कोरोना वायरस के संकट के बाद की दुनिया में तेज़ी से इसका होगा उदय
, “लोग वहां जाना पसंद करेंगे जहां इंसान कम और मशीनें ज़्यादा होंगी क्योंकि वे वहां जोख़िम कम महसूस करेंगे।” “कोविड-19 का असर उपभोक्ताओं की प्राथमिकताओं को बदलने जा रहा है और ऑटोमेशन के लिए नए अवसर खोलने जा रहा है# हेल्थ एक्सपर्ट्स ने चेतावनी दी है कि 2021 तक काम की जगहों पर सोशल डिस्टेंसिंग की ज़रूरत पड़ सकती है। ऐसा हुआ तो रोबोट की मांग बढ़ने वाली है। ; Execlusive Report: by Himalayauk
क्या आपको पता है कि भारत देश में रोबोटिक अध्ययन कराने वाली यूनिवर्सिटीज चन्द ही है उसमें से एक है वनस्थली जयपुर यूनिवर्सिटी- जो विश्व की यूनिवर्सिटी मे टॉप 10 में शामिल है- यहां बीटेक माइक्रोटोनिक्स नाम से रोबोटिक अध्ययन होता है इस विश्वविद्वालय की सीटे कई प्लेसमेंटो में तय रहती है- फिलहाल बीटेक माइक्रोटोनिक्स का यह दूसरा बैच अगले साल पासिंग आउट होगा- जिसके स्टूडेेंट पर देश ही नही विदेश की कम्पनियो की भी निगाह रहती है- इस बारे में राघवी जोशी का एक्सक्लूसिव आलेख जल्द प्रकाशित- हिमालयायूकेे
विश्लेषकों का कहना है कि जैसे-जैसे लॉकडाउन ख़त्म होगा और बाज़ार खुलना शुरू होंगे वैसे-वैसे हम इस तकनीक का इस्तेमाल ज़्यादा होते देखने की उम्मीद कर सकते हैं। हो सकता है कि आपके स्कूल-कॉलेजों की सफ़ाई भी रोबोट ही करे। साफ-सफ़ाई बरतने में मददगार होंगे रोबोट :साफ-सफ़ाई और सैनिटाइज करने वाले उत्पाद बनाने वाली कंपनियों की मांग बढ़ी है। अल्ट्रावायलेट लाइट वाले रोबोट बनाने वाली डेनमार्क की कंपनी यूवीडी रोबोट ने चीन और यूरोप में सैकड़ों मशीनें भेजी हैं। किराने की दुकान और रेस्त्रां होम डिलिवरी भेजने के लिए भी रोबोट का इस्तेमाल कर रहे हैं।
महामारी की चपेट में आने के बाद दुनिया इंसानों के लिए एक और ख़तरे के बारे में भूलती जा रही है और वो है कोरोना वायरस के संकट के बाद की दुनिया में तेज़ी से रोबोट का उदय। विश्लेषकों का मानना है कि अच्छा हो या फिर बुरा लेकिन यह सच है कि कई तरह की नौकरियों में अब रोबोट इंसानों की जगह लेने जा रहे हैं। और कोरोना वायरस से पैदा हुए संकट ने इस दिशा में प्रयासों को और बढ़ा दिया है।
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फ्यूचरिस्ट मार्टिन फ़ोर्ड कहते हैं, “लोग आम तौर पर यह कहते सुनाई पड़ते हैं कि वो अपनी किसी गतिविधि में एक इंसानी एहसास चाहते हैं। लेकिन कोविड-19 के असर ने इसे बदल कर रख दिया है।”
आने वाले वक्त में कैसे रोबोट अर्थव्यवस्था का एक अहम हिस्सा हो जाएंगे, मार्टिन फोर्ड ने इस विषय पर लिखा है। वो कहते हैं, “कोविड-19 का असर उपभोक्ताओं की प्राथमिकताओं को बदलने जा रहा है और ऑटोमेशन के लिए नए अवसर खोलने जा रहा है।”
छोटी-बड़ी सभी कंपनियां सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए रोबोट्स का इस्तेमाल कर रही हैं और वैसे कर्मचारियों को कम कर रही है, जिन्हें काम करने के लिए दफ्तर जाना ज़रूरी होता है। अमेरिका की सबसे बड़ी रिटेल कंपनी वालमार्ट अपने यहाँ फ़र्श साफ करने के लिए रोबोट का इस्तेमाल कर रही है। दक्षिण कोरिया में तापमान लेने और सैनिटाइजर बांटने के लिए भी रोबोट का इस्तेमाल किया जा रहा है।
द कस्टमर ऑफ़ द फ्यूचर किताब के लेखक ब्लेक मॉर्गन कहते हैं, “ग्राहक अपनी सुरक्षा का ध्यान ज़्यादा कर रहे हैं। वो काम करने वालों के स्वास्थ्य के बारे में भी सोच रहे हैं। ऑटोमेशन इन सभी को स्वस्थ्य रख सकता है। ग्राहक ऐसा करने वाली कंपनियों की सराहना भी करेंगे।” हालांकि मॉर्गन इसकी सीमाओं की तरफ़ भी ध्यान दिलाते हैं। वो कहते हैं भले ही ऑटोमेशन रिटेल मार्केट में इंसानों की भूमिका को कम कर दे लेकिन कुछ ऐसे काम होते हैं जिसमें रोबोट शायद उतने कामयाब ना हो। जिनमें टूटने-फूटने का खतरा हो। तब ऐसे मामलों में ग्राहक इस सेवा को लेना पसंद नहीं करेंगे और इंसानों पर ही भरोसा करेंगे।
सोशल डिस्टेंसिंग में सहायक : फूड सर्विस भी एक ऐसा क्षेत्र है जहां स्वास्थ्य से जुड़ी चिंताओं की वजह से रोबोट का इस्तेमाल बढ़ने की संभावना है। मैक-डोनाल्ड जैसे फूड कंपनी खाना पकाने और उसे सर्व करने में रोबोट के इस्तेमाल का परीक्षण कर रही है।
अमेज़न और वॉलमार्ट के गोदामों में पहले से ही रोबोट का इस्तेमाल किया जा रहा है। अब कोविड-19 की वजह से दोनों ही कंपनियां सामान की पैकेजिंग और उसे भेजने में रोबोट के इस्तेमाल को बढ़ाने पर विचार कर रही हैं।
इससे इनके गोदामों में काम करने वाले कामगारों की उस शिकायत को दूर किया जा सकता है, जिनमें वो कहते हैं कि अपने साथ काम करने वाले सहकर्मियों के साथ सोशल डिस्टेंसिंग नहीं बरत पा रहे हैं। लेकिन विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि इससे कई लोगों की नौकरियां भी चली जाएंगी। एक बार जहां कामगारों की जगह लेने में रोबोट ने कामयाबी हासिल कर ली तो फिर इसकी संभावना शायद ही हो कि कंपनी फिर उस जगह के लिए किसी को रखे। रोबोट को बनाने और उसका व्यापारिक इस्तेमाल शुरू करने में ख़र्च ज़रूर ज़्यादा है लेकिन जैसे ही एक बार रोबोट तैयार हो गया और उसे काम में लिया जाना शुरू कर दिया गया, वैसे ही रोबोट मानव श्रम से सस्ता होगा।
इंसानों की बराबरी करेंगे रोबोट? : उन सेवाओं में क्या होगी स्थिति, जिनमें दिशा-निर्देश देने के लिए इंसानों की ज़रूरत पड़ती है? आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इस तरह से विकसित किया जा रहा है, जो स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षकों, फिटनेस ट्रेनर और वित्तीय मामलों में सलाह देने वालों की जगह भी ले सके। तकनीकी क्षेत्र की बड़ी कंपनियां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल बढ़ा रही है। फेसबुक और गूगल जैसी कंपनियां भी किसी गलत पोस्ट को हटाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सहारा ले रही हैं।
रोबोट की संभावनाओं को लेकर संशय जताने वाले लोगों का मानना है कि इन नौकरियों में इंसानों को रोबोट के ऊपर बढ़त हासिल रहेगी। लेकिन यह तस्वीर बदल सकती है क्योंकि लॉकडाउन की वजह से लोग घर बैठे सुविधाएं लेने से और ज्यादा आरामदेह हो गए हैं। विशेषज्ञ मैककिंसी ने 2017 की एक रिपोर्ट में इस बात का अनुमान लगाया था कि अमेरिका में एक-तिहाई कामगार 2030 तक ऑटोमेशन और रोबोट की वजह से अपनी नौकरी गंवा बैठेंगे। लेकिन महामारी में वो ताकत होती है कि वो समय की सभी तय सीमाओं को बदल सकता है और अब यह इंसानों को तय करना है कि वो इस तकनीक के साथ दुनिया में कैसे तालमेल बिठाते हैं।
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