डोकलाम विवाद – मोदी का दम – भारत की कूटनीतिक जीत
भारत और चीन आपसी सहमति से डोकलाम से सेना हटाने को तैयार हो गए हैं। इस बारे में विदेश मंत्रालय ने बयान जारी किया है। भारत और चीन की सेना ने डोकलाम से पीछे हटने का फैसला लिया है। दोनों देश की सेना अब धीरे-धीरे अपनी सेना हटाएगी। चीन के सामने भारत ने पहली बार अपनी श्रेष्ठता साबित की, यह भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जैसे श्रेष्ठ राजनीतिज्ञ के कारण संभव हो पाया- हिमालयायूके परिवार द्वारा श्री मोदी को कोटि कोटि अभिवादन-
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे से पहले चीन ने डोकलाम को लेकर बड़ा कदम उठाया है। चीन और भारत ने डोकलाम से अपनी सेनाएं पीछे हटाने का फैसला लिया है। डोकलाम विवाद पर भारत और चीन में समझौता हो गया है. MEA की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि दोनों देशों ने सेना पीछे हटाने का फैसला किया है.
तीन महीने से दोनों देशों की सेनाएं डोकलाम में डटी हुई थी. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता, रविश कुमार इस फैसले पर विदेश मंत्रालय का बयान ट्वीट किया है. इस घोषणा को भारत की बड़ी जीत माना जा रहा है क्योंकि भारत इस मसले को बातचीत के जरिए सुलझाने के पक्ष में था, जबकि चीन भारत को लगातार युद्ध के लिए धमका रहा था.
भारत और चीन डोकलाम से अपने-अपने जवानों को पीछे हटाने पर राजी हो गए हैं। विदेश मंत्रालय के सोमवार को सामने आए बयान से यही संकेत मिले हैं। विदेश मंत्रालय ने कहा- हाल ही के हफ्तों में भारत-चीन ने डोकलाम मुद्दे पर डिप्लोमैटिक कम्युनिकेशन बनाए रखा। इस दौरान हमने एकदूसरे की चिंताओं और आपसी हितों की बात की। इसी बुनियाद पर डोकलाम से जवानों का ‘डिसइंगेजमेंट’ करने पर रजामंदी बनी। यह प्रोसेस जारी है। दोनों देशों के बीच डोकलाम में जून से विवाद जारी था। चीन डोकलाम में सड़क बनाना चाह रहा था। भारत इसी का विरोध कर रहा था। माना जा रहा है कि 72 दिन बाद अब डोकलाम मसला हल हो चुका है। चीनी जवानों द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को पार करने की कोशिश पर भारतीय व चीनी सैनिकों के बीच 15 अगस्त को झड़प हुई थी।यह अपनी तरह की पहली झड़प थी। इसमें चीनी सैनिकों ने पत्थरबाजी की और भारतीय जवानों ने भी इसका जवाब दिया। इसमें दोनों तरफ के जवान घायल हुए।
रक्षा एक्सपर्ट शिवाली देशपांडे ने चीन ने भारत को उकसाने की बहुत कोशिश की. आर्मी का प्रदर्शन किया. भारत पर चीन प्रेशर डालना चाहता था कि लेकिन भारत ने यहां पर अपनी मेच्योरिटी दिखाई. चीन को अगर हमला करना होता तो कभी कर लेता. लेकिन चीन सिर्फ धमकियां देता रहा. चीन सिर्फ दबाव डाल रहा था. वो पाकिस्तान को सपोर्ट कर रहा था, पाकिस्तान को दोस्त बनाया था. चीन इस पॉलिसी पर काम कर रहा था कि दुश्मन का दुश्मन हमारा दोस्त. लेकिन भारत ने संयम रखा. चीन बार-बार युद्ध की धमकियां देकर उकसाने की कोशिश करता रहा. दोनों देशों के बीच में युद्ध किसी समस्या का हल नहीं था.”
चीन कई बार इस मामले पर भारत को धमकी भी दे चुका था. अब भारत ने चीन को अपनी सेना पीछे हटाने पर मजबूर कर दिया. इस विवाद में भारत को जापान और अमेरिका का साथ मिला था. जापान ने कहा था कि चीन इस मुद्दे पर ‘बिना सोचे-समझे’ बयानबाजी करने से बाज आए तो वहीं अमेरिका ने कहा था कि वह चाहता है कि डोकलाम में चल रहे गतिरोध पर भारत और चीन आपस में बातचीत करें.
डोकलाम जिसे भूटान में डोलम कहते हैं. करीब 300 वर्ग किलोमीटर का ये इलाका चीन की चुंबी वैली से सटा हुआ है और सिक्किम के नाथुला दर्रे के करीब है. इसलिए इस इलाके को ट्राई जंक्शन के नाम भी जाना जाता है. ये डैगर यानी एक खंजर की तरह का भौगोलिक इलाका है, जो भारत के चिकन नेक यानी सिलिगुड़ी कॉरिडोर की तरफ जाता है. चीन की चुंबी वैली का यहां आखिरी शहर है याटूंग. चीन इसी याटूंग शहर से लेकर विवादित डोलम इलाके तक सड़क बनाना चाहता है. इसी सड़क का पहले भूटान ने विरोध जताया और फिर भारतीय सेना ने.