयार हो रहे हैं। हमारी खेल नीति ने, खेल व खिलाड़ी दोनों को उत्साहित किया है।
एरोमेटिक व हब्र्स कल्टीवेशन हेतु कुछ कलस्टर गठित किये जा चुके हैं। गंगी गांव में पहली हब्र्स नर्सरी बनाई गयी हैं। हमनें समर्थन मूल्य व बोनस का दायरा परम्परागत फसलों, दालों, कन्दों, फलों व सब्जियों तक बढ़ाया है। बिखरी खेती के सुधार के लिए, चकबंदी का कानून बनाने के साथ-साथ कलस्टर बेस एग्रीकल्चर व कान्टेक्ट बेस एग्रीकल्चर को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस हेतु लैंड लीजिंग पाॅलिसी में बदलाव ला रहे हैं। वर्ष 2017 तक मैदानी क्षेत्र के चारों जनपदों में, सभी किसानों को सोयल हैल्थ कार्ड दे दिये जायेंगे। किसानों के गन्ने के बकाये का नब्बे प्रतिशत हिस्से का, इस माह के अन्त तक भुगतान हो जायेगा। गन्ना बीज बदल कार्यक्रम पर, राज्य इस वर्ष पुनः दस करोड़ रूपया व्यय करेगा। दुग्ध बोनस योजना का पिछले वर्ष पचास हजार किसानों ने लाभ उठाया है। इस वर्ष साठ हजार किसानों को हम लाभान्वित करेंगे। कृषि बीमा योजना में किसानों के हिस्से की राशि का आधा धन, राज्य की ओर से, बीमा कम्पनियों को देने का फैसला किया गया है।
कला और संस्कृति सम्बर्द्धन के क्षेत्र में, हमारी सभी पहलें व घोषणायें अमल में आ चुकी हैं। स्थानीय भाषा-बोलियों को पाठयक्रम का हिस्सा बनाया जा चुका है। इस प्रयास को आगे बढ़ाने के लिए भाषा-बोली-उन्नयन परिषद का गठन, व गौचर में इसी वर्ष संस्थान खोला जा रहा है। जागर महाविद्यालय भी शीघ्र अस्तीत्व में आ जायेगा। राज्य शिल्प संस्थान भी इस वर्ष कार्य प्रारम्भ कर देगा। फूल देई जैसे त्योहारों व ऐतिहासिक रामलीलाओं एवं होलियों को बढ़ावा देने की हमारी नीति जारी रहेगी। अल्मोड़ा में इसी वर्ष आवासीय विश्वविद्यालय कार्य प्रारम्भ कर देगा।
चिकित्सा, आर्युवेदिक, नर्सिंग, और तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में राज्य बहुत अच्छी स्थिति में है। इस क्षेत्र में गुणात्मक सुधार हेतु दृढ़ प्रयास किये जा रहे हैं। पन्तनगर कृषि विश्वविद्यालय धीरे-धीरे अपने पुराने गौरव को प्राप्त कर रहा है। दून मेडिकल काॅलेज प्रारम्भ हो चुका है। अल्मोड़ा मेडिकल काॅलेज अगले वर्ष तक शिक्षण प्रारम्भ कर देगा। पिथौरागढ़, भगवानपुर, कोटद्वार व रूद्रपुर के लिए प्राशासनिक व वित्तीय स्वीकृतियां इस वर्ष जारी कर दी जायेगीं। हमने दो महत्वाकाक्षीं योजनाये लागू की हैं। पहली है, राज्य ‘‘खाद्य सुरक्षा’’ योजना जिसके तहत, हम ए0पी0एल0 कार्ड धारकों को भी सस्ता अनाज मुहैय्या कराने में, लगभग 300 करोड़ रूपया अतिरिक्त खर्च कर रहे हैं। सस्ता गल्ला विक्रेताओं के देय कमीशन को पुर्नरिक्षित करने के मैंने आदेश दिये हैं। दूसरी योजना है, ‘‘मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा’’ योजना, जिसका हमने इस वर्ष दायरा बढ़ाकर एक लाख पछत्तर हजार रूपया कर दिया है।
इस वर्ष हम चार डाईलेसीस सेन्टर भी स्थापित कर देगें। डाक्टर्स का अभाव अत्यधिक कष्टकारक है। हमने उनकी मांगों को उदारतापूर्वक स्वीकार किया है, अब उनसे सहयोग की अपेक्षा है। दूर-दराज के क्षेत्रों में सर्जिकल एवं डायग्नोस्टिक कैम्पस व मेडिकल वैन सर्विस के माध्यम से, हम यथासम्भव स्वास्थ्य सेवायें पहंुचाने का प्रयास कर रहे हैं। हम इस व्यवस्था के साथ हैली सर्विसेज को भी जोड़ेगें। बी0डी0एस0 व आयुर्वेदिक डाक्टर्स तथा फार्मेसिस्टों की भर्ती कर, हम स्वास्थ्य सेवा में अभाव को, कम करने का प्रयास कर रहे हैं। मैने इस दिशा में सुधार हेतु, लगभग पिछत्तर नयें ए0एन0एम0 सेन्टर भी स्वीकृत किये हैं तथा दाई सेवाओं को सुधारने का प्रयास किया है।
हम आपदा प्रभावित भाई-बहनों के लिए अभी तक 2016 आवास बना चुके हैं, 450 और आवास बनाने की प्रक्रिया गतिमान है। संकटपूर्ण स्थिति वाले गांवों के विस्थापन हेतु, हमने केन्द्र सरकार से सहयोग व सहायता मांगी है।
राज्य के विभिन्न सामाजिक समूहों जिनमें मुसलमान व सिक्ख भी हैं, शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, व्यवासयिक शिक्षा में इन समूहों के बच्चों को प्रेरित करने के लिए महापुरूषों के नाम पर, एक दर्जन छात्रवृतियां प्रारम्भ की गई हैं। इस हेतु कोष गठित कर दिये गये हैं। सामान्य वर्ग के प्रतिभावान छात्रों को उच्च शिक्षा में प्रोत्साहित करने हेतु, राज्य आन्दोलन के पुरोधा स्व0 इन्द्रमणी बड़ोनी के नाम पर भी, एक छात्रवृति प्रारम्भ की गई हैं। राजा विजय बहादुर सिंह के नाम से, किसान वर्ग के छात्रों के लिए छात्रवृति प्रारम्भ की गई है। राज्य सरकार ने, दलित, घुमन्तु वर्गों व अति पिछड़ों तथा मुस्लिम छात्राओं को उच्च शिक्षा में, प्रेरित करने के लिए अलग-अलग छात्रवृतियां प्रारम्भ की हैं। एक ऐसी छात्रवृति, हमारे मंत्रीमण्डल के सहयोगी रहे, स्व0 सुरेन्द्र राकेश के नाम पर भी प्रारम्भ की गई है।
चिन्हित राज्य आन्दोलनकारियों को पेन्शन देने का निर्णय भी, लागू कर दिया गया है। शीघ्र यह पेन्शन मिलने लगेगी।
हम इस वर्ष न्यूनतम हाईस्कूल तक शिक्षित, मगर बेरोजगार, दलित, मुस्लिम, अतिपिछड़े वर्ग व बी0पी0एल0 परिवारों की लड़कियों को एक गैस चूल्हा देगें। इस वर्ष ऐसे बीस हजार चूल्हे बांटने का लक्ष्य है। इस वर्ष राज्य सरकार एम0एस0डी0पी0 से इतर अल्पसंख्यक कल्याण हेतु पच्चीस करोड़ रूपये की राशि व स्पेशल कम्पोनेट प्लान की योजनाओं हेतु पच्चीस करोड़ रूपया जुटायेगी।
पैरामिलट्री फोर्सेज के निदेशालय का ढाॅचा स्वीकृत हो चुका है। अल्मोड़ा तथा कोटद्वार में, क्षेत्रीय कार्यालय शीघ्र गठित होंगें। ऐसे सभी सेवानिवृत्त सैनिकों को, दूसरे बलों की भांति कैंटीन सुविधा भी प्राप्त होगी। गृह कर से उन्हें भी, सेवानिवृत्त सैनिकों की भांति छूट दी जायेगी। सेवानिवृत्त सैनिकों के मांग के अनुसार, अब उपनल में केवल उनके कुटम्बीजन व आश्रित भर्ती होंगे। सेवानिवृत्त सैनिकों को आपदा प्रबन्धन के साथ भी जोड़ा जायेगा तथा उन्हें प्राप्त होने वाली प्रत्येक सामग्री पर, वैट व एक्साइज ड्यूटी दोनो को तर्क संगत सीमा तक घटाया जायेगा।
मुझे खुशी है, कि राज्य निर्माण के बाद गठित हुये विभागीय ढ़ांचों में, लगभग आधे ढ़ांचे मेरे कार्यकाल में गठित हुये हैं। विभागीय कार्यों को संचालित करने के लिए ढ़ांचा गठन व नीति निर्धारण आवश्यक है। छठे वेतन आयोग की विसंगतियों को सुलझाने के अथक प्रयासों के बावजूद, कुछ संवर्गों में वेतन आदि की विसंगतियां रह गयी हैं। हम इन वेतन विसंगतियों को दूर करने के लिए वचनवद्ध हैं। सातवां वेतन आयोग का लाभ, राज्यकर्मियों को मिले, इस हेतु बनायी गयी कमेटी की संस्तुति की, हम प्रतीक्षा कर रहे हैं। शासन, पुलिस एवं राज्यकर्मियों को अधिकतम सुविधायें देने के लिए हमेशा प्रयत्नशील रहता है। राज्य कर्मचारी कल्याण निगम शीघ्र गठित किया जा रहा है, तथा प्रतिवर्ष पुलिस कल्याण कोष में दो करोड़ रूपये की विशेष सहायता दी जायेगी।
पांच वर्ष से अधिक समय से, संविदा सेवारत कर्मचारियों को नियमित किया जायेगा तथा उपनल कर्मियों को काॅन्टैक्ट इम्पाॅलायज का दर्जा दिया जायेगा। हमारा सत्त प्रयास है, सरकारी सेवाओं में वर्तमान कट एण्ड पेस्ट पाॅलिसी बन्द हो। राज्य में कई विभागों में, वर्ष 2003 से नई भर्तियां नहीं हुई हैं। हमने आगे ऐसा न हो, इस हेतु अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के साथ-साथ, तकनीकी शिक्षा बोर्ड, मैडिकल चयन बोर्ड, उच्च शिक्षा चयन बोर्ड का भी गठन किया है। अब हम, माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड का गठन करने जा रहे हैं। इस वर्ष हम तीस हजार भर्तियां करेंगे, जिनमंे अतिथि शिक्षक भी सम्मिलित हैं। सरकार अगले दो माह में, एस0सी0, एस0टी0 और ओ0बी0सी0 तथा दिव्यागों के लिये आरक्षित रिक्त पदों पर, अभियान चलाकर भर्ती करेगी। नवम्बर तक बैकलाॅग लगभग समाप्त कर दिया जायेगा।
आवसीय भवनों पर लागू समन योजना व फ्री-होल्ड योजना को 15 अगस्त, 2017 तक के लिए बढ़ाया जा रहा है।
सुराज की अवधारणा को साकार करने के लिए हमने सरकार व जनता में, संवाद की परम्परा प्रारम्भ की है। समाधान पोर्टल पर, लोगों की शिकायतों का निस्तारण किया जाता है। मैं स्वयं इसका अनुश्रवण करते हुए, शिकायतकर्ताओं से वीडियों कान्फ्रेंसिंग, व मोबाईल से बात कर उनका फीडबैक लेता हूॅ। सोशियल मीडिया के माध्यम से भी, नियमित रूप से लोगों की शिकायतें व सुझाव लिये जा रहे हैं। ‘‘ई-डिस्ट्रिक केन्द्रों व देव-भूमि सेवा केन्द्रों के माध्यम से, विभिन्न प्रकार के प्रमाण-पत्र जिनमें पेन्शन पात्रता प्रमाण-पत्र भी सम्मिलित हैं, पूर्णतः कम्प्यूटरीकृत कर, दिये गये हैं।’’
सरकारी मशीनरी की कार्यसंस्कृति को सुधारने के निरन्तर प्रयास किये जा रहे हैं। मुझे खुशी है कि, समय के साथ हमारी आदतों व नजरिये में परिर्वतन आ रहा है। हम आगे और अच्छा करेंगे।
गैरसैण राज्य आन्दोलन की भावना का केन्द्र बिन्दु है, उसके संर्वागीण विकास के लक्ष्य की तरफ हम तेजी से बढ़ रहे हैं। मैं अपने सम्मुख उपस्थित, इस गौरवनत उत्तराखण्ड को प्रणाम करता हूॅ। मैं आपके उत्साह व धैर्य को भी प्रणाम करता हूॅ। उत्तराखण्ड के पास प्रतिभा व सामथ्र्य की कमी नहीं है। अपनी छोटी-बड़ी पहलों के माध्यम से, हम अपने साधनहीन लोगों व अभावग्रस्त क्षेत्रों को, एक बेहतर जीवन दे सकते हैं। यही राज्य निर्माण का लक्ष्य था। हम वीरों और बलिदानियों की धरती हैं। हमारी बौद्धिक सृजनता, हमारी सामुहिक सम्पदा है। इसका सचेष्ट उपयोग एक विकसित उत्तराखण्ड के निर्माण के लिए आवश्यक है। मैं इसी सामूहिकता का आह्वाहन करते हुये, उत्तराखण्डीयों की ओर से, शान से फहरा रहे तिरंगे को सैल्यूट करता हूॅ। अपने जगं-ए-आजादी के नायकों को याद करते हुए भगवान से प्रार्थना करता हूॅ, वह हमें क्षमता व शक्ति दे, हम अपनी आजादी के मूल्यों, सिद्धान्तों व संवैधानिक मान्यताओं का, आदरयुक्त संरक्षण व सम्मान कर सके।\
धन्यवाद।
जै हिन्द! – जै उत्तराखण्ड!