दीपावली तांत्रिकों का साधना पर्व
दीपावली के दिन देवीलक्ष्मी के मातृ स्वरूप की वंदना करते है और उन्हें राजी करके, अपने घर आने का निमंत्रण देते है, विधि-विधान से पूजा संपन्न करते है। मन को संतुष्टि प्राप्त होती है। साधन के अभाव में जीने वाला व्यक्ति भी खुद के पुरूषार्थ से पूजा करता है और आशीर्वाद की कामना करता है। हम सभी के जीवन में किसी ना किसी साधन का अभाव है। कोई धन से संपन्न है तो किसी के परिवार में रोग ने घेर रखा है। परिवार का पूरा सहयोग है तो खुद कुछ ना कर पाने का अहसास। यानि कुछ न कुछ कष्ट, संकट मानव जीवन में बना रहता है, ऐसे में दीपावली के दिन मध्य रात्रि में की गई साधना, सिद्धि देती है, जिससे पूर्ण करके श्रेष्ठ गुरूजन अपने भक्तो पर आशीर्वाद बनाये रखते हैं
श्रेष्ठ गुरूजनो द्वारा मानव कल्याण के लिए साधना, सिद्धि की जाती है, नेपाल बहराईच के घनघोर जंगलो में परम आदरणीय प0 बिजेन्द्र जी पाण्डे जी महाराज मानव कल्याण के लिए “ दीपावली “ की रात्रि में विशेष साधना, विशेष हवन आदि में रत रहेगे- जिससे वह अपने शिष्यो पर आशीर्वाद बनाये रखते है-
इसी तरह गढवाल में पं0 परमानंद मैदूली जी भैरव बाबा की कठोर साधना में लीन रहेगे, जिससे वह अपने शिष्यो पर आशीर्वाद बनाये रखते है, इसी तरह मुम्बई में पं0 आदरणीय जगुडी जी आज दीपावली की रात्रि विशेष साधना में लीन रहते है, इसके उपरांत वह उत्तरकाशी पधारते है, वही सुप्रीम कोर्ट कहे जाने वाले पिथौरागढ स्थित कोटगाडी मंदिर में विशेष साधना के वरिष्ठतम साधक यहां पहुंचते है,
हिमालयायूके न्यूज पोर्टल के लिए चन्द्रशेखर जोशी सम्पादक की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट
इसके उपरांत यह साधक दीपावली के अगले दिन सटीक भविष्यवाणी भी करते है, हिमालयायूके के लिए इन श्रेष्ठ साधको द्वारा अलग अलग समय में की गयी भविष्यवाणी शीघ्र प्रकाशित होगरी-
“ दीपावली “ यह त्यौहार एक स्वयंसिद्ध और सर्वमान्य मुहूर्त है | तंत्र मंत्र साधना के लिए तो दीपावली की रात एक कुबेर का खजाना सिद्ध होती है | दीपावली पर तंत्र प्रयोग कर साधक कई तरह की सिद्धि को प्राप्त करता है | इन सिद्धि को प्राप्त कर साधक अपने मनवांछित कार्यो को पूरा करने में सक्षम हो सकता है | इस रात को किए गए किसी भी तंत्र साधना का फल अन्य किसी भी रात से अधिक मिलता है | इस लिए साधक ज्यादा बढ़ चढ़कर इस क्रिया को सम्पन्न करना चाहते हैं | दीपावली की रात गोपनीय तंत्र साधना , तांत्रिक हवन और यंत्रों की सिद्धि , क्या नहीं होता दीपावली की रात ? साधक के पसीने छूट जाते हैं – दीपावली की काली रात ! किसी ने क्या खूब कहा है – तांत्रिको के मन्त्रों में तब निखार आता है ? तांत्रिक खूने दिल जब उम्र भर पिलाते हैं !!
तंत्रिक अमावस्या की आधी रात को सिद्धि के लिए विशेष साधना करते है। लेकिन इस साधना में जगह और तांत्रिक मठों का भी उतना ही महत्व है। ब्रह्मपुराण के अनुसार कार्तिक महीने की अमावस्या की रात धन की देवी लक्ष्मी भू लोक पर आती हैं। लक्ष्मी की उपासना के पर्व का महत्व अलग है। इस दिन दुनियाभर से तांत्रिक-साधक अपनी विशेष साधना करते है। इस रात की गई साधना को विशेष फलदायी बताया गया है। यही वजह है कि आधी रात को साधना कर साधक तंत्र-मंत्र जगाते हैं।
कार्तिक माह को श्री महालक्ष्मी का मास कहा जाता है कहने का अर्थ यह है कार्तिक माह में प्रत्येक दिन विशेष है , जिसमे श्री महालक्ष्मी के नों रूपों में से किसी एक की या सभी रूपों की साधना की जा सकती है ! जिस प्रकार पितृ पक्ष में पूर्वजों के लिए तर्पण और श्राद्ध इत्यादि किया जाता है और शुक्ल पक्ष में तंत्र की सभी शाक्त साधनाएं संपन्न की जाती हैं , ठीक उसी प्रकार कार्तिक मास में श्री महालक्ष्मी से सम्बंधित साधनाएं की जाती हैं ! मूल रूप से दीपावली तांत्रिकों , अघोरिओं , ओघड़ों , मशानिकों और कापालिकों का साधना पर्व है !
इस पर्व में ॐ गणपतये नम: मंत्र से श्री गणेश जी की, ॐ महालक्ष्मयै नम: मंत्र से लक्ष्मी जी की, ॐ कलशे वरुणाय नम: मंत्र से कलश की, ॐ षोडश मातृकाभ्यो नम: नंत्र से मातृकाओं की, ॐ नवग्रहेभ्यो नम: मंत्र से नवग्रहों की तथा ॐ कुबेराय नम: मंत्र से श्री कुबेर की पूजा की जाती है।
तांत्रिकों का विश्वास है कि तंत्र बहुत ऊंची विद्या है ! उसकी साधना भी बड़ी ही कठिन , गोपनीय और गंभीर है ! तंत्र – मन्त्र साधना सबके वश की बात नहीं है ! सभी को इसमें सफलता भी नहीं मिलती है ! तंत्र का अपना विधान है , जो साधक तंत्र के विधान से भली – भांति परिचित होते हैं , वह ही तंत्र – मन्त्र साधना कर सकते हैं ! तांत्रिक शक्ति ही क्यों ? सभी शक्तियों में विनाशक शक्ति छुपी होती है ! सत्य तो यह है कि तंत्र – मन्त्र की साधना तलवार की तेज़ धार पर राखी शहद की बूँद के सामान है ! चाहो तो उस बूँद को चाटो , मगर ध्यान रहे जीभ कट जाएगी ! शहद का स्वाद भी ले लिया जाये और जीभ भी ना कटे , यह कोशल होना चाहिए और वह कोशल केवल तंत्र गुरु ही बतला सकते हैं ! तंत्र का अर्थ है – वह साधन जिसके द्वारा शक्ति , साधक के अधिकार में आती है ! अगर यह कहा जाये तो अधिक उचित होगा कि साधक और शक्ति के मध्य में जो सूत्र है – वही तंत्र है ! वास्तव में तंत्र साध्य नहीं साधन है ! साध्य वस्तु तो एक मात्र दिव्य शक्ति ही है ! इन दिव्य शक्तियों को अनुकूल करने का एक ही समय है – दीपावली की काली रात जो साधक के जीवन में साधना का उजाला लेकर आती है !
Availble in FB: HIMALAYA GAURAV UTTRAKHAND