भाजपा कांप जायेगी इस सर्वे से; कांग्रेस के लिए खुशख़बरी
#‘देश के मूड का पता लगाने वाले सर्वे’ #कांग्रेस के लिए खुशख़बरी # राहुल गांधी की प्रतिक्रियाओं ने लगभग 15 अन्य पार्टियों की तरफ से तारीफ #एनसीपी; वामदलों का रुख भी कांग्रेस के प्रति सकारात्मक #ममता ने कहा- राहुल ‘उस कोयल पक्षी जैसे हैं, जो सिर्फ बहार आने पर ही नज़र आते हैं…’#कांग्रेस समाजवादी पार्टी के बीच चुनाव-पूर्व गठबंधन# ‘देश के मूड का पता लगाने वाले सर्वे’ ;रेडिफ की खबर के अनुसार# 350-400 संसदीय क्षेत्रों से सैंपल # 2017 में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव होंगे, जिन्हें 2019 का सेमी-फाइनल# ‘उनके होंठों की भाषा पढ़ने’ के बयान ने राहुल को बडी बढत दिला दी# यूपी में भाजपा को सत्ता में आने से रोकना- राहुल की पहली विजय मानी जायेगी # Top News; www.himalayauk.org (UK Leading Digital Newsportal)
कांग्रेस पार्टी ने वर्तमान परिस्थितियों में अपनी संभावनाएं आंकने के लिए एक आंतरिक सर्वे कराया गया है। इससे पता चला है कि अगर अभी लोकसभा चुनाव होते हैं तो पार्टी अच्छा प्रदर्शन करेगी। सर्वे का अनुमान है कि अभी चुनाव होने पर कांग्रेस को लोकसभा की 545 सीटों में 200 से ज्यादा सीटें मिलेंगी। 2014 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस सिर्फ 44 सीटें जीत सकी थी। रेडिफ की खबर के अनुसार, सर्वे से उत्साहित कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि ‘देश के मूड का पता लगाने वाले सर्वे’ के अनुमान आगामी लोकसभा चुनावों में पार्टी को 300 सीट तक दिला सकते हैं। अगले आम चुनाव 2019 में होने हैं। इस सर्वे के लिए 350-400 संसदीय क्षेत्रों से सैंपल लिए हैं। मुख्य रूप से सर्वे फोन पर किए गए हैं और नोएडा-दिल्ली एरिया से इनका चयन हुआ, जहां पर पोल कंपनी का हेडक्वार्टर है। कांग्रेस पूरी ताकत के साथ केंद्र सरकार के 500, 1000 रुपए के पुराने नोट बंद करने के फैसले का विरोध कर रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 8 नवंबर को विमुद्रीकरण के ऐलान के बाद स्थानीय चुनावों में बीजेपी को बढ़त मिली है। महाराष्ट्र के 164 नगर निकायों के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी इकलौती सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। हालांकि गुजरात के स्थानीय चुनावों में पार्टी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकी। आम चुनावों से पहले 2017 में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव होंगे, जिन्हें 2019 का सेमी-फाइनल कहा जा रहा है। उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में कांग्रेस की मौजूदगी बेहद कम है, ऐसे में विधान सभा चुनावों के लिए दूसरे चरण का प्रचार अभियान शुरू करने के लिए तैयार है।
कांग्रेस संसद के शीतकालीन सत्र के खत्म होते ही अपना प्रचार अभियान शुरू कर देगी लेकिन प्रचार योजना में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को अलग-थलग रखा गया है। दूसरे चरण के प्रचार अभियान में राहुल गांधी इसी महीने 19 दिसंबर को जौनपुर में और 22 दिसंबर को बहराइच में जनसभा करेंगे।
यूपी चुनावों के मद्देनजर, कांग्रेस समाजवादी पार्टी के बीच चुनाव-पूर्व गठबंधन की चर्चाएं गरम हैं। हालांकि सूत्रों के अनुसार दोनों दलों के बीच इस मुद्दे पर अभी कोई उल्लेखनीय प्रगति नहीं हुई है। दोनों दल के बीच सीटों के बंटवारे के लेकर मतभेद नहीं सुलझ रहे हैं। शायद इसी वजह से कांग्रेस ने अकेले दम पर प्रचार की रणनीति तैयार की है।
## राहुल गांधी की प्रतिक्रियाओं ने लगभग 15 अन्य पार्टियों की तरफ से तारीफ
8 नवंबर की रात को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई नोटबंदी की घोषणा के बाद से अब तक राहुल गांधी की प्रतिक्रियाओं ने लगभग 15 अन्य पार्टियों की तरफ से तारीफ हासिल की है, भले ही कुछ को यह प्रशंसा न चाहते हुए करनी पड़ी है…गौरतलब है कि राहुल गांधी की तुलना में कहीं वरिष्ठ राजनेता और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कभी राहुल गांधी को राजनैतिक मैदान में नौसिखिया बताते हुए खारिज कर दिया था, लेकिन अब उन्हें कहना पड़ा है कि राहुल ‘उस कोयल पक्षी जैसे हैं, जो सिर्फ बहार आने पर ही नज़र आते हैं…’ बुधवार को संसद में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ऐसे 15 नेता राहुल गांधी के साथ दिखाई दिए, जहां राहुल ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश के अंदाज़ में पत्रकारों से ‘उनके होंठों की भाषा पढ़ने’ के लिए कहा, और घोषणा की कि उनके पास ऐसी जानकारी है, जिससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘निजी भ्रष्टाचार’ की पोल खुल जाएगी…
शुरुआत से ही कांग्रेस का साथ देती आ रही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) नेता तारिक अनवर ने कहा, “हां, एक नेता के रूप में वह परिपक्व हुए हैं…” कांग्रेस के ही कुछ नेताओं का मानना है कि लगातार कई राज्य विधानसभा चुनावों में हार का सामना करने के बाद केंद्र सरकार द्वारा अचानक लागू की गई नोटबंदी, जिससे देशभर में नकदी संकट पैदा हो गया है, की वजह से राहुल गांधी को मजबूती दिखाने का मौका हासिल हुआ… लेकिन यही नेता यह भी मानते हैं कि राहुल को सरकार-विरोधी आंदोलन की अगुवाई का मौका मिलने की एक वजह उनकी मां तथा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की गैरहाज़िरी है, जो बीमारी की वजह से कांग्रेस संसदीय दल की बैठक की अध्यक्षता करने की स्थिति में भी नहीं हैं… सो, यह ज़िम्मेदारी राहुल गांधी के कंधों पर ही आ गई कि वह अपनी पार्टी के 44 सांसदों को बैठक में संबोधित करें और बैंकों व एटीएम पर लगी लम्बी-लम्बी लाइनों व देश के ग्रामीण इलाकों में पैदा हुए गंभीर नकदी संकट को लेकर सरकार को घेरने की रणनीति तैयार करें… अन्य पार्टियों के साथ होने वाली बैठकों में भी आधिकारिक रूप से नेता प्रतिपक्ष के पद पर बैठे कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे नहीं, राहुल गांधी ही पार्टी की ओर से बोलते हैं…
कांग्रेस पार्टी कई साल से राहुल गांधी से पार्टी की कमान संभालने का आग्रह करती आ रही है, और इस संबंध में अंतिम बार प्रस्ताव कुछ ही हफ्ते पहले पारित किया गया था. कांग्रेस एक ऐसी पार्टी है, जो परिवार के नेतृत्व से सिर्फ खुश ही नहीं, उसकी आदी भी है, सो, अध्यक्ष पद पर राहुल की ताजपोशी का निर्णय बिल्कुल पारिवारिक फैसले जैसा है, जो जब भी लिया जाएगा, कबूल कर लिया जाएगा… लेकिन अब इस बात से कांग्रेस कुछ राहत महसूस कर सकती है कि अन्य पार्टियां भी राहुल गांधी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करने के लिए तैयार नज़र आने लगी हैं…
इस मुद्दे पर वामदलों का रुख भी कांग्रेस के लिए खुशख़बरी है… मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) के पी. करुणाकरण ने कहा, “राहुल जी विपक्ष की ओर से बोलने वाले नेता हैं…” माना जाता है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से बेहद अच्छे ताल्लुकात रखने वाले सीपीएम प्रमुख सीताराम येचुरी भी अब अक्सर राहुल गांधी से फोन पर बात किया करते हैं… इसके अलावा दोनों के बीच कम से कम दो बार बैठक भी हो चुकी हैं…
जिन नेताओं का ‘पूरा’ समर्थन अब तक नहीं मिल पाया है, उनमें तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी शामिल हैं, जो नोटबंदी के खिलाफ आंदोलनों का नेतृत्व करती रही हैं, और उनमें कांग्रेस की शिरकत नहीं रही है, लेकिन बुधवार को ममता बनर्जी के प्रतिनिधि प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी के साथ खड़े दिखे… फिर भी मुश्किल लगता है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की विरले मौकों पर ही आलोचना करने वाली ममता बनर्जी उनके पुत्र के लिए भी ऐसी ही दयानतदारी दिखाएंगी, और ऐसी किसी टीम में शिरकत करेंगी, जिसके ‘कप्तान’ राहुल गांधी हों…