हिरासत में ले लो- सीएम जनता दरबार-की खबर सोशल मीडिया में छा गयी
महिला शिक्षिका को कस्ब्डी में ले लो, संस्पेंड कर दो- भरे जनता दरबार में मुख्यमंत्री का यह आदेश – की खबर ने सोशल मीडिया में रिकार्ड तोड दिया- जबर्दस्त ढंग से वायरल हो गयी यह खबर- हर मोबाइल में यह खबर थी, जबकि फेसबुक में ता मानो इसकेेअलावा और कुछ था ही नही- ऐसे में राज्य का मीडिया मैनेजमेन्ट एक बार फिर थका हुआ साबित हुआ- आज की यह सुपरहिट खबर बन गयी- आज की इस खबर से जो नुकसान हुआ- उसकी भरपाई करना आसान नही होगा- मुख्यमंत्री जी का कुशल मीडिया प्रबन्धन होता तो यह सोशल मीडिया की सुपर हिट खबर नही बन पाती-
क्या हुआ सब कुछ- सोशल मीडिया से साभार- जनसंघर्ष मोर्चा नेे भरी हुंकार- निकाले कुछ अनोखे तथ्य-
देहरादून:: सी एम के जनता दरबार मे महिला शिक्षका का अभद्र व्यवहार,
सी एम ने कहा कर दूंगा बर्खास्त, तुरंन्त करो गिरफ्तार।
महिला शिक्षिका का नाम उत्तरा पंत बहुगुणा , उत्तरकाशी के दुर्गम क्षेत्र में प्राथमिक विद्यायल में तैनात है।
पति की मृत्यु के बाद देहरादुन में तैनाती की कर रही थी मांग । जनता दरवार में जनता की फरियाद कुछ ऐसे सुनी गई। महिला शिक्षिका का नाम उत्तरा पंत बहुगुणा है, उत्तरकाशी के दुर्गम क्षेत्र में प्राथमिक विद्यायल में तैनात है, पति की मृत्यु के बाद देहरादुन में तैनाती की कर रही थी मांग ।
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जनसंघर्श मोर्चा अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी उतरे मैदान में-
भ्रष्टाचार के प्रहार से आहत सी०एम० ने उतारी महिला शिक्षिका पर खिझ …22 वर्षो से घर से एक किलोमीटर की दूरी पर तैनात है मुख्यमंत्री जी की पत्नी- .२२ वर्षों बाद भी इसी सुगम विद्यालय में तैनाती इस बात को दर्शाती है कि सुगम-दुर्गम सिर्फ बेसहारा/बिना सिफारिसी लोगों के लिए बना है।.
जनसंघर्श मोर्चा अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि जीरो टोलरेंष का नारा देने वाले सूबे के मुख्यमन्त्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की धर्मपत्नी श्रीमती सुनीता रावत ने बिना विभागीय अनुमति के करोडों रूपये मूल्य की भूमि खरीदी है, जो कि सेवा आचरण नियमावली १९५६ का कडा उल्लंघन है। श्रीमती रावत अजबपुरकलां के पूर्व माध्यमिक विद्यालय में बतौर स०अ० तैनात हैं।
महिला शिक्षिका का नाम उत्तरा पंत बहुगुणा ने कहा- फेसबुक से साभार
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महिला शिक्षिका का नाम उत्तरा पंत बहुगुणा
उत्तरकाशी के दुर्गम क्षेत्र में प्राथमिक विद्यायल में है तैनात
पति की मृत्यु के बाद देहरादुन में तैनाती की कर रही थी मांग
देहरादून/कोटद्वार- मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के जनता दरबार में आज उस समय हंगामा हो गया जब उत्तरकाशी में तैनात प्राइमरी स्कूल की एक महिला ने अपनी समस्या बताने के लिए जैसे ही मुख्यमंत्री के जनता दरबार में महिला खड़ी हुई वैसे ही महिला ने CM और आस पास बैठे अधिकारियों को लताड़ लगानी शुरू कर दी। शुत्रो के अनुसार महिला 20 सालों से उत्तरकाशी के प्राइमरी स्कूल में तैनात है और लंबे समय से महिला अपने स्थांतरण की मांग कर रही थी।
CM के जनता दरबार में लगभग 150 से ज्यादा लोगों की भीड़ थी कि अचानक महिला का शोर शराबा जैसे ही हुआ वैसे ही पूरे जनता दरबार में अफरा-तफरी का माहौल हो गया पुलिस प्रशासन इससे पहले कुछ समझ पाते की महिला ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को खूब खरी-खोटी तब तक सुना दी थी तुरंत महिला पर महिला पुलिसकर्मीओ ने काबू पाने की कोशिश की ओर खिंचते हुए जनता दरबार से बाहर ले कर आ गए बाहर जाते जाते भी महिला ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से अभद्रता करते हुए उन्हें चोर तक कह दिया महिला ने
जनता दरबार में हुए हंगामे के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने तुरंत अधिकारियों को महिला के निलंबन के ऑर्डर जारी करने के निर्देश दिए हैं इसके साथ ही सीएम ने महिला को गिरफ्तार करने के भी आदेश दे दिए है मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि तुरंत इस महिला पर कार्रवाई होनी चाहिए।
जनसंघर्श मोर्चा अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी का सनसनीखेज आरोप-
देहरादून- जी००एम०वी०एन० के पूर्व उपाध्यक्ष एवं जनसंघर्श मोर्चा अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि जनता दरबार में एक पीडत शिक्षिका का दर्द सुनने के बजाय सी०एम० श्री रावत का शिक्षिका पर बिफरना इस बात का संकेत देता है कि सी०एम० श्री त्रिवेन्द्र अपने काले कारनामों पर जनसंघर्ष मोर्चा द्वारा प्रतिदिन किये जा रहे हमलों से आहत हैं तथा इन हमलों की ऑंच में पूरी तरह से झुलस चुके श्री रावत जनता पर अपना गुस्सा उतारना चाहते हैं। महिला शिक्षिका द्वारा सूबे के मुखिया को चारे इत्यादि कहने से मोर्चा की बात को बल मिलता है।
नेगी ने कहा कि श्री रावत की धर्मपत्नी श्रीमती सुनीता जिन्होंने १९९२ में पौडी गढवाल से अपने कैरियर की शुरूआत की थी, उनके द्वारा मात्र ०४ वर्ष बाद अजबपुर कलां, देहरादून में योगदान दिया गया तथा इन २२ वर्षों बाद भी इसी सुगम विद्यालय में तैनाती इस बात को दर्शाती है कि सुगम-दुर्गम सिर्फ बेसहारा/बिना सिफारिसी लोगों के लिए बना है।
महिला शिक्षिका ने जिस प्रकार अभद्रता की मोर्चा इस बात का भी समर्थन नहीं करता, लेकिन महिला ने किस परिस्थितिवश ये बातें कही, बहुत ही गम्भीर मामला है तथा सरकार के लिए ये एक सबक है, कि जनता कितनी परेषान है तथा उसका सब्र अब जवाब दे चुका है।
नेगी ने कहा कि एक जिम्मेदार पद (मुख्यमन्त्री जैसे पद) पर बैठे व्यक्ति द्वारा अमर्यादित व्यवहार किया जाना निश्चित तौर पर शर्मनाक है, मोर्चा इसकी घोर निन्दा करता है।
श्री रावत में अगर थोडी सी भी इन्सानियत बची है या वे अपने जीरो टोलरेंस के नारे का मान रखना चाहते हैं तो पीडत शिक्षिका को इंसाफ दिलायें।
इससे पूर्व जनसंघर्ष मोर्चा ने मीडिया से वार्ता करते हुए कहा था कि
क्या मुख्यमन्त्री अपनी पत्नी की अनियमितताओं को लेकर करेंगे कार्यवाही! ……मोर्चा
देहरादून- स्थानीय होटल में पत्रकारों से वार्ता करते हुए जी००एम०वी०एन० के पूर्व उपाध्यक्ष एवं जनसंघर्श मोर्चा अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि जीरो टोलरेंष का नारा देने वाले सूबे के मुख्यमन्त्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की धर्मपत्नी श्रीमती सुनीता रावत ने बिना विभागीय अनुमति के करोडों रूपये मूल्य की भूमि खरीदी है, जो कि सेवा आचरण नियमावली १९५६ का कडा उल्लंघन है। श्रीमती रावत अजबपुरकलां के पूर्व माध्यमिक विद्यालय में बतौर स०अ० तैनात हैं।
नेगी ने कहा कि इनकी धर्मपत्नी श्रीमती रावत ने दिनांक २७.०७.२०१२ व ३०.११.२०१२ को ०.१०१हे० व ०.१२६हे० भूमि यानि लगभग ३ बीघा व वर्श २०१० (०८.०९.२०१०) में ८३३ वर्ग की आवासीय भूमि खरीदी, जिसकी बाजारू कीमत करोडों रूपये में है।
उक्त भूमि खरीदने से पूर्व श्रीमती रावत ने कोई विभागीय अनुमति नहीं ली और न ही कोई सूचना विभाग को दी। उक्त अनियमितता उ०प्र० सरकारी कर्मचारी नियमावली-१९५६ का सीधा-सीधा उल्लंघन है। उक्त नियमावली के बिन्दु सं० २४ में स्पश्ट उल्लेख है कि ’’कोई सरकारी कर्मचारी, सिवाय उस दषा में, जबकि सम्बन्धित अधिकारी को इसकी पूर्ण जानकारी हो, या तो स्वयं अपने नाम से या अपने परिवार के किसी भी सदस्य के नाम से पट्टा, रहन, क्रय-विक्रय या भेंट द्वारा या अन्यथा, न तो को कोई अचल सम्पत्ति अर्जित करेगा और न उसे बेचेगा‘‘।
नेगी ने कहा कि इनकी धर्मपत्नी एक सरकारी मुलाजिम होने के नाते श्री त्रिवेन्द्र रावत का यह दायित्व था कि अपनी पत्नी को भूमि खरीदते वक्त नसीहत करते, लेकिन ढैंचा बीज घोटाले में अर्जित काली कमाई के नषे में महाषय यह भूल गये कि धर्मपत्नी को विभाग से अनुमति भी दिलानी है।
मोर्चा ने जीरो टोलरेंस के नायक एवं सूबे के मुखिया श्री रावत से मांग की कि अगर उनमें थोडी सी भी नैतिकता बची है तो अपनी धर्मपत्नी के खिलाफ विभाग को कार्यवाही हेतु लिखें।
पत्रकार वार्ता में ः- मोर्चा महासचिव आकाष पंवार, दिलबाग सिंह, प्रभाकर जोषी, बागेष पुरोहित, प्रवीण षर्मा पीन्नी आदि थे।
SOCIAL MEDIA ; में जबर्दस्त ढग से वायरल हो रही है खबर
तंत्र की नाकामी है या निकम्मापन
आज हमारी फेसबुक मित्र आदरणीया उत्तरा पंत बहुगुणा के ख़िलाफ़ उतराखंड के यशस्वी मुख्यमंत्री माननीय त्रिवेंद्र सिंह रावत जी ने मुकदमा दायर करने एवं नौकरी से निलंबित करने के आदेश दे दिये हैं , उत्तरा पंत बहुगुणा जी का क़ुसूर ये था कि , वो एक विधवा और अपने पति की मृत्यु के पश्चात अत्यनत दुखी थीं , काफ़ी लंबे अरसे से दुर्गम क्षेत्र में कार्यरत शिक्षिका अपने बुढ़ापे में सुगम क्षेत्र में स्थांतरण चाहती थी ,सबसे अहम बात यह है कि उन्होंने नेताओं पर जनता दरबार में मुख्यमंत्री जी के समक्ष आरोप लगाया कि वो अपने क़रीबियों के तबादले सभी नियमों को ताक पर रखकर करवा ले जाते हैं ।
कई वर्षों तक गिड़गिड़ाने के पश्चात आज उत्तरा पंत बहुगुणा जी का ग़ुस्सा माननीय मुख्यमंत्री जी के जनता दरबार में जमकर फूटा । निशब्द हुँ !
शायद मैं होता तो मैं भी ये ही करता ।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत का सत्ता के मद में चूर होकर किया गया फैसला निदंनीय।
उत्तरा पंत बहुगुणा के ख़िलाफ़ उतराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुकदमा दायर करने एवं नौकरी से निलंबित करने का आदेश जारी कर दिया।
महिला शिक्षिका एक विधवा और 25 वर्षो से उत्तरकाशी जिले के दुर्गम क्षेत्र में कार्यरत शिक्षिका अपने बच्चो के लालन पालन के लिए और अपने बुढ़ापे में सुगम क्षेत्र में अपना स्थानांतरण चाहती थी,कहीं सुनवाई नही होने पर मुख्यमंत्री के जनता दरबार कार्यक्रम में तक उनकी सुनी तो गुस्सा होना लाजमी है, उनकी जगह कोई और भी होता तो शायद वो भी यही करता जो महिला शिक्षिका ने किया।
Harish Maikhuri ने एक वीडियो साझा किया.
Vinay Uniyal, Rajendra Joshi और 10 अन्य लोगों के साथ है.
वे निःसन्देह माफ भी कर देंगे और स्थानांतरण भी करवा देँगे।
मूल प्रश्न यह कि शिक्षिका आपा क्यो खो बैठी?
क्या इसके लिए शिक्षा विभाग के अधिकारी जिम्मेदार नही?
क्या सुगम और दुर्गम नामक शब्दो के पीछे कोई बड़ा खेल तो नही खेला जाता?