कांग्रेस मुख्यालय मे अपमानित होना पडता है; मुख्यमंत्री प्रेमा खांडू ने कहा
भाजपा गुजरात में 182 में से 97 सीटें जीत सकती है; गुजरात कांग्रेस ने एक विश्वसनीय रिपोर्ट तैयार की
मोदी जी सेल्फी लेने की और वायदे करने की मशीन हैं। एक सेल्फी-एक वायदा, एक सेल्फी-एक वायदा, बस यही काम है उनका; राहुल गांधी
वही दूसरी ओर ; अरुणाचल प्रदेश की पीपुल्स पार्टी में शामिल होने वाले मुख्यमंत्री प्रेमा खांडू ने कहा कि आम आदमी एक क्षेत्रीय पार्टी चाहता था ”कांग्रेस सरकार का मुख्यमंत्री बनने के दो दिन बाद, मैं पार्टी हाई कमान के बुलावे पर सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मिलने दिल्ली भागा। लेकिन उन्होंने मुझे तीन दिन तक इंतजार करने को कहा ; कांग्रेस मुख्यालय में हमें जैसा रिस्पांस मिला, वह पूरी तरह हताश और अपमानित करने वाला था
www.himalayauk.org (UK Leading Digital Newsportal
2017 में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर गुजरात कांग्रेस ने एक विश्वसनीय रिपोर्ट तैयार की है। यह रिपोर्ट कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को भी भेजी गई है। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017 के विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी 182 में से 97 सीटें जीत सकती है। इसी रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर कांग्रेस भाग्यशाली हुई तो अधिकतम 82 सीटें जीतेगी। टीआेआई ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि यह रिपोर्ट ‘पेशेवर एजेंसियों की मदद’ से तैयार की गई है। रिपोर्ट के अनुसार, विधानसभा की 182 सीटों में से ”52 सीटों पर भाजपा के जीतने की 100 फीसदी संभावना है, जबकि अन्य 45 सीटों पर बीजेपी के जीतने की संभावना 80 से 85 फीसदी है।” दोनों को जोड़ दें तो संख्या 97 हो जाती है। अगर ऐसा होता है तो विधानसभा में आराम से भाजपा को बहुमत मिल जाएगा। अगर सत्ताधारी पार्टी कोई और सीट नहीं भी जीतती, तो भी वह कम बहुमत के साथ सरकार बना लेगी।
—‘सेल्फी और वादे’ की मशीन बन चुके मोदी
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के मद्देनजर ‘किसान यात्रा’ पर निकले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि ‘सेल्फी और वादे’ की मशीन बन चुके मोदी हिन्दुस्तानियों के बीच नफरत फैलाने में खासतौर पर दक्ष हैं। राहुल ने उरई में आयोजित नुक्कड़ सभा में कहा, ‘मोदी जी सेल्फी लेने की और वायदे करने की मशीन हैं। एक सेल्फी-एक वायदा, एक सेल्फी-एक वायदा, बस यही काम है उनका।’
उन्होंने कहा, ‘मोदी जी की विशिष्ट दक्षता एक हिन्दुस्तानी और दूसरे हिन्दुस्तानी के बीच नफरत पैदा करने में हैं। यह देश शांति से चल रहा था। हिन्दू, मुसलमान, सिख, ईसाई एक साथ चल रहे थे, प्यार से रह रहे थे। मोदी जी आते हैं और हिन्दू को मुसलमान से लड़ाते हैं। हरियाणा में जाएंगे, वहां सरकार लानी है तो जाट और गैर-जाट के बीच लड़ाई करा देंगे।’ ‘किसान यात्रा’ पर निकले कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस ने 10 साल तक हरियाणा में राज किया, मगर वहां एक भी दंगा नहीं हुआ। मोदी आते हैं और आग लग जाती है। फिर मोदी कहते हैं कि वह विकास लाएंगे। हां, विकास लाएंगे, अच्छे दिन लाएंगे, मगर नरेंद्र मोदी और उनके 10-12 उद्योगपति दोस्तों के।
उन्होंने कहा, ‘दंगे होंगे। देश का गरीब मरेगा, दुख होगा और यह देश जिसको आगे बढ़ना चाहिये, वह पीछे होता जाएगा। मैं आपको बताता हूं कि कांग्रेस पार्टी और उसका हर नेता यह काम नहीं होने देगा। इस देश में भाईचारे की लड़ाई हमारी है। यह देश सबका है। हर धर्म, हर जाति, हर व्यक्ति का है। पंक्ति में सबसे पीछे खड़े व्यक्ति का भी है।’ राहुल ने वित्त मंत्री अरुण जेटली पर कटाक्ष करते हुए कहा कि काली कमाई को अगर सफेद करना हो तो जेटली से मिलो। वह काले धन को ‘फेयर एण्ड लवली’ लगाकर सफेद कर रहे हैं। कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि नरेंद्र मोदी ने अलग-अलग वादे किये। हर नागरिक के बैंक खाते में 15-15 लाख रुपये डालने, किसानों को सही दाम दिलाने और हर साल दो करोड़ लोगों को रोजगार देने का वादा किया था, मगर किया कुछ नहीं। इसके पूर्व, राहुल अम्बेडकर प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के बाद संकटा देवी मंदिर गये और बेरी बाबा की मजार पर चादर चढ़ाई।
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रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि अगर कांग्रेस बाकी बची 85 सीटें जीत भी ले, तो भी वह सरकार नहीं बना पाएगी। रिपोर्ट के मुताबिक, बीजेपी की 52 ‘ए ग्रेड सीटों'(जहां भाजपा का जीतना तय है) के मुकाबले कांग्रेस के पास सिर्फ 8 ‘ए ग्रेड सीटें’ हैं। पार्टी के एक सूत्र ने कहा कि कांग्रेस को अभी भी कई कमियां दूर करनी है। पार्टी की चार बड़े शहरों और अर्द्धशहरी क्षेत्रों में कम पहुंच है। इसके अतिरिक्त भाजपा बूथ-लेवल मैनेजमेंट में कांग्रेस से कहीं आगे है। कांग्रेस सूत्र ने टीआेआई से कहा, ”भाजपा को कड़ी टक्कर देने के लिए कांग्रेस को कई गुना प्रयास करने होंगे।”
गुजरात, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृह राज्य है। उन्होंने अपने विश्वासपात्र विजय रुपानी को राज्य का मुख्यमंत्री नियुक्त किया है। प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने आनंदीबेन पटेल को मुख्यमंत्री बनाया था, मगर विवादों में फंसने के बाद पटेल ने इस्तीफा सौंप दिया। जिसके बाद शाह और मोदी की जोड़ी ने रुपानी को चुना। 2017 के चुनावों के लिए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह खुद चुनाव प्रबंधन पर नजर रखेंगे।
वही दूसरी ओर ; अरुणाचल प्रदेश की पीपुल्स पार्टी में शामिल होने वाले मुख्यमंत्री प्रेमा खांडू ने कहा कि आम आदमी एक क्षेत्रीय पार्टी चाहता था
कांग्रेस मुख्यालय में हमें जैसा रिस्पांस मिला, वह पूरी तरह हताश और अपमानित करने वाला था;प्रेमा खांडू
42 विधायकों के साथ अरुणाचल प्रदेश की पीपुल्स पार्टी में शामिल होने वाले मुख्यमंत्री प्रेमा खांडू ने कांग्रेस से सत्ता छीन ली है। खांडू ने ऐसा करने की वजह सामने रखी। उन्होंने कहा कि ऐसी पार्टी में रहने का कोई मतलब नहीं रह गया था जिसके पास अपने ही मुख्यमंत्री के लिए समय नहीं था। खांडू ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ”कांग्रेस सरकार का मुख्यमंत्री बनने के दो दिन बाद, मैं पार्टी हाई कमान के बुलावे पर सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मिलने दिल्ली भागा। लेकिन उन्होंने मुझे तीन दिन तक इंतजार करने को कहा, उसी शाम मुझे 15 मिनट में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अगली सुबह मिलने का वक्त मिल गया। हम ऐसी पार्टी में क्यों रहें जिसके पास अपने मुख्यमंत्री के लिए समय नहीं?” खांडू ने कहा, ”मुख्यमंत्री बनने के सिर्फ दिनों में ही कांग्रेस मुख्यालय में हमें जैसा रिस्पांस मिला, वह पूरी तरह हताश और अपमानित करने वाला था। और तो और, वे मेरी लिस्ट से नाम हटाकर अपने मंत्रियों की लिस्ट मुझपर थोपना चाहते थे। हां, ये सच है कि हम 13 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस में लौट आए थे। हम शांति से अदालत के फैसले का सम्मान करते हुए पार्टी में लौटे, लेकिन जब आपकी अपनी पार्टी आप पर भरोसा न करे, पार्टी हाई कमान के पास हमारे लिए वक्त नहीं था, क्या विकल्प बचता है?”
खांडू ने कहा कि कांग्रेस हाई कमान को नाबाम तुकी (अरुणाचल के पूर्व सीएम) पर पूरा भरोसा था, ”लेकिन जब हममें से 40 (विधायक) बाहर जाकर कलिखो पुल के नेतृत्व में पीपीए में शामिल हो गए, तुकी के पास बचे अधिकतम 14 भी भरोसा बहुत पहले खो चुके हैं। हम सभी 43 यहां पीपीए में हैं, यह इस बात को साबित करता है।” खांडू अब भाजपा के समर्थन से पीपीए की सरकार चला रहे हैं। उन्होंने माना कि कांग्रेस 2014 के विधानसभा चुनावों में बहुमत से जीती थी, मगर विकास न होने की वजह से लोग उससे ऊब गए। उन्होंने कहा, ”ज्यादातर विधायक हताश थे क्योंकि कोई योजना काम नहीं कर रही थी, नए कार्यक्रमों की बात तो छोड़ ही दीजिए। राज्य सरकार का कोई अस्तित्व ही नहीं था। इसी वजह से हमें क्रांति करनी पड़ी।”
जब खांडू से पूछा गए कि उन्होंने भाजपा की बजाय पीपीए जैसी लगभग निर्जीव पार्टी में शामिल होने का फैसला क्यों किया, तो उन्होंने कहा, ”ग्राउंड रिपोर्ट यह थी कि आम आदमी एक क्षेत्रीय पार्टी चाहता था। इसके अलावा, पीपीए पहले से ही नेडा का हिस्सा है, जो कि हमें बीजेपी का बराबर का भागीदार बनाता है।