ब्रिटेन का दावा- कोरोना वैक्सीन सितंबर तक; भारत मे भी मैन्युफैक्चरर & Top News 18 April 20
18 APRIL 20# High Light# ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में वैक्सीनोलॉजी डिपार्टमेंट की प्रोफेसर सारा गिल्बर्ट ने कोरोना वायरस की वैक्सीन के सितंबर तक आ जाने का दावा # दुनिया के विभिन्न हिस्सों में इसकी मैन्युफैक्चरर की जाएगी। जिसमें भारत भी शामिल है। #2021 के शुरुआत तक दुनिया को 60-80 करोड़ टीके उपलब्ध -जॉनसन एंड जॉनसन #उत्तराखंडः हरिद्वार में कोरोना के 2 नए केस, राज्य में मरीजों की संख्या हुई 42 # स्विट्जरलैंड ने अनोखे तरीके से भारत की सराहना की है. # आईएमएफ(IMF) और विश्व बैंक में खतरे की घंटी बज रही है : चीन छात्रो पर भडक रहा है गुस्सा# पुलिस ने शरजील इमाम (Sharjeel Imam) के ख़िलाफ़ दिल्ली में दंगे भड़काने के मामले में देशद्रोह की धारा के तहत चार्जशीट दाखिल की. # # सोमवार से आईटी और आईटीईएस कंपनियां अपने 50 फीसदी कर्मचारियों के साथ काम शुरू कर सकती हैं # वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और डेटा विशेषज्ञों के अपने विशाल समूह (Pool) को जुटाने की जरूरत है राहुल गांधी#दावा किया गया है कि कोरोना वायरस चीन के वुहान शहर की विषाणु विज्ञान प्रयोगशाला से लीक #Himalayauk Newsportal & Daily Newspaper, publish at Dehradun & Haridwar
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अगुवाई में ग्रुप ऑफ मिनिस्टर की बैठक हुई. बैठक में 20 अप्रैल के बाद छूट और राज्यों को पैकेज देने पर चर्चा हुई. ये बैठक राजनाथ सिंह के आवास पर चल रही थी. बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के अलावा धर्मेंद्र प्रधान, स्मृति ईरानी, नरेंद्र सिंह तोमर व अन्य मन्त्री भी शामिल हुए.
एक मिलियन डोज इसी साल सितंबर तक उपलब्ध
कोरोना वायरस की बीमारी दुनिया के लिए महामारी बन चुकी है. इस बीमारी से दुनिया में 22 लाख से अधिक लोग संक्रमित हैं, जबकि डेढ़ लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. कई देशों में इस बीमारी का इलाज खोजने के लिए शोध हो रहे हैं. सर्वाधिक प्रभावित देशों की सूची में शामिल ब्रिटेन भी उन देशों की फेहरिस्त में शामिल है, जहां के वैज्ञानिक कोरोना का उपचार खोजने के लिए शोध कर रहे हैं. अब ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में वैक्सीनोलॉजी डिपार्टमेंट की प्रोफेसर सारा गिल्बर्ट ने कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने का दावा किया है. शुक्रवार को पत्रकारों से बात करते हुए गिलबर्ट ने वैक्सीन के सितंबर तक आ जाने का दावा करते हुए कहा कि हम महामारी का रूप लेने वाली एक बीमारी पर काम कर रहे थे, जिसे एक्स नाम दिया गया था. इसके लिए हमें योजना बनाकर काम करने की जरूरत थी.
उन्होंने कहा कि ChAdOx1 तकनीक के साथ इसके 12 परीक्षण किए जा चुके हैं. हमें एक डोज से ही इम्यून को लेकर बेहतर परिणाम मिले हैं, जबकि आरएनए और डीएनए तकनीक से दो या दो से अधिक डोज की जरूरत होती है. प्रोफेसर गिलबर्ट ने इसका क्लीनिकल ट्रायल शुरू हो जाने की जानकारी दी और सफलता का विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि इसकी एक मिलियन डोज इसी साल सितंबर तक उपलब्ध हो जाएगी. ऑक्सफोर्ड की टीम इस वैक्सीन को लेकर आत्मविश्वास से इतनी भरी है कि क्लीनिकल ट्रायल से पहले ही मैन्युफैक्चरिंग शुरू कर दी है. इस संबंध में प्रोफेसर एड्रियन हिल ने कहा कि टीम विश्वास से भरी है. वे सितंबर तक का इंतजार नहीं करना चाहते, जब क्लीनिकल ट्रायल पूरा होगा. उन्होंने कहा कि हमने जोखिम के साथ बड़े पैमाने पर वैक्सीन की मैन्युफैक्चरिंग शुरू की है. दुनिया के विभिन्न हिस्सों में कुल 7 मैन्युफैक्चरर्स के साथ मैन्युफैक्चरिंग की जा रही है.
प्रोफेसर हिल ने कहा कि 7 मैन्युफैक्चरर्स में से तीन ब्रिटेन, दो यूरोप, एक चीन और एक भारत से हैं. उन्होंने उम्मीद जताई कि इस साल सितंबर या अधिकतम साल के अंत तक इस वैक्सीन की एक मिलियन डोज उपलब्ध हो जाएंगी. उन्होंने कहा कि तीन चरणों के ट्रायल की शुरुआत 510 वॉलंटियर्स के साथ हो गई है. तीसरे चरण तक 5000 वॉलंटियर्स के जुड़ने की उम्मीद है.
गौरतलब है कि इस वैक्सीन की खोज में जुटी प्रोफेसर गिलबर्ट की टीम को ब्रिटेन के नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर हेल्थ रिसर्च और द यूके रिसर्च एंड इनोवेशन ने 2.2 मिलियन पाउंड का अनुदान दिया है. बता दें कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन भी कोरोना की चपेट में आ गए थे. देश में 14000 से अधिक लोग कोरोना के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं.
2021 के शुरुआत तक दुनिया को 60-80 करोड़ टीके उपलब्ध -जॉनसन एंड जॉनसन
नई दिल्ली:कोरोना वायरस (Coronavirus) के खत्म करने को लिए जब दुनिया के सभी देश तैयारी कर रहे हैं, ऐसे में एक निजी कंपनी भी इस दौड़ में शामिल हो गई है. अमेरिकी दवा कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन (Johnson & Johnson) कोरोना वायरस के खिलाफ अपने रिसर्च में काफी आगे आ चुकी है. कंपनी का दावा है कि अगले कुछ महीनों में सभी सुरक्षा टेस्ट पूरे हो जाएंगे.
जॉनसन एंड जॉनसन के चीफ फाइनेंस ऑफिसर जो वोक (Joe Wolk) का कहना है कि कोरोना वायरस के खिलाफ तैयार टीकों की सुरक्षा जांच चल रही है. हम जल्द ही अमेरिकी प्राधिकरण से इस टीके के मानव टेस्ट की अनुमति ले लेंगे. वोक ने आगे बताया कि हम 2021 के शुरुआत तक दुनिया को 60-80 करोड़ टीके उपलब्ध कराएंगे.
मामले से जुड़े एक अन्य अधिकारी का कहना है कि कोरोना वायरस के टीके बनाने के लिए जॉनसन एंड जॉनसन और फेडरल बायोमेडिकल एडवांस रिसर्च एंड डेवलेपमेंट ने मिलकर एक साझा कार्यक्रम तैयार किया है. इसके तहत लगभग 1 बिलियन डॉलर खर्च किए जाएंगे. उल्लेखनीय है कि जनवरी से ही कोरोना वायरस का संक्रमण चीन से बाहर निकलकर पूरी दुनिया में फैल चुका है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की ओर से इस महामारी घोषित कर दिया है. अब तक 22.44 लाख से ज्यादा लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं. इस वायरस की वजह से दुनियाभर में 1.54 लाख से ज्यादा लोग दम तोड़ चुके हैं
कई लोगों के शरीर में इस बीमारी के लक्षण काफी देरी से नजर आते हैं. उन्हें पहचानना मुश्किल हो जाता है.
बीजिंगः एक पत्रिका में प्रकाशित शोध से पता चला है कि चीन में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों में से 44 फीसदी को ऐसे लोगों से संक्रमण हुआ है, जिनमें इस बीमारी के कोई लक्षण नहीं थे. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, यह शोध ‘नेचर मेडिसिन’ पत्रिका में 15 अप्रैल को प्रकाशित हुआ था. देश के गुवांग्झू अस्पताल में भर्ती कोरोना के 94 मरीजों पर यह शोध किया गया था.
कोरोना वायरस के मामले पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि वायरस की चेन को तोड़ने के लिए फिलहाल ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग करना जरूरी है. हालांकि कई लोगों के शरीर में इस बीमारी के लक्षण काफी देरी से नजर आते हैं. दूसरा, इसके लक्षण आम सर्दी-जुकाम से इतने मिलते-जुलते हैं कि उन्हें पहचानना मुश्किल हो जाता है. आइए आपको बताते हैं कि शरीर में कौन से प्रमुख लक्षण दिखने पर आपको डॉक्टर्स की मदद लेनी चाहिए. कोरोना वायरस के मामले पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि वायरस की चेन को तोड़ने के लिए फिलहाल ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग करना जरूरी है. हालांकि कई लोगों के शरीर में इस बीमारी के लक्षण काफी देरी से नजर आते हैं. दूसरा, इसके लक्षण आम सर्दी-जुकाम से इतने मिलते-जुलते हैं कि उन्हें पहचानना मुश्किल हो जाता है. आइए आपको बताते हैं कि शरीर में कौन से प्रमुख लक्षण दिखने पर आपको डॉक्टर्स की मदद लेनी चाहिए. 2. मरीजों में बंद या बहती नाक के भी लक्षण देखे गए हैं. हालांकि जरूरी नहीं है कि नाक बहने की समस्या कोरोना वायरस का ही संकेत हो. आमतौर पर एलर्जी या ठंड लगने की वजह से भी नाक बहने लगती है. डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-19 के पांच फीसदी से भी कम मरीज इन लक्षणों का अनुभव करते हैं. 3. मरीज को तेज बुखार चढ़ने लगता है और उसके शरीर का तापमान काफी ज्यादा बढ़ जाता है. अब तक कई हेल्थ एक्सपर्ट कोरोना वायरस में तेज बुखार चढ़ने का दावा कर चुके हैं. 4. कोरोना वायरस की शिकायत होने पर पहले 5 दिनों में इंसान को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है. एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि सांस की समस्या फेफड़ों में बलगम फैलने की वजह से होती है. 5. मांसपेशियों में दर्द या ठंड लगना भी कोरोना वायरस के लक्षण हो सकते हैं. WHO की रिपोर्ट के अनुसार, 11 फीसदी लोगों में ठंड लगने और 14 फीसदी लोगों को मांसपेशियों में दर्द जैसे लक्षण महसूस हुए हैं. ये गंभीर लक्षण उभरने से पहले के संकेत हो सकते हैं. 6. लैंसेट जर्नल में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार चीन में कोरोना वायरस से संक्रमित सिर्फ 3 फीसदी लोगों को डायरिया की शिकायत थी. वहीं विश्व स्वास्थ संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक चीन में कोरोना वायरस के संक्रमित मरीजों में 5 फीसदी लोगों को मितली की समस्या थी. 7. अमेरिका के वॉशिंगटन नर्सिंग होम के हालिया रिपोर्ट के मुताबिक लगभग एक तिहाई लोगों का कोरोना वायरस टेस्ट पॉजिटिव आया था, लेकिन आधे में लोगों में इसके कोई लक्षण नहीं थे. जबकि कुछ मरीजों में बेचैनी और उठने-बैठने में तकलीफ जैसे असामान्य लक्षण थे.
इस शोध में कहा गया, ‘हमें यह पता चला है कि लक्षणों की शुरुआत में ही गले में वायरस का संक्रमण चरम पर होता है. हमारा अनुमान है कि ऐसे 44 फीसदी सेकेंडरी मामलों में संक्रमण इसी दौरान होता है. अगर कोरोना वायरस के लक्षण किसी मरीज में दिखने के बाद नियंत्रण उपाय किए जाएं तो इस बीमारी को काफी हद तक फैलने से रोका जा सकता है.’ सिंगापुर (48 फीसदी) और तियानजिन (62 फीसदी) में कोरोना के लक्षण दिखने से पहले ही वायरस फैलने का अनुमान लगाया गया था. लक्षणों की शुरुआत में आइसोलेशन के बहुत मामले थे इसलिए संक्रमण के फैलन के मामले बहुत सीमित हो गए थे. भारत में टेस्टिंग प्रक्रिया उन मामलों पर केंद्रित हैं, जहां लक्षण दिखाई दे रहे हैं. मौजूदा समय में भारत में उन लोगों की टेस्टिंग की जा रही है, जो बीते 14 दिनों में किसी विदेश यात्रा से लौटे हैं, जांच प्रयोगशालाओं से कंफर्म मामले, कोरोना के लक्षण दिख रहे स्वास्थयकर्मी, सीवियर एक्यूट रिस्पाइरेटरी इलनेस के मरीज, स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा तय किए हुए हॉटस्पॉट क्षेत्रों में फ्लू के लक्षण दिखाई देने वाले लोग, इन सभी के टेस्ट कराए जा रहे हैं. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने 15 फरवरी से दो अप्रैल के बीच एसएआरआई के 5,911 मरीज़ों का टेस्ट किया था, जिसमं 20 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 52 जिलों में कोरोना के 104 मामले पॉजिटिव पाए गए थे. हालांकि भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि बिना लक्षणों वाले लोगों से वायरस के संक्रमण का प्रतिशत बेहद सीमित है जिसके लिए टेस्टिंग रणनीति बदलने की जरूरत नहीं है.
पत्रिका के इस शोध में कहा गया, ‘कोरोना को कम करने के लिए बेहद जरूरी है कि कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग की जाए. जब लक्षण दिखने से पहले ही 30 फीसदी से ज्यादा संक्रमण फैल जाता है, तो ऐसे में कम संख्या में कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और कम लोगों के आइसोलेसन से बड़ा फायदा नहीं होने वाला. इसक लाभ उसी स्थिति में होगा, जब संक्रमित व्यक्ति की 90 फीसदी कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग की जाए.’ इसमें कहा गया, ‘अगर संक्रमण के लक्षण दिखने से दो से तीन दिन पहले ही कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग की जाए तो इस लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है. चीन और हॉंगकांग ने बीते फरवरी से ऐसा ही किया है इस वजह से वहां कोरोना के मामले घटे हैं.’
स्विट्जरलैंड ने अनोखे तरीके से भारत की सराहना की है.
नई दिल्ली:कोरोना वायरस (Coronavirus) से निपटने में भारत की तैयारियों की प्रशंसा विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) समेत दुनिया के कई देश कर चुके हैं. अब इस कड़ी में स्विट्जरलैंड (Switzerland) का नाम भी जुड़ गया है. स्विट्जरलैंड ने अनोखे तरीके से भारत की सराहना की है.
शुक्रवार को भारत के सम्मान में स्विस आलप्स के मैटरहॉर्न पर्वत (Matterhorn Mountain) को लेजर लाइट की मदद से तिरंगे से कवर कर दिया गया. स्विट्जरलैंड में स्थित इंडियन एम्बेसी ने ट्विटर पर इस तस्वीर को साझा किया है. भारत के सम्मान की वजह यह भी है कि संकट की घड़ी में भारत ने सुपर पावर अमेरिका समेत हर देश की मदद की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तिरंगे के रंग में ढके पर्वत की तस्वीर रीट्वीट करते हुए लिखा है- दुनिया कोविड19 के खिलाफ एकजुट होकर लड़ रही है. महामारी पर निश्चित रूप से मानवता की जीत होगी जानकारी के मुताबिक स्विट्जरलैंड के लाइट आर्टिस्ट गैरी ने 14,690 फुट ऊंचे पर्वत को तिरंगे के रंग से रोशन करने का काम किया है.
आईएमएफ(IMF) और विश्व बैंक में खतरे की घंटी बज रही है
नई दिल्ली: कोरोना वायरस (coronavirus) ने पूरी दुनिया को न सिर्फ प्रभावित किया है बल्कि इससे दुनिया की रफ्तार भी थम गई है. इस महामारी ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को दशकों पीछे लाकर खड़ा कर दिया है. आईएमएफ(IMF) और विश्व बैंक में खतरे की घंटी बज रही है क्योंकि गरीब देशों की मदद के लिए इन्हीं संस्थानों पर दबाव डाला जाता है. विकसित अर्थव्यवस्थाएं सबसे ज्यादा प्रभावित हुई हैं. ये संभवतः पिछले सौ वर्षों में अपने सबसे बुरे दौर में है. कोरोनो वायरस महामारी ने दशकों के आर्थिक विकास को प्रभावित किया है, और इससे ज्यादा से ज्यादा लोग गरीबी के दलदल में फंस सकते हैं.
परत दर परत
जनवरी
में, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने कहा था कि
विश्व अर्थव्यवस्था 2020 में करीब तीन
प्रतिशत की दर से बढ़ेगी. अब इसका कहना है कि विश्व अर्थव्यवस्था डूब गई है.
आईएमएफ की भविष्यवाणियां उल्टी पड़ गई हैं, अब
वैश्विक अर्थव्यवस्था इस साल तीन प्रतिशत तक गिर जाएगी.
2020 में एशिया में शून्य वृद्धि दर्ज होगी. आईएमएफ के अनुसार कोरोनोवायरस का एशिया के 60 साल के विकास को खत्म कर देना तय है, जिसका मतलब है 2020 में शून्य विकास. यह 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट से बहुत ज्यादा खराब है और उस वर्ष, एशिया में 4.7 प्रतिशत का विकास हुआ था.
अब अगर 1990 के दशक के सबसे खराब वित्तीय संकट, एशियाई मुद्रा संकट की बात करें तो, एशिया में एक प्रतिशत से थोड़ा ज्यादा की वृद्धि हुई थी. लैटिन अमेरिका 50 वर्षों में सबसे खराब मंदी का सामना कर रहा है आईएमएफ के अनुसार ये पिछले 50 सालों की सबसे बड़ी मंदी है. दक्षिण अमेरिका के हर तीन में से एक व्यक्ति को अपनी नौकरी खोनी पड़ सकती है. यानी, एक ही महाद्वीप के 200 मिलियन से ज्यादा लोग बेरोजगार हो जाएंगे. अफ्रीका में, तत्काल कार्रवाई के बिना लगभग आधी नौकरियां जा सकती हैं. वैश्विक उत्तर में, उन्नत अर्थव्यवस्थाएं ही सबसे ज्यादा प्रभावित हुई हैं.
2020 में उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में 6 प्रतिशत की गिरावट
आईएमएफ
के अनुसार अर्थव्यवस्थाओं में इस साल कम से कम 6 फीसदी
की गिरावट आ सकती है. यह एक नकारात्मक ग्रोथ रेट है. इस तिमाही में यूनाइटेड
किंगडम की जीडीपी 35 फीसदी तक गिर सकती
है. वास्तविक वैश्विक मंदी दुर्लभ है लेकिन ये अब शुरू हो चुकी है. और इस समय, उन्नत और उभरती दोनों अर्थव्यवस्थाएं गहरे संकट
में हैं. करीब 9 ट्रिलियन डॉलर के
नुकसान की संभावना है.
आईएमएफ ने 8 ट्रिलियन डॉलर जुटाए हैं
हालांकि
IMF ने 8 ट्रिलियन
डॉलर जुटा लिए हैं, लेकिन सार्वजनिक आय
की कमी है, खासकर गरीब देशों
में. विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को सहारा देने के लिए करीब 2 ट्रिलियन डॉलर की आवश्यकता और होगी. आईएमएफ को
पांच देशों से जमानत के रूप में 11
बिलियन
डॉलर भी मिले हैं. इसके लिए जापान,
यूनाइटेड
किंगडम, फ्रांस, कनाडा
और ऑस्ट्रेलिया ने योगदान दिया है.
जी 20 देशों ने गरीब देशों के लिए ऋण भुगतान को रोक दिया. जी 20 देशों ने ऋण भुगतान पर रोक लगा दी है. इससे महामारी से लड़ने के लिए गरीब देशों में कम से कम 20 बिलियन डॉलर की मदद मिलेगी. अब, चीन ने विश्व बैंक से भी ऐसा करने का आग्रह किया है. देर से ऋण भुगतान के मामले में शायद चीन उदाहरण बनकर सामने आए.
चीन छात्रो पर भडक रहा है गुस्सा
कोरोना वायरस के दौरान भारत सहित अंतरराष्ट्रीय छात्रों की मदद करते हुए जहां एक तरफ ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालयों ने आर्थिक पैकेज की घोषणा की है। तो वहीं दूसरी तरफ दो छात्र नस्लवादी भेदभाव का शिकार हुए हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मेलबर्न विश्वविद्यालय में बीते दिनों दो अंतरराष्ट्रीय छात्र को दो अजनबियों द्वारा नस्लवादी हमले का शिकार बने। पुलिस ने बताया कि दो अंतर्राष्ट्रीय छात्र चीन के थे।जो बुधवार की शाम लगभग साढ़े 5 बजे मेलबर्न के सीबीडी में एलिजाबेथ सेंट के घेरे में चल रहे थे। तभी अजनबियों ने उनके साथ मारपीट की। जानकारी के मुताबिक, घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। वीडियो में हमलावर दो छात्रों को मारते और पीटते हुए देखे जा सकते हैं। ऑस्ट्रेलियाई मीडिया के अनुसार, पीड़ितों को कुछ मामूली चोटें लगीं और मामले की सूचना पुलिस को दी गई, जो अब हमलावरों को पकड़ने की कोशिश कर रहे हैं। बात दें कि ये घटना मेलबर्न लॉर्ड मेयर सैली कैप ने शेयर की है। वीडियो को ट्विटर पर लेते हुए उसने लिखा कि दो युवा छात्रों पर हुए घृणित हमले से मैं स्तब्ध हूं। प्रदर्शित हिंसा पूरी तरह से अस्वीकार्य है। यह उन मूल्यों को प्रतिबिंबित नहीं करता है जो मेलबर्नियन हमारे शहर में हमारे द्वारा अपेक्षित व्यवहार या व्यवहार के लिए खड़े हैं।
पुलिस ने शरजील इमाम (Sharjeel Imam) के ख़िलाफ़ दिल्ली में दंगे भड़काने के मामले में देशद्रोह की धारा के तहत चार्जशीट दाखिल की.
नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने शरजील इमाम (Sharjeel Imam) के ख़िलाफ़ दिल्ली में दंगे भड़काने के मामले में देशद्रोह की धारा के तहत चार्जशीट दाखिल की. 13 दिसंबर 2019 को जेएनयू के छात्र शरजील इमाम ने शाहीन बाग में देश को तोड़ने की बात कही थी. उसके बाद 15 दिसंबर को जामिया नगर और न्यू फ्रेंडस कॉलोनी में दंगे हुए थे. इससे पहले नागरिकता कानून के विरोध में देश भर में भड़काऊ भाषण देने के आरोपी शरजील इमाम (Sharjeel Imam) ने क्राइम ब्रांच की पूछताछ में जो खुलासे किए हैं, वह बेहद चौंकाने वाले हैं. सूत्रों के मुताबिक पूछताछ के दौरान शरजील ने ये माना कि जिन वीडियो में वो भाषण देता हुआ दिख रहा है वह उसी के हैं. उसको पता था कि इस तरह के भाषण देने के बाद पुलिस उसे गिरफ्तार कर सकती है, बावजूद उसने भड़काऊ भाषण दिए.
शरजील इमाम (Sharjeel Imam) ने क्राइम ब्रांच को बताया कि भारत में मुसलमानों के साथ जिस तरह का बर्ताव हो रहा है उससे वो काफी आहत है, इसलिए वह चाहता है कि भारत को एक इस्लामिक राष्ट्र होना चाहिए. क्राइम ब्रांच को जिस तरह वो बयान दे रहा था उसको देख और सुनकर क्राइम ब्रांच के अफसरों को लगा कि हाईली रेडिकलाइज शरजील के अंदर हिंदुस्तान को लेकर काफी गुस्सा है. उसको लगता है कि ये सरकार नागरिकता कानून को लेकर भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाना चाहती है जबकि शरजील चाहता है कि भारत को इस्लामिक राष्ट्र होना चाहिए. इतना ही नहीं पूछताछ में शरजील ने ये भी कुबूल किया है कि सभी के सभी वीडियो उसी के हैं और वीडियो के साथ कोई भी छेड़छाड़ नहीं की गई है.
सोमवार से आईटी और आईटीईएस कंपनियां अपने 50 फीसदी कर्मचारियों के साथ काम शुरू कर सकती हैं
केंद्र सरकार ने कहा है कि सोमवार से आईटी और आईटीईएस कंपनियां अपने 50 फीसदी कर्मचारियों के साथ काम शुरू कर सकती हैं. लेकिन यह भी एक सवाल है कि कंपनियों के कमर्चारी इतनी जल्दी ऑफिस में दोबारा न लौट पाएं. कर्नाटक में उप मुख्यमंत्री अश्वत नारायण के साथ हुई बैठक में यह मुद्दा उठा है. उप मुख्यमंत्री ने भी कहा है कि हो सकता है कि कंपनियों को 50 फीसदी कर्मचारियों को दोबारा वापस लाने के लिए हफ्तों लग सकते हैं. बॉकान कंपनी की प्रबंध निदेशक किरण मजमूदार ने बैठक में कहा, पुलिस की ओर से जारी किए गए पास सिस्टम ने अच्छा काम किया है. इसको और आगे बढ़ाया जाना चाहिए. अतिरिक्त पास भी जारी किए जाने चाहिए. निजी कार कंपनियों को इतनी जल्दी छूट नहीं मिलनी चाहिए. इसकी जगह BMTC बसों को शुरू किया जाना चाहिए’
आपको बता दें कि सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) उद्योग के संगठन नास्कॉम ने कहा है कि आईटी कंपनियां कर्मचारियों को चरणबद्ध तरीके से कार्यालय से काम करने के लिए बुलाएंगी. शुरुआत में 15 से 20 प्रतिशत कर्मचारियों का ही दफ्तर बुलाया जाएगा. गृह मंत्रालय ने राष्ट्रव्यापी बंद के मद्देनजर बुधवार को इस बारे में दिशानिर्देश जारी किए हैं. कोरोना वायरस फैलने के बीच सरकार ने मंगलवार को लॉकडाउन को बढ़ाकर तीन मई तक कर दिया है. गृह मंत्रालय ने बंद की बढ़ी अवधि के दौरान राज्यों, संघ शासित प्रदेशों तथा आम जनता के लिए दिशानिर्देश जारी किए. दिशानिर्देशों के अनुसार आईटी और आईटी आधारित सेवा कंपनियों को 50 प्रतिशत तक कर्मचारियों के साथ परिचालन की अनुमति दी गई है। नास्कॉम ने ट्वीट किया, ‘हम चरणबद्ध तरीके से कर्मचारियों को कार्यालय बुलाएंगे। शुरुआत में 15 से 20 प्रतिशत कर्मचारियों को ही कार्यालय बुलाया जाएगा.’
नास्कॉम की अध्यक्ष देबजानी घोष ने भी ट्वीट किया कि सदस्यों को कर्मचारियों को काम पर बुलाने की सूचना दीगई है. हमने पहले चरण में 15 से 20 प्रतिशत कर्मचारियों को दफ्तर बुलाने का सुझाव दिया है. बंद के पहले चरण 24 मार्च से 14 अप्रैल के दौरान सरकार ने आईटी और आईटी आधारित सेवा कंपनियों को महत्वपूर्ण कामकाज के लिए सिर्फ नाममात्र कर्मचारी ही कार्यालय बुलाने की अनुमति दी थी. अभी आईटी कंपनियों के ज्यादातर कर्मचारी घर से ही काम कर रहे हैं.
वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और डेटा विशेषज्ञों के अपने विशाल समूह (Pool) को जुटाने की जरूरत है राहुल गांधी
नई दिल्ली:भारत में कोरोनावायरस (Coronavirus) का कहर लगातार बढ़ रहा है. कोरोनावायरस संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 14,000 के पार पहुंच गई है. इस बीच, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को ट्वीट करके कहा कि कोरोनावायरस (Covid-19) एक बहुत बड़ी चुनौती के साथ एक अवसर भी है. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा- “Covid-19 जैसी वैश्विक महामारी एक बड़ी चुनौती है लेकिन यह एक अवसर भी है. हमें संकट के दौरान जरूरी नवीन समाधानों पर काम करने के लिए वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और डेटा विशेषज्ञों के अपने विशाल समूह (Pool) को जुटाने की जरूरत है.”
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में अमेठी में जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए पांच ट्रक चावल, पांच ट्रक आटा, गेहूं और एक ट्रक दाल के साथ तेल मसाला एवं अन्य खाद्य सामग्री भेजी थी. अमेठी जिला कांग्रेस के प्रवक्ता अनिल सिंह ने बताया कि अमेठी में कोई भूखा न रहे और हर जरूरतमंद के पास राहत सामग्री पहुंचे, यह सुनिश्चित करने के लिए अमेठी संसदीय क्षेत्र की 877 ग्राम पंचायतों एवं एवं नगर पंचायतों/नगर पालिकाओं में आज तक राहुल गांधी की तरफ से 16,400 राशन किट वितरित की गयी हैं. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी कोरोना संकट के बीच लगातार ट्वीट कर रहे और सरकार को सुझाव भी दे रहे हैं. बुधवार को राहुल गांधी ने सरकार से आपातकाल राशन कार्ड जारी करने की अपील की थी. उन्होंने अपने ट्वीट में कहा, “हम सरकार से अपील करते हैं कि इस संकट में आपातकाल राशन कार्ड जारी किए जाएँ. ये उन सभी के लिए हों जो इस लॉकडाउन में अन्न की कमी से जूझ रहे हैं. लाखों देशवासी बिना राशन कार्ड के PDS का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं. अनाज गोदाम में सड़ रहा है जबकि सैकड़ों भूखे पेट इंतज़ार कर रहे हैं.अमानवीय!”
स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से शनिवार को जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक, भारत में कोरोनावायरस संक्रमितों की संख्या बढ़कर 14,378 हो गई है. वहीं, पिछले 24 घंटों में कोरोना के 991 नए मामले सामने आए हैं और 43 लोगों की मौत हुई है. देश में कोरोना (Covid-19) से अब तक 480 लोगों की मौत हो चुकी है. हालांकि, थोड़ी राहत वाली बात यह है कि 1,992 मरीज इस बीमारी को हराने में कामयाब भी हुए हैं. वहीं, बीते 24 घंटे में 243 ठीक हुए हैं. बता दें कि कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए देश में लगाए गए लॉकडाउन (Lockdown) को 3 मई तक बढ़ाया गया है.
दावा किया गया है कि कोरोना वायरस चीन के वुहान शहर की विषाणु विज्ञान प्रयोगशाला से लीक
वाशिंगटनः अमेरिका उन खबरों पर गौर कर रहा है जिसमें दावा किया गया है कि कोरोना वायरस चीन के वुहान शहर की विषाणु विज्ञान प्रयोगशाला से लीक हुआ है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि इस मामले की जांच चल रही है. इससे पहले फॉक्स न्यूज की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि यह वायरस चीन के एक लैब से लीक हुआ था. ट्रंप ने कहा कि वायरस चीन से लीक होने को लेकर जांच चल रही है. फॉक्स न्यूज़ की रिपोर्ट में कहा गया है कि वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में काम कर रहे एक इंटर्न ने इसे गलती से लीक कर दिया था. अमेरिकी खुफिया एजेंसियां इस संबंध में जानकारी जुटाने में लगी हुई है.
रिपोर्ट के मुताबिक वुहान इंस्टीच्यूट ऑफ वायरोलॉजी दुनिया की प्रमुख पी4 लेवल की लैब है. यह वायरस संक्रमण स्ट्रेन रखने, रिसर्च, परीक्षण की वैश्विक प्रयोगशाला है. सूत्रों के आधार पर एक विशेष रिपोर्ट में फॉक्स न्यूज ने दावा किया है कि कोरोना वायरस चमगादड़ के बीच स्वाभाविक रूप से उत्पन्न होने वाला वायरस है. रिपोर्ट में कहा गाय है कि यह कोई बायोवेपॉन नहीं है.
मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना वायरस का अध्ययन वुहान प्रयोगशाला में किया जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि वायरस का पहला चरण बैट-टू-ह्यूमन था और पहला संक्रमित रोगी इसी लैब में काम करता था.
वुहान वेट बाजार को शुरुआती दिनों में इस वायरस के मूल जगह के रूप में पहचाना गया था लेकिन वहां चमगादड़ कभी नहीं बेचे. हालांकि, चीन ने प्रयोगशाला के बजाय वेट बाजार को वायरस फैलाने के लिए दोषी ठहराया है.
Yr. Contribution Deposit Here: HIMALAYA GAURAV UTTRAKHAND
Bank: SBI CA
30023706551 (IFS Code SBIN0003137) Br. Saharanpur Rd Ddun UK